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विधान समझाइए ।विदेशी व्यापार आन्तरिक व्यापार का विस्तृत स्वरूप है ।

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विदेशी व्यापार आन्तरिक व्यापार का विस्तृत रूप है यह विधान सही हैं क्योंकि आन्तरिक व्यापार में पूँजी की आवश्यकता कम होती है । आन्तरिक व्यापार में कार्यक्षेत्र सीमित होता है, तौल-माप, व मुद्राएँ ही होती हैं, आन्तरिक व्यापार में जोखिम कम होता है, व्यापार आसानी से किया जाता है । लेकिन विदेश-व्यापार में पूँजी की आवश्यकता अधिक होती है, व्यापार का कार्यक्षेत्र विशाल बनाया जा सकता है तथा मुद्रा एवं तौल-माप की प्रणाली भी अलग पाई जाती है । दो देशों के मध्य मधुर सम्बन्ध भी बनाये जा सकते हैं, इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विदेशी व्यापार आन्तरिक व्यापार का विस्तृत स्वरूप होता है ।



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