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Answer» अंदाजपत्र के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं : (1) संतुलित अंदाजपत्र (2) असंतुलित अंदाजपत्र (1) संतुलित अंदाजपत्र : हिसाबी पद्धति के अनुसार सभी अंदाजपत्र संतुलित ही होते हैं । कारण कि उनकी दोनों ओर मुद्राकीय मूल्य दर्शाया जाता है । परंतु आय और खर्च के वास्तविक अंदाज के अनुसार संतुलित अंदाजपत्र अर्थात् ऐसा अंदाजपत्र जहाँ सरकार का अंदाजित खर्च उसकी अंदाजित आय जितना ही होता है । यह आदर्श स्थिति जहाँ सरकार खर्च और आय का अंदाज समान होता है । विकासशील देशों के लिए ऐसा अंदाजपत्र बिनव्यवहारिक होता है । संतुलित अंदाजपत्र के लाभ-हानि निम्नानुसार हैं : लाभ : - संतुलित अंदाजपत्र से आर्थिक स्थिरता बनी रहती है ।
- संतुलित अंदाजपत्र आय और खर्च का अंदाज समान रहे इसलिए सरकार अनावश्यक खर्च तथा अनावश्यक कर घटाती
- संतुलित अंदाजपत्र प्रजा पर बोझ बढ़ता नहीं है ।
हानियाँ : - सरकार संतुलित अंदाजपत्र टिकाए रखने के लिए आवश्यक खर्च कम करे तो आर्थिक कल्याण पर प्रभावित होती है ।
- सरकार खर्च कम न करे और संतुलित अंदाजपत्र बनाये रखने के लिए कर बढ़ाये तो प्रजा पर बोझ बढ़ेगा, तो वह आर्थिक
विकास के लिए अवरोध स्वरूप है ।
(2) असंतुलित अंदाजपत्र : असंतुलित अंदाजपत्र में अंदाजित समय और अंदाजित खर्च समान न हो तो असंतुलन स्थापित होता है । जिससे असंतुलन दो प्रकार की हो सकती है – - घाटेवाला अंदाजपत्र
- लाभवाला अंदाजपत्र
लाभ : - घाटेवाला अंदाजपत्र विकासलक्षी और कल्याणलक्षी माना जाता है ।
- मंदी के अर्थतंत्र में घाटेवाला अंदाजपत्र खर्च द्वारा रोजगार सर्जित कर सकता है ।
- घाटेवाले अंदाजपत्र में कर का भार कम होता है ।
- लाभवाले अंदाजपत्र सरकार मुद्रास्फीति के समय जनता पर अधिक टेक्स लगाकर मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखती है ।
- लाभवाले अंदाजपत्र में कर्ज नहीं करना पड़ता है ।
- प्रजा पर लाभवाले अंदाजपत्र से भविष्य में टेक्स का भार नहीं होता है ।
हानियाँ : - घाटेवाले अंदाजपत्र में कभी-कभी अधिक खर्च करके उसको पूरा करने के लिए कर्ज करना पड़ता है जिससे ऋण का भार बढ़ता है ।
- घाटेवाले अंदाजपत्र से सरकार के खर्च पर नियंत्रण नहीं रहता है ।
- प्रजा द्वारा भरे टेक्स का बिनकार्यक्षम खर्च होता है ।
- लाभवाले अंदाजपत्र के लिए सरकार यदि सामाजिक कल्याण और विकास के कार्यों के लिए आवश्यक खर्च न करे तो विकास पर विपरीत असर पड़ती है ।
- मंदी के समय में सरकार लाभवाला अंदाजपत्र के लिए मुद्रा को पकड़े रख्ने तो अर्थतंत्र में पूंजीनिवेश, रोजगार, उत्पादन प्रभावित होता है ।
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