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| 1. | ‘सूत-पुत्र’ नाटक के आधार पर दुर्योधन की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। | 
| Answer» डॉ० गंगासहाय प्रेमी कृत ‘सूत-पुत्र’ नाटक का कथानक संस्कृत के महाकाव्य ‘महाभारत पर आधारित है। यद्यपि इस नाटक का कथानक पूर्ण रूप से कर्ण को केन्द्र-बिन्दु मानकर ही अग्रसर होता है। परन्तु नाटक में दुर्योधन भी एक प्रभावशाली पात्र के रूप में उपस्थित हुए हैं, जो राजनीति के गुणोंसाम, दाम, दण्ड, भेद का खुलकर प्रयोग करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अन्त तक प्रयासरत रहते हैं। उनके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- (1) सच्चा मित्र-दुर्योधन एक सच्चा मित्र है। वह कर्ण को अपना मित्र बनाता है। आजीवन मित्रता का निर्वाह करता है। मित्र होने के कारण कर्ण की हर सम्भव मदद करने को तत्पर रहता है। उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि नाटककार ने दुर्योधन के रूप में ऐसे व्यक्तियों की ओर इंगित किया है जो समाज और राष्ट्र से ऊपर अपने हित को ही सर्वोपरि मानते हैं। ऐसे व्यक्ति नेता हों। अथवा अधिकारी सर्वथा समाज द्वारा त्याज्य हैं, जो किंचित भी राष्ट्र को कदापि हित नहीं कर सकते। | |