InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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“जाने कब से तू तरस रहा” पंक्ति में ‘तू’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? |
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Answer» यहाँ ‘तू’ पपीहा के लिए प्रयुक्त हुआ है। वह स्वाति नक्षत्र की बूंद के लिए तरसता रहता है। |
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इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-पंक बना हरिचन्दनहल का है अभिनन्दन |
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Answer» कवि कहता है बादल के बरसने से जो कीचड़ बन रहा है, वह भी हरिचंदन के समान है। क्योंकि इसी कीचड़ में किसान फसल बोने की तैयारी कर रहे हैं। हल का अभिनंदन हो रहा है, किसान, उसे काँधे पर लिए खेतों की ओर निकल पड़े हैं। |
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| 3. |
“धरती का हृदय धुला’ और ‘दादुर का कंठ खुला’ से क्यो आशय है? |
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Answer» धरती को हृदय धुला’ से कवि का आशय यह है कि बादलों के बरसने से प्यासी धरा तृप्त हो गई, धूल चंदन रूपी कीचड़ बन गई, क्योंकि भूमि जोतने योग्य बन गई। ‘दादुर का कंठ खुला से कवि का आशय है-बादलों के बरसने से प्रसन्न मेंढक टर्र-टर्र कर गाने लगे। |
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| 4. |
कवि ने कदम्ब के फूलों की तुलना ‘कन्दुक’ से क्यों की है? |
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Answer» कन्दुक का अर्थ है-गेंद। गेंद गोल होती है। कदम्ब के फूलों की गोल आकृति के कारण उनकी तुलना कन्दुक से की गई है। |
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इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-बादल का कोप नहीं रीता,जाने कब से वो बरस रहाललचाई आँखों से नाहक,जाने कब से तू तरस रहा |
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Answer» ये पंक्तियाँ पपीहे को इंगितकर लिखी गई हैं। कवि कहता है कि बादल का कोप रीता नहीं है यानी वह लगातार बरस रहा है और बहुत समय से बरस रहा है लेकिन पपीहे की प्यास अभी भी नहीं बुझ रही। वह तो ललचाई आँखों से अभी भी स्वाति नक्षत्र में बरसनेवाली उस एक बूंद की प्रतीक्षा में प्यासा है। |
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