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शाहजहाँ के काल में साहित्य और कला की क्या प्रगति हुई?

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शाहजहाँ के काल में साहित्य और कला उन्नति के उच्च शिखर पर थे। साहित्य और ललितकलाओं के दृष्टिकोण से शाहजहाँ का काल स्वर्णयुग कहलाने का अधिकारी है। ‘गंगाधर’ और ‘गंगालहरी’ के प्रसिद्ध लेखक जगन्नाथ पण्डित, शाहजहाँ के राजकवि थे। संस्कृत ग्रन्थों, भगवद्गीता, उपनिषद्, रामायण आदि का अनुवाद भी इसी काल में हुआ। शाहजहाँ द्वारा निर्मित दिल्ली का लालकिला, जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद तथा आगरा की ही सर्वोत्कृष्ट कृति ताजमहल, शाहजहाँ के युग को स्वर्ण-युग प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त हैं। शाहजहाँ का ‘मयूर सिंहासन’ जो बहुमूल्य पत्थरों से जड़ित था तथा जिसके बीचों-बीच विश्वप्रसिद्ध हीरा कोहिनूर जगमगाता था, उसके गौरव में चार चाँद लगाने के लिए पर्याप्त था।



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