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“यह व्यक्तित्व का प्रश्न नहीं स्त्रीत्व का प्रश्न है।”–लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

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लेखक के मित्र मामूली चीज लेने बाजार गए थे। लौटे तो उनके साथ अनेक बण्डल थे। उन्होंने बताया कि इतना अधिक सामान उन्होंने अपनी पत्नी के कारण खरीदा है। लेखक ने माना है कि वस्तुओं के संग्रह का स्वभाव स्त्रियों का होता है। आदिकाल से इस विषय में स्त्री की ही प्रमुखता रही है। गृहस्थी का काम सदा से स्त्री ही करती आई है। संग्रह की भावना स्त्री में स्वाभाविक रूप से होती है।



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