InterviewSolution
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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1051. |
Ram lakshman parsuram sanbad chapter ke sabhi para ki vyakhya |
| Answer» | |
| 1052. |
नेताजी का चश्मा एक प्रेरणाप्रद कहानी है। पाठ के आधार पर सिद्ध करें। |
| Answer» हालदार सोच रहे थे कि कुछ लोग अपनी जवानी जिंदगी घर-गृहस्थी को त्यागकर देश सेवा में जुट जाते हैं। परंतु जो जाति शहीदों, देशभक्तों का मजाक उड़ाती है; ऐसी जाति का क्या होगा? अर्थात वह नष्ट हो जाएगीमूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं।भाव:-बच्चों ने सरकंडे का चश्मा बनाकर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर लगा दिया क्योंकि उन्हें भी चश्मे के बिना सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति अच्छी नहीं लग रही थी। इससे यह पता चलता है कि बच्चों में भी देशभक्ति की भावना है। | |
| 1053. |
Kya sukh visheshan hai ? |
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Answer» भावाचक संज्ञा होती है न की सर्वनाम Sukh bhav vachak sarvnaam hai |
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| 1054. |
Soordas ke pad chapter ke sabhi para ka bhaav sondary |
| Answer» | |
| 1055. |
How many paragraph did anaupchaarik patr have?? |
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Answer» Three 3. Anaupcharik Patra has three paragraphs . Which basically consists of introduction , Body and Conclusion Three paragraphs First- introduction Second- bodyThird- conclusion |
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| 1056. |
How many paragraph did aupchaarik patr have?? |
| Answer» 3 | |
| 1057. |
Format of anaupchaarik patr?? |
| Answer» अनौपचारिक पत्रों का प्रारूप –1.\xa0पता-\xa0सबसे ऊपर बाईं ओर प्रेषक (पत्र भेजने वाले) का नाम व पता लिखा जाता है।2.\xa0दिनांक-\xa0जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है, उस दिन की तारीख।3. विषय- (सिर्फ औपचारिक पत्रों में, अनौपचारिक पत्रों में विषय का प्रयोग नहीं किया जाता है |)4.\xa0संबोधन-\xa0प्रापक (जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है) के साथ संबंध के अनुसार संबोधन का प्रयोग किया जाता है। (जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य, आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग किया जाता है और छोटों के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग किया जाता है।)5.\xa0अभिवादन-\xa0जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार, जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि |6.\xa0मुख्य विषय-\xa0मुख्य विषय को मुख्यतः तीन अनुच्छेदों में विभाजित करना चाहिए।पहले अनुछेद की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए- "हम/मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ कुशल होंगे।"दूसरे अनुच्छेद में जिस कारण पत्र लिखा गया है उस बात का उल्लेख किया जाता है।तीसरे अनुछेद में समाप्ति से पहले, कुछ वाक्य अपने परिवार व सबंधियों के कुशलता के लिए लिखने चाहिए। जैसे कि- "मेरी तरफ से बड़ों को प्रणाम, छोटों को आशीर्वाद व प्यारआदि"।7.\xa0समाप्ति-\xa0अंत में प्रेषक का सम्बन्ध जैसे- आपका पुत्र, आपकी पुत्री, आपकी की भतीजी आदि"।अनौपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए-(1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए-प्रशस्ति\xa0– आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।अभिवादन\xa0– सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।समाप्ति\xa0– आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।(2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए-प्रशस्ति\xa0– प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।अभिवादन\xa0– मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।समाप्ति\xa0– तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप-(प्रेषक-लिखने वाले का पता)………………दिनांक ……………….संबोधन ……………….अभिवादन ……………….पहला अनुच्छेद ………………. (कुशल-मंगल समाचार)दूसरा अनुच्छेद ……….. (विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति)प्रापक के साथ प्रेषक का संबंधप्रेषक का नाम ……………. | |
| 1058. |
Format of aupchaarik patr?? |
| Answer» औपचारिक पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। व्यवसाय से संबंधी, प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टापूर्ण होती है। इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है। | |
| 1059. |
Find savarnam from chapter manviya karuna ki divya chamak |
| Answer» Sarvanaam ve sabd hote hai jo ki sanghya ki jagah par prayog me aate hai toh jo jo sabd sanghya ki jagah par prayog kiye gaye hai vahi sarvannam hai | |
| 1060. |
Hwaldhar sahabh pritideen kiski murti ke pass jate the ? Answer in hindi |
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Answer» Haaldar sahab prati din kastube se hokar netaji subhash chandra bose ki murti dekhne jaaya karte the . Netaji ki murti ke paas. Jo bina chasme vaali thi Netaji ke bina chasme vaali murti ke paas No, its neta ji (SCB) Subash Chandra Boss |
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| 1061. |
Yuva varg me hota naitik mulyon ka hasya. Shirshak par nibandh |
| Answer» | |
| 1062. |
Mahan ganitagya shri Shrinivas Ramanujan par niband "urgent" |
| Answer» गणित में उनका मुख्य योगदान मुख्य रूप से विश्लेषण, खेल सिद्धांत और अनंत श्रृंखला में है। उन्होंने गेम थ्योरी की प्रगति के लिए प्रेरणा देने वाले नए और उपन्यास विचारों को प्रकाश में लाकर विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए गहराई से विश्लेषण किया। ऐसी उनकी गणितीय प्रतिभा थी कि उन्होंने अपने स्वयं के प्रमेयों की खोज की।इस श्रृंखला ने आज उपयोग किए जाने वाले कुछ एल्गोरिदम का आधार बनाया है। ऐसा ही एक उल्लेखनीय उदाहरण है जब उन्होंने अपने रूममेट की द्विभाजित समस्या को एक ऐसे उपन्यास के साथ हल कर दिया जिसका उत्तर निरंतर अंश के माध्यम से समस्याओं के पूरे वर्ग को हल करता है। इसके अलावा उन्होंने कुछ पूर्व की अज्ञात पहचान भी बनाईं जैसे कि हाइपरबोलिंडेंट सेक्रेटरी के लिए गुणांक को जोड़ना और पहचान प्रदान करना।रामानुजन को अपनी माता से काफी लगाव था। अपनी माँ से रामानुजन ने प्राचीन परम्पराओ और पुराणों के बारे में सीखा था। उन्होंने बहोत से धार्मिक भजनों को गाना भी सीख लिया था ताकि वे आसानी से मंदिर में कभी-कभी गा सके। ब्राह्मण होने की वजह से ये सब उनके परीवार का ही एक भाग था। कंगयां प्राइमरी स्कूल में, रामानुजन एक होनहार छात्र थे।बस 10 साल की आयु से पहले, नवंबर 1897 में, उन्होंने इंग्लिश, तमिल, भूगोल और गणित की प्राइमरी परीक्षा उत्तीर्ण की और पुरे जिले में उनका पहला स्थान आया। उसी साल, रामानुजन शहर की उच्च माध्यमिक स्कूल में गये जहा पहली बार उन्होंने गणित का अभ्यास कीया।Srinivasa Ramanujan Childhood:11 वर्ष की आयु से ही श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan अपने ही घर पर किराये से रह रहे दो विद्यार्थियो से गणित का अभ्यास करना शुरू कीया था। बाद में उन्होंने एस.एल. लोनी द्वारा लिखित एडवांस ट्रिग्नोमेट्री का अभ्यास कीया।13 साल की अल्पायु में ही वे उस किताब के मास्टर बन चुके थे और उन्होंने खुद कई सारे थ्योरम की खोज की। 14 वर्ष की आयु में उन्हें अपने योगदान के लिये मेरिट सर्टिफिकेट भी दिया गया और साथ ही अपनी स्कूल शिक्षा पुरी करने के लिए कई सारे अकादमिक पुरस्कार भी दिए गए और सांभर तंत्र की स्कूल में उन्हें 1200 विद्यार्थी और 35 शिक्षको के साथ प्रवेश दिया गया।गणित की परीक्षा उन्होंने दिए गए समय से आधे समय में ही पूरी कर ली थी। और उनके उत्तरो से ऐसा लग रहा था जैसे ज्योमेट्री और अनंत सीरीज से उनका घरेलु सम्बन्ध हो।रामानुजन ने 1902 में घनाकार समीकरणों को आसानी से हल करने के उपाय भी बताये और बाद में क्वार्टीक (Quartic) को हल करने की अपनी विधि बनाने में लग गए। उसी साल उन्होंने जाना की क्विन्टिक (Quintic) को रेडिकल्स (Radicals) की सहायता से हल नही किया जा सकता। | |
| 1063. |
Soordas ke pad chapter ke sabhi para ki vyakhya |
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Answer» 4. हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए।ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।-->गोपियाँ कहती हैं कि कृष्ण तो किसी राजनीतिज्ञ की तरह हो गये हैं। स्वयं न आकर ऊधव को भेज दिया है ताकि वहाँ बैठे-बैठे ही गोपियों का सारा हाल जान जाएँ। एक तो वे पहले से ही चतुर थे और अब तो लगता है कि गुरु ग्रंथ पढ़ लिया है। कृष्ण ने बहुत अधिक बुद्धि लगाकर गोपियों के लिए प्रेम का संदेश भेजा है। इससे गोपियों का मन और भी फिर गया है और वह डोलने लगा है। गोपियों को लगता है कि अब उन्हें कृष्ण से अपना मन फेर लेना चाहिए, क्योंकि कृष्ण अब उनसे मिलना ही नहीं चाहते हैं। गोपियाँ कहती हैं, कि कृष्ण उनपर अन्याय कर रहे हैं। जबकि कृष्ण को तो राजधर्म पता होना चाहिए जो ये कहता है कि प्रजा को कभी भी सताना नहीं चाहिए। 3. हमारैं हरि हारिल की लकरी।मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।सु तौ ब्याधि हमकौ लै आए, देखी सुनी न करी।यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।--> गोपियाँ कहती हैं कि उनके लिए कृष्ण तो हारिल चिड़िया की लकड़ी के समान हो गये हैं। जैसे हारिल चिड़िया किसी लकड़ी को सदैव पकड़े ही रहता है उसी तरह उन्होंने नंद के नंदन को अपने हृदय से लगाकर पकड़ा हुआ है। वे जागते और सोते हुए, सपने में भी दिन-रात केवल कान्हा कान्हा करती रहती हैं। जब भी वे कोई अन्य बात सुनती हैं तो वह बात उन्हें किसी कड़वी ककड़ी की तरह लगती है। कृष्ण तो उनकी सुध लेने कभी नहीं आए बल्कि उन्हें प्रेम का रोग लगा के चले गये। वे कहती हैं कि उद्धव अपने उपदेश उन्हें दें जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है। 2. मन की मन ही माँझ रही।कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।--> इस छंद में गोपियाँ अपने मन की व्यथा का वर्णन ऊधव से कर रहीं हैं। वे कहती हैं कि वे अपने मन का दर्द व्यक्त करना चाहती हैं लेकिन किसी के सामने कह नहीं पातीं, बल्कि उसे मन में ही दबाने की कोशिश करती हैं। पहले तो कृष्ण के आने के इंतजार में उन्होंने अपना दर्द सहा था लेकिन अब कृष्ण के स्थान पर जब ऊधव आए हैं तो वे तो अपने मन की व्यथा में किसी योगिनी की तरह जल रहीं हैं। वे तो जहाँ और जब चाहती हैं, कृष्ण के वियोग में उनकी आँखों से प्रबल अश्रुधारा बहने लगती है। गोपियाँ कहती हैं कि जब कृष्ण ने प्रेम की मर्यादा का पालन ही नहीं किया तो फिर गोपियों क्यों धीरज धरें। 1. ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।प्रीति नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।--> इन छंदों में गोपियाँ ऊधव से अपनी व्यथा कह रही हैं। वे ऊधव पर कटाक्ष कर रही हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऊधव तो कृष्ण के निकट रहते हुए भी उनके प्रेम में नहीं बँधे हैं। गोपियाँ कहती हैं कि ऊधव बड़े ही भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्हें कृष्ण से जरा भी मोह नहीं है। ऊधव के मन में किसी भी प्रकार का बंधन या अनुराग नहीं है बल्कि वे तो कृष्ण के प्रेम रस से जैसे अछूते हैं। वे उस कमल के पत्ते की तरह हैं जो जल के भीतर रहकर भी गीला नहीं होता है। जैसे तेल से चुपड़े हुए गागर पर पानी की एक भी बूँद नहीं ठहरती है, ऊधव पर कृष्ण के प्रेम का कोई असर नहीं हुआ है। ऊधव तो प्रेम की नदी के पास होकर भी उसमें डुबकी नहीं लगाते हैं और उनका मन पराग को देखकर भी मोहित नहीं होता है। गोपियाँ कहती हैं कि वे तो अबला और भोली हैं। वे तो कृष्ण के प्रेम में इस तरह से लिपट गईं हैं जैसे गुड़ में चींटियाँ लिपट जाती हैं। |
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| 1064. |
बलगोबिन भगत की सगित साधना का चमृ अकषन कब देखा गया और किस रूप मे। |
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Answer» ऐसा भी and होता है। Ka ? बालगोबिन भगत की संगीत साधना का उत्कर्ष उस दिन देखा गया जिस दिन उनके पुत्र की मृत्यु हुई और ऐसे हृदयविदारक अवसर पर भी बालगोबिन का गायन बंद नहीं हुआ। |
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| 1065. |
बधाई संदेश छोटे भाई को जन्मदिन पर |
| Answer» 12/04/2020प्रातः 8 बजे प्रिय __________ ,तुमने अपने जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं । आशा करती हूं / करता हूं कि तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जाए । तुम जग में खूब नाम कमा ओ । अपने हर काम में सफलता पाओ । तुम्हारा पूरा साल खुशियों से भरा हो । तुम्हारी बहन / तुम्हारा भाई ______ | |
| 1066. |
Puni puni mohi dekhav kutaru Bhasha sondarya likho |
| Answer» इन पंक्तियों में लक्ष्मण अभिमान में चूर परशुराम स्वभाव पर व्यंग्य किया है। लक्ष्मण मुस्कुराते हुए कहते हैं कि आप मुझे बार-बार इस फरसे को दिखाकर डरा रहे हैं। ऐसा लगता है मानो आप फूँक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हों। | |
| 1067. |
मन की मन ही माझ रही, कहिए जाई कौन पै ऊधौ................... ...... मरजादा न वही based questions. |
| Answer» प्रसंग-\xa0प्रस्तुत पद भक्त सूरदास के द्वारा\xa0रचित ‘सूरसागर’ के भ्रमरगीत से लिया गया है जिसे हमारी पाठ्\u200cय-पुस्तक में संकलित किया गया है। श्रीकृष्ण के द्वारा\xa0भेजे गए उद्धव\xa0ने गोपियों को ब्रज में संदेश सुनाया था जिसे सुनकर वह हताश हो गई थीं। वे तो श्रीकृष्ण को ही अपना एकमात्र सहारा मानती थीं पर उन्हीं के द्वारा\xa0भेजा हुआ हृदय-विदारक संदेश सुन कर वे पीड़ा और निराशा से भर उठी थीं। उन्होंने कातर स्वर में उद्धव\xa0से कहा था\xa0।व्याख्या-\xa0हे उद्धव! हमारे मन में छिपी बात तो मन में ही रह गई है अर्थात् वे तो सोचती थीं कि जब श्रीकृष्ण वापिस आएंगे तब वे उन्हें विरह-वियोग में झेले सारे कष्टों की बातें सुनाएंगी पर अब तो उन्होंने निराकार ब्रह्म को प्राप्त करने का संदेश भेज दिया है। अब उन के द्वारा\xa0त्याग दिए जाने पर हम अपनी असहनीय विरह-पीड़ा की कहानी किसे जा कर सुनाएं? अब तो हम से यह और अधिक कही भी नहीं जाती। अब तक हम उन के वापिस लौटने की अवधि के सहारे अपने तन और मन से इस विरह-पीड़ा को सहती आ रही थीं। अब तो इन योग के संदेशों को सुन कर हम विरहिनियां वियोग में जलने लगी हैं। विरह के सागर में डूबती हुई हम गोपियों को जहाँ से सहायता मिलने की आशा थी और जहाँ हम अपनी रक्षा के लिए पुकार लगाना चाहती थीं अब उसी स्थान से योग संदेश रूपी जल की ऐसी प्रबल धारा बही है कि यह हमारे प्राण लेकर ही रुकेगी अर्थात् श्रीकृष्ण ने हमें भुला कर योग साधना करने का संदेश भेज कर हमारे प्राण ले लेने का कार्य किया है। हे उद्धव! तुम्हीं बताओ कि अब हम धैर्य धारण कैसे करें? जिन श्रीकृष्ण के लिए हम ने अपनी अन्य सभी मर्यादाओं को त्याग दिया था अब उन्हीं श्रीकृष्ण के द्वारा हमें त्याग देने से हमारी संपूर्ण मर्यादा नष्ट हो गई है। | |
| 1068. |
Car ko bechne ke liye vigyapan likho |
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Answer» Please don\'t forget to draw a box otherwise you will not get marks and draw a car also to make your vigyan more attractive. हमारे या एक कार बिकाऊ है वह सिरिफ 24किलो मिटर चलि है उसका रंग लाल है ओर उसका बिकाऊ रेट है 50हजार ये कार एकदम नयीं जेसी है आप लो आकर देख भी सकते है मेरा नबर है 9445566217 यह कार पसद आया तो ले सकते है। |
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| 1069. |
मन वृंदावन का क्या अर्थ हैंक। मन का वृंदावन में बस जानाख। अत्यधिक प्रसन्न होना |
| Answer» 2 atyadhik prassn hona | |
| 1070. |
Vachya ko change krne main dikkat hota h ....plz give me any hint |
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Answer» Hindi main meri patati hai yr Black board Black ki vedio dekho this will help you Read the book and do practice nothing other than it |
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| 1071. |
संदेश लेखन |
| Answer» (1)\xa0औपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Formal Message Writing)\xa0संदेशदिनांक : ……. समय : ……संबोधन\xa0………विषय\xa0(जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं )………………………………………..…………………………………………………………………………………………………………………………………..अपना नाम\xa0(2) अनौपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप\xa0(Format For Informal Message Writing) संदेशदिनांक : ……. समय : ……विषय\xa0(जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं , वो लिखें )…………………………………………………………….…………………………………………………………….और अपना नाम\xa0संदेश लेखन\xa0उदाहरण\xa0अनौपचारिक संदेश व औपचारिक संदेश लेखन के कुछ उदाहरण (Example of Formal and Informal Message Writing)उदाहरणगणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर देशवासियों के लिए एक संदेश लिखें।\xa0 | |
| 1072. |
hai ka pad parichay |
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Answer» पदों का व्याकरणिक परिचय ही पद परिचय कहलाता है ।जैसे : राम = एकवचन , पुल्लिंग , कर्ता कारक इत्यादि। Gannd |
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| 1073. |
.रस की टेबल |
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Answer» ha yhe right h? 1 श्रृंगार. रति2 हास्य हास3. करुण शोक4 रौद्र. क्रोध5 वीर उत्साह6 भयानक भय7. वीभत्स. जुगुप्सा8 अद्भुत. विस्मय9. शांत. निर्वेद10. वात्सल्य. वत्सलता11 भक्ति रस अनुराग |
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| 1074. |
ras ki table |
| Answer» | |
| 1075. |
Nawab sahab ke dwara khire khane ke puchne par lekhak khire khane se kyu inkar kiya??? |
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Answer» नवाब साहब के द्वारा लेखक से कीड़े खाने के लिए पूछने पर भी लेखक ने मना कर दिया क्योंकि नवाब साहब मन से लेखक के प्रति खुश नहीं थे विवेक के बहार जाने से उनके एकांत में विघ्न हो गया था इसीलिए वे अंतर्मन से खुश नहीं थे और इसी औपचारिकता को दर्शाने के लिए लेखक ने भी खिरे खाने के लिए मना करते Answer:नवाब साहब ने औपचारिकता पूरी करने के लिए लेखक से खीरे खाने के लिए पूछा था। चूँकि नवाब साहब सिर्फ बाहरी रुप से ही मिलनसार होने का दिखावा कर रहे थे। इसलिए लेखक ने भी औपचारिकता दिखाते हुए खीरे खाने के लिए मना कर दिया। |
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| 1076. |
Gapiya ave udav ke prsepr vartalap ko spast kigiye |
| Answer» गोपियां उधव के साथ वार्तालाप करते हुए कहती हैं कि यह दो तुम तो बड़े भाग्यशाली हो तुम प्रीति नदी अर्थात श्री कृष्ण के पास रहते हुए भी उनके प्रेम से प्रभावित नहीं हो हम तो भोले भाले गोपीका ए हैं हम तो उनकी प्रीति नदी में डूबे हुए हैं हमें योग संदेश कड़वी ककड़ी के समान प्रतीत होता है हमने तो श्रीकृष्ण को हार की लकड़ी की तरह जकड़े रखा है हम उन्हें किसी भी परिस्थिति में नहीं छोड़ सकती | |
| 1077. |
Haldar sahab av panwale ki mdhy vartalap ke bare me batai ye |
| Answer» | |
| 1078. |
Puraskar ka virodhi |
| Answer» | |
| 1079. |
Vardan ka virodhi |
| Answer» Shrap vardan ka virodhi Shabd hai | |
| 1080. |
Amulya ka samanarthi |
| Answer» | |
| 1081. |
Khand ka samanarthi |
| Answer» | |
| 1082. |
What is the pattern of संदेश लेखन?? |
| Answer» संदेश लेखन के उदाहरण.संदेश लेखन का अर्थ है कि ,, सूचना के आधार पर किसी को भी संदेश पहुंचा सकते है| हमारी रचनाओं में मूल्य और संदेश होता है|संदेश लेखनप्रिय छात्रों , आप सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि अगले महीने विद्यालय की वार्षिक पत्रिका\'अभिनव भारती लिखी जा रही है| सभी छात्रों से अनुरोध है कि स्व-रचित लेख, कविताएँ एवं कहानियाँ आदि लिखने के लिए इच्छुक छात्र अपना नाम अपनी मुख्य अध्यापक को लिखवा दें | आप सभी छात्र आमंत्रित है| आज्ञा से,प्रधानाचार्य,गोल्डन पब्लिक स्कूल, छतरपुर, दिल्ली\xa0|\xa0संदेश लेखनD.A.V पब्लिक स्कूल शिमला,प्रिय छात्रों,यह सूचना आपको सूचित करने के लिए है|हमारा स्कूल सभी छात्रों के लिए इस शुक्रवार, 3 मई सोमवार को पिकनीक पर ले जाया जा रहा है | पिकनीक का स्थान है धर्मशाला है| यह पिकनिक 4 दिन के लिए है| दिनांक- 3 मई सोमवार 2019, फीस-2000 इच्छुक छात्र इसकी अधिक जानकारी के लिए ऑफिस में आ कर पता कर सकते है|आप अपने नाम कक्षा के शिक्षक को बता सकते है | प्रधान अध्यापक,D.A.V पब्लिक स्कूल शिमला| | |
| 1083. |
What is the pattern of vigyapan?? |
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Answer» विज्ञापन लेखन करते समय –\tएक बाक्स-सा बनाकर ऊपर मध्य में विज्ञापित वस्तु का नाम मोटे अक्षरों में लिखना चाहिए।\tदाएँ एवं बाएँ किनारों पर सेल धमाका, खुशखबरी, खुल गया जैसे लुभावने शब्दों को लिखना चाहिए।\tबाईं ओर मध्य में विज्ञापित वस्तु के गुणों का उल्लेख करना चाहिए।\tदाहिनी ओर या मध्य में वस्तु का बड़ा-सा चित्र देना चाहिए।\tस्टॉक सीमित या जल्दी करें जैसे प्रेरक शब्दों का प्रयोग किसी डिजाइन में होना चाहिए।\tमुफ़्त मिलने वाले सामानों या छूट का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए।\tऊपर ही जगह देखकर कोई छोटी-सी तुकबंदी, जिससे पढ़ने वाला आकर्षित हो जाए।\tसंपर्क करें/फ़ोन नं. का उल्लेख करें, जैसे- 011-23456789 आदि। अपना या सही फोन नं. देने से बचना चाहिए।विज्ञापन लेखन के लिए छात्र यह उदाहरण देखें –‘रक्षक’ हेलमेट बनाने वाली-कंपनी’ की बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन तैयार करना – I dont know |
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| 1084. |
How to write संदेश?? |
| Answer» संदेश लेखन के उदाहरण.संदेश लेखन का अर्थ है कि ,, सूचना के आधार पर किसी को भी संदेश पहुंचा सकते है| हमारी रचनाओं में मूल्य और संदेश होता है|संदेश लेखनप्रिय छात्रों , आप सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि अगले महीने विद्यालय की वार्षिक पत्रिका\'अभिनव भारती लिखी जा रही है| सभी छात्रों से अनुरोध है कि स्व-रचित लेख, कविताएँ एवं कहानियाँ आदि लिखने के लिए इच्छुक छात्र अपना नाम अपनी मुख्य अध्यापक को लिखवा दें | आप सभी छात्र आमंत्रित है| आज्ञा से,प्रधानाचार्य,गोल्डन पब्लिक स्कूल, छतरपुर, दिल्ली\xa0|\xa0संदेश लेखनD.A.V पब्लिक स्कूल शिमला,प्रिय छात्रों,यह सूचना आपको सूचित करने के लिए है|हमारा स्कूल सभी छात्रों के लिए इस शुक्रवार, 3 मई सोमवार को पिकनीक पर ले जाया जा रहा है | पिकनीक का स्थान है धर्मशाला है| यह पिकनिक 4 दिन के लिए है| दिनांक- 3 मई सोमवार 2019, फीस-2000 इच्छुक छात्र इसकी अधिक जानकारी के लिए ऑफिस में आ कर पता कर सकते है|आप अपने नाम कक्षा के शिक्षक को बता सकते है | प्रधान अध्यापक,D.A.V पब्लिक स्कूल शिमला| | |
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रौद्र रस का स्थाई भाव? |
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Answer» गुस्सा Krodh रौद का स्थाई भाव ---- क्रोध स्थायी भाव का मतलब है प्रधान भाव। प्रधान भाव वही हो सकता है जो रस की अवस्था तक पहुँचता है। साहित्य में वे मूल तत्व जो मूलतः मनुष्यों के मन में प्रायः सदा निहित रहते और कुछ विशिष्ट अवसरों पर अथवा कुछ विशिष्ट कारणों से स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं। काव्य या नाटक में एक स्थायी भाव शुरू से आख़िरी तक होता है। स्थायी भावों की संख्या 9 मानी गई है।\tरौद्रस्थाई भाव: क्रोध\t |
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| 1086. |
Nawab sahab ka kaisa bhav parivartan |
| Answer» लेखक जब सेंकड क्लास के डिब्बे में चढ़े, तो उन्होंने एक बर्थ पर नवाबी अंदाज़ में एक सफेदपोश सज्जन को पालथी मारे बैठे देखा। उनके आगे दो चिकने खीरे रखे हुए थे। लेखक का सहसा डिब्बे में प्रवेश कर जाना नवाब साहब को अच्छा नहीं लगी। उन्होंने लेखक के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। लेखक ने भी उनका परिचय प्राप्त करने का प्रयास नहीं किया। क्योंकि उन्हें यह लगा कि नवाब साहब शायद अकेले ही सफर करना चाहते थे और न ही यह चाहते थे कि कोई उन्हें सेंकड क्लास में सफर करते देखे। ऐसी स्थिति में उन्हें खीरा खाने में भी संकोच का अनुभव हो रहा होगा। अचानक नवाब साहब ने लेखक को खीरे का शौक फरमाने को कहा। लेखक को नवाब साहब का यह सहसा भाव परिवर्तन अच्छा नहीं लगा क्योंकि वे शायद अपना नवाबी सभ्य व्यवहार दर्शाना चाहते थे। जबकि वास्तविकता में उनका यह व्यवहार नवाबी संस्कृति का दिखावटीपन ओढ़े हुए था। | |
| 1087. |
Rachna ke aadhar par vakya ke bhed |
| Answer» 3 sarl sanyukt or misr | |
| 1088. |
बाल्गोबिं भक्त किन किन बातों के विरोध करते थे |
| Answer» बालगोबिन भगत\xa0कबीर पर अगाध श्रद्धा रखते\xa0थे\xa0क्योंकि कबीर ने सामाजिक कुप्रथाओं का\xa0विरोध\xa0कर समाज को एक नई दृष्टि प्रदान की, उन्होंने मूर्तिपूजा का खंडन किया तथा समाज में व्याप्त ऊँच-नीच के भेद-भाव का\xa0विरोध\xa0कर समाज को एक नई दिशा की ओर अग्रसर किया। | |
| 1089. |
अज सुहानी धुप खिली है Vachya ka bhed bataiye |
| Answer» Kratvachya | |
| 1090. |
टोपी की भािात्मक परेशानियों को मद्देिज़र रखते ुए लशक्षा व्यिस्था में आिश्यकबदलाि सझु ाइए। |
| Answer» बच्चे फ़ेल होने पर भावनात्मक रूप से आहत होते हैं और मानसिक रूप से परेशान रहने लगते हैं।उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। वे शर्म महसूस करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी के पुस्तकीय ज्ञान को ही न परखा जाए बल्कि उसके अनुभव व अन्य कार्य कुशलता को भी देखकर उसे प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव किया जाना चाहिए। | |
| 1091. |
Maine premchand ka uppnasyas karbhumi pada bachya ka bhed batye |
| Answer» | |
| 1092. |
Write an essay on \'Swavlambi Swabhimani desh bnaye\' in hindi ..Word limit is 600 words |
| Answer» | |
| 1093. |
10 class |
| Answer» Xth class | |
| 1094. |
Surdas ke pada |
| Answer» | |
| 1095. |
Ve Aaye The Kintu unhone Kuchh Nahin Kaha kaun sa Vakya hai |
| Answer» | |
| 1096. |
साना-साना हाथ जोड़ी का संछिप्त में वरणन कीजिये?? प्लीज जल्दी!? |
| Answer» यह पाठ मधु कांकरिया द्वारा लिखा एक यात्रा वृत्तांत है जिसमें लेखिका ने सिक्किम की राजधानी गैंगटॉक और उसके आगे हिमालय की यात्रा का\xa0वर्णन किया है जो शहरों की भागमभाग भरी ज़िं दगी से दूर है| लेखिका गैंगटॉक को मेहनती बादशाहों का शहर बताती हैं\xa0क्योंकि वहाँ के सभी लोग बड़े ही मेहनती हैं। वहाँ\xa0तारों से भरे आसमान में लेखिका को\xa0सम्मोहन महसूस होता है जिसमें\xa0वह खो जाती हैं। वह नेपाली युवती द्वारा बताई गई प्रार्थना\xa0‘मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो’ को गाती हैं|अगले दिन मौसम साफ न होने के कारण लेखिका कंचनजंघा की चोटी तो नहीं देख सकी, परंतु ढेरों खिले फूल देखकर खुश हो जाती हैं। वह उसी दिन गैंगटाॅक से 149 किलोमीटर दूर यूमथांग देखने अपनी सहयात्री मणि और गाइड जितेन नार्गे के साथ रवाना होती हैं। गंगटोक से यूमथांग\xa0को निकलते ही लेखिका को एक कतार में लगी सफेद-सफेद बौद्ध पताकाएँ दिखाई देती हैं\xa0जो ध्वज की तरह फहरा रही थीं। ये शान्ति और अहिंसा की प्रतीक थीं और\xa0उन पताकाओं पर मंत्र लिखे हुए थे। लेखिका के गाइड ने उन्हें बताया कि जब किसी बौद्ध मतावलम्बी की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। इन्हें उतारा नहीं जाता है, ये खुद नष्ट हो जाती हैं। कई बार नए शुभ कार्य की शुरुआत में भी रंगीन पताकाएँ फहरा दी जाती हैं।\xa0जितेन ने बताया कि कवी-लोंग स्टॉक नामक स्थान पर \'गाइड\' फ़िल्म की शूटिंग हुई थी।\xa0आगे चलकर मधु जी को एक कुटिया के भीतर घूमता हुआ चक्र दिखाई दिया जिसे धर्म चक्र या प्रेयर व्हील कहा जाता है। नार्गे ने बताया कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। जैसे-जैसे वे लोग ऊँचाई की ओर बढ़ने लगे, वैसे-वैसे बाजार, लोग और बस्तियाँ आँखों से ओझल होने लगी। घाटियों में देखने पर सबकुछ धुंधला दिखाई दे रहा था। उन्हें हिमालय\xa0पल-पल परिवर्तित होते महसूस होता है| वह विशाल लगने लगता है|\'सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल\' पर जीप रुकती है। सभी लोग वहाँ की सुंदरता को कैमरे में कैद करने लग जाते हैं| झरने का पानी में लेखिका को ऐसा लग रहा था जैसे वह उनके\xa0अंदर की सारी बुराईयाँ और दुष्टता को भाकर ले जा रहा हो|\xa0रास्ते में प्राकृतिक दृश्य पलपल अपना रंग ऐसे\xa0बदल रहे थे जैसे कोई जादू की छड़ी घुमाकर सबकुछ बदल रहा था।\xa0थोड़ी देर के लिए जीप \'थिंक ग्रीन\' लिखे शब्दों के पास\xa0रुकी। वहाँ सभी\xa0कुछ एक साथ सामने था। लगातार बहते झरने थे, नीचे पूरे वेग से बह रही तिस्ता नदी थी, सामने धुंध थी, ऊपर आसमान में बादल थे और धीरेधीरे हवा चल रही थी, जो आस-पास के वातावरण में खिले फूलों की हँसी चारों ओर बिखेर रही थी।\xa0कुछ औरतों की पीठ पर बँधी टोकरियों में बच्चे थे। इतने सुंदर वातावरण में भूख, गरीबी और मौत के निर्मम दृश्य ने लेखिका को सहमा दिया। एक कर्मचारी ने बताया कि ये पहाडिनें पहाड़ी रास्ते को चौड़ा बना रही हैं। कई बार काम करते समय किसी-न-किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है क्योंकि जब पहाड़ों को डायनामाइट से उड़ाया जाता है तो उनके टुकड़े इधर-उधर गिरते हैं। यदि उस समय सावधानी न बरती जाए, तो जानलेवा हादसा घट जाता है।\xa0लेखिका को लगता है कि सभी जगह आम जीवन की कहानी एक-सी है।आगे चलने पर रास्ते में बहुत सारे पहाड़ी स्कूली बच्चे मिलते हैं। जितेन बताता है कि ये बच्चे तीन-साढ़े तीन किलोमीटर की पहाड़ी चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाते हैं। ये बच्चे स्कूल से लौटकर अपनी माँ के साथ काम करते हैं। यहाँ का जीवन बहुत कठोर है। जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती जा रही थी, वैसे-वैसे खतरे भी बढ़ते जा रहे थे। रास्ता तंग होता जा रहा था। सरकार की \'गाड़ी धीरे चलाएँ\' की चेतावनियों के बोर्ड लगे थे। शाम के समय जीप चाय बागानों में से गुजर रही थी। बागानों में कुछ युवतियाँ सिक्किमी परिधान पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ रही थीं। चारों ओर इंद्रधनुषी रंग छटा बिखेर रहे थे। यूमथांग पहुंचने से पहले वे लोग लायुंग रुके। लायुंग\xa0में लकड़ी से बने छोटे-छोटे घर थे। लेखिका सफ़र की थकान उतारने के लिए तिस्ता नदी के किनारे फैले पत्थरों पर बैठ गई। रात होने पर जितेन के साथ अन्य साथियों ने नाच-गाना शुरू कर दिया था। लेखिका की सहयात्री मणि ने बहुत सुंदर नृत्य किया। लायुंग में अधिकतर लोगों की जीविका का साधन पहाड़ी आलू, धान की खेती और शराब था। लेखिका को वहाँ बर्फ़ देखने की इच्छा थी परंतु वहाँ बर्फ कहीं\xa0भी नहीं थी|\xa0एक स्थानीय युवक के अनुसार प्रदूषण के कारण यहाँ स्नोफॉल कम हो गया था। \'कटाओ\' में बर्फ़ देखने को मिल सकती है। कटाओ\' को भारत का स्विट्जरलैंड कहा जाता है। मणि जिसने स्विट्ज़रलैंड घुमा था ने कहा\xa0कि यह स्विट्जरलैंड से भी सुंदर है।\xa0कटाओ को अभी तक टूरिस्ट स्पॉट नहीं बनाया गया था, इसलिए यह अब तक अपने प्राकृतिक स्वरूप में था। लायुंग\xa0से कटाओ का सफ़र दो घंटे का था। कटाओ का रास्ता खतरनाक था। जितेन अंदाज से गाड़ी चला रहा था। चारों ओर बर्फ से भरे पहाड़ थे। कटाओ पहुँचने पर हल्की -हल्की बर्फ पड़ने लगी थी। सभी सहयात्री वहाँ के वातावरण में फोटो खिंचवा रहे थे। लेखिका वहाँ के वातावरण को अपनी साँसों में समा लेना चाहती थी। उसे लग रहा था कि यहाँ के वातावरण ने ही ऋषियोंमुनियों को वेदों की रचना करने की प्रेरणा दी होगी। ऐसे असीम सौंदर्य को यदि कोई अपराधी भी देख ले, तो वह भी आध्यात्मिक हो जाएगा। मणि के मन में भी दार्शनिकता उभरने लगी थी। वे कहती हैं कि -\xa0प्रकृति अपने ढंग से सर्दियों में हमारे लिए पानी इकट्ठा करती है और गर्मियों में ये बर्फ शिलाएँ पिघलकर जलधारा बनकर हम लोगों की प्यास को शांत करती हैं। प्रकृति का यह जल संचय अद्भुत है।\xa0इस प्रकार नदियों और हिमशिखरों का हम पर ऋण है।\xa0थोड़ा आगे जाने पर फ़ौजी छावनियाँ दिखाई दी चूँकि\xa0यह बॉर्डर एरिया था और\xa0थोड़ी ही दूर पर चीन की सीमा थी। लेखिका फ़ौजियों को देखकर उदास हो गई। वैशाख के महीने में भी वहाँ बहुत ठंड थी। वे लोग पौष और माघ की ठंड में किस तरह रहते होंगे? वहाँ जाने का रास्ता भी बहुत खतरनाक था। कटाओं से यूमथांग की ओर जाते हुए प्रियुता और रूडोडेंड्रो ने फूलों की घाटी को भी देखा। यूमथांग कटाओ जैसा सुंदर नहीं था। जितेन ने रास्ते में बताया कि यहाँ पर बंदर का माँस भी खाया जाता है। बंदर का माँस खाने से कैंसर नहीं होता। यूमथांग वापस आकर उन लोगों को वहाँ सब फीका-फीका लग रहा था। पहले सिक्किम स्वतंत्र राज्य था। अब वह भारत का एक हिस्सा बन गया है। इससे\xa0वहाँ के लोग बहुत खुश हैं।\xa0\xa0मणि ने बताया कि पहाड़ी कुत्ते केवल चाँदनी रातों में भौंकते हैं। यह सुनकर लेखिका हैरान रह गई। उसे लगा कि पहाड़ी कुत्तों पर भी ज्वारभाटे की तरह पूर्णिमा की चाँदनी का प्रभाव पड़ता है। गुरुनानक के पदचिह्नों वाला एक ऐसा पत्थर दिखाया, जहाँ कभी उनकी थाली से चावल छिटककर बाहर गिर गए थे। खेदुम नाम का एक किलोमीटर का ऐसा क्षेत्र भी दिखाया, जहाँ देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। नार्गे ने पहाड़ियों के पहाड़ों, नदियों, झरनों और वादियों के प्रति पूज्य भाव की भी जानकारी दी। भारतीय आर्मी के\xa0कप्तान शेखर दत्ता के सुझाव पर गैंगटाॅक के पर्यटक स्थल बनने और नए रास्तों के साथ नए स्थानों को खोजने के प्रयासों के बारे में भी बताया| | |
| 1097. |
Parimal ka sanchipt me varran keejie |
| Answer» परिमल एक कविता संग्रह है । इसकी रचना सूर्यकांत त्रिपाठी \' निराला \' ने की है इसको पहली बार सन् 1929 में प्रकाशित किया गया था। | |
| 1098. |
Maa ne apni beti ko chare prr na rijne ki shla kuu di h |
| Answer» Prayah Sundar Stri Apnni sundarta ki prashansa sun kar prasann Ho uthti Hai FIR prashansa ke bandhan Mein Bandhi Rahkar ladki Bankar hi Rahana padta hai ise Apna sarvaswa man Ghar Ki Char Diwari Mein Avadh rahti hai | |
| 1099. |
पद परिचय कैसे करे |
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Answer» जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।जैसे -राजेश ने रमेश को पुस्तक दी।राजेश\xa0= संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’के साथ।रमेश\xa0= संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।पुस्तक\xa0= संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक।\xa0 पद परिचय को कैसे समझे |
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| 1100. |
Ras meaning in hindi |
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Answer» Aanand Ki anubutti Juice,extract |
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