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Answer» राष्ट्रीय भावना के विकास में बाधक तत्त्व राष्ट्रीय भावना के विकास में निम्नलिखित तत्त्व बाधक हैं- 1. अज्ञानता और अशिक्षा- राष्ट्रीयता के निर्माण में प्रमुख बाधक तत्त्व अज्ञानता और अशिक्षा हैं। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति का दृष्टिकोण संकुचित हो जाता है और वह राष्ट्रहित के स्थान पर व्यक्तिगत हित को सर्वोपरि समझने लगता है। इस कारण ऐसे संकुचित दृष्टिकोण वाले व्यक्ति राष्ट्रीयता के विकास में बाधक सिद्ध होते हैं। 2. आवागमन के अच्छे साधनों का अभाव- आवागमन के अच्छे साधनों के अभाव में देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों के बीच सम्पर्क स्थापित नहीं हो पाता है। इस सम्पर्क के अभाव में उस पारस्परिक एकता का जन्म नहीं हो पाता है, जो राष्ट्रीयता का मूल आधार है। परन्तु व्यावहारिक दृष्टि से अब विकसित एवं विकासशील देशों में आवागमन के अच्छे साधनों , का अभाव नहीं रह गया है। 3. साम्प्रदायिकता की भावना- किसी वर्ग-विशेष द्वारा अपने स्वार्थों को महत्त्व देना और दूसरे वर्ग या वर्गों के हितों की उपेक्षा करना या उन्हें नीचा दिखाने की प्रवृत्ति साम्प्रदायिकता कहलाती है। साम्प्रदायिकता से द्वेष, शत्रुता, फूट, मतभेद आदि की भावनाएँ पनपती हैं, जो राष्ट्रीयता की प्रबल विरोधी हैं। 4. जातिवाद तथा भाषावाद- सम्प्रदायवाद के समान ही जातिवाद और भाषावाद भी राष्ट्रीयता के विकास में बाधक हैं। जातिवाद विभिन्न जातियों के मध्य कटुता और घृणा का भाव उत्पन्न करता है। तथा भाषावाद लोगों में एकता की भावना को खण्डित करता है। इस कारण विभिन्न जाति व भाषायी लोगों में राष्ट्रीयता की भावना विकसित नहीं हो पाती है। 5. क्षेत्रीयता की भावना- क्षेत्रीयता की भावना राष्ट्रीयता के विकास के लिए घातक है। इस | भावना के कारण एक क्षेत्र में रहने वाले लोग अन्य या दूसरे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से घृणा करने लगते हैं। इसी कारण पंजाबी, बंगाली, मराठी, सिन्धी जैसी धारणाएँ विकसित होती हैं, जो राष्ट्रीयता के विकास को अवरुद्ध कर देती हैं। भारत में नए-नए राज्यों का उदय उग्र क्षेत्रवाद की भावना के ही परिणाम हैं। 6. पराधीनता- पराधीनता सभी बुराइयों की जड़ है। पराधीन व्यक्ति अपने देश या राष्ट्र के लिए न कुछ सोच सकता है और न कुछ कर सकता है। इसलिए पराधीनता राष्ट्रीयता के मार्ग की सबसे बड़ी अवरोधक है। 7. देशभक्ति की भावना का अभाव- जिस देश के नागरिकों में देश-प्रेम का अभाव होता है, उस देश में राष्ट्रीयता का विकास होना असम्भव है। ऐसा देश अल्प समय में ही दूसरे देश के अधीन होकर अपनी स्वतन्त्रता खो बैठता है।
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