InterviewSolution
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उद्योगों के वर्गीकरण का आधार है(a) आकार(b) उत्पाद(c) कच्चा माल(d) ये सभी। |
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Answer» सही विकल्प है (d) ये सभी। |
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हथकरघा क्षेत्र की विशेषता है(a) अधिक श्रमिकों की आवश्यकता(b) अर्द्धकुशल श्रमिकों को रोजगार(c) कम पूँजी की आवश्यकता(d) उपर्युक्त सभी। |
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Answer» (d) उपर्युक्त सभी। |
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सिलीकॉन घाटी किस उद्योग के लिए प्रसिद्ध है(a) सॉफ्टवेयर(b) इस्पात उद्योग(c) वस्त्र उद्योग(d) रासायनिक उद्योग। |
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Answer» (a) सॉफ्टवेयर। |
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भारत में लोहा-इस्पात उद्योग का प्रमुख केन्द्र है(a) जमशेदपुर(b) दुर्गापुर(c) राउरकेला(d) ये सभी। |
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Answer» सही विकल्प है (d) ये सभी। |
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संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात के उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है(a) उत्तर अप्लेशियन प्रदेश(b) महान झील क्षेत्र(c) अटलाण्टिक तट(d) उपर्युक्त सभी। |
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Answer» (d) उपर्युक्त सभी। |
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रूहर क्षेत्र का सम्बन्ध किस देश से है(a) जर्मनी(b) जापान(c) चीन(d) फ्रांस। |
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Answer» सही विकल्प है (a) जर्मनी। |
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वन आधारित उद्योग हैं(a) फर्नीचर उद्योग(b) कागज उद्योग(c) लाख उद्योग(d) ये सभी। |
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Answer» सही विकल्प है (d) ये सभी। |
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स्वच्छन्द उद्योग की एक प्रमुख विशेषता है(a) कुशलता(b) निम्न पूँजी की आवश्यकता(c) अधिक उत्पादन(d) कहीं भी स्थापना। |
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Answer» (d) कहीं भी स्थापना। |
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उपभोक्ता वस्तु उद्योग का उदाहरण है(a) ब्रेड उद्योग(b) चाय उद्योग(c) कॉफी उद्योग(d) ये सभी। |
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Answer» सही विकल्प है (d) ये सभी। |
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| 10. |
विनिर्माण का शाब्दिक अर्थ है(a) हाथ से बनाना(b) मशीनों से बनाना(c) (a) व (b) दोनों(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं। |
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Answer» (c) (a) व (b) दोनों। |
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| 11. |
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाला कारक है(a) बाजार(b) कच्चा माल(c) श्रम आपूर्ति(d) ये सभी। |
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Answer» सही विकल्प है (d) ये सभी। |
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| 12. |
निर्माण के अन्तर्गत माना जाता है(a) लोहे व इस्पात को गढ़ना(b) प्लास्टिक के खिलौने बनाना(c) प्लास्टिक के अति सूक्ष्म घटकों को जोड़ना(d) उपर्युक्त सभी। |
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Answer» (d) उपर्युक्त सभी। |
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| 13. |
आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषता है(a) कौशल का विशिष्टीकरण(b) यन्त्रीकरण(c) प्रौद्योगिकीय नवाचार(d) उपर्युक्त सभी। |
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Answer» (d) उपर्युक्त सभी। |
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| 14. |
प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है(a) प्राथमिक क्रियाओं द्वारा(b) द्वितीयक क्रियाओं द्वारा(c) तृतीयक क्रियाओं द्वारा(d) चतुर्थक क्रियाओं द्वारा। |
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Answer» (b) द्वितीयक क्रियाओं द्वारा। |
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अधातु उद्योग से क्या तात्पर्य है? |
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Answer» ऐसे उद्योग जो अधात्विक खनिजों पर आधारित होते हैं उन्हें ‘अधातु उद्योग’ कहते हैं। कोयला, पेट्रोलियम, गन्धक आदि इसके उदाहरण हैं। |
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| 16. |
द्वितीयक क्रियाकलाप सम्बन्धित हैं(a) विनिर्माण से(b) प्रसंस्करण से(c) निर्माण से(d) इन सभी से। |
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Answer» (d) इन सभी से। |
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उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। |
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Answer» उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की विशेषताएँ उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं (1) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों के उन्नत, वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पाद अत्यन्त परिष्कृत होते हैं जिनका निर्माण गहन वैज्ञानिक शोध एवं विकास पर आधारित होता है। (2) इन उद्योगों में उच्च कुशलता वाले दक्ष एवं विशिष्ट व्यावसायिक श्रमिकों (सफेद कॉलर) को नौकरी पर रखा जाता है। इनकी संख्या वास्तविक उत्पादन करने वाले श्रमिकों (नीला कॉलर) से अधिक होती है। (3) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों के कुछ प्रमुख उत्पाद-रोबोट (यन्त्र मानव), कम्प्यूटर आधारित डिजाइन (CAD) तथा निर्माण, धातु पिघलाने एवं शोधन करने के इलैक्ट्रॉनिक नियन्त्रण और रसायन व औषधियाँ होते हैं। (4) इस नए औद्योगिक भू-दृश्य में धुआँ उगलती चिमनियों, बड़े-बड़े बदसूरत विशाल भवन, कारखाने, भण्डार और कूड़े के ढेर नहीं होते बल्कि उसके स्थान पर आधुनिक, साफ-सुथरे, स्मार्ट व डिजाइनर भवन, यत्र-तत्र स्थित कार्यालय तथा शोध एवं विकास की प्रयोगशालाएँ देखने को मिलती हैं। (5) ये उद्योग बाजार की बदलती माँग के अनुसार अपने उत्पादों में तेजी से सुधार करते हैं। इसी कारण इसके उत्पाद अल्पजीवी होते हैं। (6) इन उद्योगों में श्रम की गतिशीलता बहुत अधिक होती है, क्योंकि योग्यता और अनुभव अधिक आय उन्नत सुविधाओं व सामाजिक स्तर के प्रति संवेदनशील होते हैं। (7) आज भी उपभोक्ता संस्कृति में एक बार तो इनके उत्पाद खूब बिकते हैं। उदाहरणत: कम्प्यूटरों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। |
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धातु उद्योग से क्या तात्पर्य है? |
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Answer» जिन उद्योगों में विभिन्न प्रकार की धातुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है, ‘धातु उद्योग’ कहलाते हैं। ये उद्योग दो प्रकार के होते हैं ⦁ लौह धातु, एवं |
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आधारभूत तथा उपभोक्ता उद्योग के दो-दो उदाहरण दीजिए। |
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Answer» आधारभूत उद्योग ⦁ लोहा एवं इस्पात उद्योग, एवं उपभोक्ता उद्योग ⦁ साबुन उद्योग, एवं |
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आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। |
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Answer» आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ आधुनिक युग में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं 1. कौशल अथवा उत्पादन की विधियों का विशिष्टीकरण – शिल्प पद्धति में केवल थोड़ी वस्तुओं का ही उत्पादन किया जाता है जिनका पहले से ऑर्डर प्राप्त होता है। परिणामस्वरूप वस्तुओं की उत्पादन लागत अधिक आती है। बड़े पैमाने पर होने वाले उत्पादन में प्रत्येक कर्मचारी बड़ी संख्या में एक जैसे सामान (वस्तु). को बार-बार बनाता रहता है। इससे वस्तु की लागत भी कम आती है और वस्तुओं का मानक भी समान रहता है। 2. मशीनीकरण – मशीनीकरण से अभिप्राय ऐसी युक्तियों के उपयोग से है जिनसे कार्य सम्पन्न होता है। विनिर्माण में स्वचालित मशीनों का उपयोग मशीनीकरण की विकसित अवस्था को प्रदर्शित करता है। वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व में ऐसे स्वचालित कारखाने दिखने लगे हैं जो कि कम्प्यूटर द्वारा नियन्त्रित हैं और जिनमें मशीनों को ‘सोचने’ के लिए विकसित किया गया है। 3. प्रौद्योगिक नवाचार – बड़े पैमाने के आधुनिक विनिर्माण की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि वे सतत शोध एवं विकास के बल पर ऐसे प्रौद्योगिक नवाचार का उपयोग करते हैं जिनसे गुणवत्ता का नियन्त्रण, अपशिष्टों का निस्तारण, अदक्षता की समाप्ति और प्रदूषण में कमी प्रभावी ढंग से हो सकती है। 4.संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण – आधुनिक विनिर्माण उद्योग एक संगठन की तरह कार्य करता है जिसमें सभी विभाग अपना-अपना दायित्व निभाते हैं। इस वृहद् प्रणाली के प्रमुख लक्षण हैं ⦁ एक जटिल प्रौद्योगिकी यन्त्र 5. अनियमित भौगोलिक वितरण – आधुनिक विनिर्माण के प्रमुख संकेन्द्रण विश्व में बहुत ही थोड़े स्थानों पर विकसित हो पाए हैं। विनिर्माण उद्योगों से सम्पन्न देश आर्थिक एवं राजनीतिक शक्ति के केन्द्र बन गए हैं। |
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लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है? |
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Answer» लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस उद्योग पर अन्य सभी उद्योग निर्भर हैं। |
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उद्योगों की अवस्थिति के आधुनिक कारकों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। |
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Answer» उद्योगों की अवस्थिति के आधुनिक कारकों की विशेषताएँ उद्योगों की अवस्थिति के आधुनिक कारकों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ⦁ उद्योगों की अवस्थिति के आधुनिक कारकों का अलग-अलग प्रभाव नहीं होता। |
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उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की अवस्थिति के कारकों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण क्रियाकलापों में नवीनतम पीढ़ी है। पिछले दो दशकों से उच्च प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की अवस्थिति के कारक इन स्वच्छन्द उद्योगों पर पारम्परिक कारकों का कोई विशेष प्रभाव नहीं होता। इनके स्थानीयकरण (अवस्थिति) में कुछ नए कारकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है (1) ये हल्के उद्योग होते हैं जो अधिकतर कच्चे माल की जगह उत्पादन के लिए अर्द्धनिर्मित तथा संसाधित वस्तुओं का उपयोग करते हैं। (2) वैज्ञानिक और तकनीकी दक्षता पर निर्भर रहने के कारण ये उद्योग प्रायः विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थाओं के समीप स्थापित किए जाते हैं। (3) इन उद्योगों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति बिजली द्वारा होती है जो मुख्यत: राष्ट्रीय ग्रिड से प्राप्त होती है। (4) इन उद्योगों के लिए अनुकूल जलवायु वाले महानगरीय क्षेत्र अधिक अनुकूल साबित होते हैं। महानगरों की सामाजिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक गतिविधियाँ इन उद्योगों को अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देती हैं। . (5) इन उद्योगों का अन्तिम उत्पाद छोटा किन्तु परिष्कृत होता है। अत: इन्हें सड़क मार्गों के निकट प्रदूषण रहित आवासीय क्षेत्रों से लगाया जा सकता है। (6) ज्यादा-से-ज्यादा सफलता प्राप्त करने की अतृप्त भूख तथा प्रतिस्पर्धी कम्पनियों को पटकनी देकर सदा आगे रहने की मानसिकता के कारण नए उद्योगों के वैज्ञानिक, शोधार्थी प्रबन्धक, वित्त विशेषज्ञ तथा प्रशासक सदा तनावग्रस्त रहते हैं। उनके तनावरहित सन्तुलित व्यवहार को बनाए रखने के लिए कम्पनियों का पर्यावरण हरा-भरा, आकर्षक व सुखद होना आवश्यक है। अत: ऐसे उद्योग मनभावन जगहों पर विकसित होते हैं। (7) परिवहन और संचार के अत्याधुनिक साधनों के बिना ये उद्योग जीवित ही नहीं रह सकते। उपभोक्ताओं, वित्तीय संस्थाओं, सरकारी विभागों, आपूर्तिदाताओं से तत्काल सम्पर्क बनाने तथा शोध के विभिन्न चरणों की सफलता के लिए उच्च कोटि के संचार व परिवहन के साधन आवश्यक हैं। |
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निम्न में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है(क) कुटीर उद्योग(ख) छोटे पैमाने के उद्योग(ग) आधारभूत उद्योग(घ) स्वच्छन्द उद्योग। |
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Answer» (ग) आधारभूत उद्योग। |
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प्राथमिक उत्पाद क्या है? |
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Answer» कृषि, पशुपालन, वानिकी, खनन, मत्स्य ग्रहण इत्यादि मानव की प्राथमिक क्रियाएँ हैं और इनसे प्राप्त उत्पाद ‘प्राथमिक उत्पाद’ कहलाते हैं। |
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कृषि व्यापार पर टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» कृषि व्यापार-कृषि व्यापार औद्योगिक पैमाने पर व्यापारिक कृषि है। इसमें प्राय: बड़े-बड़े उद्योगपति पैसा लगाते हैं जैसे-टाटा अनेक प्रकार के उद्योग चलाता है तथा चाय के बागान के क्षेत्र में भी अपनी पूँजी लगाई है। कृषि व्यापार के फार्मों की विशेषताएँ हैं-यन्त्रीकरण, बड़ा आकार, साधनों का उपयोग तथा प्रबन्धन की आधुनिक प्रणाली। इन्हें कृषि कारखाने भी कहा जाता है। |
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लघु उद्योग की विशेषताओं को समझाइए। |
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Answer» लघु उद्योग की विशेषताएँ लघु उद्योग की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ⦁ लघु उद्योगों को उत्पादन की तकनीक एवं निर्माण स्थल (घर से बाहर कारखाना) दोनों के आधार पर कुटीर उद्योगों से अलग किया जाता है। |
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स्वच्छन्द उद्योग की विशेषताओं को समझाइए। |
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Answer» स्वच्छन्द उद्योग की विशेषताएँ स्वच्छन्द उद्योग की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- ⦁ स्वच्छन्द उद्योग हल्के उद्योग होते हैं। |
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कुटीर उद्योग किसे कहते हैं? |
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Answer» कुटीर उद्योग विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इसे ‘शिल्प उद्योग’ भी कहा जाता है। |
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विनिर्माण के अर्थ को समझाइए। |
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Answer» विनिर्माण का अर्थ-विनिर्माण का शाब्दिक अर्थ है-‘हाथ से बनाना’, लेकिन अब इसमें मशीनों से बनी वस्तुओं को भी शामिल किया जाने लगा है। मूल रूप से विनिर्माण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कच्चे अथवा अर्द्धनिर्मित माल को ऐसे ऊँचे मूल्य के तैयार उपयोगी माल में बदल दिया जाता है जिसे स्थानीय अथवा दूर स्थित बाजार में बेचा जा सकता है। विनिर्माण का अभिप्राय किसी भी वस्तु के उत्पादन से है। इसमें हस्तशिल्प कार्य से लेकर लोहे व इस्पात को गढ़ना, प्लास्टिक के खिलौने बनाने से लेकर कम्प्यूटर के अति सूक्ष्म घटकों को जोड़ना और अन्तरिक्षयान निर्माण आदि सभी प्रकार का उत्पादन शामिल होता है। |
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द्वितीयक क्रियाकलाप से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» द्वितीयक क्रियाकलाप-प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे पदार्थों यथा-गेहूँ, चावल, कपास, लकड़ी, धातुएँ आदि में से बहुत कम का ही प्रत्यक्ष रूप से उपभोग किया जा सकता है। अत: आवश्यक है कि कच्चे माल का हाथ अथवा मशीनों की सहायता से रूप बदला जाए और उन्हें पहले से अधिक उपयोगी बनाया जाए। उदाहरणत: कपास को सूत में परिवर्तित करने पर उसका मूल्य बढ़ जाता है, क्योंकि इसका उपयोग वस्त्र बनाने में किया जा सकता है। स्पष्ट है कि जब प्राथमिक उत्पादों का प्रसंस्करण करके नई, उपयोगी और मूल्यवान वस्तुओं की रचना की जाती है तो इन्हें ‘द्वितीयक क्रियाकलाप’ कहते हैं। इस तरह द्वितीयक क्रियाकलापों का सम्बन्ध तीन चीजों से होता है- . ⦁ विनिर्माण |
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विनिर्माण को परिभाषित कीजिए |
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Answer» संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, “विनिर्माण जैविक अथवा अजैविक पदार्थों का एक नए उत्पाद के रूप में यान्त्रिक तथा रासायनिक परिवर्तन है, चाहे यह कार्य शक्तिचालित मशीन द्वारा सम्पन्न होता है अथवा हाथ द्वारा, चाहे यह कार्य कारखाने में किया जाता है अथवा कामगारों के घर में और उत्पाद चाहे थोक में बेचे जाएँ अथवा फुटकर में।” |
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विनिर्माण उद्योगों की सामान्य विशेषताएँ बताइए। |
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Answer» विनिर्माण उद्योगों की सामान्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ⦁ जटिल किन्तु स्मार्ट संगठन |
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निम्न में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है(क) स्वचालित वाहन उद्योग – लॉस एंजिल्स(ख) पोत निर्माण उद्योग – लूसाका(ग) वायुयान निर्माण उद्योग – फ्लोरेंस(घ) लौह-इस्पात उद्योग – पिट्सबर्ग |
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Answer» (घ) लौह-इस्पात उद्योग – पिट्सबर्ग। |
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द्वितीयक क्रियाकलाप किसे कहते हैं? |
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Answer» जब प्राथमिक उत्पादों का प्रसंस्करण करके नई, उपयोगी और मूल्यवान वस्तुओं की रचना की जाती है तो इन्हें ‘द्वितीयक क्रियाकलाप’ कहते हैं। |
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आधारभूत या मूलभूत उद्योग किसे कहते हैं? |
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Answer» जिन उद्योगों का निर्मित माल अथवा उत्पाद अन्य अनेक उद्योगों का आधार बनता है उन्हें आधारभूत या मूलभूत उद्योग कहा जाता है; जैसे-लौह-इस्पात उद्योग, विद्युत उत्पादन उद्योग एवं भारी मशीन निर्माण उद्योग आदि। |
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उपभोक्ता उद्योग से क्या अभिप्राय है? |
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Answer» उपभोक्ता उद्योग वे उद्योग हैं जिनके उत्पाद का प्रयोग प्राय: अधिकतर लोग दैनिक जीवन में करते हैं। इन्हें गैर-आधारभूत उद्योग भी कहा जाता है; जैसे-कागज, पैन, वस्त्र व खाद्य पदार्थ आदि के उद्योग। |
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कृषि आधारित उद्योग से आप क्या समझते हैं? |
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Answer» कृषि आधारित उद्योग वे उद्योग हैं जो कृषि उत्पादों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं व इन्हें विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा तैयार माल में बदलकर बिक्री हेतु ग्रामीण और नगरीय बाजारों में बेचते हैं। |
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भोजन प्रसंस्करण के उदाहरण दीजिए। |
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Answer» भोजन प्रसंस्करण के उदाहरण हैं—डिब्बाबन्द भोजन, क्रीम उत्पादन, फल प्रसंस्करण एवं मिठाई बनाना आदि। |
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संसार में द्वितीयक क्रियाओं का क्या महत्त्व है? |
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Answer» संसार में द्वितीयक क्रियाओं का महत्त्व इसलिए है क्योंकि इस क्रिया द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। वे अधिक मूल्यवान हो जाते हैं। |
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द्वितीयक क्रियाओं के कोई दो उदाहरण दीजिए। |
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Answer» द्वितीयक क्रियाओं के उदाहरण हैं ⦁ कपास द्वारा सूती वस्त्र बनाना |
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निम्नलिखित पर लगभग 30 शब्दों में टिप्पणी लिखिए-:(i) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग(ii) विनिर्माण(iii) स्वच्छन्द उद्योग |
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Answer» i) उच्च तकनीक विनिर्माण में सबसे नवीन विधि है। गहन खोज और विकास के द्वारा अग्रिम वैज्ञानिक इंजीनियरिंग को समझा जाता है। व्यावसायिक (सफेद कालर) कामगार कुल कार्यशक्ति का एक बड़ा भाग है। ये उच्च विशेषज्ञ वास्तविक उत्पादक हैं। रोबोटिक, कम्प्यूटर जीवन आकृति और विनिर्माण शोधन प्रक्रिया का इलेक्ट्रॉनिक्स नियन्त्रणमय रासायनिक और फार्मास्युटिकल उत्पाद उच्च तकनीक उद्योग के उदाहरण हैं। ii) वे क्रियाएँ जिनमें प्राथमिक व्यवसाय जैसे कृषि, पशुपालन, खनन आदि के उत्पादों को तकनीकों का प्रयोग करके संसाधित किया जाता है और अधिक उपयोगी वस्तुओं में बदला जाता है। ऐसी प्रक्रियाएँ विनिर्माण उद्योग कहलाती हैं। उदाहरण के लिए, कपास को कच्चे माल के रूप में सूती वस्त्र उद्योग में प्रयोग करके वस्त्र उत्पादन किया जाता है। iii) स्वच्छन्द उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों पर लगाए जा सकते हैं। वे किसी विशेष प्रकार के कच्चे माल पर निर्भर नहीं होते जिनके भार का ह्रास होता हो अथवा नहीं। ये उद्योग अधिकतर संघटक पुों पर निर्भर करते हैं जिन्हें कहीं से भी प्राप्त किया जा सकता है। इनमें उत्पादन की मात्रा व श्रमिक कम होते हैं। आमतौर पर ये उद्योग प्रदूषण नहीं फैलाते। इनकी अवस्थिति में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक सड़क मार्गों द्वारा ‘पहुँच’ है। |
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बड़े पैमाने के उद्योग की कोई दो विशेषताएँ बताइए। |
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Answer» बड़े पैमाने के उद्योग की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ⦁ उत्पादन ऊर्जा चालित बड़ी-बड़ी मशीनों से होता है। |
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विश्व के विकसित देशों के उद्योगों के सन्दर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए। |
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Answer» विकसित औद्योगिक देशों में आधुनिक औद्योगिक क्रियाकलापों में परिवर्तनशील प्रवृत्तियाँ देखी गई हैं। ये परिवर्तनशील प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं ⦁ उद्योगों की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कारकों के महत्त्व में निरन्तर कमी आती जा रही है। |
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भोजन प्रसंस्करण पर टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» भोजन प्रसंस्करण-भोजन प्रसंस्करण उद्योग वर्तमान गतिशील जीवन में तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसमें डिब्बाबन्द भोजन, क्रीम उत्पादन, फल प्रसंस्करण एवं मिठाई बनाना आदि शामिल किए जाते हैं। भोजन को सुरक्षित रखने की अनेक विधियों का ज्ञान मनुष्य को प्राचीनकाल से है; जैसे-उसे सुखाकर रखना, उसका अचार बनाना, उसे किण्वित करना यानि खमीर उठाना इत्यादि। हालाँकि इन विधियों से औद्योगिक क्रान्ति से पहले की माँगों को सीमित मात्रा में ही पूरा किया जाता था। |
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अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिए। |
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Answer» उच्च प्रौद्योगिक उद्योग औद्योगिक क्षेत्र अथवा प्रौद्योगिक पार्कों के रूप में महानगरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। लन्दन, पेरिस, मिलान, टोकियो आदि इसके उदाहरण हैं। |
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कुटीर उद्योग की विशेषताओं को समझाइए। |
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Answer» कुटीर उद्योग की विशेषताएँ कुटीर उद्योग की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं ⦁ कुटीर उद्योग विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई है। |
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अफ्रीका में अपरिमित प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहुत पिछड़ा . महाद्वीप है। समीक्षा कीजिए। |
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Answer» यह सत्य है कि अफ्रीका प्राकृतिक संसाधन में धनी है लेकिन औद्योगिक दृष्टि से वह पिछडा महाद्वीप है, जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं 1. विषम जलवायु – अफ्रीका महाद्वीप के अधिकांश भाग में विषम जलवायु पायी जाती है। सहारा मरुस्थलीय जलवायु में आने वाले देश अधिक तापमान व गर्म पवनों के कारण पिछड़े हुए हैं। इसी तरह जिन भागों में भूमध्यरेखीय जलवायु पायी जाती है उन क्षेत्रों में विषम परिस्थितियों के कारण उद्योग विकसित नहीं हो पाए। 2. उच्च प्रौद्योगिकी की अनुपलब्धता – उच्च प्रौद्योगिकी की अनुपलब्धता के कारण भी अफ्रीका के देशों में उद्योग विकसित नहीं हो पाए। 3. परिवहन साधनों का अभाव – अफ्रीका महाद्वीप के देशों में विषम जलवायु; उच्चावच आदि के कारण परिवहन साधनों का विकास नहीं हो पाया है। 4. कुशल (प्रशिक्षित) श्रम का अभाव – अफ्रीका महाद्वीप के जिन देशों में खनिज पदार्थों की उपलब्धता है उन क्षेत्रों में कुशल श्रम के अभाव के कारण वे देश औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं। 5. पूँजी का अभाव – अफ्रीका महाद्वीप में पूँजी का पर्याप्त अभाव है जिसके कारण यहाँ औद्योगिक विकास नहीं हो पाया है। |
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नगरों के आन्तरिक भागों की तुलना में सीमान्त क्षेत्रों में औद्योगिक संकुल व प्रौद्योगिक पार्कों के लाभों को समझाइए। |
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Answer» नगरों के आन्तरिक भागों की तुलना में सीमान्त क्षेत्रों में औद्योगिक संकुल व प्रौद्योगिक पाकों के लाभ ⦁ जमीन की कीमतें अपेक्षाकृत सस्ती होने के कारण एकमंजिले कारखाने बनाए जा सकते हैं। |
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कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए। अथवा कच्चे माल पर आधारित उद्योगों के वर्गीकरण के आधारों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कच्चे माल पर आधारित उद्योगों के वर्गीकरण के पाँच आधार निम्नलिखित हैं 1. कृषि आधारित उद्योग – ये वे उद्योग हैं जो कृषि उत्पादों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं तथा इन्हें विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा तैयार माल में बदलकर बिक्री हेतु ग्रामीण और नगरीय बाजारों में भेजते हैं। प्रमुख कृषि आधारित उद्योग हैं— भोजन प्रसंस्करण, शक्कर, अचार, फलों के रस, पेय पदार्थ (चाय, कॉफी, कोको), मसाले, तेल एवं वस्त्र एवं रबड़ उद्योग आदि। 2. खनिज आधारित उद्योग – खनिज आधारित उद्योगों में खनिजों का कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। ये उद्योग दो प्रकार के होते हैं ⦁ लौह-धातु उद्योग – ये उद्योग ऐसी धातुओं पर आधारित होते हैं जिनमें लौहांश की मात्रा होती है। लौह-इस्पात उद्योग, मशीन व औजार उद्योग, तेल इंजन, मोटरकार तथा कृषि औजार उद्योग इसके प्रमुख उदाहरण हैं। ⦁ अलौह-धातु उद्योग – ये उद्योग ऐसी धातुओं पर आधारित होते हैं जिनमें लौहांश नहीं होता; जैसेताँबा, ऐलुमिनियम एवं जवाहरातों पर आधारित उद्योग। 3. रसायन आधारित उद्योग – रसायन आधारित उद्योगों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक खनिजों का उपयोग होता है, जैसे- पेट्रो रसायन उद्योग में खनिज तेल का उपयोग होता है। नमक, गन्धक एवं पोटाश उद्योगों में भी प्राकृतिक खनिजों को काम में लेते हैं। 4. वन आधारित उद्योग – वन आधारित उद्योगों में वनों से प्राप्त मुख्य एवं गौण उपजों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं। उदाहरणतः फर्नीचर उद्योग के लिए लकड़ी, कागज उद्योग के लिए लकड़ी, बाँस एवं घास तथा लाख उद्योग के लिए लाख वनों से ही प्राप्त होती है। . 5. पशु आधारित उद्योग – चमड़ा उद्योग के लिए चमड़ा एवं ऊनी वस्त्र उद्योग के लिए ऊन पशुओं से प्राप्त होती है। चमड़ा उद्योग, ऊनी वस्त्र उद्योग, हाथीदाँत उद्योग आदि पशु आधारित उद्योग हैं। |
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