InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो | यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ाकर संख्या क्यों बताई है? |
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Answer» यह सत्य है कि यदि इतिहास लिखित तथ्यों पर विश्वास रखता है तो नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों के यायावरों के समाज के बारे में हमेशा ही प्रतिकूल विचार रखे जाएँगे। इन साहित्यकारों ने यायावरों के समाज सम्बन्धी जो सूचनाएँ प्रस्तुत की हैं, वे पक्षपातपूर्ण और विभिन्न दोषों से परिपूर्ण हैं। फारसी इतिहासकारों ने मंगोल अभियान में मारे गए लोगों की संख्या निम्नलिखित कारणों से |
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यायावरी लोगों में कौन-सा गुण नहीं होता?(क) घुमक्कड़ी(ख) आखेटक(ग) संग्रही(घ) स्थायी निवास |
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Answer» सही विकल्प है (घ) स्थायी निवास |
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मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह उनके ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देंगे? |
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Answer» मंगोल और बेदोइन समाज यायावरी समाज था। बेदोइन मंगोलों के समान क्रूर और असभ्य नहीं थे। वे ऊँटों के साथ चारे की तलाश में यहाँ-वहाँ भटकते रहते। कालान्तर में वे शहरों में बस गए। और व्यापार या कृषि कार्य करने लगे, जबकि मंगोल लूटमार कर अपना पोषण करते थे। हालाँकि कालान्तर में ये सभ्य हुए और इन्होंने अपना साम्राज्य स्थापित किया। मंगोलों और बेदोइन की इस भिन्नता का कारण पर्यावरणीय स्थितियाँ और नेतृत्व की विचारधारा को माना जा सकता है। |
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चंगेज खान ने यह क्यों अनुभव किया कि मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता है? |
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Answer» मंगोलों के विभिन्न निकायों में अलग-अलग प्रकार के लोगों का एक विशाल समूह सम्मिलित था जिन्होंने चंगेज खान की सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार कर लिया था। इसमें पराजित लोग भी शामिल थे। चंगेज खान इन विभिन्न जनजातीय समूहों की पहचान को क्रमबद्ध रूप से मिटाकर उन्हें एक नई पहचान देना चाहता था। इसलिए उसे मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता अनुभव दुई। |
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मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था? |
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Answer» स्टैपी प्रदेशों में मूल आवश्यकताओं की वस्तुओं के स्रोतों की कमी के कारण मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों को व्यापार और वस्तुओं के विनिमय के लिए चीनवासियों के पास जाना पड़ता था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले खेती से प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फर और शिकार का व्यापार (विनिमय) करते थे। जब मंगोल कबीलों के लोगों के साथ मिलकर व्यापार करते थे तो वे अपने चीनी पड़ोसियों से व्यापार में लाभकारी शर्ते और व्यापारिक सम्बन्ध रखते थे। इन सभी परिस्थितियों के कारण मंगोलों के लिए व्यापार महत्त्वपूर्ण था। |
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मंगोल मूलतः कहाँ के निवासी थे?(क) स्टेपी प्रदेश(ख) भारत(ग) चीन(घ) पाकिस्तान |
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Answer» सही विकल्प है (क) स्टेपी प्रदेश |
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यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिन्तन किस तरह चंगेज खान की स्मृति के साथ जुड़े | हुए उनके तनावपूर्ण सम्बन्धों को उजागर करता है? |
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Answer» ‘यास’ एक प्रकार की नियम-संहिता है। चंगेज खान ने 1206 ई० में यह संहिता किरिलताई में लागू की थी। अपने प्रारम्भिक स्वरूप में यास को यसाक (Yasaq) लिखा जाता था जिसका अर्थ था विधि, आज्ञप्ति व आदेश। वास्तव में जो थोड़ा-बहुत विवरण यसाक के बारे में हमें मिला है उसका सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है; जैसे-आखेट, सैन्य और डाक-प्रणाली का संगठन। 13वीं सदी के मध्य तक, किसी तरह से मंगोलों ने ‘यास’ शब्द का प्रयोग अधिक सामान्य रूप से करना प्रारम्भ कर दिया। इसका मतलब था-चंगेज खान की विधि संहिता। 16वीं शताब्दी के अन्त में चंगेज खान के सबसे बड़े पुत्र जोची का एक दूर का वंशज अब्दुल्लाह खान बुखारा के उत्सव मैदान में गया वहाँ उसने छुट्टी की नमाज अदा की और यास के नियमों का उल्लंघन किया। परवर्ती मंगोलों का चिन्तन यास के विषय में बदल गया था। |
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मंगोल कौन थे? |
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Answer» मंगोल का शाब्दिक अर्थ ‘दिलेर’ या ‘बहादुर’ होता है। मंगोल मध्य एशिया की एक असभ्य और बर्बर जाति थी। |
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चंगेज खान किस देश का राष्ट्रनायक है? |
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Answer» चंगेज खान मंगोलिया का राष्ट्रनायक है। |
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क्वारिलताई संस्था क्या थी? |
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Answer» चंगेज खान के परिवार के सदस्यों में राज्य के उत्तरदायित्व का निर्धारण क्वारिलताई नामक परिषद् करती थी। यह मुखियाओं की परिषद् होती थी। उत्तरदायित्व के अन्तर्गत राज्य के भविष्य के निर्णय, अभियान, लूट के माल का बँटवारा, चरागाह भूमि का प्रबन्ध आदि आता था। |
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तैमूर के आक्रमण का घातक प्रभाव किस पर पड़ा? |
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Answer» तैमूर के भारतीय आक्रमण को सबसे घातक प्रभाव तुगलक वंश पर पड़ा। उसकी शक्ति और प्रतिष्ठा धूल में मिल गई। |
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यास क्या है? इसकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए। |
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Answer» ‘यास’ को चंगेज खान की विधिसंहिता कहा जाता है। इस बात की पूरी सम्भावना है कि ‘यास मंगोल जाति की ही प्रथागत परम्पराओं का एक संकलन था। यास मंगोलों को समान आस्था रखने के आधार पर संयुक्त करने में सफल हुआ। यास ने मंगोलों को आत्मविश्वास प्रदान किया। निश्चित रूप से यास एक शक्तिशाली सिद्धान्त था जिसने मंगोल साम्राज्य की संरचना में अहम् भूमिका निभाई थी। |
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तैमूर के भारत पर आक्रमण के क्या उद्देश्य थे? |
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Answer» तैमूर के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य निम्नलिखित थे |
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तैमूर के भारतीय आक्रमण के प्रभावों को रेखांकित कीजिए। |
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Answer» तैमून के भारतीय आक्रमण के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित थे |
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मंगोलों की पराजय के दो प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए। |
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Answer» मंगोलों की पराजय के क़ई कारण थे, जिनमें से दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं ⦁ मंगोल सेना की निर्बलताएँ—यद्यपि मंगोल सेना संख्या में अधिक होती थी, परन्तु मंगोल सैनिक संगठित एवं नियोजित रूप में युद्ध करने की कला से अनभिज्ञ थे। उनमें धैर्य एवं सहनशीलता का भी पर्याप्त अंभाव था। यही कारण है कि कई बार दिल्ली के समीप आकर भी बिना युद्ध किए ही वापस लौट गए। |
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मंगोलों की सामाजिक दशा के बारे में आप क्या जानते हैं? |
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Answer» मंगोलों की सामाजिक दशा |
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चंगेज खान का प्रारम्भिक नाम था(क) तेमुजिन(ख) च्यांग(ग) बाटू(घ) ओगोदेई |
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Answer» सही विकल्प है (क) तेमुजिन |
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चंगेज खान का वंशज था(क) तैमूर(ख) अकबर(ग) जहाँगीर(घ) औरंगजेब |
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Answer» सही विकल्प है (क) तैमूर |
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सल्तनत काल में भारत पर मंगोल आक्रमणों तथा उनके परिणामों का वर्णन कीजिए। अथवा अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति का परीक्षण कीजिए। अथवा बलबन तथा अलाउद्दीन खिलजी की मंगल नीतियों की तुलना कीजिए। |
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Answer» मंगोलों का परिचय मंगोल का शाब्दिक अर्थ ‘दिलेर या ‘बहादुर’ होता है। मंगोल मध्य एशिया की एक असभ्य और बर्बर जाति थी। इस जाति के लोग अत्यन्त वीर, लड़ाकू, साहसी, अत्याचारी और निर्दयी होते थे। उन्हें व्यक्तियों के सिरों की मीनार बनाने, नगरों को जलाकर राख करने में बड़ा आनन्द आता था। उनकी आकृति भयानक, रंग पीला, चेहरा चपटा और चौड़ा, बाल काले, आँखे तिरछी, गाल की हड्डियाँ उभरी हुई, कान बड़े और खोपड़ी गोल होती थी। इनका प्रमुख नेता चंगेज खान था जिसके नेतृत्व में मंगोलों ने कुछ ही वर्षों में बल्ख, बुखारा, समरकन्द चीन तथा मध्य एशिया के अनेक राज्यों को लूटकर और जलाकर पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था। दिल्ली सुल्तानों की मंगोल नीति भारत एक दुर्ग के समान है। इसमें प्रवेश करने का एकमात्र स्थल मार्ग उत्तर-पश्चिम से ही है। इसी मार्ग से भारत पर सिकन्दर, महमूद गजनवी तथा मुहम्मद गोरी आदि ने आक्रमण किए थे। सल्तनत काल का आरम्भ होने के समय से ही इस सीमा से प्रविष्ट होने वाले मंगोलों के आक्रमण होने लगे थे। ख्वारिज्म के शाह ने पंजाब को अपने साम्राज्य का अंग बना लिया था। मंगोलों ने अफगानिस्तान, गजनी तथा पेशावर तक अपनी विजय-पताका फहराकर भारत पर सुनियोजित ढंग से आक्रमण करना आरम्भ कर दिया था। अतएव दिल्ली सल्तनत काल के आरम्भ में ही, मंगोलों के आक्रमण से सीमा को सुरक्षित रखने की समस्या सुल्तानों के समक्ष उत्पन्न हुई। इस समस्या को हल करने के लिए विभिन्न राजवंशों के सुल्तानों ने अपनी विभिन्न नीतियों का प्रयोग किया। (क) ⦁ इल्तुतमिश का शासनकाल : दास वंश का प्रथम शासक कुतुबद्दीन ऐबक था। अल्प आयु में ही मृत्यु हो जाने के कारण वह शासन के कार्यों को भली-भाँति न देख सका। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश के शासनकाल (1221 ई०) में मंगोल नेता चंगेज खाने, ख्वारिज्म के शाह जलालुद्दीन मगबर्नी का पीछा करता हुआ भारत की ओर आया था। शाह जलालुद्दीन ने सिन्ध को पार करके दोआब प्रदेश को अपना शरण-स्थल बनाना चाहा था, किन्तु दूरदर्शी इल्तुतमिश ने शाह जलालुद्दीन को सहायता नहीं दी। अत: इल्तुतमिश ने कूटनीति से कार्य करते हुए चंगेज खान से शत्रुता मोल नहीं ली थी। अत: चंगेज खान ने सिन्धु नदी को पार नहीं किया और वह वापस लौट गया। इस प्रकार, मंगोलों की भयंकर आँधी टल गई। (ख) ⦁ खिलजी का शासनकाल–अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में मंगोलों ने बार-बार आक्रमण किए। 1299 ई० में साल्दी व कुतलुग ख्वाजा, 1303 ई० में तार्गी औरी 1305 ई० में अलीबेग, 1306 ई० में कूबक और 1307 ई० में इकबाल मन्दा के नेतृत्व में मंगोलों ने आक्रमण किए, किन्तु अलाउद्दीन की विशाल सेना के सामने इन मंगोल आक्रमणकारियों का सदैव नतमस्तक होना पड़ा। मंगोलों के आक्रमण का प्रभाव मंगोलों के आक्रमण के निम्नलिखित प्रभाव हुए |
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तैमूर के आक्रमण का वर्णन करते हुए उसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए। |
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Answer» तैमूर का परिचय तैमूर का जन्म 1336 ई० में ट्रांस ऑक्सियाना प्रदेश के केश नामक स्थान पर हुआ था। उसके पिता का नाम अमीर तुर्गे था जो वरलास शाखा को प्रमुख था। 1369 ई० में तैमूर ने समरकन्द के सिंहासन पर अधिकार कर लिया। सिंहासन पर अधिकार करने के उपरान्त उसने ईरान, अफगानिस्तान, इराक, ख्वारिज्म आदि देशों को जीत लिया। इसके बाद उसने भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई। तैमूर के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य तैमूर के भारत पर आक्रमण करने के निम्नलिखित उद्देश्य थे तैमूर का भारत पर आक्रमण सन् 1398 ई० में तैमूर ने 92,000 सैनिकों सहित भारत पर आक्रमण किया उस समय दिल्ली का सुल्तान मुहम्मद तुगलक था। उसने तैमूर का सामना किया, परन्तु वह तैमूर से परास्त होकर गुजरात की ओर भाग गया। तैमूर ने इस युद्ध से पूर्व एक लाख युद्धबन्दियों को कत्ल करवा दिया। तैमूर 15 दिन तक दिल्ली में रहा, वहाँ उसने खूब लूटमार मचायी। वह फिरोजाबाद, मेरठ, हरिद्वार होता हुआ काँगड़ा तथा जम्मू को लूटता हुआ समरकन्द लौट गया। इस मध्य उसने हजारों व्यक्तियों को दास बना लिया। वह अनेक कलाकारों को भी पकड़कर अपने साथ समरकन्द ले गया। उसने खिज्र खाँ को मुल्तान, लाहौर तथा दिमालपुर का शासक नियुक्त किया। तैमूर के आक्रमण का प्रभाव तैमूर के आक्रमण के प्रभाव निम्नलिखित थे |
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चंगेज खान और मंगोलों का विश्व इतिहास में क्या स्थान है? संक्षेप में लिखिए। |
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Answer» तेरहवीं शताब्दी ई० के चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के शहरों के बहुत-से निवासी चंगेज खान द्वारा किए गए स्टैपी के नर-संहारों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे। फिर भी मंगोलों के लिए चंगेज खान अब तक का सर्वाधिक महान् शासक था। उसने मंगोलों को एकजुट किया। लम्बे समय से चले आ रहे जनजातीय संघर्षों और चीनियों के शोषण से मुक्ति दिलवाई साथ ही उन्हें समृद्ध बनाया। एक शानदार पार महाद्वीपीय साम्राज्य गठित किया और व्यापार के रास्तों और बाजारों को खोल दिया। मंगोलों और किसी भी घुमक्कड़ शासन प्रणाली से सम्बन्धित जिस तरह के प्रलेख प्राप्त हुए हैं-उनसे यह समझना वास्तव में कठिन है कि वह कौन-सा ऐसा प्रेरणा स्रोत था जिसने व्यक्तियों के विभाजित हुए समूहों को संगठित कर साम्राज्य निर्माण की महत्त्वाकांक्षा को जाग्रत किया। मंगोल साम्राज्य के संस्थापक की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही। चौदहवीं शताब्दी ई० के अन्त में एक अन्य राजा तैमूर, जो एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था, ने स्वयं को राजा घोषित करने में संकोच का अनुभव किया, क्योंकि वह चंगेज खान का वंशज नहीं था। जब उसने अपने स्वतन्त्र प्रभुत्व की घोषणा की तो स्वयं को चंगेज खान का दामाद बताया। वर्तमान में दो दशकों के रूसी नियन्त्रण के पश्चात् मंगोलिया एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। उसने चंगेज खान को एक राष्ट्र-नायक के रूप में लिया है जिसका जनता सम्मान करती है और जिसकी उपलब्धियों का वर्णन अभिमान के साथ किया जाता है। मंगोलिया के इतिहास में इस निर्णायक समय पर चंगेज खान एक बार फिर मंगोलों के लिए एक आराध्य प्रतिमा के रूप में उभरकर सामने आया है, जो महान् अतीत की स्मृतियों को जाग्रत कर राष्ट्र की पहचान बनाने की दिशा में शक्ति प्रदान करेगा। |
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चंगेज खान का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उसके साम्राज्य विस्तार की विवेचना कीजिए। |
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Answer» चंगेज खान का जन्म 1162 ई० के लगभग आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका प्रारम्भिक नाम तेमुजिन था। उसके पिता कियात कबीले के मुखिया थे। उसके पिता की हत्या कर दी गई थी। तेमुजिन की माता ने उसका तथा उसके अन्य भाइयों का पालन-पोषण बड़ी कठिनाई से किया था। युवा होने पर तेमुजिन ने कैराइटे लोगों के शासक व अपने पिता के सगे भाई जो वृद्ध थे, तुगरिल ऊर्फ ओंग खान के साथ पुराने रिश्तों को स्थापित किया। 1180 और 1190 के दशकों में तेमुजिन और ओंग खाने में मित्रवत् सम्बन्ध रहे। उसने अपने पिता के हत्यारे शक्तिशाली तातार कैराइट और ओंग खान के विरुद्ध 1203 में युद्ध छेड़ा। 1206 तक तमाम शक्तिशाली लोगों को परास्त करने के बाद तेमुजिन स्टेपी प्रदेश की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। उसकी इस प्रतिष्ठा को मंगोल कबीले के सरदार (कुरिलताई) की एक सभा में मान्यता प्राप्त हुई और उसे चंगेज खान’ की उपाधि के साथ मंगोलों का महानायक घोषित किया गया। 1206 ई० में कुरिलताई में मान्यता मिलने से पूर्व चंगेज खान ने मंगोल लोगों को एक बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में संगठित कर लिया था। चंगेज खान की पहली इच्छा चीन पर विजय प्राप्त करने की थी। चीन उस समय तीन भागों में विभक्त था। ये थे-उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों के तिब्बती मूल के सी सिआ लोग, जरचेन लोगों का चिन राजवंश और दक्षिण चीन जिसे पर शुंग राजवंश का शासन था।1209 में सी-सिआ परास्त हो गए। 1213 में चीन की महान् दीवार का अतिक्रमण हो गया। 1215 में पेकिंग नगर को लूटा गया। चिन वंश के विरुद्ध 1234 तक लम्बी लड़ाइयाँ चलीं पर चंगेज खान अपने अभियानों की प्रगति से पूरी तरह सन्तुष्ट था। 1218 तक मंगोलों का साम्राज्य अमू दरिया, तुरान और ख्वारज्म राज्यों तक विस्तृत हो गया था।1219 और 1221 ई० तक के अभियानों में बड़े नगरों ओट्रार, बुखारा, समरकन्द, बल्ख, गुरगंज, मर्व, निशापुर और हेरात ने मंगोल सेनाओं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्धों में व्यतीत कर देने के बाद 1227 में चंगेज खान की मृत्यु हो गई। |
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चंगेज खान की मृत्यु कब हुई?(क) 1224 में(ख) 1226 में(ग) 1227 में(घ) 1238 में |
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Answer» सही विकल्प है (ग) 1227 में |
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निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए(अ) चंगेज खान(ब) तैमूर |
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Answer» (अ) चंगेज खान : चंगेज खान मंगोल सरदार हलाकू खान का भतीजा था। वह बड़ा ही क्रूर तथा अत्याचारी था। चंगेज खान ने अपनी वीरता व शौर्य से सम्पूर्ण मध्य एशिया को रौंद डाला। (ब) तैमूर : तैमूर बरलास तुर्क शाखा का एक प्रभावशाली नेता था। उसे बचपन से कुरान पढ़ने, तलवार चलाने और घोड़े पर चढ़ने का शौक था। तैमूर लंग शक्ति और तलवार का धनी था। उसने भारत पर 1398 ई० में आक्रमण करते हुए कहा था, “भारत पर आक्रमण करने का हमारा उद्देश्य काफिरों के विरुद्ध लड़ाई करना, पैगम्बर के आदेशानुसार उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए बाध्य करना, उस देश को बहुदेववाद और अन्धविश्वास से छुटकारा दिलाना तथा मंदिरों की मूर्तियों को तोड़-फोड़ करना है।” वस्तुतः तैमूर लंग का मूल उद्देश्य भारत की अपार सम्पत्ति एवं धन लूटना भी था। इसलिए तैमूर ने अपने आक्रमणों के अंतर्गत पंजाब एवं दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों को भी जी-भरकर लूटा था। उसने दिल्ली में तीन दिन तक सामूहिक कत्लेआम करवाया था और इस कत्लेआम में एक लाख सैनिकों को भी मरवा दिया था। तैमूर के आक्रमण के परिणामस्वरूप हिन्दू और मुस्लिमों में विनाशकारी द्वेष की भावना जाग्रत हो गई। हिन्दुओं के मंदिरों को बहुत अधिक क्षति पहुँचाई गई और बहुत-से हिंदुओं को मुसलमान बना दिया गया, जिससे हिन्दू जनता की धार्मिक भावना को बहुत अधिक ठेस पहुँची। तैमूर ने भारत को बुरी तरह लूटा और यहाँ के मन्दिरों को लूटकर देश को निर्धन बना दिया। |
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मंगोलिया गणराज्य कब बना?(क) सन् 1921 में(ख) सन् 1922 में(ग) सन् 1923 में(घ) सन् 1924 में |
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Answer» सही विकल्प है (क) सन् 1921 में |
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मार्को पोलो कौन था? |
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Answer» मार्को पोलो इटली का यात्री था। इसने अपने यात्रा वृत्तान्तों में मंगोलों के विषय में बहुत कुछ लिखा है। |
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उलुस किसे कहते हैं? |
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Answer» चंगेज खान ने नवविजित प्रदेशों के शासन का कार्य चार पुत्रों में बाँट दिया प्रत्येक को उलुस कहा जाता था। |
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बाबर का मंगोलों से क्या सम्बन्ध था? |
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Answer» जहीरुद्दीन बाबर तैमूर और चंगेज खान का वंशज था। उसने तैमूर के राज्य फरगान ओर समरकन्द में सफलता प्राप्त की। वहाँ से उसे निर्वासित किया गया। उसने 1526 ई० में काबुल, दिल्ली और आगरा पर अधिकार कर लिया और भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी। |
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‘बर्बर’ से क्या आशय है? |
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Answer» बर्बर (अंग्रेजी में बारबेरियन) शब्द यूनानी भाषा के बारबरोस (Barbaros) शब्द से उत्पन्न हुआ है, जिसका आशय गैर-यूनानी लोगों से है जिनकी भाषा यूनानियों को बेतरतीब कोलाहल ‘बर-बर’ के समान लगती थी। यूनानी ग्रन्थों में बर्बरों को बच्चों के समान दिखाया गया है जो सुचारू रूप से बोलने या सोचने में असमर्थ, डरपोक, विलासप्रिय, निष्ठुर, आलसी, लालची और स्वशासन चलाने में असमर्थ थे। |
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चंगेज खान के सैन्य संगठन का वर्णन कीजिए। |
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Answer» चंगेज खान का सैन्य संगठन |
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चंगेज खान कौन था और उसका साम्राज्य किन-किन महाद्वीपों में था? |
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Answer» चंगेज खान मंगोल साम्राज्य का संस्थापक था। उसका साम्राज्य यूरोप और एशिया महाद्वीप तक विस्तृत था। |
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बाटू के विषय में आप क्या जानते हैं? |
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Answer» बाटू चंगेज खान का पौत्र था जिसने 1236 से 1241 तक शासन किया। उसने अपने अभियान में रूस की भूमि को मास्को तक जीत लिया था। |
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सुल्तान महमूद कौन था? चंगेज खान उससे क्यों नाराज था? |
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Answer» सुल्तान महमूद ख्वारिज्म का शासक था। उसने मंगोल दूत की हत्या कर दी थी। इसलिए चंगेज खान उससे नाराज था और उसकी हत्या करने के लिए उसका पीछा करता रहा। |
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तैमूर ने भारत पर आक्रमण कब किया था? |
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Answer» तैमूर ने सन् 1398 में भारत पर आक्रमण किया था। |
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