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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.

1.

इन्दिरा गांधी नहर द्वारा किन क्षेत्रों को सिंचित किया जाता है ?

Answer»

इन्दिरा गांधी नहर द्वारा उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर, चुरु, बाड़मेर तथा जैसलमेर जिलों को सिंचित किया जाता है।

2.

रालेगैन सिद्धि किस राज्य में है(a) गुजरात(b) महाराष्ट्र(c) उत्तर प्रदेश(d) राजस्थान।

Answer»

सही विकल्प है (b) महाराष्ट्र।  

3.

माताटीला बाँध किस जनपद में बनाया गया है?(क) आगरा में(ख) ललितपुर में(ग) कानपुर में(घ) मथुरा में

Answer»

सही विकल्प है (ख) ललितपुर में

4.

देश के विकास में तुंगभद्रा परियोजना का महत्त्व लिखिए।

Answer»

तुंगभद्रा परियोजना आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों की संयुक्त परियोजना है। कृष्णा की सहायक तुंगभद्रा नदी पर 50 मीटर ऊँचा तथा 2.5 किलोमीटर लम्बा बाँध कर्नाटक के बेल्लारी जनपद के मल्लापुरम् नामक स्थान पर बनाया गया है। इससे आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों की लगभग चार लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधाएँ प्राप्त हैं। इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 126 मेगावाट है, जिससे दोनों राज्यों के उद्योगों को विद्युत प्राप्त होती है। इस योजना से मत्स्यपालन का भी विकास हुआ है।

5.

बहु-उद्देशीय परियोजना का अर्थ एवं उद्देश्य लिखिए। भारत के आर्थिक विकास में बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के योगदान को लिखिए।याबहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना से आप क्या समझते हैं? उसके चार उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।याबहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के छः उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।याबहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना के उद्देश्य एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।याबहुउद्देशीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं ?याबहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना के चार कार्यों का वर्णन कीजिए।याभारत के किन्हीं तीन बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाओं के महत्त्वों का उल्लेख कीजिए।याबहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजना क्या है? इसके किन्हीं पाँच लाभों की विवेचना कीजिए।याबहु-उद्देशीय परियोजना के लाभों पर प्रकाश डालिए।याबहु-उद्देशीय घाटी परियोजना के तीन महत्त्व बताइए।

Answer»

बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ वे नदी-घाटी परियोजनाएँ हैं, जिनसे एक ही समय में अनेक उद्देश्यों की पूर्ति होती है। इन योजनाओं को बहुमुखी योजनाएँ भी कहा जाता है। इनसे होने वाले विविध लाभों और देश के आधुनिक विकास में योगदान के कारण इन्हें ‘आधुनिक भारत के मन्दिर’ कहा जाता है। देश के सर्वांगीण आर्थिक विकास एवं क्षेत्रीय नियोजन के लिए बहु-उद्देशीय या बहुध्येयी योजनाओं को क्रियान्वित किया गया है। इन योजनाओं का तात्पर्य ऐसी योजनाओं से है जिनका उद्देश्य एक-से-अधिक समस्याओं का समाधान करना होता है। इसीलिए इन्हें बहुध्येयी योजनाएँ कहा जाता है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् देश में खाद्यान्न एवं औद्योगिक उत्पादन में क्रान्तिकारी परिवर्तन के लिए इन योजनाओं को आरम्भ किया गया था। इन योजनाओं का प्रारूप संयुक्त राज्य अमेरिका की ‘टेनेसी नदी-घाटी योजना के आधार पर तैयार किया गया है। भारत में बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं—(क) सिंचाई परियोजनाएँ तथा (ख) जल-विद्युत परियोजनाएँ।

उद्देश्य (कार्य)-बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाओं के प्रमुख उद्देश्य (कार्य) निम्नलिखित हैं

  • जल-विद्युत शक्ति का उत्पादन करना।
  • बाढ़ों पर नियन्त्रण करना।
  • सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण एवं विकास करना।
  • मत्स्य-पालन करना।
  • भू-क्षरण पर प्रभावी नियन्त्रण करना।
  • उद्योग- धन्धों का विकास करना।
  • आन्तरिक जल-परिवहन का विकास करना।
  • लदली भूमियों को सुखाना।
  • शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना।
  • प्राकृतिक सौन्दर्य तथा मनोरंजन व पर्यटन स्थलों का विकास करना।
  • क्षेत्रीय नियोजन तथा उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण और समुचित उपयोग करना।
  • पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था करना।

देश के आर्थिक विकास में योगदान (महत्त्व)/लाभ

बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के अन्तर्गत देश की सर्वांगीण उन्नति एवं विकास में उपयोगी होने के कारण सभी प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण नदियों पर बाँध बनाये गये हैं तथा जल का उपयोग एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाने लगा है। इन परियोजनाओं से जो लाभ उठाये जा रहे हैं, उनका विवरण अग्रलिखित है–

1. सिंचाईनदियों पर बाँध बनाकर उसके पीछे जलाशय में जल संचित कर लिया जाता है। इससे शुष्क ऋतु में सिंचाई के लिए जल प्राप्त होता है। राजस्थान में सतलुज नदी के जल का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। सिंचाई सुविधाओं के विकास एवं विस्तार से कृषि-योग्य क्षेत्रफल तथा भूमि की उत्पादकता में वृद्धि हुई है तथा एक-फसली क्षेत्र बहु-फसली क्षेत्र में परिणत हो गये हैं।

2. बाढ़-नियन्त्रणविनाशकारी बाढ़ों के लिए कुख्यात नदियों पर बाँध बनाकर इन परियोजनाओं से बाढ़-नियन्त्रण सम्भव हुआ है। अब दामोदर तथा कोसी नदियाँ ‘शोक की नदियाँ नहीं रहीं। अब वे आर्थिक विकास के लिए वरदान बन गयी हैं।

3. जल-विद्युत उत्पादननदियों पर बाँध बनाकर उनके जल को ऊँचाई से गिराकर बड़ी-बड़ी टर्बाइनों की सहायता से जल-विद्युत का उत्पादन किया जाता है। जलविद्युत जीवाश्म ईंधनों से उत्पन्न तापीय ऊर्जा की अपेक्षा प्रदूषणरहित, स्वच्छ और सतत शक्ति का साधन होती है।

4. वन-रोपणनदी-घाटी में वन-रोपण किया जाता है। इससे पारिस्थितिकी का सन्तुलन कायम होता है। वन-भूमि में वन्य-जीवों को निरापद आश्रय-स्थल प्राप्त होता है। वन क्षेत्रों में उगी हरी-भरी घासे पशुपालन को प्रोत्साहित करती हैं।

5. नौकारोहणबाँध से निकाली गयी नहरों में नौ-परिवहन की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, जो यातायात का सबसे सस्ता साधन हैं।

6. मत्स्यपालनजलाशयों तथा नहरों में मछलियाँ पाली जाती हैं, उनके बीज तैयार किये जाते हैं और उनकी बिक्री से आर्थिक लाभ कमाया जाता है।

7. मृदा-संरक्षणमिट्टी का अपरदन नियन्त्रित होता है तथा उसका संरक्षण सम्भव होता है।

8. पर्यटन और मनोरंजनये परियोजनाएँ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होती हैं; क्योंकि खाली‘ पड़ी भूमि पर सुन्दर पार्क, उद्यान आदि का विकास किया जाता है, जो इसके प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि कर देते हैं।

9. उद्योग-धन्धों का विकासउद्योग-धन्धों का विकास सस्ती ऊर्जा-शक्ति की उपलब्धता पर निर्भर करता है। बहुध्येयी परियोजनाओं के विकास से उद्योगों को सस्ती जलविद्युत शक्ति के साथ-साथ स्वच्छ जल भी उपलब्ध हो जाता है।

यद्यपि बहु-उद्देशीय परियोजना के प्रमुख उद्देश्य सिंचाई, जल-विद्युत उत्पादन तथा बाढ़-नियन्त्रण हैं, तथापि इनसे अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। जब एक बहु-उद्देशीय परियोजना स्थापित की जाती है तो उसके द्वारा सेवित सम्पूर्ण क्षेत्र का समग्र विकास होता है। उदाहरण के लिए-दामोदर घाटी परियोजना से झारखण्ड तथा प० बंगाल राज्यों को सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़-नियन्त्रण, मत्स्य-पालन, मृदा-संरक्षण, वन-रोपण, नौका-रोहण आदि के लाभ प्राप्त होते हैं। जल विद्युत के उत्पादन से उद्योगों को भी लाभ पहुँचता है। औद्योगिक विकास से नगरीकरण में वृद्धि होती है तथा सम्पूर्ण क्षेत्र का आर्थिक विकास होता है। दामोदर घाटी परियोजना के कारण सम्पूर्ण दामोदर घाटी क्षेत्र देश का महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बन सका है। देश में स्थापित अन्य परियोजनाओं से भी देश के विभिन्न क्षेत्रों का आर्थिक विकास सम्भव हुआ है।

6.

जल की गुणवत्ता से क्या तात्पर्य है?

Answer»

जल की गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है।

7.

निम्नलिखित में से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना कौन-सी है?(क) माताटीला(ख) रामगंगा(ग) रिहन्द(घ) गंडक

Answer»

सही विकल्प है (ग) रिहन्द

8.

मध्य प्रदेश राज्य की प्रमुख परियोजना कौन-सी है?(क) रिहन्द(ख) चम्बल(ग) हीराकुड(घ) दामोदर

Answer»

सही विकल्प है (ख) चम्बल

9.

बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजना से आप क्या समझते हैं ? दामोदर घाटी परियोजना कावर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत दीजिए—(क) स्थिति, (ख) उपलब्धियाँ।यादामोदर नदी-घाटी परियोजना की स्थिति पर प्रकाश डालिए। इससे होने वाले किन्हीं चार लाभों की विवेचना कीजिए।यादामोदर घाटी परियोजना की स्थिति एवं महत्त्वों का वर्णन कीजिए।यादामोदर घाटी परियोजना के तीन महत्त्वों पर प्रकाश डालिए।

Answer»

दामोदर घाटी परियोजना

स्थितिदामोदर (हुगली की सहायक नदी) नदी का उद्गम स्रोत छोटा नागपुर की पहाड़ियाँ हैं, जो 610 मीटर ऊँची हैं। इस नदी की लम्बाई 530 किमी है, जो झारखण्ड में 290 किमी बहने के उपरान्त पश्चिम बंगाल राज्य में 240 किमी बहकर हुगली नदी से मिल जाती है। इसकी ऊपरी घाटी में वर्षा ऋतु में अत्यधिक वर्षा होने से भयंकर बाढ़े आती हैं, जो नदी के किनारों की मिट्टी काटकर बहा ले जाती हैं। इससे करोड़ों रुपये की हानि उठानी पड़ती है। दामोदर नदी अपनी भयंकर बाढ़ों के लिए कुख्यात थी। इसकी बाढ़ से लगभग 18,000 वर्ग किमी भूमि प्रभावित होती थी। इसी कारण इस नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था।

सन् 1948 ई० में भारत सरकार ने दामोदर घाटी के सर्वांगीण विकास हेतु दामोदर घाटी निगम (Damodar Valley Corporation) की स्थापना की। इस निगम का मुख्य उद्देश्य दामोदर घाटी का आर्थिक विकास करना तथा सिंचाई, जल-विद्युत की सुविधाओं में वृद्धि कर बाढ़ों पर नियन्त्रण पानी एवं अन्य उद्देश्यों को पूर्ण करना है, जिससे इस प्रदेश का बहुमुखी आर्थिक विकास हो सके।

दामोदर घाटी परियोजना के अन्तर्गत आठ बाँध एवं एक बड़े अवरोधक को बनाया गया है। दामोदर नदी पर पंचेत पहाड़ी, अय्यर एवं बम बाँध; बाराकर नदी पर मैथान, बाल पहाड़ी एवं तिलैया बाँध; बोकारो नदी पर बोकारो बाँध तथा कोनार नदी पर कोनार बाँध बनाये जाने प्रस्तावित हैं, जिनमें चार बाँध–तिलैया, कोनार, पंचेत पहाड़ी तथा मैथान बन चुके हैं। एक बड़ा अवरोधक दुर्गापुर के समीप निर्मित किया गया है, जिसमें लगभग 2,500 किमी लम्बी नहरें एवं उनकी शाखाएँ निकाली गयी हैं। इन बाँधों से बाढ़ का जल रोका गया है तथा सभी बाँधों से जलविद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा रहा है। यह योजना केन्द्रीय सरकार, बिहार एवं पश्चिम बंगाल राज्य सरकारों के सहयोग से क्रियान्वित की गयी है। यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है।

उपयोगिता/प्रमुख लाभ/उपलब्धियाँ/महत्त्वइस परियोजना से दामोदर एवं उसकी सहायक नदियों में आने वाली बाढ़ों पर नियन्त्रण हुआ है। लगभग 74 लाख हेक्टेयर भूमि पर नित्यवाही सिंचाई की जा रही है, जिससे अतिरिक्त जूट एवं खाद्यान्नों का उत्पादन हो रहा है। कोलकाता एवं पश्चिम बंगाल के कोयला क्षेत्रों के बीच 145 किमी लम्बा एक नाव्य जलमार्ग का निर्माण हुआ है। बाँधों में नावें चलाने, तैरने एवं मत्स्य की सुविधाएँ हैं। घरेलू कार्यों के लिए शुद्ध जल की प्राप्ति के साथ-साथ लगभग 1,120 वर्ग किमी क्षेत्र में पेयजल की समस्या का निराकरण हुआ है। छोटा नागपुर के उजाड़ पठारी क्षेत्रों में भू-अपरदन को रोकने के लिए वृक्षारोपण, पशुओं के लिए चारा, रेशम के कीड़ों के लिए शहतूत के वृक्ष तथा उद्योगों के लिए लाख एवं बाँस की उपलब्धि हुई है। लगभग 3 लाख किलोवाट जलविद्युत शक्ति का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे झारखण्ड, कोलकाता, पटना, जमशेदपुर, डालमिया नगर आदि शहरों के औद्योगीकरण में तीव्रता आयी है।

दामोदर पाटी निगम से पश्चिम बंगाल में बर्दवान, हावड़ा, हुगली एवं बांकुड़ा जिलों में 4.40 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। इस परियोजना के द्वितीय चरण में बम, अय्यर, बोकारो एवं बाल पहाड़ी स्थानों पर जलविद्युत शक्ति के लिए बाँध बनाये जाने की योजना है।

इस प्रकार दामोदर घाटी परियोजना पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड राज्यों के विशाल क्षेत्र में आर्थिक तथा औद्योगिक विकास में सहायक सिद्ध हुई है। यहाँ कृषि, उद्योग, वाणिज्य, व्यापार तथा परिवहन के साधनों में क्रान्तिकारी परिवर्तन होने से आर्थिक परिवेश बदल गया है तथा इस क्षेत्र की खनिज सम्पदा का भरपूर दोहन सम्भव हुआ है। इससे इस प्रदेश में प्रगति और विकास की लहर दौड़ गयी है। इस प्रकार यह परियोजना झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल राज्यों के सर्वांगीण विकास हेतु वरदान सिद्ध हुई है।

10.

भौम जल का सर्वाधिक उपयोग किसमें किया जाता है?

Answer»

भौम जल का सर्वाधिक उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।

11.

भाखड़ा-नांगल बाँध किस नदी पर स्थित है?(क) व्यास(ख) महानदी(ग) कोसी(घ) सतलुज

Answer»

सही विकल्प है (घ) सतलुज

12.

निम्नलिखित में से कौन-सी परियोजना प० बंगाल और झारखण्ड को संयुक्त रूप से लाभान्वित करती है?(क) तुंगभद्रा(ख) टिहरी बाँध(ग) दामोदर घाटी(घ) नागार्जुन सागर

Answer»

सही विकल्प है (ग) दामोदर घाटी

13.

नागार्जुन परियोजना किस नदी से सम्बन्धित है?यानागार्जुन सागर परियोजना किस नदी पर स्थित है?(क) कृष्णा(ख) कावेरी(ग) महानदी(घ) गंगा

Answer»

सही विकल्प है (क) कृष्णा

14.

भाखड़ा बाँध किस नदी पर बनाया गया है ?

Answer»

भाखड़ा बाँध सतलुज नदी पर बनाया गया है।

15.

भौम जल के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।

Answer»

भौम जल के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं

(1) भारत के उत्तरी समतल जलोढ़ मैदानों में भौम जल के विशाल भण्डार हैं। इसका कारण यह है कि यहाँ कोमल तथा प्रवेश्य चट्टानें पायी जाती हैं जिनमें से वर्षा एवं बाढ़ का जल रिस-रिसकर भौम जल का रूप लेता रहता है।

(2) प्रायद्वीपीय भारत की कठोर चट्टानी भूमियों में जल का रिसाव बहुत ही धीमा होने के कारण यहाँ भौम जल की सम्भावित क्षमता कम है।

(3) प्रायद्वीपीय भारत के राज्यों-महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में भौम जल की सम्भावित क्षमता इसलिए अधिक है क्योंकि इन राज्यों का आकार बड़ा है।

16.

नागार्जुन परियोजना किस राज्य में स्थापित है?(क) आन्ध्र प्रदेश(ख) कर्नाटक(ग) केरल(घ) तमिलनाडु

Answer»

सही विकल्प है (क) आन्ध्र प्रदेश

17.

हीराकुड बहु-उद्देशीय परियोजना किस राज्य में स्थित है?(क) मध्य प्रदेश(ख) बिहार(ग) ओडिशा(घ) पश्चिम बंगाल

Answer»

सही विकल्प है (ग) ओडिशा

18.

जल के मुख्य उपयोगों को समझाइए।

Answer»

जल के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं

⦁    जल का उपयोग सिंचाई में किया जाता है।
⦁    जल का उपयोग उद्योगों में विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है।
⦁    जल का उपयोग घरेलू कार्यों में किया जाता है।
⦁    जल का उपयोग शक्ति उत्पादन में किया जाता है।
⦁    जल का उपयोग मनोरंजन, मत्स्य पालन व परिवहन के लिए किया जाता है।

19.

प्रमुख जल संसाधनों को समझाइए।

Answer»

प्रमुख जल संसाधन निम्नलिखित हैं

1. पृष्ठीय (धरातलीय) जल – यह जल नदियों, झीलों तथा तालाबों में पाया जाता है। पृष्ठीय जल का मूल स्रोत वर्षा है। मानव द्वारा पृष्ठीय जल का उपयोग पीने के लिए किया जाता है। घरेलू उपयोग, कृषि तथा उद्योगों के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

2. भौम जल – वर्षा से प्राप्त जल का एक अंश पृथ्वी पर रिसकर नीचे चला जाता है जो कि ‘भौम जल’ कहलाता है। इसका उपयोग कृषि व घरेलू कार्यों में किया जाता है।

20.

दक्षिण भारत में तालाबों द्वारा सिंचाई के महत्त्वपूर्ण होने के दो कारणों का उल्लेख कीजिए।

Answer»
  • दक्षिण भारत में अधिकांश तालाब पक्के हैं। ये उन्नत अवस्था में हैं।
  • इन तालाबों में वर्ष भर जल आपूरित रहता है।
21.

भारत का प्रथम जल-विद्युत केन्द्र कहाँ और कब स्थापित किया गया ?

Answer»

सन् 1902 ई० में कर्नाटक राज्य में कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम् नामक स्थान पर भारत का प्रथम जल-विद्युत केन्द्र स्थापित किया गया।

22.

भारत के विशाल मैदान भौम जल संसाधनों से सम्पन्न क्यों हैं? स्पष्ट कीजिए।

Answer»

भारत के विशाल मैदान भौम जल संसाधनों से सम्पन्न होने के निम्नलिखित कारण हैं

⦁    विशाल मैदानों में जलोढ़ मृदा पायी जाती है जिसमें जल आसानी से रिस जाता है।
⦁    इन मैदानों में बहने वाली नदियाँ सदानीरा हैं। इनमें वर्ष-भर जल प्रवाह उच्च रहता है।
⦁    इन मैदानों में पर्याप्त गहराई तक अवसादी शैल पायी जाती है जिससे जल की मात्रा का अधिक संग्रहण होता है।
⦁    इन मैदानों में मानसून वर्षा भी पर्याप्त होती है जो जल का एक स्रोत है और इस वर्षा का जल रिसकर भौम जल बनाता है।

23.

भारत में सिंचाई की आवश्यकता के कारणों को समझाइए।

Answer»

भारत में सिंचाई की आवश्यकता

भारत में सिंचाई की आवश्यकता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

1. वर्षा की अनिश्चितता – भारत में वर्षा की मात्रा और समय अनिश्चित है। मानसूनी वर्षा कभी निश्चित समय से पहले शुरू होती है और कभी निश्चित समय से पहले खत्म हो जाती है। कभी बाढ़ आती है तो कभी सूखा पड़ जाता है, अत: मानसूनी वर्षा की इस अनिश्चितता के कारण अच्छी उपज लेने के लिए सिंचाई आवश्यक है।

2. वर्षा का असमान वितरण – भारत में वार्षिक वर्षा का औसत लगभग 118 सेमी है, लेकिन इसका क्षेत्रीय वितरण बहुत असमान है। चेरापूँजी और मासिनराम में वर्ष में 1200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत पश्चिमी राजस्थान और लद्दाख में प्रतिवर्ष 20 सेमी से भी कम वर्षा होती है, अत: कम वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी फसल के लिए सिंचाई आवश्यक है।

3. वर्षा का कुछ महीनों तक सीमित होना – भारत में 80 प्रतिशत वर्षा जून से सितम्बर तक केवल चार महीनों में ही होती है। उष्ण कटिबन्धीय देश होने के कारण ग्रीष्म ऋतु में तापमान ऊँचे रहते हैं, अतः सूखे के शेष चार महीनों में सिंचाई की सुविधाएँ जुटाना आवश्यक हो जाता है।

4. जनसंख्या वृद्धि – भारत की जनसंख्या निरन्तर बढ़ रही है। बढ़ी हुई जनसंख्या के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न पैदा करने के लिए सिंचाई का उपयोग किया जाता है।

5. कुछ फसलों को अधिक जल चाहिए – चावल, गन्ना, जूट तथा सब्जियों को कुछ अन्तराल पर नियमित रूप से जल चाहिए। ऐसी फसलों के लिए पानी की पूर्ति सिंचाई द्वारा ही सम्भव है।

6. व्यापारिक फसलों के उत्पादन के लिए – व्यापारिक फसलों से किसान को अधिक आय होती है तथा देश को विदेशी मुद्रा मिलती है। ऐसी फसलों का उत्पादन सुनिश्चित सिंचाई से ही बढ़ सकता है।

7. वर्षा का बौछार के रूप में होना – मानसूनी वर्षा तेज बौछारों के रूप में होती है। ऐसी वर्षा का पानी बह जाता है तथा उसे धरातल में रिसने का अवसर ही नहीं मिलता है। ऐसे में भूमि प्यासी रह जाती है, अत: धरती की प्यास बुझाने के लिए सिंचाई आवश्यक हो जाती है।

24.

बहु-उद्देशीय नदी-घाटी योजना सिंचाई के पारम्परिक साधनों से किस प्रकार अच्छी है ? भारत के विभिन्न क्षेत्रों से उदाहरण दीजिए।

Answer»

सिंचाई के पारम्परिक साधन नहरें, कुएँ, नलकूप और तालाब हैं। देश में सिंचाई के विकास के लिए अनेक सिंचाई परियोजनाएँ विकसित की गयी हैं, जिनसे बड़ी, मध्यम तथा लघु योजनाएँ मुख्य हैं। सिंचाई की बड़ी तथा मध्यम परियोजनाओं के अन्तर्गत देश की अनेक नदियों से नहरें निकाली गयी हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि उत्तरी राज्यों को इनसे सिंचाई की सुविधा सुलभ हुई है। दक्षिणी भारत में भी महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों से डेल्टाई क्षेत्रों में नहरें निकालकर ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में सिंचाई की व्यवस्था की गयी है, किन्तु सिंचाई के लिए पारम्परिक नहरी सिंचाई परियोजनाओं की अपेक्षा बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ अधिक श्रेष्ठ हैं, क्योंकि इनसे नहरी सिंचाई के अतिरिक्त निम्नलिखित अनेक लाभ प्राप्त होते हैं

1. बाढ़-नियन्त्रण एवं मृदा-संरक्षण- नदियों पर बाँध बनाकर जल-प्रवाह की तीव्रता को नियन्त्रित कर लिया जाता है, जिससे मृदा का संरक्षण होने के साथ-साथ बाढ़-नियन्त्रण भी सम्भव होता है।

2. सिंचाई सुविधाओं का विस्तार- नदियों पर बाँधों के पीछे बड़ी-बड़ी झीलें बनायी जाती हैं, जिनमें वर्षा का जल एकत्र हो जाता है। इस जल का प्रयोग शुष्क ऋतु में नहरों द्वारा सिंचाई के लिए किया जाता है।

3. जल-विद्युत का उत्पादन- बाँधों द्वारा संचित किये गये जल को ऊँचाई से गिराया जाता है, जिससे जल-विद्युत का उत्पादन होता है। जल-विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त साधन है।

4. औद्योगिक विकास- इन परियोजनाओं से उद्योगों को सस्ती जल-विद्युत प्राप्त हो जाती है, साथ ही आवश्यक जल की आपूर्ति भी बनी रहती है।

5. जल-परिवहन सुविधा- इन परियोजनाओं के अन्तर्गत नदियों तथा नहरों में अन्त:स्थलीय जल-परिवहन की सुविधा भी सुलभ हो जाती है। भारी वस्तुओं के परिवहन के लिए यह सबसे सस्ता साधन है।

6. मत्स्य उद्योग का विकास- बाँधों के पीछे बने जलाशयों में मछलियों के बीज तैयार किये जाते हैं। तथा कुछ विशेष किस्म की मछलियों को भी पाला जाता है।

7. वन्य भूमि का विस्तार- बाँधों के जलग्रहण क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से वृक्षारोपण किया जाता है, जिससे न केवल वन्य क्षेत्र का विस्तार होता है, वरन् मृदा अपरदन पर भी रोक लगती है।

8. सूखा-अकाल से मुक्ति- भारतीय जलवायु की मानसूनी प्रवृत्ति के कारण अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि होने से अकाल पड़ना सामान्य बात है। बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के अन्तर्गत जलमग्न क्षेत्रों के अतिरिक्त जल को सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भेजकर अकाल की स्थिति से बचने का प्रयास किया जा सकता है।

25.

सिंचाई किसे कहते हैं?

Answer»

जल की प्रणाली अथवा नालियों द्वारा कृत्रिम रूप से खेतों तक पहुँचाने को सिंचाई कहते हैं। 

26.

भारत में जल संसाधनों के संरक्षण की विधियों को समझाइए।

Answer»

भारत में जल संसाधनों के संरक्षण की विधियाँ निम्नलिखित हैं

⦁    नदियों पर बाँध बनाकर तथा विशाल कृत्रिम तालाब बनाकर जल का संरक्षण किया जा सकता है।
⦁    प्रदूषित जल का पुनश्चक्रण करके जल संसाधनों का संरक्षण किया जा सकता है।
⦁    सिंचाई की फव्वारा और टपकन विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
⦁    सिंचाई में नालियों के स्थान पर पाइपों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
⦁    अधिकाधिक वृक्षारोपण करके जल का संरक्षण किया जा सकता है।
⦁    कम जल चाहने वाली फसलों को बोया जाना चाहिए।

27.

भूगर्भिक जल को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।

Answer»

भूगर्भिक जल को प्रभावित करने वाले कारक हैं

⦁    चट्टानों की संरचना
⦁    धरातलीय दशा एवं
⦁    जलापूर्ति की दशा आदि।

28.

जल ससाधनों का ह्रास सामाजिक द्वन्द्वों और विवादों को जन्म देते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरणों सहित समझाइए।

Answer»

जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ जल की माँग भी तेजी से बढ़ रही है। इसके विपरीत जल की आपूर्ति एक निश्चित सीमा तक ही हो सकती है। यह सीमित आपूर्ति भी अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण अथवा अप्रबन्धन के कारण उपयोग के अयोग्य हो सकती है। इस दुर्लभ संसाधन के आवंटन और नियन्त्रण पर तनाव और लड़ाई-झगड़े राज्यों व देशों के बीच विवाद का विषय बन गए हैं।

भारत की अधिकतर नदियाँ अन्तर्राज्यीय विवादों से ग्रस्त हैं। देश की लगभग सभी नदियाँ एक से अधिक राज्यों में बहती हैं और उनका जल भी विभिन्न राज्यों द्वारा प्रयोग किया जाता है। भारत में प्रमुख अन्तर्राज्यीय नदी जल विवाद

⦁    तमिलनाडु, कर्नाटक तथा केरल के बीच कावेरी जल विवाद।
⦁    महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी जल विवाद।
⦁    गुजरात, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के बीच नर्मदा नदी जल विवाद।
⦁    पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर तथा दिल्ली के बीच रावी नदी जल विवाद।
⦁    पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के बीच सतलज-यमुना लिंक नहर पर जल विवाद।

29.

नागार्जुन सागर परियोजना की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

Answer»

नागार्जुन सागर परियोजना

नागार्जुन सागर परियोजना के अन्तर्गत आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर नन्दीकोण्डा गाँव के निकट 88 मीटर ऊँचा तथा 1,450 मीटर लम्बा बाँध बनाया गया है। इससे आन्ध्र प्रदेश की 8.67 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधाएँ मिली हैं। जल-विद्युत द्वारा अनेक उद्योगों का विकास हुआ है तथा मत्स्यपालन में वृद्धि हुई है। इस परियोजना का नामकरण बौद्ध विद्वान नागार्जुन के नाम पर किया गया है। इस परियोजना में बनाये गये बाँध के पीछे, जहाँ आज एक कृत्रिम जलाशय है, पहले अत्यन्त सुन्दर वास्तुकला के प्राचीन मन्दिर थे। यदि इन मन्दिरों को वहाँ से न हटाया गया होता तो वे जल में डूब गये होते। इसलिए इन मन्दिरों के प्रत्येक पत्थर को हटाकर नये स्थानों पर ले जाया गया, फिर उन्हीं पत्थरों से बिल्कुल पहले जैसे ही मन्दिरों का निर्माण कर दिया गया। यह परियोजना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि हम आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर ही अपनी धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रख सकते हैं।

30.

भाखड़ा-नांगल परियोजना किन राज्यों का संयुक्त प्रयास है ?

Answer»

भाखड़ा-नांगल परियोजना पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा तथा राजस्थान राज्यों का संयुक्त प्रयास है।

31.

जल संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है?

Answer»

जल संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता के कारण निम्नलिखित हैं

⦁    देश के अनेक भागों में जलाभाव की स्थिति है।
⦁    देश में वर्षा का कुछ ही समय में होना।
⦁    वर्षा का वितरण अत्यधिक असमान होना।
⦁    जल की माँग में तेजी से वृद्धि हो रही है जबकि आपूर्ति तेजी से कम हो रही है।
⦁    जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए।

32.

धरातलीय जल कहाँ मिलता है?

Answer»

धरातलीय जल हमें नदियों, झीलों, तालाबों तथा अन्य जलाशयों के रूप में मिलता है।

33.

सिंचाई की आवश्यकता का क्या कारण है(a) फसलों की प्रकृति(b) वर्षा की अनिश्चितता(c) वर्षा का असमान वितरण(d) उपर्युक्त सभी।

Answer»

(d) उपर्युक्त सभी।  

34.

प्राकृतिक संसाधन को परिभाषित कीजिए।

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जो पदार्थ मनुष्य को प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त होते हैं, उन्हें प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है; जैसे-मिट्टी, वायु, जल, वनस्पति आदि।

35.

वर्षा जल संग्रहण के आर्थिक और सामाजिक मूल्यों को स्पष्ट कीजिए।

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वर्षा जल संग्रहण के आर्थिक और सामाजिक मूल्य निम्नलिखित हैं

⦁    जल की निरन्तर माँग को पूरा करते रहना।
⦁    नालियों को रोकने वाले सतही प्रवाह को कम करना।
⦁    सड़कों पर जलभराव को रोकना और प्रदूषण को घटाना।
⦁    भौम जल की गुणवत्ता को सुधारकर उसे बढ़ाना।
⦁    मृदा अपरदन को रोकना।
⦁    ग्रीष्मकाल में जल की आवश्यकता को पूरा करना।

36.

उत्तरी भारत की दो नदियों के नाम लिखिए।

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उत्तरी भारत की दो प्रमुख नदियों के नाम गंगा और यमुना हैं। उत्तरी भारत की नदियाँ हिमालय पर्वत के हिमाच्छादित शिखरों से निकलती हैं, जिनमें वर्षभर पर्याप्त जल बहता रहता है, ये नदियाँ लम्बी हैं। तथा उनके प्रवाह क्षेत्र अधिक बड़े हैं। उत्तर भारत की नदियाँ समतल व उर्वर भागों से होकर बहती हैं, इसलिए उनका जल नहरों द्वारा सिंचाई कार्य में प्रयुक्त किया जाता है। उत्तरी भारत की प्रमुख नहरें ऊपरी गंगा नहर, पूर्वी यमुना नहर तथा शारदा नहर हैं।

37.

भारत में विश्व जल संसाधन का कितना भाग पाया जाता है(a) 4 प्रतिशत(b) 1 प्रतिशत(c) 3 प्रतिशत(d) 2 प्रतिशत।

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(a) 4 प्रतिशत। 

38.

देश में प्रयुक्त कुल जल का सबसे अधिक समानुपात निम्नलिखित सेक्टरों में से किस सेक्टर में(क) सिंचाई(ख) उद्योग(ग) घरेलू उपयोग(घ) इनमें से कोई नहीं।

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सही विकल्प है (क) सिंचाई। 

39.

जल एवं भूमि संसाधन के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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जल संसाधनस्वच्छ जल मनुष्य की दैनिक आधारभूत आवश्यकताओं में से एक है। घरेलू कार्यों में पानी की आवश्यकता केवल पीने के लिए ही नहीं, अपितु खाना बनाने, कपड़े धोने, स्नान करने
आदि कार्यों के लिए भी पड़ती है। देश की कृषि का विकास भी जलं की सुलभता पर ही निर्भर करता है। जल द्वारा विद्युत का उत्पादन किया जाता है। नहरों व नदियों में नाव, स्टीमर आदि चलाना जल परिवहन का भी साधन है। समुद्रों में जहाजों द्वारा लम्बी-लम्बी यात्राएँ की जाती हैं तथा इनके द्वारा वस्तुओं का आयात-निर्यात किया जाता है। उद्योगों में भी जल की उत्पादन कार्य में सहायता लेनी पड़ती है।

भूमि संसाधन- किसी देश या प्रदेश के अन्तर्गत सम्मिलित भूमि को भूमि संसाधन कहते हैं। इसके अन्तर्गत कृषि भूमि, चरागाह भूमि, पोकर भूमि, वन भूमि, बंजर भूमि, परती भूमि आदि सम्मिलित की जाती हैं। मनुष्य इस उपलब्ध भूमि पर विविध प्रकार से क्रिया-कलाप करता है।कृषि, पशुपालन, वनोद्योग, खनन-निर्माण उद्योग, परिवहन व्यापार, संचार आदि सभी का सम्बन्ध भूमि संसाधन से होता है। इस प्रकार भूमि संसाधन जल संसाधनों को आधार प्रदान करते हैं, जिनका उपयोग मनुष्य अपने क्रियाकलापों की आपूर्ति में करता है।

40.

निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है(क) अजैव संसाधन(ख) अनवीकरणीय संसाधन(ग) जैव संसाधन .(घ) चक्रीय संसाधन।

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(घ) चक्रीय संसाधन।