InterviewSolution
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भारत में संसदीय प्रणाली को क्यों अपनाया गया है? |
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Answer» भारतीय संविधान में इस बात के लिए लम्बी बहस चली कि संसदीय प्रणाली को अपनाया जाए या अध्यक्षात्मक प्रणाली को। कुछ सदस्य संसदात्मक प्रणाली के पक्ष में थे तथा कुछ सदस्य स्थिरता के कारण अध्यक्षात्मक प्रणाली की इच्छा रखते थे। परन्तु अन्त में संसदीय प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया गया। इसके निम्नलिखित कारण थे – ⦁ संसदीय प्रणाली भारत की परिस्थितियों के अधिक अनुकूल है। |
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| 2. |
संसदीय व्यवस्था में सरकार का प्रधान कौन होता है? |
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Answer» संसदीय व्यवस्था में सरकार का प्रधान प्रधानमंत्री होता है। |
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| 3. |
विदेश नीति का मुख्य निर्माता कौन होता है?(क) विदेशमंत्री(ख) राष्ट्रपति(ग) प्रधानमंत्री(घ) राजदूत |
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Answer» सही विकल्प है (ग) प्रधानमंत्री। |
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संसदीय शासन में वास्तविक शक्ति निहित होती है –(क) राष्ट्रपति एवं संसद में(ख) संसद एवं प्रधानमंत्री में(ग) मंत्रिपरिषद् एवं प्रधानमंत्री में(घ) राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री में। |
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Answer» (ग) मंत्रिपरिषद् एवं प्रधानमंत्री में। |
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| 5. |
सरकार के स्थायी कर्मचारी किस सेवा के अन्तर्गत आते हैं?(क) विधानसभा(ख) नागरिक सेवा(ग) संसदीय स्टाफ(घ) प्रशासनिक स्टाफ |
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Answer» सही विकल्प है (ख) नागरिक सेवा। |
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भारत में केंद्रीय मंत्रिपरिषद् का कार्यकाल है –(क) 5 वर्ष(ख) 4 वर्ष(ग) अनिश्चित(घ) 2 वर्ष |
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Answer» सही विकल्प है (क) 5 वर्ष। |
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| 7. |
भारत में किस प्रकार की कार्यपालिका है।(क) संसदीय(ख) अध्यक्षात्मक(ग) अर्द्ध-अध्यक्षात्मक(घ) राजतन्त्रात्मक |
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Answer» सही विकल्प है (क) संसदीय। |
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| 8. |
जर्मनी में सरकार का प्रधान कौन होता है?(क) राष्ट्रपति(ख) प्रधानमंत्री(ग) चांसलर(घ) उपराष्ट्रपति |
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Answer» सही विकल्प है (ग) चांसलर। |
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भारतीय कार्यपालिका का पॉकेट वीटों किसके पास होता है?(क) प्रधानमंत्री(ख) राष्ट्रपति(ग) उपराष्ट्रपति(घ) उपप्रधानमंत्री |
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Answer» सही विकल्प है (ख) राष्ट्रपति। |
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| 10. |
राष्ट्रपति शासन की अवधि कितनी होती है?(क) छ: माह(ख) एक वर्ष(ग) दो वर्ष(घ) निश्चित नहीं |
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Answer» सही विकल्प है (क) छ: माह। |
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| 11. |
मंत्रिपरिषद् का अध्यक्ष होता है –(क) राष्ट्रपति(ख) प्रधानमंत्री(ग) उपराष्ट्रपति(घ) लोकसभा अध्यक्ष |
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Answer» सही विकल्प है (ख) प्रधानमंत्री। |
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| 12. |
भारतीय सैन्य बल का प्रधान कौन होता है?(क) प्रधानमंत्री(ख) थल सेना का अध्यक्ष(ग) राष्ट्रपति(घ) उपराष्ट्रपति |
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Answer» सही विकल्प है (ग) राष्ट्रपति। |
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| 13. |
संविधान के अनुसार मंत्रिपरिषद् का क्या कार्य है? |
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Answer» संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार मंत्रिपरिषद् का मुख्य कार्य राष्ट्रपति को सहायता व सलाह देना है। |
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| 14. |
राष्ट्रपति की पदच्युति (महाभियोग) पर टिप्पणी लिखिए। |
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Answer» भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 में यह प्रावधान किया गया है कि संविधान का अतिक्रमण करने पर राष्ट्रपति को 5 वर्ष के निर्धारित कार्यकाल से पूर्व भी ‘महाभियोग’ की प्रणाली द्वारा पदच्युत किया जा सकता है। महाभियोग द्वारा हटाये जाने की प्रणाली निम्नलिखित है – (1) संसद के किसी भी एक सदन (उच्च एवं निम्न) के कम-से-कम एक-चौथाई सदस्य उक्त आशय के प्रस्ताव की लिखित सूचना देने के 14 दिन पश्चात् राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने का प्रस्ताव करेंगे। |
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| 15. |
संघीय मंत्रिपरिषद् के महत्व को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार, “राष्ट्रपति को उसके कार्यों के सम्पादन में सहायता एवं परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी, जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा।” इस प्रकार संविधान की दृष्टि से राष्ट्रपति राज्य को प्रमुख है, परन्तु वास्तविक कार्यपालिका मंत्रिपरिषद् है। भारतीय संविधान ने देश में संसदात्मक शासन व्यवस्था की स्थापना की है संसदात्मक शासन का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्रमुख अंग मंत्रिपरिषद् ही है। संसदात्मक शासन व्यवस्था में मंत्रिपरिषद् शासन का आधार-स्तम्भ होता है। बेजहॉट ने मंत्रिपरिषद् को कार्यपालिका तथा विधायिका को जोड़ने वाला कब्जा कहा है। यद्यपि वैधानिक रूप से संघ की कार्यपालिका का सर्वेसर्वा राष्ट्रपति होता है, किन्तु वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद् में केन्द्रित होती है। इसलिए मंत्रिपरिषद् का अधिक महत्त्वपूर्ण होना स्वाभाविक ही है। |
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| 16. |
मंत्रिपरिषद् तथा राष्ट्रपति के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» भारत में कार्यपालिका का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है। सैद्धान्तिक दृष्टि से मंत्रिपरिषद् का गठन उसे परामर्श देने के लिए किया जाता है; किन्तु वास्तविक स्थिति इसके विपरीत है। मंत्रिपरिषद् के निर्णय एवं परामर्श राष्ट्रपति को मानने पड़ते हैं। यद्यपि राष्ट्रपति इनके सम्बन्ध में अपनी व्यक्तिगत असहमति प्रकट कर सकता है; किन्तु वह मंत्रिपरिषद् के निर्णयों को मानने के लिए बाध्य होता है। भारतीय संविधान में किए गए 42वें तथा 44वें संशोधन के अनुसार, राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् का परामर्श कानूनी दृष्टिकोण से मानने के लिए बाध्य है। वह केवल मंत्रिमण्डल से पुनर्विचार के लिए आग्रह ही कर सकता है। वह मंत्रिपरिषद् की नीतियों को किस रूप में प्रभावित करता है, यह उसके व्यक्तित्व पर निर्भर है। मंत्रिपरिषद् में लिए गए समस्त निर्णयों से राष्ट्रपति को अवगत कराया जाता है तथा राष्ट्रपति मंत्रिमण्डल से किसी भी प्रकार की सूचना माँग सकता है। राष्ट्रपति ही मंत्रिमण्डल का गठन करता है। तथा उसे शपथ ग्रहण कराता है। प्रधानमंत्री के परामर्श पर वह किसी भी मंत्री को पदच्युत कर सकता है। |
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मंत्रिपरिषद् में कार्यरत मंत्रियों की विभिन्न श्रेणियों की विवेचना कीजिए।यामंत्रिपरिषद् में सम्मिलित मंत्रियों की कौन-कौन सी श्रेणियाँ होती हैं? |
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Answer» मंत्रिपरिषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं – 1. कैबिनेट मंत्री – प्रथम श्रेणी में उन मंत्रियों को लिया जाता है, जो अनुभवी, प्रभावशाली एवं अधिक विश्वसनीय होते हैं। ये कैबिनेट की प्रत्येक बैठक में भाग लेते हैं और एक या अधिक विभागों के प्रभारी होते हैं। |
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कार्यपालिका की शक्तियों में वृद्धि के चार कारण दीजिए।याआधुनिक लोकतंत्र में कार्यपालिका के बढ़ते हुए प्रभाव के चार कारण लिखिए। |
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Answer» कार्यपालिका की शक्ति में वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं – 1. साधारण योग्यता के व्यक्तियों का चुनाव – व्यवस्थापिका के सदस्य प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर चुने जाते हैं और अधिक योग्यता वाले व्यक्ति चुनाव के पचड़े में पड़ना नहीं चाहते। अतः बहुत कम योग्यता वाले व्यक्ति और पेशेवर राजनीतिज्ञ व्यवस्थापिका में चुनकर आ जाते हैं। ये कम योग्य व्यक्ति अपने कार्यों व आचरण से व्यवस्थापिका की गरिमा को कम करते हैं। |
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| 19. |
वर्तमान में कार्यपालिका की नियुक्ति के सम्बन्ध में प्रचलित विभिन्न पद्धतियों को उल्लेख कीजिए। |
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Answer» कार्यपालिका की नियुक्ति से सम्बन्धित विभिन्न पद्धतियाँ निम्नलिखित हैं – ⦁ वंशानुगत पद्धति (ग्रेट ब्रिटेन–राजा) |
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प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति के पारस्परिक सम्बन्धों की विवेचना कीजिए। |
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Answer» सैद्धान्तिक दृष्टिकोण से राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और मंत्रिमण्डल राष्ट्रपति को सहायता एवं परामर्श देने वाली समिति है। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। वह स्व-विवेकानुसार आचरण उसी समय कर सकता है, जब लोकसभा में किसी दल का स्पष्ट बहुमत न हो। परन्तु व्यावहारिक स्थिति यह है कि राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल का परामर्श मानना होता है; क्योंकि भारत में संसदात्मक शासन व्यवस्था है तथा मंत्रिमण्डल संसद (लोकसभा) के प्रति उत्तरदायी है। 42वें 44वें संवैधानिक संशोधनों द्वारा अब राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री एवं मंत्रिमण्डल का परामर्श मानना आवश्यक हो गया है। इस प्रकारे राष्ट्रपति केवल कार्यपालिका का वैधानिक अध्यक्ष तथा प्रधानमंत्री वास्तविक अध्यक्ष है। वह राष्ट्रपति और मंत्रिमण्डल के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। |
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मंत्रियों के सामूहिक उत्तरदायित्व का अभिप्राय समझाइए। एक उदाहरण भी दीजिए। |
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Answer» मंत्रिमण्डलीय कार्यप्रणाली का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है–सामूहिक उत्तरदायित्व। मंत्रिगण व्यक्तिगत रूप से तो संसद के प्रति उत्तरदायी होते ही हैं, इसके अतिरिक्त सामूहिक रूप से प्रशासनिक नीति और समस्त प्रशासनिक कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल एक इकाई के रूप में कार्य करता है और सभी मंत्री एक-दूसरे के निर्णय तथा कार्य के लिए उत्तरदायी हैं। यदि लोकसभा किसी एक मंत्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करे अथवा उस विभाग से सम्बन्धित विधेयक रद्द कर दे तो समस्त मंत्रिमण्डल को त्याग-पत्र देना होता है। |
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स्थायी कार्यपालिका किसे कहते हैं? |
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Answer» जो लोग प्रतिदिन के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होते हैं, वे स्थायी कार्यपालिका कहलाते हैं। |
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भारत में कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान कौन है? |
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Answer» भारत में कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान राष्ट्रपति होता है। |
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कार्यपालिका के किन्हीं दो रूपों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» ⦁ एकल कार्यपालिका तथा |
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कार्यपालिका के प्रधान के चयन की विधियाँ बताइए। |
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Answer» कार्यपालिका के प्रधान के चयन की विधियाँ निम्नलिखित हैं – 1. वंशानुगत कार्यपालिका – यह पद्धति इंग्लैण्ड, जापान तथा बेल्जियम आदि देशों में है। इन देशों में राजतन्त्र अभी तक जीवित है। राजा को पद वंशानुगत होता है तथा उसका ज्येष्ठ पुत्र शासन का उत्तराधिकारी होता है। |
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राजनीतिक कार्यपालिका किसे कहते हैं? |
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Answer» सरकार के प्रधान और उनके मंत्रियों को राजनीतिक कार्यपालिका कहते हैं। |
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कार्यपालिका को एक न्यायिक कार्य बताइए। |
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Answer» प्रशासनिक विभाग द्वारा अर्थदण्ड देना, कार्यपालिका का एक न्यायिक कार्य है। |
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कार्यपालिका की नियुक्ति की दो विधियाँ बताइए। |
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Answer» ⦁ निर्वाचन पद्धति तथा |
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किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपने विवेक का प्रयोग करता है? |
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Answer» निम्नलिखित परिस्थितियों में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है – ⦁ यदि लोकसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो। |
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कहा जाता है कि प्रशासनिक-तन्त्र के कामकाज में बहुत ज्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। सुझाव के तौर पर कहा जाता है कि ज्यादा-से-ज्यादा स्वायत्त एजेंसियाँ बननी चाहिए जिन्हें मंत्रियों को जवाब न देना पड़े।(क) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन ज्यादा जन-हितैषी होगा?(ख) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन की कार्यकुशलता बढ़ेगी?(ग) क्या लोकतंत्र का अर्थ यह होता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशासन पर पूर्ण नियन्त्रण हो? |
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Answer» भारत में कार्यपालिका के दो प्रकार दिखाई देते हैं- एक राजनीतिक कार्यपालिका जो अस्थायी होती है। इसमें मंत्रियों के रूप में जन-प्रतिनिधि शामिल होते हैं। दूसरी स्थायी कार्यपालिका होती है। इसमें नौकरशाह (सरकारी कर्मचारी) होते हैं। ये अपने क्षेत्र में अनुभवी व विशेषज्ञ होते हैं। स्थायी नौकरशाही एक निश्चित राजनीतिक-प्रशासनिक वातावरण में कार्य करती है। इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप अधिक होता है। यह नौकरशाही की क्षमता को भी प्रभावित करती है। संसदात्मक कार्यपालिका में यह सम्भव नहीं है कि प्रशासनिक संस्थाएँ पूरी तरह से स्वायत्त हों व उनमें राजनीतिक हस्तक्षेप का कोई प्रभाव न हो। यह निश्चित है कि अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप अगर न हो तो प्रशासनिक संस्थाओं की क्षमता अवश्य बढ़ेगी। प्रतिनिध्यात्मक प्रजातन्त्र में जन-प्रतिनिधि जनता के हितों के रक्षक माने जाते हैं तथा प्रशासनिक कर्मचारियों व प्रशासनिक अधिकारियों का यह दायित्व है कि जन-प्रतिनिधियों के निर्देशन में जनहित को दृष्टिगत रखते हुए नीति-निर्माण करें। अतः आवश्यक सलाह को हस्तक्षेप नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि यह तो संसदात्मक सरकार के ढाँचे की अनिवार्यता है। जनहित के लिए यह आवश्यक है कि राजनीतिक कार्यपालिका व स्थायी नौकरशाही तालमेल बिठाकर अपने-अपने क्षेत्रों में रहकर कार्य करें। |
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किन देशों में कार्यपालिका के अध्यक्ष का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं के मतों द्वारा होता है? |
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Answer» फ्रांस, ब्राजील, चिली, पेरू, मैक्सिको, घाना आदि। |
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एक लोकसेवक की नियुक्ति किस प्रकार होती है? स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» लोकसेवक स्थायी कार्यपालिका के अन्तर्गत आते हैं जो राजनीतिक कार्यपालिका की नीतियों, आदेशों तथा कानूनों को क्रियान्वयन करते हैं। पदाधिकारी की नियुक्ति योग्यता के आधार पर की जाती है। उसकी नियुक्ति की प्रक्रिया निम्नानुसार है – संघीय पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए संघ लोकसेवा आयोग तथा राज्य के पदाधिकारी की नियुक्ति के लिए राज्य लोकसेवा आयोग कार्यरत है। सर्वप्रथम पदों के लिए सार्वजनिक सूचना द्वारा योग्यता रखने वाले उम्मीदवारों से प्रार्थना-पत्र माँगे जाते हैं। यदि आवेदकों की संख्या पदों की संख्या से बहुत अधिक हो तो एक लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाता है। लिखित परीक्षा के आधार पर एक योग्यता सूची तैयार की जाती है और उसी के अनुसार एक निश्चित संख्या में उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। साक्षात्कार में उम्मीदवार की सामान्य ज्ञान, सूझ-बूझ, सतर्कता तथा व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है और फिर अन्तिम रूप से योग्यता सूची तैयार की जाती है। इस सूची के अनुसार ही पदाधिकारी को नियुक्त किया जाता है और बहुत-से पदों के लिए नियुक्ति से पहले प्रशिक्षण भी दिया जाता है। |
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नियुक्ति आधारित प्रशासन की जगह निर्वाचन आधारित प्रशासन होना चाहिए। इस विषय पर 200 शब्दों में एक लेख लिखें। |
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Answer» निर्वाचित प्रशासन का अर्थ विश्व के लगभग सभी देशों में प्रशासन स्थायी कर्मचारियों द्वारा चलाया जाता है जो योग्यता तथा खुली प्रतियोगिता के आधार पर नियुक्त किए जाते हैं। ये कर्मचारी या अधिकारी स्थायी रूप से पद पर बने रहते हैं और उन्हें पद प्राप्त करने के लिए चुनाव नहीं लड़ना पड़ता, इसीलिए उन्हें स्थायी कार्यपालिका कहा जाता है। ये नियुक्ति आधारित प्रशासन का गठन करते हैं। यदि प्रशासन के सभी पदों पर नियुक्ति हेतु निर्वाचन की व्यवस्था कर दी जाए और कर्मचारी को प्रत्येक चार-पाँच वर्ष बाद चुनाव लड़ना पड़े और यह भी आवश्यक नहीं कि वह पुन: इस पद पर चुना जाए तो इसे निर्वाचित प्रशासन कहा जाएगा। नियुक्त प्रशासन ही उचित तथा लाभदायक है- नियुक्त प्रशासन के स्थान पर निर्वाचित प्रशासन अच्छा तथा लाभदायक नहीं हो सकता, नियुक्त प्रशासन ही उचित होता है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं- 1. प्रशासन एक कला है जिसके लिए विशेष योग्यता तथा जानकारी की आवश्यकता होती है और स्थायी रूप से एक ही प्रकार का कार्य करने से व्यक्ति में अनुभव व निपुणता आती है। यह योग्यता निर्वाचित व्यक्तियों को प्राप्त नहीं होती। |
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संघीय मंत्रि-परिषद् के सदस्य सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी है।(क) राज्यसभा(ख) लोकसभा(ग) लोकसभा व राज्यसभा दोनों(घ) लोकसभा, राज्यसभा तथा राष्ट्रपति |
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Answer» सही विकल्प है (ख) लोकसभा। |
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भारतीय नौकरशाही में कौन-कौन सम्मिलित हैं? |
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Answer» भारतीय नौकरशाही में अखिल भारतीय सेवाएँ, प्रान्तीय सेवाएँ, स्थानीय सरकार के कर्मचारी और लोक उपक्रमों के तकनीकी तथा प्रबन्धकीय अधिकारी सम्मिलित हैं। |
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मंत्रिपरिषद् किसके प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है? |
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Answer» मंत्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है। |
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भारत में मंत्रिपरिषद् का प्रधान कौन होता है। |
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Answer» भारत में मंत्रिपरिषद् का प्रधान प्रधानमंत्री होता है। |
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किसी एक परिस्थिति का उल्लेख कीजिए, जिसके अन्तर्गत राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा कर सकता है। |
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Answer» यदि देश पर युद्ध या बाहरी शक्ति का आक्रमण हो जाए या सशस्त्र विद्रोह की अवस्था विद्यमान हो जाए तो उस परिस्थिति में राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा कर सकता है। |
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संविधान में उल्लिखित विधि के समक्ष समता से भारत में कौन व्यक्ति उन्मुक्त है? |
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Answer» भारत का राष्ट्रपति उन्मुक्त है। |
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क्या मंत्रिमण्डल की सलाह राष्ट्रपति को हर हाल में माननी पड़ती है? आप क्या सोचते हैं? |
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Answer» भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में उल्लेख है कि राष्ट्रपति को उसके कार्यों में सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिमण्डल होगा जो उनकी सलाह के अनुसार कार्य करेगा। 42वें संविधान संशोधन के अनुसार यह निश्चित किया गया था कि राष्ट्रपति को मंत्रिमण्डले की सलाह अनिवार्य रूप से माननी होगी। परन्तु संविधान के 44वें संविधान संशोधन में फिर यह निश्चय किया कि राष्ट्रपति प्रथम बार में मंत्रिमण्डल की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है। वह सलाह’ को पुनः विचार-विमर्श हेतु भेज सकता है परन्तु दुबारा विचार-विमर्श के पश्चात् दी गई ‘सलाह’ को उसे अनिवार्य रूप से मानना होगा। |
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निम्नलिखित संवाद पढे। आप किस तर्क से सहमत हैं और क्यों?अमित – संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारनाशमा – राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए।राजेश – हमें राष्ट्रपति की जरूरत नहीं। चुनाव के बाद, संसद बैठक बुलाकर एक नेता चुन सकती है जो प्रधामंत्री बने। |
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Answer» हम शमा के तर्क से कुछ सीमा तक सहमत हो सकते हैं। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है; अत: उसे प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार भी होना चाहिए। सिद्धान्त रूप से ऐसा है कि राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की औपचारिक रूप से नियुक्ति करता है व संविधान के अनुच्छेद 78 के अनुरूप प्रधानमंत्री अपना कार्य न करे व राष्ट्रपति को माँगी गई सूचना न दे तो वह प्रधानमंत्री को हटा भी सकता है। |
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मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमण्डल में क्या अन्तर है? |
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Answer» मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमण्डल में अन्तर मंत्रिपरिषद् और मंत्रिमण्डल का प्रायः लोग एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं, जब कि इनमें अन्तर हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि भारत के संविधान में मात्र मंत्रिपरिषद् का उल्लेख है। मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमण्डल के अन्तर को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है (1) आकार में अन्तर – मंत्रिपरिषद् में लगभग 60 मंत्री होते हैं, जब कि मंत्रिमण्डल में प्रायः 15 से 20 मंत्री होते हैं। |
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न्यायपालिका के दो कार्यों का उल्लेख कीजिए तथा स्वतंत्र न्यायपालिका के पक्ष में दो तर्क प्रस्तुत कीजिए।यालोकतंत्रात्मक शासन में स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता एवं महत्ता पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» किसी लोकतंत्रात्मक शासन में एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका सर्वथा अनिवार्य है। इसे आधुनिक और प्रगतिशील संविधानों एवं शासन-व्यवस्था का प्रमुख लक्षण माना जाता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता के महत्त्व को निम्नलिखित रूपों में प्रकट किया जा सकता है – 1. लोकतंत्र की रक्षा हेतु – लोकतंत्र के अनिवार्य तत्त्व स्वतंत्रता और समानता हैं। नागरिकों की स्वतंत्रता और कानून की दृष्टि से व्यक्तियों की समानता -इन दो उद्देश्यों की प्राप्ति स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा ही सम्भव है। इस दृष्टि से स्वतंत्र न्यायपालिका को ‘लोकतंत्र का प्राण’ कहा जाता है। न्यायपालिका के दो कार्य – न्यायपालिका के दो कार्य निम्नलिखित हैं |
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राज्यसभा का सभापति कौन होता है? |
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Answer» राज्य सभा का सभापति उपराष्ट्रीय होता है। |
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राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मण्डल में कौन-कौन सम्मिलित होते है? |
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Answer» राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधान सभाओं तथा दिल्ली एवं पुदुचेरी सदस्य सम्मिलित होते हैं। |
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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (भरकर)-(क) राष्ट्रपति का चुनाव ____ वर्ष के लिए होता है।(ख) भारत का प्रथम नागरिक ____ होता है।(ग) राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में _____ उसके स्थान पर कार्य करता है।(घ) लोकसभा में विश्वासमत प्राप्त करने के लिए ____ आवश्यक है। |
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Answer» (क) राष्ट्रपति का चुनाव पाँच वर्ष के लिए होता है। |
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केन्द्रीय मंत्रिपरिषद का गठन कैसे होता है ? |
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Answer» केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के गठन के लिए राष्ट्रपति ऐसे व्यक्ति को ही प्रधानमंत्री चुनता है। जिसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो। यदि वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है तो पद धारण की तिथि से छ: माह के भीतर किसी भी सदन का सदस्य बनना आवश्यक होगा। आमतौर पर राजनैतिक दलों के सदस्य चुनाव लड़ते हैं। जब किसी एक दल से ही लोकसभा के आधे से अधिक सदस्य चुन लिए जाते हैं तो यह दल अपना नेता चुनता है। उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त होता है। अतः उसे प्रधानमंत्री बनाया जाता है। प्रधानमंत्री के सुझाव पर राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् के सदस्यों की नियुक्ति करता है। |
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राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है? |
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Answer» यदि राष्ट्रपति संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करे तो उसे संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। उसे हटाने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में रखा जा सकता है। |
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मंत्रिपरिषद् पर नियंत्रण कैसे रखा जा सकता है? |
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Answer» संसद मंत्रिमंडल पर नियन्त्रण रखती है। यदि प्रधानमन्त्री और मंत्रिपरिषद ठीक से कार्य न करें तो उन पर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। बहुमत से प्रस्ताव पारित होने पर मंत्रिमंडल को हटा दिया जाता है। इसके अलावा सांसद, मंत्रियों से प्रश्न कर सकते हैं, किसी विषय पर मंत्रिमंडल का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं, बजट पर टिप्पणी कर सकते हैं। |
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हमारे देश में कानून किसके द्वारा लागू किया जाता है? |
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Answer» हमारे भारत में कानून प्रधानमन्त्री एवं केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा लागू किया जाता है। |
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