InterviewSolution
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भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहाँ स्थित है? (क) इलाहाबाद में(ख) नयी दिल्ली में(ग) मुम्बई में(घ) चेन्नई में |
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Answer» सही विकल्प है (ख) नयी दिल्ली में |
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सर्वोच्च न्यायालय में कितने न्यायाधीश होते हैं ? |
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Answer» सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा तीस अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर कुल 31 न्यायाधीश होते हैं। |
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सर्वोच्च न्यायालय के दो प्रमुख क्षेत्राधिकारों के वाद लिखिए। |
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Answer» ⦁ उच्चतम न्यायालय किसी भी अधीनस्थ न्यायालय के रिकॉर्ड को अपने यहाँ मँगो सकता है तथा फैसला दे सकता है। |
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सर्वोच्च न्यायालय के कोई दो कार्य अथवा अधिकार बताइए। |
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Answer» ⦁ मौलिक अधिकारों की रक्षा करना तथा |
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सर्वोच्च न्यायालय के कार्य-क्षेत्र को बढ़ाया जा सकता है? (क) संसद द्वारा(ख) राष्ट्रपति द्वारा(ग) मंत्रिमंडल द्वारा(घ) प्रधानमंत्री द्वारा |
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Answer» सही विकल्प है (क) संसद द्वारा। |
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जनहित याचिकाओं के पक्ष में दो तर्क दीजिए। |
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Answer» जनहित याचिकाओं के पक्ष में दो तर्क निम्नलिखित हैं – ⦁ सरल, सस्ता, शीघ्र न्याय – जनहित याचिका द्वारा सामान्य जनता को सरल, कम व्यय में तथा जल्दी न्याय की प्राप्ति हो जाती है। अधिकांश जनहित याचिकाओं में यह देखने को मिलता है कि इसमें पीड़ित पक्ष को पर्याप्त राहत मिलती है, चूंकि जनहित याचिका को न्यायिक प्रक्रिया के जटिल विनियमों से गुजरना नहीं पड़ता है, इसमें यदि न्यायालय याचिका को निर्णय के लिए स्वीकार कर लेता है, तो उस पर कार्यवाही तुरन्त हो जाती है। |
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सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्व के पक्ष में दो तर्क दीजिए। |
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Answer» ⦁ संविधान को संरक्षक तथा |
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‘न्यायिक पुनरावलोकन’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। यान्यायिक समीक्षा के पक्ष में दो तर्क दीजिए। यान्यायिक पुनरावलोकन का क्या अर्थ है? इसका प्रयोग किसके द्वारा किया जाता है? यान्यायिक पुनरावलोकन को परिभाषित कीजिए। |
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Answer» भारत की न्यायिक पुनरावलोकन की अवधारणा संयुक्त राज्य अमेरिका से गृहीत है। संविधानवाद को अमेरिकी संविधान निर्माताओं की कई मौलिक देन हैं। अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय को संविधान द्वारा एक महत्त्वपूर्ण कार्य यह सौंपा गया है कि वह विधायिका तथा कार्यपालिका को नियन्त्रित करे। चूँकि अमेरिका में संविधान सर्वोपरि है, इसलिए वे संविधान द्वारा निर्धारित सीमाओं के अन्तर्गत ही कार्य करें और सर्वोच्च न्यायालय यह देखे कि वे संविधान का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं। इस अधिकार के अन्तर्गत यदि किसी राज्य के विधानमण्डल द्वारा निर्मित कोई कानून संघीय संविधान अथवा संयुक्त राज्य द्वारा की गयी सन्धि के प्रतिकूल हो तथा कार्यपालिका के कार्य संविधान के प्रतिकूल हों तो संघीय न्यायपालिका उसे अवैध घोषित कर सकती है। न्यायालय के इसी अधिकार को न्यायिक पुनरावलोकन’ कहते हैं। कारविन के शब्दों में, “न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ न्यायालय की उस शक्ति से है जो उन्हें अपने न्याय क्षेत्र के अन्तर्गत लागू होने वाले व्यवस्थापिका के कानूनों की वैधानिकता का निर्णय देने के सम्बन्ध में तथा कानूनों को लागू करने के सम्बन्ध में प्राप्त है, जिन्हें वे अवैध व व्यर्थ समझे।’ |
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उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए व्यक्ति में किन अर्हताओं का होना आवश्यक है? |
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Answer» उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए व्यक्ति में निम्नलिखित अर्हताओं का होना आवश्यक है। 1. वह भारत का नागरिक हो। या वह किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका है। या राष्ट्रपति की दृष्टि में कानून का उच्च कोटि का ज्ञाता है। |
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न्यायिक अभिलेख (रिट) क्या है? संक्षेप में बताइए। याअधिकार पृच्छा का लेख से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» सर्वोच्च न्यायालय संविधान की धारा-32 के तहत मूल अधिकारों की रक्षा करने के लिए जो आदेश जारी करता है, उसे न्यायिक अभिलेख (रिट) कहते हैं। रिट पाँच प्रकार की होती है जोकि निम्नलिखित हैं 1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण – कार्यपालिका व निजी व्यक्ति दोनों के विरुद्ध उपलब्ध अधिकार जोकि अवैध निरोध के विरुद्ध व्यक्ति को सशरीर अपने सामने प्रस्तुत किए जाने का आदेश जारी करता है। न्यायालय दोनों पक्षों को सुनकर यह निर्णय लेता है कि निरोध उचित है अथवा अनुचित है। |
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लोक अदालत के दो महत्त्वपूर्ण गुणों का उल्लेख कीजिए।यालोक अदालत के दो कार्य लिखिए। |
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Answer» ⦁ शीघ्र न्याय तथा |
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भारतीय न्याय व्यवस्था में लोक अदालत पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। यालोक अदालतों के दो गुणों का उल्लेख कीजिए। याभारतीय न्याय प्रणाली में लोक अदालतों की प्रासंगिकता के पक्ष में दो तर्क दीजिए। |
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Answer» लोक अदालतें ⦁ इन अदालतों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, राजपत्रित अधिकारी तथा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति परामर्शदाता के रूप में बैठते हैं। |
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लोक अदालत से आप क्या समझते हैं? भारतीय न्याय व्यवस्था में इसकी भूमिका एवं महत्त्व की चर्चा कीजिए। |
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Answer» लोक अदालत उत्तर प्रदेश में पहली लोक अदालत का आयोजन 1984 ई० में हुआ। भारत में अधिकांश आबादी इस स्तर पर है कि वे अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति भी मुश्किल से कर पाते हैं। अतः यह आबादी इन लम्बे मुकदमों को लड़ने में असमर्थ है। अतः इस सामान्य जनता के समय एवं धन की बचत के साथ-साथ न्यायालयों के कार्यभार को कम करने के उद्देश्य से भी लोक अदालत की अवधारणा अमल में लाई गई। न्याय व्यवस्था में लोक अदालतों की प्रमुख भूमिका एवं महत्त्व ⦁ लोक अदालत में वादी और प्रतिवादी अपना वकील नहीं रख सकते हैं तथा आपस में समझौता करते हैं, जिससे दोनों पक्षों के सरकारी धन की बचत होती है। |
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लोक अदालत किसे कहते हैं? |
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Answer» लोक अदालत में परम्परागते कानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया जाता है तथा इसमें वकीलों की भी कोई भूमिका नहीं होती है। समझौते द्वारा समस्या को हल कर न्याय को सुलभ कराया जाता है। |
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उच्चतम न्यायालय को अभिलेख न्यायालय क्यों कहते हैं? उसके क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।यानागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय किस प्रकार के लेख (रिट) जारी कर सकते हैं? किन्हीं दो का उदाहरण देते हुए समझाइए। यासर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए और यह भी बताइए कि न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं? याभारत के सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों और अधिकारों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए। याभारतीय सर्वोच्च न्यायालय के कार्य एवं शक्तियों का उल्लेख कीजिए। यान्यायपालिका को स्वतन्त्र रखने के लिए संविधान में क्या व्यवस्थाएँ की गयी हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए। यासर्वोच्च न्यायालय के प्रारम्भिक तथा अपीलीय क्षेत्राधिकार का संक्षेप में वर्णन कीजिए। यासर्वोच्च न्यायालय की स्वतन्त्रता का संरक्षण किस प्रकार किया गया है? |
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Answer» सर्वोच्च न्यायालय के कार्य और अधिकार (1) प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार (अ) प्रारम्भिक एकमेव क्षेत्राधिकार – प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत वे अधिकार आते हैं जो उच्चतम न्यायालय के अतिरिक्त किसी अन्य न्यायालय को प्राप्त नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय कुछ उन विवादों पर विचार करता है जिन पर अन्य न्यायालय विचार नहीं कर सकते हैं। ये विवाद निम्नलिखित प्रकार के होते हैं – (ब) प्रारम्भिक समवर्ती क्षेत्राधिकार – भारतीय संविधान में लिखित मूल अधिकारों को लागू करने का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के साथ ही उच्च न्यायालयों को भी प्रदान कर दिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 32 द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को यह जिम्मेदारी दी गयी है कि वह मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए उचित कार्यवाही करे। (2) अपीलीय क्षेत्राधिकार (3) संविधान का रक्षक व मूल अधिकारों का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय की स्वतन्त्रता |
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उच्चतम न्यायालय के किसी एक आरम्भिक अधिकार का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच का विवाद उच्चतम न्यायालय के आरम्भिक क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत आता है। |
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भारत के उच्चतम न्यायालय की संरचना का उल्लेख कीजिए। उसे संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?या“भारत के सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षक व नागरिकों के मूलाधिकारों का रक्षक कहा जाता है।” व्याख्या कीजिए। याभारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है? यासर्वोच्च न्यायालय के संगठन का वर्णन कीजिए। उसको ‘संविधान का रक्षक’ एवं ‘नागरिकों के मूल अधिकारों का रक्षक’ क्यों कहा जाता है ?याउच्चतम न्यायालय का संगठन समझाइए। उसके महत्त्व को भी समझाइए। याभारत के उच्चतम न्यायालय के गठन व उसके कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। भारत के उच्चतम न्यायालय के संगठन तथा क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए। यान्यायालय की स्वतन्त्रता का संरक्षण किस प्रकार किया जाता है? |
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Answer» सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता (महत्त्व) भारत की संघीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत न्यायालय की आवश्यकता अथवा महत्त्व को निम्नलिखित तर्को द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है – 1. संघात्मक शासन के लिए अनिवार्य – संघीय शासन व्यवस्था के अन्तर्गत केन्द्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का पृथक्करण पाया जाता है। ऐसी स्थिति में अपने-अपने अधिकार-क्षेत्र को लेकर केन्द्र व राज्यों में विवाद की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं। अतः केन्द्र व राज्यों के मध्य उत्पन्न किसी भी विवाद के निराकरण हेतु एक स्वतन्त्र व निष्पक्ष शक्ति का होना अनिवार्य होता है। भारत में इसी उद्देश्य को दृष्टि में रखते हुए एक स्वतन्त्र व निष्पक्ष सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गयी है। जी० एन० जोशी ने संघीय व्यवस्था में निष्पक्ष व स्वतन्त्र न्यायपालिका की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि “संघात्मक शासन में कई सरकारों का समन्वय होने के कारण संघर्ष अवश्यम्भावी है। अतः संघीय नीति का यह आवश्यक गुण है कि देश में एक ऐसी न्यायिक व्यवस्था हो, जो संघीय कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका तथा इकाइयों की सरकारों से स्वतन्त्र हो।’ सर्वोच्च न्यायालय का गठन न्यायाधीशों की योग्यताएँ (मुख्य न्यायाधीश) – संविधान द्वारा उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ निर्धारित की गयी हैं – |
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भारत के उच्चतम न्यायालय को संविधान का संरक्षक एवं नागरिकों के मूल अधिकारों का संरक्षक क्यों कहा गया है? |
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Answer» संविधान के खिलाफ किए गए विधायिका के कार्यों का उच्चतम न्यायालय शून्य घोषित कर सकता है। तथा नागरिकों के मूल अधिकारों को बहाल करा सकने के कारण उसे संविधान व मूल अधिकारों का संरक्षक कहा गया है। |
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संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है?(क) अनुच्छेद 29(ख) अनुच्छेद 31(ग) अनुच्छेद 33(घ) इनमें से कोई नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (घ) इनमें से कोई नहीं |
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संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय की कार्यवाहियों की अधिकृत भाषा है-(क) केवल अंग्रेजी(ख) अंग्रेजी तथा हिन्दी(ग) अंग्रेजी तथा कोई भी क्षेत्रीय भाषा(घ) अंग्रेजी तथा आठवीं सूची में निर्दिष्ट भाषा |
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Answer» सही विकल्प है (क) केवल अंग्रेजी |
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