InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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विद्युत के उत्पादन के तीन बुनियादी स्रोत कौन-से हैं? |
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Answer» विद्युत के उत्पादन के तीन बुनियादी स्रोत इस प्रकार हैं ⦁ तापीय विद्युत (कोयला), ⦁ जलविद्युत (जल) तथा ⦁ आणविक ऊर्जा (नाभिकीय विखण्डन)। |
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ऊर्जा का महत्त्व क्या है? ऊर्जा के व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक स्रोतों में अन्तर कीजिए। |
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Answer» ऊर्जा का महत्त्व आर्थिक आधारित संरचना का बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण संघटक ऊर्जा है। किसी राष्ट्र की विकास प्रक्रिया में ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है, साथ ही यह उद्योगों के लिए भी अनिवार्य है। आज ऊर्जा का कृषि और उससे सम्बन्धित क्षेत्रों जैसे खाद, कीटनाशक और कृषि उपकरणों के उत्पादन और यातायात; में उपयोग भारी स्तर पर हो रही है। इस प्रकार प्रत्येक गतिविधि को सम्पन्न करने हेतु ऊर्जा आवश्यक है। ऊर्जा के उपभोग स्तर से सामाजिक एवं आर्थिक संवृद्धि निर्धारित होती है।
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आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए सरकार को क्या करना चाहिए? |
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Answer» आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए सरकार को आधारिक संरचना सुविधाओं में निवेश को बढ़ाना चाहिए। |
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भारत में सर्वप्रथम परमाणु ऊर्जा केन्द्र कहाँ स्थापित किया गया?(क) तारापुर में(ख) रावतभाटा में(ग) काकरापाड़ा में(घ) नरौरा में |
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Answer» सही विकल्प है (क) तारापुर में । |
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जलापूर्ति एवं सफाई में सुधार का क्या प्रभाव पड़ता है? |
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Answer» जलापूर्ति एवं सफाई में सुधार से प्रमुख जल संक्रमित बीमारियों से अस्वस्थता में कमी आती है। और बीमारी के हो जाने पर भी उसकी गम्भीरता कम होती है। |
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संरचनात्मक सुविधाओं का देश के आर्थिक विकास में क्या महत्त्व है? |
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Answer» संरचनात्मक सुविधाएँ एक देश के आर्थिक विकास में उत्पादन के तत्त्वों की उत्पादकता में वृद्धि करके और उसकी जनता के जीवन व गुणवत्ता में सुधार करके अपना योगदान करती हैं। |
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आधारिक संरचना क्या है? |
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Answer» किसी अर्थव्यवस्था के पूँजी स्टॉक के उस भाग को जो विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान करने की दृष्टि से अनिवार्य होता है, आधारिक संरचना कहा जाता है। |
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ऊर्जा के विभिन्न गैर-व्यावसायिक स्रोत कौन-से हैं? |
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Answer» ऊर्जा के गैर-व्यावसायिक स्रोतों में जलाऊ लकड़ी, कृषि का कूड़ा-कचरा और सूखा गोबर आते हैं। ये गैर-व्यावसायिक हैं, क्योंकि ये हमें प्रकृति/जंगलों में मिलते हैं। |
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ऊर्जा के परम्परागत स्रोत क्या हैं? उदाहरण सहित बताइए। |
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Answer» ऊर्जा के परम्परागत स्रोत वे हैं जिनकी हमें जानकारी है और जिनका प्रयोग हम बहुत लम्बे समय से कर रहे हैं; जैसे—कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली। |
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आय में वृद्धि के साथ आधारिक संरचना में क्या महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं? |
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Answer» अल्प आय वाले देशों के लिए सिंचाई, परिवहन व बिजली अधिक महत्त्वपूर्ण है जबकि उच्च आय वाले देशों में बिजली और दूरसंचार अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। इस प्रकार आधारिक संरचना का विकास और आर्थिक विकास साथ-साथ होते हैं। |
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आधारिक संरचना के कुछ उदाहरण दीजिए। |
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Answer» आधारिक संरचना के कुछ उदाहरण हैं-परिवहन सुविधाएँ प्रदान करने वाली सड़कें, बसें, रेलवे, स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने वाले अस्पताल, सिंचाई की सुविधा प्रदान करने वाली नहरें, कुएँ आदि पूँजी स्टॉक आधारिक संरचना हैं। |
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भारतीय कोयले का मुख्य दोष क्या है? |
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Answer» भारतीय कोयले का मुख्य दोष यह है कि इसमें राख बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है और उष्णता कम मात्रा में इसका तापविद्युत स्टेशनों की कुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। |
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ऊर्जा के गैर-पारम्परिक स्रोत क्या हैं? उदाहरण सहित बताइए। |
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Answer» ऊर्जा के गैर-पारम्परिक स्रोत वे हैं जिनकी खोज हाल ही के वर्षों में की गई है और जिनकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ रही है; जैसे—सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, बायोमास। |
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सामाजिक आधारिक संरचना एवं आर्थिक आधारिक संरचना से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» आधारिक संरचना दो प्रकार की होती है- 1. सामाजिक आधारिक संरचना– सामाजिक आधारिक संरचनाएँ वे सुविधाएँ तथा सेवाएँ हैं, जो आर्थिक प्रक्रियाओं को अप्रत्यक्ष रूप से तथा उत्पादन एवं वितरण की प्रणाली को बाहर से अपना योगदान प्रदान करती हैं। ये सेवाएँ अर्थव्यवस्था के एक महत्त्वपूर्ण सहायक ढाँचे का निर्माण करती हैं । सामाजिक आधारिक संरचना के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं ⦁ सामाजिक स्वास्थ्य, ⦁ सामाजिक आवास, ⦁ सामाजिक नागरिक सुविधाएँ तथा ⦁ सार्वजनिक वितरण प्रणाली। 2. आर्थिक आधारिक संरचना– आर्थिक आधारिक संरचनाएँ वे सुविधाएँ तथा सेवाएँ हैं, जो उत्पादन तथा वितरण की प्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। ये सेवाएँ बाहर स्थित न होकर उत्पादन एवं वितरण की प्रणाली के अन्दर ही स्थित होती हैं। ये अर्थव्यवस्था के लिए एक दूसरा सहयोगी ढाँचा प्रदान करती हैं। ⦁ विद्युत और सिंचाई तथा ⦁ मौद्रिक और वित्तीय संस्थाएँ। |
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अच्छे स्वास्थ्य का क्या महत्त्व है? |
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Answer» अच्छा स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि लाता है। यह मानव संसाधन विकास का एक महत्त्वपूर्ण घटक है और राष्ट्र की एक परिसम्पत्ति है। |
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कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस को जीवाश्मीय ईंधन क्यों कहते हैं? इनके दो। विशेष अवगुण कौन-से हैं? |
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Answer» कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की उत्पत्ति जैव पदार्थों से हुई है। इनका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। इसी कारण इन्हें जीवाश्मीय ईंधन कहा जाता है। कोयले की उत्पत्ति प्राचीन काल (कार्बोनिफेरस युग) में प्राकृतिक वनस्पति के भू-गर्भ में दबकर कालान्तर में रूपान्तरित और कठोर हो जाने के फलस्वरूप हुई है। दबाव के कारण इसे वनस्पति की जलवाष्प समाप्त हो गई तथा वह कोयले में परिणत हो गई। कोयला जितने समय तक भू-गर्भ में दबा रहता है, उतना ही उत्तम और कार्बनयुक्त होता जाता है। इस प्रकार खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की उत्पत्ति भी भू-गर्भ में दबी हुई वनस्पति तथा जलजीवों के रासायनिक परिवर्तनों के कारण हुई आसवन क्रिया का परिणाम है। भू-गर्भ से निकलने के कारण इनमें अनेक अशुद्धियाँ मिली होती हैं, अत: उपभोग करने से पूर्व इन्हें परिष्करणशालाओं में रासायनिक क्रियाओं द्वारा साफ किया जाता है। जीवाश्मीय ईंधन के अवगुण कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस के दो विशेष अवगुण इस प्रकार हैं |
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बिजली के संचालन तथा वितरण में होने वाली हानि के क्या कारण हैं? |
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Answer» बिजली के संचालन तथा वितरण में होने वाली हानि के कारण हैं |
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स्वास्थ्य से क्या आशय है? |
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Answer» स्वास्थ्य सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कल्याण की अवस्था है। इसका आशय एक व्यक्ति की स्वस्थ शारीरिक तथा मानसिक अवस्था से है। |
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जीवाश्मीय ईंधनों में कौन-से अवगुण पाए जाते हैं? |
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Answer» कोयला, खनिज तेल (पेट्रोलियम) तथा प्राकृतिक गैस की उत्पत्ति जैव पदार्थों से हुई है। इनका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। इसी कारण इन्हें जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) भी कहा जाता है। जीवाश्मीय ईंधनों में निम्नलिखित अवगुण पाए जाते हैं ⦁ ये ऊर्जा के क्षयी संसाधन हैं अर्थात् इनके भण्डार कभी भी समाप्त हो सकते हैं। ⦁ जीवाश्मीय ईंधन के प्रयोग से राख, धुआँ एवं गन्दगी उत्पन्न होती है जिनसे पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। ⦁ एक बार उपभोग करने के बाद ये सदैव के लिए समाप्त हो जाते हैं अर्थात् इनका नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है (पनविद्युत को छोड़कर)। ⦁ इनके आवागमन में भारी व्यय करना पड़ता है, परन्तु इनसे ताप शक्ति की प्राप्ति अधिक होती है। ⦁ जीवाश्मीय ईंधनों के उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि होती जा रही है जो आधुनिक युग की सबसे ज्वलन्त समस्या है जिसका सामना विश्व के सभी देश कर रहे हैं। |
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ऊर्जा संसाधन से क्या तात्पर्य है? इन्हें कितने भागों में बाँटा जाता है? |
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Answer» जिन पदार्थों से मनुष्य को कृषि, उद्योग तथा परिवहन साधनों हेतु ऊर्जा की प्राप्ति होती है, उन्हें ऊर्जा संसाधन (Energy Resources) कहा जाता है। प्राचीन काल में मानव ऊर्जा के लिए मानव शक्ति, पशु शक्ति तथा लकड़ी आदि पर निर्भर करता था, परन्तु आज वह जिन पदार्थों से ऊर्जा प्राप्त कर रहा है, उनमें कोयला, खनिज तेल (पेट्रोलियम), प्राकृतिक गैस, पनविद्युत, परमाणु खनिज, सूर्यातप, पवन, भू-गर्भीय ताप, ज्वारीय तरंगें, गन्ने की खोई एवं कूड़ा-कचरा आदि का प्रमुख स्थान है। ऊर्जा संसाधनों का वर्गीकरण – उपलब्धता के आधार पर ऊर्जा संसाधनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है1. परम्परागत ऊर्जा संसाधन–इनमें कोयला, खनिज तेल (पेट्रोलियम), प्राकृतिक गैस एवं ⦁ परमाणु खनिज सम्मिलित किए जाते हैं जो भू- गर्भ से निकाले जाते हैं। इन ऊर्जा संसाधनों के भण्डार सीमित हैं और कभी भी समाप्त हो सकते हैं अर्थात् ये अविश्वसनीय ऊर्जा संसाधन हैं। ⦁ गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधन– इनके अन्तर्गत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, बायो ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि को सम्मिलित किया जाता है। वास्तव में ये ऊर्जा के नव्यकरणीय संसाधन हैं। इसी कारण इन्हें ऊर्जा के विश्वसनीय संसाधन कहा जाता है। |
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जलविद्युत शक्ति, कोयला एवं खनिज तेल की तुलना में अधिक सुविधाजनक है। क्यों? |
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Answer» जलविद्युत शक्ति, कोयले एवं खनिज तेल की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है; क्योंकि ⦁ जलविद्युत उत्पादक परियोजना (बहुउद्देशीय परियोजना) का एक बार विकास हो जाने पर उसका उपयोग सदैव तथा सतत रूप में किया जा सकता है। |
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जलविद्युत, ऊर्जा के गैर-पारम्परिके साधनों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों है? |
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Answer» जलविद्युत, ऊर्जा के गैर-पारम्परिक साधनों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ⦁ जलविद्युत उत्पादक शक्तिगृह का एक बार विकास हो जाने पर उसका उपयोग सदैव एवं सतत रूप में किया जा सकता है अर्थात् उसे परे बार-बार व्यय नहीं करना पड़ता है। ⦁ जलविद्युत शक्ति का उत्पादन जल से किया जाता है तथा जल ऊर्जा को स्थायी स्रोत है। अतः जलविद्युत शक्ति के उत्पादन में पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है, जबकि ऊर्जा के अन्य पारम्परिक साधन; यथा-कोयला, खनिज तेल आदि; धुआँ एवं गन्दगी उत्पन्न कर वायु प्रदूषण को जन्म देते ⦁ जलविद्युत, ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जिसे तारों (केबिल्स) के माध्यम से दुर्गम क्षेत्रों में भी उपभोक्ताओं को सुलभ कराया जा सकता है, जबकि पारम्परिक ऊर्जा संसाधनों को दूरवर्ती उपभोक्ताओं तक भेजने में बार-बार परिवहन व्यय करना पड़ता है। ⦁ जलविद्युत, शक्ति के विकास के लिए एक बार ही व्यय करना पड़ता है, जबकि पारम्परिक ऊर्जा संसाधनों के दोहन में बार-बार पर्याप्त व्यय करना पड़ता है। ⦁ पारम्परिक ऊर्जा संसाधनों के उपभोग से पूर्व भण्डारण, निस्तारण तथा परिवहन में अत्यधिक व्यय करना पड़ता है, जबकि जलविद्युत शक्ति के उपभोग हेतु इस प्रकार का कोई व्यय नहीं करना पड़ता है। ⦁ पारम्परिक ऊर्जा संसाधन (खनिज तेल) ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव उत्पन्न किए हैं, जैसा कि दक्षिण-पश्चिमी एशिया में, जबकि जलविद्युत शक्ति के साथ ऐसा कोई तथ्य नहीं है। ⦁ जलविद्युत शक्ति के उत्पादन के बाद जो जल शेष बचता है, उसके भौतिक एवं रासायनिक गुणों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। अत: इस जल का उपयोग सिंचन तथा अन्य कार्यों में आसानी से किया जा सकता है। |
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