1.

श्रीराम शर्मा का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।अथवाश्रीराम शर्मा की साहित्यिक विशेषताओं को बताते हुए उनकी भाषा-शैली भी स्पष्ट कीजिए।अथवाश्रीराम शर्मा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए।अथवा श्रीराम शर्मा को साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।

Answer»

श्रीराम शर्मा
( स्मरणीय तथ्य )

जन्म-सन् 1892 ई० (1949 वि०)। मृत्यु-सन् 1967 ई० । जन्म-स्थान-किरथरा (मैनपुरी) उ० प्र० । शिक्षा-बी० ए० ।
साहित्य सेवा – सम्पादक (विशाल भारत), आत्मकथा लेखक, संस्मरण तथा शिकार साहित्य के लेखक।
भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण, सशक्त, उर्दू एवं ग्रामीण शब्दों का प्रयोग विषयानुकूल।
शैली वर्णनात्मक रोचक शैली।
रचनाएँ सन् बयालीस के संस्मरण, सेवाग्राम की डायरी, शिकार साहित्य, प्राणों का सौदा, बोलती प्रतिमा, जंगल के जीव। |

जीवन-परिचयहिन्दी में शिकार साहित्य के प्रणेता पं० श्रीराम शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में 23 मार्च, सन् 1892 ई० को हुआ था। प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् ये पत्रकारिता के क्षेत्र में उतर आये। आपने ‘विशाल भारत’ नामक पत्र का सम्पादन बहुत दिनों तक किया। इनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण मुख्यतः राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत है। आपने राष्ट्रीय आन्दोलनों में बराबर भाग लिया है जिसकी सजीव झाँकियाँ आपकी रचनाओं में परिलक्षित होती हैं। आपकी मृत्यु एक लम्बी बीमारी के पश्चात् सन् 1967 ई० में हो गयी।

कृतियाँ –

  • संस्मरण-साहित्य- सेवाग्राम की डायरी’ और ‘सन् बयालीस के संस्मरण’ में इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन और उस समय के समाज की झाँकी प्रस्तुत की है।
  • शिकार साहित्य‘जंगल के जीव’, ‘प्राणों का सौदा’, ‘बोलती प्रतिमा’, ‘शिकार’ में आपका शिकार-साहित्य संगृहीत है। इन सभी रचनाओं में रोमांचकारी घटनाओं का सजीव वर्णन हुआ है । इन कृतियों में घटना-विस्तार के साथसाथ पशुओं के मनोविज्ञान का भी सम्यक् परिचय दिया गया है।
  • जीवनी-‘नेताजी’ और ‘गंगा मैया ।’ । इन कृतियों के अतिरिक्त शर्मा जी के फुटकर लेख अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे।
  • साहित्यिक परिचय– शर्मा जी हिन्दी में शिकार साहित्य प्रस्तुत करने में अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। इनके शिकार साहित्य में घटना विस्तार के साथ-साथ पशु-मनोविज्ञान को सम्यक् परिचय भी मिलता है। शिकार साहित्य के अतिरिक्त शर्मा जी ने ज्ञानवर्द्धक एवं विचारोत्तेजक लेख भी लिखे हैं जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित हुए हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में तथा संस्मरणात्मक निबन्धों और शिकार सम्बन्धी कहानियों को लिखने में शर्मा जी का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिकार साहित्य को हिन्दी में प्रस्तुत करनेवाले शर्मा जी पहले साहित्यकार हैं।
  • भाषा-शैली- शर्मा जी की भाषा स्पष्ट और प्रवाहपूर्ण है। भाषा की दृष्टि से ये प्रेमचन्द के अत्यन्त निकट माने जा सकते हैं, यद्यपि ये छायावादी युग के विशिष्ट साहित्यकार रहे हैं। आपकी भाषा में संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी के शब्दों के साथ-साथ लोकभाषा के शब्दों के प्रयोग से भाषा अत्यन्त सजीव एवं सम्प्रेषणीयता के गुण से सम्पन्न हो गयी है।

इनकी शैली स्पष्ट एवं वर्णनात्मक है जिसमें स्थान-स्थान पर स्थितियों का विवेचन मार्मिक और संवेदनशील होता है। शर्मा जी की शिकार सम्बन्धी, संस्मरणात्मक कहानियों और निबन्धों में शैलीगत विशेषता है जो रोमांच और कौतूहल आद्योपान्त बनाये रखती है।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions