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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

सारी बाजियाँ हाकर बाज़ लोग कैसे रहते हैं ?

Answer»

सारी बाजियाँ हारकर भी बाज़ लोग निश्चित और अलमस्त रहते हैं।

2.

सारी बाजियाँ हारकर भी बाज़ लोग अलमस्त क्यों कहलाते हैं ?

Answer»

गरीब, लाचार और कड़ी मेहनत करनेवाले बाज़ लोग अपने परिश्रम के बल पर दुनिया में चमत्कारों का सृजन करते हैं। अनेक महत्त्वपूर्ण चीजों का निर्माण करने पर भी उनका श्रेय दूसरों को दे दिया जाता है। अपने किसी भी निर्माण से उनका न मोह होता है और न वे उस पर गर्व करते हैं। अपने किसी निर्माण का मालिक बनने की उन्हें चाह नहीं होती। अपनी मजदूरी के सिवाय वे और कुछ पाने की इच्छा नहीं रखते। वे जानते हैं कि उन्हें अपना कहनेवाला कोई नहीं है। उनसे काम लेने के बाद उन्हें कोई नहीं पूछेगा। इसलिए अपने बल पर जीनेवाले बाज़ लोग अलमस्त रहते हैं।

3.

पानी के सोते कहाँ से निकलते हैं. ? कैसे ?

Answer»

पानी के सोते धरती के अंदर बहुत गहराई में स्थित होते हैं। मजदूरों को फावड़े चलाकर अथक परिश्रम करने के पश्चात् धरती की गहराई तक पहुंचना संभव होता है। मजदूरों के प्रयास से धरती की – गहराई से पानी के सोते निकलते हैं।

4.

‘जहाँ भी बची है, वह जीती रहे.’ से क्या तात्पर्य है?

Answer»

‘जहाँ भी बची है, वह जीती रहे’ कविता की कड़ी कवयित्री ने अग्नि को लक्ष्य करके कहा है। आग ऊर्जा का प्रतीक है। गरीब, लाचार मजदूर आशावादी होते हैं। उन्हें ‘राई’ में ‘पर्वत’ के दर्शन होते हैं। इसलिए वे बुझती हुई आग के जीवित रहने, बची रहने की कामना करते हैं। मजदूरों का जीवन ही ‘ऊर्जा’ का पर्याय है।

5.

प्रस्तुत कविता में किस वर्ग के समाज का वर्णन किया गया है?

Answer»

बड़ी-बड़ी योजनाओं और निर्माण कार्यों को पूरा करने में गरीब, लाचार, कड़ी मेहनत करनेवाले मजदूरों का प्रमुख योगदान होता है, पर वे इसके श्रेय से वंचित रह जाते हैं। ‘बाज़ लोग’ कविता में इसी सर्वहारा मजदूर समाज का वर्णन किया गया है।

6.

बाज़ लोग किसको आशिष देते हैं ?

Answer»

बाज़ लोग अलाव में जलती हुई और कड़कड़ाती ठंड में उन्हें ऊर्जा देनेवाली आग को आशीष देते हैं।

7.

कवयित्री किन्हें बाज़ लोग कहती है ?

Answer»

कवयित्री उन गरीब, लाचार और कठोर परिश्रम करनेवाले मजदूत को बाज़ लोग कहती है, जो अपने श्रम से दुष्कर कार्य कर दिखाते हैं, पर समाज में उन्हें कोई महत्त्व नहीं दिया जाता।

8.

‘बाज़ लोग कहीं के नहीं होते’ यह कहने के पीछे कवयित्री का आशय क्या है?

Answer»

गरीब, लाचार और कड़ी मेहनत करनेवाले बाज़ लोगों का अपना कोई नहीं होता। वे महत्त्वपूर्ण चीजों का निर्माण करते हैं, पर उनके कार्यों की सराहना कोई नहीं करता। उन्हें ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिलता जिसे वे अपना कह सकें। लोगों को केवल उनकी मेहनत से वास्ता होता है। काम पूरा होने के बाद लोगों के लिए उनका कोई उपयोग नहीं रह जाता। जिनके लिए उन्होंने खून-पसीना एक किया, उनके लिए वे अस्तित्व रहित हो जाते हैं। इसीलिए कवयित्री कहती है कि बाज़ लोग कहीं के नहीं होते।

9.

बाज़ लोग के उबड़-खाबड़ पैंरों तक धरती की गहराइयों से क्या उमड़ आते हैं. ?(क) पानी का सोते(ख) तेल के सोते(ग) दूध के सोते(घ) बारिश के सोते

Answer»

बाज़ लोग के उबड़-खाबड़ पैरों तक धरती की गहराइयों से पानी के सोते उमड़ आते हैं।

10.

‘बाज़ लोग सारी बाजियाँ हारकर भी होते हैं. अलमस्त बाजीगर’

Answer»

बाज लोग मेहनत, मजदूरी करके अपना जीवनयापन करते हैं। वे मेहनत करके बड़े-बड़े काम कर जाते हैं। इनमें बड़ी-बड़ी इमारतों तथा पुलों आदि का निर्माण भी शामिल होता है। लेकिन इनको अपने किए गए कार्यों पर गर्व नहीं होता। इनका श्रेय दूसरों को लेते देख भी इन्हें कोई कष्ट नहीं होता। श्रेय न पाने पर भी ये मजदूर बेफिक्र रहते हैं। इन्हें किसी बात की चिंता नहीं होती और ये हर हाल में अलमस्त होते हैं।

11.

बाज़ लोग झुण्ड बनाकर कहाँ बैठते हैं ?

Answer»

बाज़ लोग आग तापने के लिए झुंड बनाकर अलावों के चारों तरफ बैठते हैं।

12.

बाज़ लोग फावड़ा कैसे चलाते हैं ?(क) अकेले(ख) झुंड में(ग) धीरे-धीरे(घ) रो-रोकर

Answer»

बाज़ लोग फावड़ा झंड में चलाते हैं।

13.

बाज़ लोग किसे आशिष देते हैं ?(क) जल को(ख) दूध को(ग) आग को(घ) बच्चों को

Answer»

बाज़ लोग आग को आशीष देते हैं।

14.

बाज़ लोग झुण्ड बनाकर किसके पास बैठते हैं.?(क) पानी(ख) अलाव(ग) मिट्टी के ढेर(घ) पत्थर

Answer»

बाज़ लोग झंड बनाकर अलाव के पास बैठते हैं।