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Ras ki paribhasha kya hai uske bhed ke sath ispasth kigiye

Answer» ●रस●■रस का शाब्दिक अर्थ है \'आनन्द\'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। ■रस के चार अव्वय होते है।▪ स्थायी भाव।▪विभाव।▪अनुभाव।▪संचारी या व्यभिचारी भाव।■रस के भेद।▪श्रृंगार रस ▪करुण रस▪हास्य रस ▪वीर रस ▪रौद्र रस ▪अदभुत रस ▪भयानक रस ▪वीभत्स रस▪शांत रस ▪वात्सल्य रस▪भक्ति रस
1.श्रृंगार रस\xa02.करुण रस3.हास्य रस4.वीर रस\xa05.रौद्र रस6.अदभुत रस7.भयानक रस8.वीभत्स रस9.शांत रस10.वात्सल्य रस11.भक्ति रस
रस के चार अंग कहे गए हैं। स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी या व्यभिचारी भाव।
रस का शाब्दिक अर्थ है \'आनन्द\'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।


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