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वस्तुओं और सेवाओं कर के अमलीकरण को विस्तार से समझाइए ।

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भारत में संवैधानिक सुधार के बाद 1 जुलाई, 2017 से राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा वसूले जानेवाले 17 जितने परोक्ष कर के स्थान पर वस्तु और सेवाकर वसूली शुरू हुई ।

GST के अमलीकरण को समझने के लिए निम्नलिखित बातें महत्त्वपूर्ण हैं :

(1) वस्तुओं और सेवाओं कर काउन्सिल की स्थापना : केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जानेवाले कर अलग-अलग परोक्ष कर अलग-अलग प्रकार से निश्चित किये जाते थे । इसलिए इस विसंगतता को दूर करने के लिए GST लागू किया गया । जिसका अध्यक्ष भारत के वित्तमंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री उसके सदस्य होते हैं । प्रति तीन महीने काउन्सिल की मीटिंग होती है । कर से सम्बन्धित यह काउन्सिल सुझाव देती है ।

(2) GST की दर : GST की दर आरम्भ के सोपान में पाँच प्रकार की दर निश्चित की गई है :

  • GST में से कुछ वस्तुओं को मुक्त कर दिया गया है जैसे – कृषि उत्पाद, शाक-सब्जी, फुटकर अनाज, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ । इन वस्तुओं पर 0% दर है ।
  • इन वस्तुओं को छोड़कर अन्य वस्तु और सेवा पर 5%, 12%, 18% और 28% की दर से GST वसूला जाता है । 28% की दर में अधिकांश वस्तुएँ मौजशौख और प्रतिष्ठा मूल्य रखनेवाली वस्तुओं का समावेश किया जाता है ।
  • वस्तुओं और सेवाओं के कर में राज्यों को मुआवजा :
    GST के अमल से कुछ राज्यों को आर्थिक लाभ तो कुछ राज्यों को आर्थिक नुकसान होता है । नुकसानवाले राज्यों का पाँच वर्ष तक मुआवजा देने की व्यवस्था की गई है ।
  • GST से मुक्त रखी गई वस्तुएँ और सेवाएँ : GST के प्रारम्भिक अमल में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर GST नहीं लगता है । वर्तमान में उन पर पुराना ही परोक्ष कर लगता है । क्रमश: यह वस्तुएँ और सेवाएँ भी GST में आ सकती है । परंतु वर्तमान में इन पर GST नहीं है ।

इन वस्तुओं और सेवाओं में :

(a) मानव उपयोग के लिए अल्कोहोलिक लीकर और
(b) पेट्रोलियम उत्पाद जिसमें पेट्रोल, डीजल, क्रूड और प्राकृतिक गैस इन पर पुराने कर चालू हैं ।



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