|
Answer» राष्ट्रीयता या राष्ट्रवाद के दोष राष्ट्रीयता या राष्ट्रवाद की पराकाष्ठा कभी-कभी विश्व-शान्ति के लिए खतरा बन जाती है। इसीलिए राष्ट्रीयता में कुछ दोष भी हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है- 1. विश्व-शान्ति के लिए घातक- संकीर्ण और उग्र राष्ट्रीयता विश्व शान्ति के लिए घातक होती है। उग्र राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर ही बीसवीं शताब्दी में जर्मनी ने सम्पूर्ण मानव जाति को दो-दो विश्व युद्धों की विभीषिकाएँ झेलने को विवश कर दिया था। 2. सैन्यवाद और युद्ध को प्रोत्साहन- राष्ट्रीयता का उग्र रूप सैन्यवाद और युद्ध को प्रोत्साहन देता है। इतिहास साक्षी है कि उग्र राष्ट्रीयता से प्रेरित होकर ही फ्रांस तथा जर्मनी अनेक बार युद्धरत हुए और दोनों देशों को जन-धन की अपार क्षति उठानी पड़ी। 3. साम्राज्यवाद का उदय- उग्र राष्ट्रीयता की भावना देशवासियों को अंहकारी तथा स्वार्थी बना देती है और वे अपने राष्ट्र को ही विश्व शक्ति के रूप में देखना चाहते हैं। इस मनोवृत्ति का परिणाम साम्राज्यवादी विस्तार के रूप में प्रकट होता है। उन्नीसवीं शताब्दी में साम्राज्यवाद के विकास का एक प्रमुख कारण राष्ट्रवाद भी था। 4. छोटे-छोटे राज्यों का संगठन- उग्र राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर कभी-कभी छोटे-छोटे राज्य बन जाते हैं और उनमें आपसी द्वेष के कारण देश की एकता को खतरा उत्पन्न हो जाता है। मध्यकाल में यूरोप में अनेक छोटे-छोटे राज्यों की स्थापना उग्र राष्ट्रीयता का ही परिणाम थी। 5. व्यक्ति का नैतिक पतन- संकीर्ण राष्ट्रीयता व्यक्ति को स्वार्थी और अंहकारी बना देती है। वह इतना पतित हो जाता है कि मानव जाति को समूल नष्ट करने की दिशा में प्रवृत्त हो जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने संकीर्ण राष्ट्रीयता से प्रेरित होकर यहूदियों पर भयानक अत्याचार किए थे। 6. अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास में बाधक- राष्ट्रीयता की मान्यता है-‘एक राष्ट्र एक राज्य’, लेकिन राष्ट्रीयता का यह सिद्धान्त अन्तर्राष्ट्रीय के प्रतिकूल है। राष्ट्रीयता की भावना के कारण ही विभिन्न राष्ट्रों का दृष्टिकोण अन्य राष्ट्रों के प्रति संकीर्ण तथा उपेक्षित-सा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग और सद्भावना का विकास अवरुद्ध हो जाता है। और अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अनेक समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं।
|