1.

राष्ट्रीयता तथा अन्तर्राष्ट्रीयता के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।

Answer»

वर्तमान में राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता के मध्य सम्बन्ध को लेकर दो विरोधी विचार प्रचलित हैं। पहले मत के विद्वानों का कहना है कि राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता परस्पर विरोधी हैं। उनका तर्क है कि राष्ट्रीयता व्यक्ति को अपने देश के प्रति श्रद्धा भाव रखने के लिए प्रेरित करती है, जबकि अन्तर्राष्ट्रीयता का आधारभूत सिद्धान्त विश्वबन्धुत्व की स्थापना करना है। लेकिन यह मत भ्रामक और असंगत प्रतीत होता है। वास्तव में राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता परस्पर विरोधी नहीं हैं। राष्ट्रीयता तभी अन्तर्राष्ट्रीयता के मार्ग में बाधक बनती है, जबकि उसका अन्धानुकरण किया जाए तथा उसके उग्र रूप को ग्रहण किया जाए। उदार राष्ट्रीयता अन्तर्राष्ट्रीयता की पोषक और विश्व-शान्ति की समर्थक है। भारत का पंचशील सिद्धान्त इस सन्दर्भ में उदाहरणस्वरूप लिया जा सकता है।

इस प्रकार राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता एक-दूसरे की परस्पर पूरक हैं। यही मत अधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है, क्योंकि राष्ट्रीयता ही अन्तर्राष्ट्रीयता का प्रथम चरण है। 

गांधी जी के अनुसार, “मेरे विचार से राष्ट्रवादी हुए बिना अन्तर्राष्ट्रवादी होना असम्भव है। अन्तर्राष्ट्रीयता तभी सम्भव हो सकती है, जबकि राष्ट्रीयता एक यथार्थ बन जाए।”



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions