InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. |
बिन्दु ‘U’ क्या दर्शाता है?(क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग(ख) संसाधनों का पूर्ण एवं कुशलतम प्रयोग(ग) तकनीक में सुधार(घ) अप्राप्य संयोग |
|
Answer» (क) संसाधनों का अल्प एवं अकुशल प्रयोग |
|
| 2. |
अवसर लागत क्या है? एक संख्यात्मक उदाहरण की सहायता से समझाइए। |
|
Answer» अवसर लागत दूसरे अवसर की हानि के रूप में पहले अवसर को लाभ उठाने की लागत है। दूसरे शब्दों में, । “अवसर लागत को किसी साधन के उसके दूसरे सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग के मूल्य के रूप में परिभाषित कर सकते हैं।” उदाहरण के लिए जब हम वाणिज्य विषयों (Commerce subjects) को चुनते हैं तो हमें विज्ञान विषयों (Science subjects) का त्याग करना पड़ता है तो विज्ञान विषय हमारे वाणिज्य विषय चुनने की अवसर लागत हैं। इसी प्रकार यदि एक व्यक्ति ने M.A. (Economics) किया है तो वह शिक्षक बनकर 40000, किताबें लिखकर 50000 तथा अर्थशास्त्री बनकर 70000 कमा सकता है तो अर्थशास्त्री बनने के लिए उसे किताबें लिखने तथा शिक्षक बनने के अवसर को छोड़ना होगा, परन्तु उसकी अवसर लागत (Opportunity cost) 50000 है। क्योंकि यह दूसरा सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग है। |
|
| 3. |
भारत एक श्रम प्रधान देश है। इसे पूँजी प्रधान और श्रम प्रधान उत्पादन की तकनीक में से कौन-सी तकनीक अपनानी चाहिए? |
|
Answer» यदि भारत में श्रम प्रधानता है तो श्रम की लागत पूँजी की लागत से कम होगी, परन्तु पूँजी की उत्पादकता श्रम की उत्पादकता से कहीं अधिक है। अतः कुल मिलाकर पूँजी प्रधान तकनीक से प्रति इकाई लागत न्यूनतम हो सकती है। परन्तु साथ ही श्रमिकों को रोजगार देना भी आवश्यूक है। अतः एक ऐसा मार्ग ढूंढा जाना चाहिए, जिसमें श्रमिकों को रोजगार भी मिल जाए तथा प्रति इकाई लागत भी न्यूनतम हो। |
|
| 4. |
बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए हमें उत्पादन संभावना वक्र को दाँई ओर खिसकाने की आवश्यकता है। इसके लिए हम क्या कर सकते हैं? |
|
Answer» (i) तकनीक में सुधार द्वारा |
|
| 5. |
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?(क) हमारी आवश्यकताएँ सदा संसाधनों से अधिक होती हैं।(ख) हमारे संसाधन सदा आवश्यकताओं से अधिक होते हैं।(ग) संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग नहीं होते।(घ) इच्छाओं के वैकल्पिक प्रयोग होते हैं। |
|
Answer» (क) हमारी आवश्यकताएँ सदा संसाधनों से अधिक होती हैं। |
|
| 6. |
संसाधनों के कारण पूर्ण रोजगार के बावजूद एक अर्थव्यवस्था PP वक्र से नीचे कार्यशील हो सकती है यदि(क) संसाधन प्राकृतिक हो(ख) संसाधन मानवकृत हो(ग) संसाधनों का कुशल प्रयोग न हो रहा हो(घ) तकनीक पुरानी हो |
|
Answer» (ग) संसाधनों का कुशल प्रयोग न हो रहा हो |
|
| 7. |
एक अर्थव्यवस्था में शिक्षा का महत्व जानकर लोगों ने अपने बच्चों की शिक्षा पर बहुत ध्यान देना शुरू कर दिया। इससे उत्पादन संभावना वक्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?(क) PP वक्र दाँई ओर खिसकेगा(ख) PP वक्र बाँई ओर खिसकेगी(ग) PP वक्र से नीचे उत्पादन होगा(घ) PP वक्र से ऊपर उत्पादन होगा |
|
Answer» सही विकल्प है (क) PP वक्र दाँई ओर खिसकेगा |
|
| 8. |
आवश्यकताएँ कितने प्रकार की होती हैं?याअनिवार्य आवश्यकताएँ किन्हें कहा जाता है?याआरामदायक आवश्यकताओं से आप क्या समझती हैं?याविलासात्मक आवश्यकताओं से क्या आशय है? |
|
Answer» व्यक्ति की आवश्यकताएँ अनन्त होती हैं तथा वे कभी भी पूर्ण नहीं होतीं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मानवीय आवश्यकताओं का एक व्यवस्थित वर्गीकरण किया गया है। इस वर्गीकरण के अन्तर्गत समस्त मानवीय आवश्यकताओं को तीन वर्गों में रखा गया है। ये वर्ग हैं-अनिवार्य आवश्यकताएँ, आरामदायक आवश्यकताएँ तथा विलासात्मक आवश्यकताएँ। इन तीनों प्रकार की आवश्यकताओं का संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है (1) अनिवार्य आवश्यकताएँ: (2) आरामदायक आवश्यकताएँ: उदाहरण के लिए – विभिन्न घरेलू उपकरण इसी वर्ग की आवश्यकताएँ हैं। इन उपकरणों को अपनाकर जीवन अधिक सरल हो जाता है। (3) विलासात्मक आवश्यकताएँ: |
|
| 9. |
आवश्यकता एवं आर्थिक क्रियाओं को सम्बन्ध बताइए। |
|
Answer» आवश्यकता आविष्कार की जननी है। यदि आवश्यकताएँ न होतीं तो किसी प्रकार के आर्थिक प्रयास आदि का प्रश्न ही नहीं उठता। अतः आर्थिक प्रयत्न की जननी आवश्यकता ही है। इस प्रकार आर्थिक क्रियाओं एवं आवश्यकताओं में अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। वास्तव में, आवश्यकताएँ ही मनुष्य को आर्थिक प्रयत्न करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं। आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए मनुष्य विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ करता है। इन आर्थिक क्रियाओं में उत्पादन, विनिमय, वितरण आदि को सम्मिलित किया जा सकता है। |
|
| 10. |
गृह-अर्थव्यवस्था के मुख्य सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए। |
|
Answer» किसी भी परिवार की उत्तम गृह-अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित सिद्धान्तों को ध्यान में रखना चाहिए
|
|
| 11. |
सफल गृह-अर्थव्यवस्था की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। |
|
Answer» सफल गृह-अर्थव्यवस्था की दो विशेषताएँ हैं
|
|
| 12. |
गृह-अर्थव्यवस्था की एक सरल एवं स्पष्ट परिभाषा लिखिए। |
|
Answer» ‘परिवार की आय तथा व्यय पर नियन्त्रण होना तथा आय का गृह के सृजनात्मक कार्यों में व्यय करना गृह-अर्थव्यवस्था कहलाता है।” निकिल तथा डारसी |
|
| 13. |
सफल गृह-अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। |
|
Answer» यह सत्य है कि परिवार की सुख-शान्ति एवं समृद्धि के लिए गृह-अर्थव्यवस्था का उत्तम एवं सुनियोजित होना आवश्यक है। अब प्रश्न उठता है कि किस प्रकार की गृह-अर्थव्यवस्था को उत्तम या सफल कहा जा सकता है, अर्थात् सफल गृह-अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ या लक्षण क्या हैं? सफल गृह-अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित मानी जाती हैं ।
|
|
| 14. |
गृह-अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला मुख्यतम कारक क्या है? |
|
Answer» गृह-अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला मुख्यतम कारक है-धन या आय। |
|
| 15. |
अवमूल्यन और मूल्यह्रास में अंतर स्पष्ट कीजिए। |
|
Answer» अवमूल्यन सरकार द्वारा आयोजन के अनुसार विदेशी करेंसी के संबंध में घरेलू करेंसी के मूल्य में कमी है, यह उस स्थिति में होता है जब विनिमय दर का निर्धारण पूर्ति और साँग की शक्तियों द्वारा नहीं होता है परंतु विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा निश्चित किया जाता है। मूल्यहास विदेशी करेंसी के संबंध में, घरेलू करेंसी के मूल्य में आने वाली कमी है, यह उस स्थिति में होता है, जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में विनिमय दर का निर्धारण पूर्ति और माँग की शक्तियों द्वारा होता है। |
|
| 16. |
गृह-अर्थव्यवस्था का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा परिभाषा निर्धारित कीजिए। गृह-अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों का भी उल्लेख कीजिए। |
|
Answer» गृह विज्ञान’ घर तथा परिवार सम्बन्धी व्यवस्था का अध्ययन है। घर तथा परिवार की व्यवस्था के अनेक पक्ष हैं। इन पक्षों में ‘अर्थव्यवस्था एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। अन्य समस्त पक्षों में गृहिणी एवं परिजनों के दक्ष होते हुए भी, यदि घर की अर्थव्यवस्था सुचारु न हो, तो परिवार की सुख-शान्ति एवं समृद्धि संदिग्ध हो जाती है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए गृह विज्ञान में अर्थव्यवस्था का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है तथा प्रत्येक सुगृहिणी से आशा की जाती है कि वह गृह-अर्थव्यवस्था को उत्तम बनाए रखने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी। गृह-अर्थव्यवस्था के अर्थ, परिभाषा तथा उसे प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण निम्नवर्णित है गृह-अर्थव्यवस्था का अर्थ एवं परिभाषा गृह-अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक (1) गृह-अर्थव्यवस्था की सुचारू प्रक्रिया: (2) पारिवारिक आय: (3) गृहिणी की कुशलता: (4) पारिवारिक व्यय का नियोजन: (5) परिवार के रहन-सहन का स्तर: (6) निरन्तर होने वाले सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन: (7) परिवार का आकार: |
|
| 17. |
बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन …………… के लिए किया जाता है।(क) लाभ(ख) समाज कल्याण(ग) सेवा(घ) सरकारी जिम्मेदारी |
|
Answer» सही विकल्प है (क) लाभ |
|
| 18. |
‘आवश्यकता’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए। परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं को संक्षेप में वर्णन कीजिए।यापरिवार की मूल आवश्यकताएँ कौन-सी हैं? उनकी पूर्ति क्यों आवश्यक है? |
|
Answer» आवश्यकता का अर्थ (1) भोजन: (2) वस्त्र: (3) आवासीय व्यवस्था: (4) शिक्षा: (5) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रक्षा: (6) बच्चों की देखभाल: (7) मनोरंजन: (8) प्रेम, स्नेह एवं सहयोग: (9) आय: (10) बचत: |
|
| 19. |
निम्नलिखित में से किसे व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अध्ययन किया जायेगा?(क) कपड़ा उद्योग(ख) बेरोजगारी(ग) प्राथमिक क्षेत्र(घ) उपरोक्त सभी |
|
Answer» सही विकल्प है (क) कपड़ा उद्योग |
|
| 20. |
निम्नलिखित में से किसे समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अध्ययन किया जायेगा?(क) उपभोक्ता व्यवहार(ख) राष्ट्रीय आय(ग) कीमत सिद्धान्त(घ) कल्याण अर्थशास्त्र |
|
Answer» सही विकल्प है (ख) राष्ट्रीय आय |
|
| 21. |
दुर्लभता और चयन का अटूट संबंध है। स्पष्ट कीजिए। |
|
Answer» यह कथन बिल्कुल सत्य है कि दुर्लभता और चयन का अटूट संबंध है। यदि संसाधन दुर्लभ न होते तो चयन की समस्या जन्म ही न लेती। संसाधनों की दुर्लभता ही चयन की समस्या को मूल कारण है। संसाधन न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि वैकल्पिक प्रयोग वाले हैं। इसीलिए अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए व्यक्ति व समाज को संसाधनों के प्रयोग में चयन करना पड़ता है। इसीलिए यह कहा जाता है कि दुर्लभता ही सभी केन्द्रीय समस्याओं की जननी है। |
|
| 22. |
निम्नलिखित का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत होगा या व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत?(i) राष्ट्रीय आय(ii) श्रमिकों का वेतन निर्धारण(iii) शिक्षा क्षेत्र(iv) प्राथमिक क्षेत्र(v) बैंक उद्योग(vi) कल्याण अर्थशास्त्र |
|
Answer» (i) राष्ट्रीय आय → समष्टि अर्थशास्त्र |
|
| 23. |
मानवीय आवश्यकताओं की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। |
|
Answer» मानवीय आवश्यकताओं की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं ।
|
|
| 24. |
आवश्यकता की अनिवार्यता आप किस प्रकार निर्धारित करेंगी? |
|
Answer» आवश्यकता की अनिवार्यता निम्नलिखित आधारों पर निर्भर करती है (1) कुशलता में वृद्धि का आधार: (2) सुख-सन्तोष का आधार: (3) मूल्य एवं माँग का आधार: |
|
| 25. |
आर्थिक समस्या क्या है? यह क्यों उत्पन्न होती है?अथवाअर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती हैं? |
|
Answer» अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्या संसाधनों की आबंटन की समस्या है। यह दुर्लभ संसाधनों के उपयोगों में चुनाव की समस्या है। प्रा. एरिक रोल के शब्दों में, “आर्थिक समस्या निश्चित रूप से चयन की आवश्यकता से उत्पन्न होने वाली समस्या है, जिसमें वैकल्पिक उपयोग वाले सीमीत संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। यह संसाधनों के दोहन की समस्या है।” आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण |
|
| 26. |
आवश्यकताओं के महत्व पर प्रकाश डालिए। |
|
Answer» आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। विज्ञान के विभिन्न आविष्कारों के अन्वेषण का आधार सदैव मनुष्य की आवश्यकताएँ ही रही हैं। आदि मानव से आज के मानव का सामाजिक विकास समय-समय पर आवश्यकताओं की उत्पत्ति एवं तुष्टि के कारण ही सम्भव हुआ है। आधुनिक युग में आवश्यकताओं की पूर्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन धन है। आवश्यकताओं में वृद्धि होने पर परिवार के सदस्य पारिवारिक आय में वृद्धि का प्रयास करते हैं, जिसके फलस्वरूप रहन-सहन का स्तर ऊँचा होता है। सम्मिलित आर्थिक प्रयासों से पारिवारिक सदस्यों में स्नेह, सहयोग एवं दायित्व की भावना में वृद्धि होती है तथा परिवार की उन्नति होती है। |
|
| 27. |
केन्द्रीय समस्याएं क्यों उत्पन्न होती हैं? संसाधनों के आबंटन की समस्या की व्याख्या कीजिए। |
|
Answer» केन्द्रीय समस्याएँ उत्पन्न होने के पीछे तीन मूलभूत कारण हैं (क) मानव आवश्यकताएँ असीमीत हैं-मानव की आवश्यकताएँ असंख्य तथा असीमित हैं जैसे ही एक इच्छा पूर्ण होती है। एक अन्य इच्छा जन्म ले लेती है। यदि इच्छाएँ सीमित होती तो एक समय ऐसा आता है। जब मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती, परंतु ऐसा नहीं होता क्योंकि इच्छाओं का कोई अन्त नहीं है। परंतु सभी इच्छाएँ एक समान तीव्र नहीं होती। कुछ इच्छाएँ जरूरी होती हैं। कुछ कम जरूरी होती हैं। अतः इच्छाओं का प्राथमिकीकरण करना सहज हो जाता है। संसाधनों के आबंटन की समस्या की व्याख्या इस प्रकार है- (1) क्या उत्पादन करें – प्रत्येक अर्थव्यवस्था में असीमित भाव व इच्छाओं तथा सीमित व संसाधनों के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है कि क्यों उत्पादन करें तथा कितनी मात्रा में उत्पादन करें। यदि एक अर्थव्यवस्था उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन अधिक करें तो वह पूँजीकृत वस्तुओं का उत्पादन कम कर पायेगी। इसी प्रकार यदि आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तो विलासिता की वस्तुओं का उत्पादन कम हो जायेगा। |
|
| 28. |
आधिकारिक आरक्षित निधि का लेन-देन क्या है? अदायगी संतुलन में इनके महत्व का वर्णन कीजिए। |
|
Answer» आधिकारिक आरक्षित लेन-देन से अभिप्राय सरकारी कोषों में उपलब्ध सोने के कोष तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के कोष में कमी और वृद्धि से है। इसका प्रयोग अदायगी संतुलन के आधिक्य और घाटे को ठीक करने के लिए किया जाता है। घाटे की दशा में विदेशी विनिमय बाजार में करेंसी को बेचकर तथा अपने देश के विदेशी विनिमय को कम करके कोई देश अधिकृत आरक्षित निधि संव्यवहार का कार्य कर सकता है। अधिकृत आरक्षित निधि में कमी को कुल अदायगी-घाटा संतुलन कहते हैं। इसके विपरीत आधिक्य की दशा में विदेशी विनिमय बाजार में करेंसी को खरीदकर तथा अपने देश के विदेशी विनिमय को बढ़ा करके कोई देश अधिकृत आरक्षित निधि संव्यवहार का कार्य कर सकता है। अधिकृत आरक्षित निधि में वृद्धि को कुल अदायगी आधिक्य संतुलन कहते हैं। |
|
| 29. |
स्वचालित युक्ति की व्याख्या कीजिए, जिसके द्वारा स्वर्णमान के अंतर्गत अदायगी-संतुलन प्राप्त किया जाता था। |
|
Answer» डेविड ह्यूम (David Hume) नामक एक अर्थशास्त्री ने 1752 में इसकी व्याख्या की कि किस प्रकार स्वर्णमान के अंतर्गत स्वचालित युक्ति से अदायगी-संतुलन प्राप्त किया जाता था। उनके अनुसार यदि सोने के भण्डार में कमी हुई, तो सभी प्रकार की कीमतें और लागत भी अनुपातिक रूप से कम होंगी और इसके फलस्वरूप घरेलू वस्तुएँ विदेशी वस्तुओं की तुलना में सस्ती हो जायेंगी। तदनुसार, आयात घटेगा और निर्यात बढेगा। जिस देश से घरेलू अर्थव्यवस्था आयात कर रही थी और सोने में उसको भुगतान कर रही थी, उसको कीमतों और लागतों में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा। अतः उनका महँगा निर्यात घटेगा और घरेलू अर्थव्यवस्था से आयात बढ़ेगा। इस प्रकार धातुओं के कीमत तंत्र द्वारा सोने की क्षति उठाकर अदायगी संतुलन में सुधार लाना होता है। सापेक्षिक कीमत । पर जब तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में साम्य की पुनस्र्थापना नहीं होती, तब तक प्रतिकूल व्यापार संतुलन वाले देश के अदायगी संतुलन को अनुकूल व्यापार संतुलन वाले देश के अदायगी संतुलन को समकक्ष लाता है। इस संतुलन की प्राप्ति के बाद शुद्ध सोने का प्रवाह नहीं होता और आयात-निर्यात संतुलन बना रहता हैं इस प्रकार स्वचालित साम्यतंत्र के द्वारा स्थिर विनिमय दर को कायम रखा जाता था। |
|
| 30. |
क्या चालू पूँजीगत घाटा खतरे का संकेत होगा? व्याख्या कीजिए। |
|
Answer» चालू पूँजीगत खाता खतरे का संकेत होगा यदि इसका प्रयोग उपभोग अथवा गैर विकासात्मक कार्यों के लिए किया जा रहा है। यदि इसका उपयोग विकासात्मक योजनाओं के लिए किया जा रहा है, तो इससे अर्थव्यवस्था में आय और रोजगार का स्तर ऊँचा उठेगा। आय और रोजगार का स्तर ऊँचा उठने का अर्थ है कि भारतीयों की क्रय शक्ति बढ़ेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्यात क्षमता बढ़ेगी, विदेशों में निवेश करने की क्षमता बढ़ेगी तथा सरकारी आय (कर तथा अन्य कारकों से) बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था इस घाटे की पूर्ति करने में समर्थ हो जायेगी। |
|
| 31. |
उन विनिमय दर व्यवस्थाओं की चर्चा कीजिए, जिन्हें कुछ देशों ने अपने बाह्य खाते में स्थायित्व लाने के लिए। किया है। |
|
Answer» निम्नलिखित विनिमय दर व्यवस्थाओं का कुछ देशों ने अपने बाह्य खाते में स्थायित्व लाने के लिए प्रयोग किया है: ⦁ विस्तृत सीमा पट्टी प्रणाली-इस प्रणाली के अंतर्गत अंतराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में दी करेंसियों की समता दर के बीच + 10% तक का सामंजस्य करके भुगतान शेष को ठीक करने की छूट होती है। यह ऐसी प्रणाली को कहते हैं, जो स्थिर विनिमय दर में विस्तृत परिवर्तन/समंजन की अनुमति देती है। |
|
| 32. |
मौद्रिक विनिमय दर और वास्तविक विनिमय दर में भेद कीजिए यदि आपको घरेलू वस्तु अथवा विदेशी वस्तुओं के बीच किसी को खरीदने का निर्णय करना हो तो कौन-सी दर अधिक प्रासंगिक होगी? |
|
Answer» मौद्रिक विनिमय दर वह विनिमय दर है, जिसमें एक करेंसी की अन्य करेंसियों के संबंध में औसत शक्ति को मापते समय कीमत स्तर में होने वाले परिवर्तनों पर ध्यान नहीं दिया जाता। अन्य शब्दों में, यह मुद्रास्फीति के प्रभाव से मुक्त नहीं होती। इसके विपरीत, वास्तविक विनिमय दर वह है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के कीमत स्तरों में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखा जाता है। यह वह विनिमय दर से, जो स्थिर कीमतों पर आधारित होने के कारण मुद्रास्फीति के प्रभाव से मुक्त होती है। किसी भी एक समय पर, घरेलू वस्तुएँ खरीदने के लिए मौद्रिक विनिमय दर अधिक उपयुक्त होती है। |
|
| 33. |
यदि देश B से देश A में मुद्रास्फीति ऊँची हो और दोनों देशों में विनिमय दर स्थिर हो तो दोनों देशों के व्यापार शेष का क्या होगा? |
|
Answer» देश B के लोग घरेलू वस्तुएँ अधिक लेंगे और आयात कम करेंगे विदेशी भी देश की वस्तुएँ अधिक खरीदेंगे। |
|
| 34. |
खुली अर्थव्यवस्था स्वायत्त व्यय खर्च गुणक बंद अर्थव्यवस्था के गुणक की तुलना में छोटा क्यों होता है? |
|
Answer» खुली अर्थव्यवस्था गुणक बंद अर्थव्यवस्था गुणक से छोटा होता है, क्योंकि घरेलू माँग का एक हिस्सा विदेशी | वस्तुओं के लिए होता है। अतः स्वायत्त माँग में वृद्धि से बंद अर्थव्यवस्था की तुलना में निर्गत में कम वृद्धि होती। है। इससे व्यापार शेष में भी गिरावट होती है। |
|
| 35. |
केन्द्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान ………… द्वारा किया जाता है।(क) कीमत तंत्र(ख) सामाजिक तंत्र(ग) सरकार द्वारा नियुक्त केन्द्रीय अधिकारी(घ) इनमें से कोई भी |
|
Answer» (ग) सरकार द्वारा नियुक्त केन्द्रीय अधिकारी |
|
| 36. |
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए। |
|
Answer» अर्थव्यस्था की केन्द्रीय समस्याएँ इस प्रकार हैं- (i) किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में प्रत्येक समाज को यह निर्णय करना होता है कि यह किन वस्तुओं का उत्पादन करे और कितनी मात्रा में। यदि एक प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन अधिक किया जाए तो अर्थव्यवस्था में दूसरी प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन कम हो सकता है तथा विपरीत।। एक अर्थव्यवस्था को यह निर्धारित करना पड़ता है कि वह खाद्य पदार्थों का उत्पादन करे या मशीनों का, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर खर्च करे या सैन्य सेवाओं के गठन पर, उपभोक्ता वस्तुएँ बनाए या पूँजीगत वस्तुएँ। निर्णायक सिद्धान्त यह है कि ऐसे संयोजन का उत्पादन करें, जिससे कुल समाप्त उपयोगिता अधिकतम हो। |
|