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Shringar ras ke udharan

Answer» निस दीन बरसात नैन हमारे। सदा रहति पावस ऋतु हमपे जब से श्याम सिधारे।
राम का रूप नीहारति जानकि कंगन के नग की परिछाहीं।यातें सबै सुधि भूलि गई ,कर टेकी रही पल टारति नाहीं ।।??
गाता शुक जब किरण बसंती छूती अंग पर्ण से छनकर ।किंतु शुकी के गीत उमड़कर , रह जाते सनेह मे सनकर ।।???????


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