

InterviewSolution
Saved Bookmarks
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
201. |
Sarad raat me chand ke na khilne par kavi [girija kumar mathur] dukhi kyu hai ? |
Answer» | |
202. |
रामायण एवं महाभारत धारावाहिक की चर्चा करते हुए टीवी चैनल के निर्देशक को पत्र लिखकर सराहना कीजिए |
Answer» | |
203. |
Koi bata raha hai ya nahi ki Hindi A me ab sirf 4 kavye or 4 gadaye raha gaye hai na. Yes or no. |
Answer» Yes Yes Sahi hai na Yes I think so |
|
204. |
Chashmewala neta ji se shma kyo mangata tha |
Answer» Kyuki woh baar baar chashma badalta tha Oye question nhi samagh aa rahaa |
|
205. |
Plastic ki duniya SA(eassy |
Answer» प्लास्टिक एक एसा pradarth है जो कि आज कल सभी के दुआरा इस्तमाल किया जा रहा है. खाने से लेकर pehenne वाली सभी चीजें प्लास्टिक में आती है. प्लास्टिक का इस्तेमाल आज कल के समय में बहुत बढ़ गया है. प्लास्टिक की दुनिया से मतलब है कि आज जहा देखो वहां प्लास्टिक najar आता है. Age tum continue karlo are Yaar बहुत easy topic h | |
206. |
Plastic ki dunyia |
Answer» प्लास्टिक एक एसा pradarth है जो कि आज कल सभी के दुआरा इस्तमाल किया जा रहा है.खाने से लेकर pehenne वाली सभी चीजें प्लास्टिक में आती है.प्लास्टिक का इस्तेमाल आज कल के समय में बहुत बढ़ गया है. प्लास्टिक की दुनिया से मतलब है कि आज जहा देखो वहां प्लास्टिक najar आता है.Age tum continue karlo are Yaar बहुत easy topic h | |
207. |
Ab shitij hindi me sirf 8 chapter hai na. It is right or wrong. |
Answer» Yes Hi |
|
208. |
नेताजी की मूर्ति के नीचे मूर्तिकार का नाम लिखा था -\xa0* |
Answer» Ji netaji ki murti ke neeche murtikr ka naam likha tha.. Uuuuuumaaaaaaa Q u e s t i o n :\xa0नेताजी की मूर्ति के नीचे मूर्तिकार का नाम लिखा था ?A n s w e r :मूर्ति के नीचे लिखा \'मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल\' वाकई कस्बे का अध्यापक था । |
|
209. |
Meaning of adhyatm? |
Answer» आत्मा संबंधी या आत्मा परमात्मा के संबंध में चिन्तन-मनन। | |
210. |
Phaltu app hai ye koi answer he nahi deta |
Answer» Thank you sisters Surdas ke pad अब तो उनके विरह सहने का सहारा भी उनसे छिन गया अर्थात अब श्री कृष्ण वापस लौटकर नहीं आने वाले हैं और इसी कारण अब उनकी प्रेम-भावना कभी संतुष्ट होने वाली नहीं है। उन्हें कृष्ण के रूप-सौंदर्य को दोबारा निहारने का मौका अब नहीं मिलेगा। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब वह हमेशा के लिए कृष्ण से बिछड़ चुकी हैं और किसी कारणवश गोपियों के अंदर जो धैर्य बसा हुआ था, अब वह टूट चुका है। इसी वजह से गोपियाँ वियोग में कह रही हैं कि श्री कृष्ण ने सारी लोक-मर्यादा का उल्लंघन किया है, उन्होंने हमें धोखा दिया है।(3)हमारैं हरि हारिल की लकरी।मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।सु तौ ब्याधि हमकौ लै आए, देखी सुनी न करी।यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।सूरदास के पद का भावार्थ :- सूरदास जी के इन पदों में गोपियां उद्धव से यह कह रही हैं कि हमारे हृदय में श्री कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम है, जो कि किसी योग-संदेश द्वारा कम होने वाला नहीं है। बल्कि इससे उनका प्रेम और भी दृढ़ हो जाएगा। गोपियाँ उद्धव से कह रही हैं कि जिस तरह हारिल (एक प्रकार का पक्षी) अपने पंजों में लकड़ी को बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़े रहता है, उसे कहीं भी गिरने नहीं देता, उसी प्रकार हमने हरि (भगवान श्री कृष्ण) को अपने ह्रदय के प्रेम-रूपी पंजों से बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़ा हुआ है। हमारे मन में दिन-रात केवल हरि ही बसते हैं।यहाँ तक कि हम सपने में भी हरि का नाम रटते रहते हैं और इसी वजह से हमें तुम्हारा यह योग संदेश किसी कड़वी ककड़ी की तरह लग रहा है। हमारे ऊपर तुम्हारे इस संदेश का कुछ असर होने वाला नहीं है। इसलिए हमें इस योग संदेश की कोई आवश्यकता नहीं है। फिर आगे गोपियाँ कहती हैं कि तुम यह संदेश उन्हें सुनाओ, जिनका मन पूरी तरह से कृष्ण की भक्ति में डूबा नहीं और शायद वे यह संदेश सुनकर विचलित हो जाएँ। पर हमारे ऊपर तुम्हारे इस संदेश का कोई असर नहीं पड़ने वाला है।(4)हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए।ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।सूरदास के पद का भावार्थ :- प्रस्तुत पद में सूरदास जी ने हमें यह बताने का प्रयास किया है कि किस प्रकार गोपियाँ श्री कृष्ण के वियोग में खुद को दिलासा दे रही हैं। सूरदास गोपियों के माध्यम से कह रहे हैं कि श्री कृष्ण ने राजनीति का पाठ पढ़ लिया है। जो कि मधुकर (उद्धव) के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश भी भेज देते हैं। ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी।प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।सूरदास के पद का भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में गोपियाँ उद्धव (श्री कृष्ण के सखा) से व्यंग करते हुए कह रही हैं कि तुम बड़े भाग्यवान हो, जो तुम अभी तक कृष्ण के प्रेम के चक्कर में नहीं पड़े। गोपियों के अनुसार उद्धव उस कमल के पत्ते के सामान हैं, जो हमेशा जल में रहकर भी उसमें डूबता नहीं है और न ही उसके दाग-धब्बों को खुद पर आने देता है। गोपियों ने फिर उद्धव की तुलना किसी तेल के मटके से की है, जो निरंतर जल में रहकर भी उस जल से खुद को अलग रखता है।यही कारण है कि गोपियाँ उद्धव को भाग्यशाली समझती हैं, जबकि वे खुद को अभागिन अबला नारी समझती हैं, क्योंकि वह बुरी तरह कृष्ण के प्रेम में पड़ चुकी हैं। उनके अनुसार श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उद्धव ने कृष्ण के प्रेम-रूपी दरिया में कभी पाँव नहीं रखा और न ही कभी उनके रूप-सौंदर्य का दर्शन किया। जबकि गोपियाँ कृष्ण के प्रेम में इस तरह पड़ चुकी हैं, मानो जैसे गुड़ में चींटियाँ लिपटी हों।(2)मन की मन ही माँझ रही।कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।सूरदास के पद का भावार्थ :- गोपियाँ उद्धव से अपनी पीड़ा बताते हुए कह रही हैं कि श्री कृष्ण के गोकुल छोड़ कर चले जाने के उपरांत, उनके मन में स्थित कृष्ण के प्रति प्रेम-भावना मन में ही रह गई है। वे सिर्फ़ इसी आशा से अपने तन-मन की पीड़ा को सह रही थीं कि जब कृष्ण वापस लौटेंगे, तो वे अपने प्रेम को कृष्ण के समक्ष व्यक्त करेंगी और कृष्ण के प्रेम की भागीदार बनेंगी। परन्तु जब उन्हें कृष्ण का योग-संदेश मिला, जिसमे उन्हें पता चला कि वे अब लौटकर नहीं आएंगे, तो इस संदेश को सुनकर गोपियाँ टूट-सी गईं और उनकी विरह की व्यथा और बढ़ गई। Question to pucho |
|
211. |
Hindi ka surdas ke pad ka arth |
Answer» Prnali A P sister plz tell Plz help me Mail gaon me fash gai hun lockdown ki kard Book nahi hai na Use help book |
|
212. |
Sarad raat me chand ke na khilne par kavi dukhi kyu hai-chaya mat chuna kavita |
Answer» | |
213. |
Vah likh nahin Sakta ko kam Vash mein badle |
Answer» https://youtu.be/1xKSSckSA0Q | |
214. |
Gopiyon ne Yog Ki Shiksha ko kiss kiss ke Saman bataya yah hai |
Answer» गोपियों ने योग की शिक्षा को कड़वी ककड़ी के समान बताया है। गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि तुम्हारे द्वारा दिया जाने वाला योग का संदेश हमें कड़वी ककड़ी के समान अप्रिय है।(I hope this answer is can help you)? | |
215. |
भगत उम्र के कितने साल पूरे कर चुके थे ? |
Answer» https://youtu.be/1xKSSckSA0Q 60 years Sixty Sixtt |
|
216. |
When we get the revised sample paper of Hindi??Thanks |
Answer» https://youtu.be/1xKSSckSA0Q | |
217. |
Nicollete Shea kon h? |
Answer» https://youtu.be/1xKSSckSA0Q | |
218. |
Jin padbandh ke naam likhiye Pyaasa ka mara kauwa gadhe per baith Gaya |
Answer» | |
219. |
हिंदी कक्षा 10th पाठ बड़े भैया साहब बड़े भैया साहब का स्वभाव का परिचय दीजिए |
Answer» Be a member of cbse homework help group by sending your whatsapp no. | |
220. |
Neta ji ki murti kha se kha tak bani thi |
Answer» Be a member of cbse homework group by sending your whatsapp no | |
221. |
Flow chart of vachya bhed |
Answer» Be a member of cbse homework group by sending your whatsapp no. I think you\'re a beautiful and genius girl .lf yes be my friend in whatsapp. By sending your number. |
|
222. |
Nath sabd dwara kn kisse sambodhit kr rha h |
Answer» Don\'t know | |
223. |
Aatmakathya ka bhavath |
Answer» आत्मकथा कविता का भावार्थ :- कवि के अनुसार, यह नीला आकाश जो कि अनंत तक फैला हुआ है, उसमें असंख्य लोगों ने अपने जीवन का इतिहास लिखा है। जिसे पढ़कर कवि को ऐसा प्रतीत हो रहा है, मानो उन्होंने स्वयं की आत्मकथा लिखकर खुद का मज़ाक उड़ाया है और लोग इन्हें पढ़ कर उन पर हँस रहे हैं। तब भी कहते हो कह-डालूँ दुर्बलता अपनी बीती। | |
224. |
गोपियों को उद्धव से क्या शिकायत ह? |
Answer» | |
225. |
उद्धव को कृष्ण जी ने गोपियों के पास के क्यों भेजा था |
Answer» श्रीकृष्ण जब ब्रज छोड़कर मथुरा आ गए तो वहाँ गोपियाँ उनके वियोग में बहुत व्याकुल हो गयीं। इसलिए कृष्ण ने अपने सखा उद्धव को गोपियों के पास उन्हें योग संदेश ले जाने के लिए ब्रज भेजा।उद्धव गोपियों के पास जिस उद्देश्य से आए थे उस उद्देश्य में वह बिल्कुल भी सफल नहीं हो पाए , उद्धव उनके पास अपने मन पर नियंत्रण रखने की सलाह लेकर पहुँचे हैं। लेकिन गोपियों ने वे कहती हैं कि उद्धव अपने उपदेश उन्हें दें जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है।( I hope this will help you) | |
226. |
गोपियों की तुलना उधव ने किससे की |
Answer» \xa0गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है –(1) गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात् जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। श्री कृष्ण का सानिध्य पाकर भी वह श्री कृष्ण के प्रभाव से मुक्त हैं।(2) वह जल के मध्य रखे तेल के गागर (मटके) की भाँति हैं, जिस पर जल की एक बूँद भी टिक नहीं पाती। उद्धव पर श्री कृष्ण का प्रेम अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाया है, जो ज्ञानियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। | |
227. |
उद्धव ने गोपियों को क्या संदेश दिया |
Answer» उद्धव ने गोपियों को योग के संदेश diya\xa0गोपियों को श्रीकृष्ण के वियोग की अग्नि सदा जलाती रहती थी। वे हर समय उन्हें याद करती थीं; तड़पती थीं पर फिर भी उनके मन में एक आशा थी। उन्हें पूरी तरह से यह उम्मीद थी कि श्रीकृष्ण जब मथुरा से वापिस ब्रज क्षेत्र में आएंगे तब उन्हें उनका खोया हुआ प्रेम वापिस मिल जाएगा। वे अपने हृदय की पीड़ा उनके सामने प्रकट कर सकेंगी पर जब श्रीकृष्ण की जगह उद्धव उनकी योग-साधना का संदेश लेकर गोपियों के पास आ पहुँचा तो गोपियों की सहनशक्ति जवाब दे गई। उन्होंने श्रीकृष्ण के द्वारा भेजे जाने वाले ऐसे योग संदेश की कभी कल्पना भी नहीं की थी। इससे उन का विशवास टूट गया था। विरह-अग्नि में जलता हुआ उनका हृदय योग के वचनों से दहक उठा था। योग के संदेशों ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम किया था। इसीलिए उन्होंने उद्धव को सामने और श्रीकृष्ण की पीठ पर मनचाही जली-कटी सुनाई थी। Yog karne ka |
|
228. |
udhva na gopiyo ko kaya sandas diya . |
Answer» Not able to understand | |
229. |
Saral arth kyu nhi aa rhe hai isme... |
Answer» What are u asking Kya |
|
230. |
Syllabus of Hindi- A class 10 ( 2020-21) |
Answer» https://www.indiatoday.in/education-today/news/story/cbse-syllabus-reduced-by-30-check-deleted-syllabus-of-cbse-class-10-1698076-2020-07-07 Check on google |
|
231. |
Rachna aur abhivyakti se board exam me prasn aayenge ya nahi? |
Answer» Yes I think so aayega .... Shayd ha |
|
232. |
Can you have pdf of hindi grammer book of class 10 |
Answer» Yes u can Have Download from Google No...... No |
|
233. |
भोलेनाथ पूजा पाठ में पिताजी के साथ क्या करते थे क्या करा करते थे |
Answer» | |
234. |
Netaji ka chashma short summary |
Answer» Pa Desh bhakti kise kaha jata hai Nice story नेताजी का चश्मा\xa0एक कंपनी में\xa0कार्यरत एक साहब अक्सर अपनी कंपनी के काम से बाहर जाते थे | हालदार साहब एक कस्बे से होकर गुजरते थे |\xa0वह क़स्बा बहुत ही छोटा था| कहने भर के लिए बाज़ार और पक्के मकान थे| लड़कों और लड़कियों का अलग अलग स्कूल था |\xa0मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति थी | मूर्ति कामचलाऊ थी पर कोशिश सराहनीय थी |\xa0संगमरमर की मूर्ति थी पर उसपर चश्मा असली था |\xa0चौकोर और चौड़ा सा काला रंग का चश्मा |\xa0फिर एक बार गुजरते हुए देखा तो पतले तार का गोल चश्मा था |\xa0जब भी हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते तो मुख्य चौराहे पर रूककर पान जरुर खाते और नेताजी की मूर्ति पर बदलते चश्मे को देखते |\xa0एक बार पानवाले से पूछा की ऐसा क्यों होता है तो पानवाले ने बताया की ऐसा कैप्टेन चश्मे वाला करता है |\xa0जब भी कोई ग्राहक आटा और उसे वही चश्मा चाहिए तो वो मूर्ति से निकलकर बेच देता और उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता |\xa0पानवाले ने बताया की जुगाड़ पर कस्बे के मास्टर साहब से बनवाया वह मूर्ति, मास्टर साहब चश्मा बनाना भूल गए थे |\xa0और पूछने पर पता चला की चश्मे वाले का कोई दूकान नहीं था बल्कि वो बस एक मरियल सा बूढा था जो बांस पर चश्मे की फेरी लगाता था | जिस मजाक से पानवाले ने उसके बारे में बताया हालदार साहब को अच्छा न लगा और उन्होंने फैसला किया\xa0दो साल तक साहब वहां से गुजरते रहे और नेताजी के बदलते चश्मे को देखते रहे | कभी काला कभी लाल, कभी गोल कभी चौकोर, कभी धूप वाला कभी कांच वाला | एक बार हालदार साहब ने देखा की नेताजी की मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं है | पान वाले ने उदास होकर नम आँखों से बताया की कैप्टन मर गया |\xa0वो पहले ही समझ चुके थे की वह चश्मे वाला एक फ़ौजी था और नेताजी को उनके चश्मे के बगैर देख कर आहत हो जाता होगा | अपने जी चश्मों में से एक चश्मा उन्हें पहना देता और जब भी कोई ग्राहक उसकी मांग करते तो उन्हें वह नेताजी से माफ़ी मांग कर ले जाता और उसकी जगह दूसरा सबसे बढ़िया चश्मा उन्हें पहना जाता होगा | और उन्हें याद आया की पानवाले से हस्ते हुए उसे लंगड़ा पागल बताया था | उसके मरने की बात उनके दिल पर चोट कर गयी और उन्होंने फिर कभी वहां से गुजरते वक़्त न रुकने का फैसला किया | पर हर बार नज़र नेताजी की मूर्ति पर जरुर पड़ जाती थी |\xa0एक बार वो यह देख कर दंग रह गये की नेताजी की मूर्ति पर चश्मा चढ़ा है | जाकर ध्यान से देखा तो बच्चो द्वारा बनाया एक चश्मा उनकी आँखों पर चढ़ा था | इस कहानी से यह बताने की कोशिश की गयी है की हम देश के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों की कोई इज्जत नहीं करते| उनके भावनाओं की खिल्ली उड़ा देते और न ही हमारे स्वतंत्रता के लिए जान लगाने वाले महान लोगों की इज्ज़त करते हैं | पर बच्चों ने कैप्टन की भावनाओं को समझा और नेताजी की आँखों को सुना न होने दिया | |
|
235. |
Difficult words |
Answer» | |
236. |
पदबंध क्या होता है |
Answer» पदबंध-\xa0जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।दूसरे शब्दों में-\xa0कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, \'पदबंध\' कहते है।डॉ० हरदेव बाहरी ने \'पदबन्ध\' की परिभाषा इस प्रकार दी है- वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते- पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं।जैसे-(1)\xa0सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र\xa0जीत गया।(2) यह लड़की\xa0अत्यंत सुशील और परिश्रमी\xa0है।(3) नदी\xa0बहती चली जा रही है।(4) नदी\xa0कल-कल करती हुई\xa0बह रही थी। | |
237. |
Anurag ka kya arth h |
Answer» Affection | |
238. |
bade bhai sab ka question and answers |
Answer» | |
239. |
कक्षा नवमीं में पाठ्यक्रम अ के अंतर्गत निबंध लेखन प्रकरण है अथवा नहीं ? |
Answer» Thank you नहीं निबंध के स्थान पर अनुच्छेद है। |
|
240. |
सभा ने किस बात को अनुचित कहा और क्यों ? class 10 hindi chapter 2 |
Answer» Sabha ne lakshman ke baat ko unuchit kaha kyunki unke bol parshuram ko adhik krodhit kar rahe the .... Q ki wo |
|
241. |
Netaji ka chasma path ke aadhar par panwale ke charitr ki vishesta bataye ? |
Answer» Panwala dukan per bathkar pan bachne ke alava unse kuch na kuch bate karta rhta tha vh kala mota khushmizaz tha uski tond bhar nikli hui thi uski batisi lal kali thi Jb vh hasta tha to uski tond thirkne lgti thi etc. Panwala kaala mota kushmizaz ka aadmi tha , uske sir pe geene chunne baal the |
|
242. |
Mata ka anchal path ke adar pr balmanovigyan pr tippadi likhiye |
Answer» | |
243. |
तुलसीदास और सूरदास में क्या अंतर है |
Answer» Tulsidas or surdas me antar bataye Ye dono me antr ye h ki ye dono alag alag insan the |
|
244. |
नेता जी सुभाष चांद्र व्यक्तित्वऔर कृतित्व पर एक essay |
Answer» | |
245. |
Beena Kashyap Ke Kahani likhna Sambhav leni hai part 12 lakhnavi Andaaz |
Answer» नहीं | |
246. |
गद्यांश मनु भगवान ने स्पष्ट कहा है |
Answer» | |
247. |
. बाल गोबिन भगत किस की रचनाओं का गायन करते थे ? |
Answer» कबीर जी की Pubg ki pubh ki |
|
248. |
Part Mein bade bhai ki Chhavi kaisi hai |
Answer» छोटे भाई का हितैषी-बड़े भाई साहब अपनेने छोटे भाई का भला चाहने वाले हैं। वे निरंतर उसे अच्छाई की ओर प्रेरित करते हैं। वे स्वयं को उसके सामने एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे चाहते हैं कि उन का छोटा भाई किसी तरह से पढ़ ले जाए। इसी कारण वे क्रोधित भी हो जाते हैं होते हैं और उस पर पूरा नियंत्रण भी रखते हैं। २. गंभीर- बड़े भाई साहब गंभीर प्रवृत्ति के हैं। वे हर समय किताबों में खोए रहते हैं। मैं अपने छोटे भाई के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं इसलिए वे सदा अध्ययनशील रहते हैं। उनका गंभीर स्वभाव ही उन्हें विशिष्टता प्रदान करता है। ३. वाक कला में निपुण- बड़े भाई साहब वाक कला में निपुण है। मैं अपने छोटे भाई को ऐसे-ऐसे उदाहरण देकर बताते हैं कि वह उनके आगे नतमस्तक हो जाता है। उन्हें शब्दों को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करना आता है। यही कारण है कि वह अपने छोटे भाई पर अपना पूरा दबदबा बनाए रखते हैं। ४. वर्तमान शिक्षा प्रणाली का विरोधी-बड़े भाई साहब वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विरोधी हैं। उनके अनुसार यह शिक्षा प्रणाली किसी प्रकार से भी लाभदायक नहीं है। यह विद्यार्थियों को कोरा किताबी ज्ञान देती है, जिसका वास्तविक जीवन में कोई लाभ नहीं होता। विद्यार्थी को ऐसी ऐसी बातें पढ़ाई जाती है जिनका उनके भावी जीवन से कोई संबंध नहीं होता। वे ऐसी शिक्षा प्रणाली पर व्यंग करते हुए इसे दूर करने की बात कहते हैं। Part Mein bade bhai sahab ki Chhavi kaisi hai give me answer Part Mein bade bhai ki Chhavi kaisi hai |
|
249. |
आपके राज्य में कोरोनावायरस के बारे में दूसरे राज्य में रहने वाले अपने मित्र को पत्र लिखिए |
Answer» | |
250. |
Parsuram shri ram ko aapna sevak manane se inkar kyu karte h |
Answer» क्योंकि जब पहली बार श्री राम परशुराम जी से मिले तो उन्हें पता चल गया कि अब उनका अवतार अवधि समाप्त हो गई है और वो एक मानव हो चुके हैं तो श्री राम भी अवतार है इसलिए परशुराम जी ने श्री राम को अपना दास मानने से मना कर दिया था । | |