InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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‘तुम कभी भी नहीं आओगे सूखे बरगद को हरीतिमा देने’ का भावार्थ समझाइए। |
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Answer» कवि का जीवन सूखे बरगद की भाँति चेतना – शून्य हो गया है। फिर भी वह अपने जीवन में नएपन की उम्मीद लगाए बैठा है। जबकि उसे मालूम है कि उसके शुष्क जीवन में नयापन कभी नहीं आनेवाला है। |
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कवि के जीवन में नयेपन का एहसास क्यों नहीं है? |
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Answer» कवि के जीवन में करने के लिए केवल दो ही काम रह गए हैं- घर से निकलकर ऑफिस जाना और ऑफिस से घर आना। एक प्रकार से उसका जीवन यांत्रिक बन गया है। कवि को अपना जीवन उस सूखे बरगद के पेड़ की तरह लगता है, जिसका फिर से हरा-भरा होना असंभव है। इसलिए कवि को अपने जीवन में नयेपन का एहसास नहीं होता। |
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| 3. |
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध रूप में फिर से लिखिए :किसी और दूसरे आदमी को भेजो।यह सरकारी मिट्टी के तेल की दुकान है।यहाँ ताजा भैंस का दूध मिलता है। |
Answer»
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‘कैलेंडर’ कविता का केंद्रीय भाव लिखिए। |
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Answer» कैलेंडर’ कविता में कवि ने चेतनाहीन जीवन और जीवन में नएपन के अभाव का चित्रण किया है। कविता का यही केंद्रीय भाव है। |
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कवि की दिनचर्या क्या है? |
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Answer» कवि रोज घर से निकलकर ऑफिस जाता है। फिर वह ऑफिस से घर आता है। सूर्योदय के साथ कवि का फिर वही क्रम शुरू हो जाता है। |
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| 6. |
एक सप्ताह में कितने घंटे होते हैं ? |
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Answer» 7 x 24 = 168 घंटे |
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कवि रोज किसे बदलता है? |
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Answer» कवि रोज अपने आप को बदलता है। |
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तीन घंटे में कितने मिनट होते हैं ? |
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Answer» 3 x 60 = 180 मिनट |
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देखो और लिखो, कितने बजे हैं?1.2. |
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Answer» 1. छोटी सुई 4 पर है। बड़ी सुई 12 पर है। 4 बजे हैं। 2. छोटी सुई 8 पर है। बड़ी सुई 12 पर है। 8 बजे हैं। |
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घर और दफ्तर में क्या टँगा है? |
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Answer» घर और दफ्तर में कैलेंडर टंगा है। |
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कवि घर से निकल कर कहाँ जाता है?(क) दफ़्तर(ख) दुकान(ग) कॉलेज(घ) विद्यालय |
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Answer» सही विकल्प है (क) दफ़्तर |
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| 12. |
कैलेंडर कहाँ लगा है?(क) घर और दफ्तर में(ख) घर और दुकान में(ग) घर और विद्यालय में(घ) विद्यालय और दुकान में |
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Answer» सही विकल्प है (क) घर और दफ्तर में |
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| 13. |
दिन छिपने पर कवि किसका इंतजार करता है? क्यों? |
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Answer» दिन छिपने पर कवि अपने जीवन में नयापन आने का इंतजार करता है। इसलिए कि कवि को अपना जीवन यांत्रिक लगने लगा है। |
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| 14. |
कवि ने किस पेड़ का जिक्र किया है? |
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Answer» कवि ने बरगद के पेड़ का ज़िक्र किया है। |
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कैलेंडर को देखकर कवि को क्या याद आता है?(क) मीठी यादें(ख) बुरे दिन(ग) रोज की दिनचर्या(घ) पुराने मित्र |
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Answer» सही विकल्प है (ग) रोज की दिनचर्या |
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कविता का सरल अर्थ :(1) घर और दफ्तर ………… और ऑफिस से घर।(2) दिन-महीना बदलता ……….. रोज बदलता हूँ।(3) पर कुछ भी …………. इंतजार करता हूँ।(4) पर क्या करू …….. हरीतिमा देने। |
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Answer» (1) घर और दफ्तर ………… और ऑफिस से घर। कवि जीवन में व्याप्त नीरसता से त्रस्त हैं। वे कहते हैं कि घर और दफ्तर दोनों जगह कैलेंडर टंगे हैं। उसे देखकर मुझे अपने दिनभर के कार्यों की याद आती है। मैं रोज घर से निकलकर ऑफिस जाता हूँ और आफिस से सीधे घर आ जाता है। मेरा सिर्फ इतना ही काम रह गया है। (2) दिन-महीना बदलता ……….. रोज बदलता हूँ। कवि कहते हैं कि जीवन यंत्रवत् हो गया है। एक दिन जाता है, दूसरा दिन आ जाता है। एक महीना बीतता है और दूसरा महीना आरंभ हो जाता है। दिन-महीने बदलते जाते हैं। महीने के साथ कैलेंडर का पन्ना भी बदल जाता है। कवि कहते हैं कि वे भी प्रतिदिन कैलेंडर के पन्ने की भांति बदल जाते हैं। (3) पर कुछ भी …………. इंतजार करता हूँ। कवि कहते हैं कि उनके जीवन में कुछ नयापन बिलकुल नहीं है। अपने पुराने एहसास के साथ रोज सूर्यास्त होने पर वे सुबह की उम्मीद में नएपन का इंतजार करते हैं। (4) पर क्या करू …….. हरीतिमा देने। कवि अपनी मजबूरी की चर्चा करते हुए कहते हैं कि उनके सामने कोई चारा ही नहीं है। सूर्योदय होने पर फिर वही काम शुरू होना है। कवि कहते हैं कि उनके यंत्रवत् जीवन में शुष्कता आ गई है। उन्हें भलीभांति इस बात की जानकारी है कि उनके जीवन की यह शुष्कता दूर करने के लिए उनके जीवन में नयापन, नई चेतना बिलकुल नहीं आनेवाली है, तब भी उन्हें इसका फिर से इंतजार है। |
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