1.

‘वे आँखें’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

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प्रस्तुत कविता कवि पंत की प्रगतिशील विचारों को व्यक्त करती है । कविता के केन्द्र में भारतीय गरीब, शोषित किसान है। ” किसान सदियों से शोषण का शिकार होता आया है । जगत का पेट भरनेवाला किसान (अन्नदाता) स्वयं भूखा ही सो जाता है । उसका महाजन, जमींदार आदि मनमाने ढंग से शोषण करते हैं ।

भारतीय किसान रात-दिन पसीना बहाकर भी भूखा और फटेहाल ही रह जाता है । जब कि महाजन, जमींदार आदि शोषक वर्ग कुछ न करके बहुत कुछ पा जाते हैं । अपना पेट ही नहीं पेटियाँ भी भरते हैं । प्रस्तुत कविता में किसान के जीवन की त्रासदी को ब्याजखोरों के षड्यंत्रों के द्वारा व्यक्त किया गया है । जिसमें किसान एक-एक करके अपना खेत, घर, बैलों की जोड़ी, दुधारू गाय, पत्नी, बिटिया, जवान बेटा और पुत्रवधू तक को खो देता है।

सबकुछ लुट चुके किसान की आँखों में हताशा और निराशा के घोर बादल छाए हुए हैं, कुछ न सुझनेवाला गहन अंधकार छाया हुआ है। यही दिखाना तथा उसके जीवन में पुनः कैसे आनंद, उमंग और उजाला फैलाया जा सके इसकी चिन्ता भी व्यक्त हुई है । अमीर और गरीब दो वर्गों में बँटे समाज की सच्ची तस्वीर उभारना भी इस कथिता का उद्देश्य रहा है।



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