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This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
| 1. | महान दार्शनिक वाल्टेयर ने किस देश की क्रान्ति को प्रभावित किया था?(क) अमेरिका(ख) इंग्लैण्ड(ग) रूस(घ) फ्रांस | 
| Answer» सही विकल्प है (घ) फ्रांस | |
| 2. | नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है? | 
| Answer» नेपोलियन का उदय 1796 में निर्देशिका के पतन के बाद हुआ। निदेशकों का प्रायः विधान सभाओं से झगड़ा होता था जो कि बाद में उन्हें बर्खास्त करने का प्रयास करती। निर्देशिका राजनैतिक रूप से अत्यधिक अस्थिर थी; अतः नेपोलियन सैन्य तानाशाह के रूप में सत्तारूढ़ हुआ। सन् 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने स्वयं को फ्रांस का सम्राट बना लिया। 1799 ई. में डायरेक्टरी के शासन का अंत करके वह फ्रांस का प्रथम काउंसल बन गया। शीघ्र ही शासन की समस्त शक्तियाँ उसके हाथों में केंद्रित हो गईं। | |
| 3. | फ्रांस में राजतंत्र का अन्त एवं गणतन्त्र की स्थापना किस प्रकार हुई? | 
| Answer» 1791 ई. में फ्रांस की राष्ट्रीय सभा ने संविधान का पूर्ण प्रपत्र तैयार किया। संविधान द्वारा राजा के अधिकार सीमित करते हुए शासन की शक्तियाँ विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में वितरित की गयीं। इस प्रकार फ्रांस को संवैधानिक राजतंत्र में रूपांतरित किया गया। संविधान का प्रारम्भ  पुरुष एवं नागरिक अधिकारों की घोषणा के साथ हुआ जिन्हें नैसर्गिक एवं अहरणीय रूप में स्थापित किया गया जिन्हें कोई नहीं छीन सकता था। यह सरकार का कर्तव्य था कि वह प्रत्येक नागरिक के प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करे। | |
| 4. | फ्रांस की क्रान्ति के दो कारण लिखिए। | 
| Answer» फ्रांस की क्रान्ति के दो कारण निम्नलिखित हैं 1. राजाओं की मनमानी तथा 2. उच्च वर्ग के विशेष अधिकार | |
| 5. | फ्रांस के राजकोष के रिक्त होने के कोई दो कारण लिखिए। | 
| Answer» फ्रांस के राजकोष के रिक्त होने के दो कारण निम्नलिखित हैं 1. राजाओं द्वारा अपव्यय – राजा जनता पर नये-नये कर लगाते रहते थे तथा करों के रूप में वसूली गयी धनराशि को मनमाने ढंग से विलासिता के कार्यों पर खर्च करते थे। लुई चौदहवें ने 10 करोड़ की लागत से अपना शानदार महल बनवाया था। जिसमें 18 हजार व्यक्ति रहते थे। राजाओं ने जनता की खून- पसीने की कमाई को भोग-विलास में खर्च करके राजकोष को खाली कर दिया था। 2. उच्च वर्गों की करों से मुक्ति – तत्कालीन राज्य में जो वर्ग कर चुकाने की स्थिति में थे, उन पर क़र नहीं लगाये जाते थे। उच्च वर्ग के लोग; जैसे-पादरी वर्ग, कुलीन वर्ग। ये लोग शासन को किसी प्रकार का कोई कर नहीं देते थे। उसके स्थान पर जनता का शोषण करते तथा उनसे वसूली गयी रकम से ऐश करते थे। गरीब जनता, जिसे खाने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं थी वो कर कहाँ से देती। इस प्रकार कर-वसूली कम होना, खर्च अधिक होना ही राजकोष के खाली होने का प्रमुख कारण था। | |
| 6. | ‘सोसाइटी ऑफ रेवोल्यूशनरी एण्ड रिपब्लिकन विमेन’ की प्रमुख माँग बताइए। | 
| Answer» इस क्लब की प्रमुख माँग थी कि फ्रांस के समाज में महिला-पुरुष के बीच लैंगिक आधार पर विभेद न करके उन्हें एक समान माना जाए और समान राजनीतिक अधिकार प्रदान किए जाएँ। | |
| 7. | जैकोबिन सरकार के पतन के बाद फ्रांस में किस तरह की सरकार स्थापित हुई? | 
| Answer» जैकोबिन सरकार के पतन के उपरान्त एक नया संविधान लागू किया गया जिसने समाज के संपत्तिहीन नागरिकों को मताधिकार से वंचित रखा। संविधान में दो चुनी गई विधान परिषदों का प्रावधान था। इन परिषदों ने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका डाइरेक्ट्री को नियुक्त किया जिसे डाइरेक्ट्री शासन कहा गया। | |
| 8. | उस सभा का नाम लिखिए जिसके बुलाने से फ्रांस में क्रान्ति का विस्फोट हुआ। | 
| Answer» सामन्ती सभा ‘स्टेट्स जनरल के अधिवेशन बुलाने के साथ ही फ्रांस में क्रान्ति का विस्फोट हो गया। | |
| 9. | फ्रांस की क्रान्ति का फ्रांस तथा विश्व पर क्या प्रभाव पड़ा ? उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।याफ्रांस की क्रान्ति का प्रभाव यूरोप के अन्य देशों पर किस प्रकार पड़ा ?याविश्व को फ्रांस की राज्य क्रान्ति की क्या देन है ? किन्हीं दो की चर्चा कीजिए।याफ्रांस की क्रान्ति के महत्व पर प्रकाश डालिए। | 
| Answer» फ्रांस की क्रान्ति (1789 ई०) विश्व इतिहास की युगान्तकारी (महत्त्वपूर्ण) घटना थी। इस क्रान्ति के फ्रांस तथा विश्व पर बड़े दूरगामी प्रभाव पड़े, जो निम्नलिखित हैं – 1. फ्रांस की क्रान्ति के फलस्वरूप यूरोप में निरंकुश शासन का लगभग अन्त हो गया। 2. फ्रांस की क्रान्ति की देखा-देखी यूरोप के अन्य देशों में भी क्रान्तियाँ हुईं। 3. फ्रांस की क्रान्ति से प्रेरित होकर अन्य राज्यों के शासकों ने शासन-व्यवस्था में अनेक सुधार किये तथा । जन-कल्याण के कार्य प्रारम्भ किये। 4. यूरोपीय देशों में लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों का प्रसार हुआ। 5. समानता, स्वतन्त्रता तथा बन्धुत्व के सिद्धान्तों ने विश्व की राजनीति में हलचल मचा दी। 6. इंग्लैण्ड में लोकतन्त्रीय आन्दोलन को बल मिला, जिससे वहाँ संसदीय सुधारों का ताँता लग गया। 7. अमेरिका महाद्वीप के अनेक देशों ने पुर्तगाल तथा स्पेन के उपनिवेशों को समाप्त करके गणतन्त्र स्थापित कर लिये। 8. संसार के अनेक राष्ट्रों में वयस्क मताधिकार का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। 9. फ्रांस की क्रान्ति ने धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को जन्म दिया और लोकप्रिय सम्प्रभुता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। 10. इस क्रान्ति ने सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन सामन्ती व्यवस्था का अन्त कर दिया। 11. फ्रांस के क्रान्तिकारियों द्वारा की गयी ‘मानव और नागरिकों के जन्मजात अधिकारों की घोषणा (27 अगस्त, 1789 ई०) मानव-जाति की स्वाधीनता के लिए बड़ी महत्त्वपूर्ण है। 12. इस क्रान्ति ने इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड तथा अन्य यूरोपीय देशों की विदेश-नीति को प्रभावित किया। 13. कुछ विद्वानों के अनुसार फ्रांस की क्रान्ति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी, क्योंकि इसने समानता का सिद्धान्त प्रतिपादित कर समाजवादी व्यवस्था का मार्ग भी खोल दिया था। 14. इस क्रान्ति के फलस्वरूप फ्रांस ने कृषि, उद्योग, कला, साहित्य, राष्ट्रीय शिक्षा तथा सैनिक गौरव के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति की। | |
| 10. | फ्रांस की क्रान्ति में ‘टेनिस कोर्ट की शपथ’ का क्या महत्त्व है? इसके कारण और परिणाम पर प्रकाश डालिए। | 
| Answer» स्टेट्स जनरल फ्रांस की प्राचीन संसद थी जिसमें तीन सदन थे अर्थात् तीन वर्गों का प्रतिनिधित्व था। प्रत्येक वर्ग का अलग-अलग अधिवेशन होता था। 1614 ई० के बाद अब तक इसका कोई अधिवेशन नहीं हुआ था। स्टेट्स जनरल के सदस्यों की कुल संख्या 1214 थी जिसमें 308 पादरी वर्ग के, 285 कुलीन वर्ग के और 621 जनसाधारण वर्ग के सदस्य थे। राजा ने धन की कमी को पूरा करने के लिए इस आशा से 1789 ई० में इसका अधिवेशन बुलाया कि वह नया कर लगाने की अनुमति दे देगी। जनता वर्ग ने करों का विरोध किया और संयुक्त अधिवेशन की माँग की। राजा तथा दरबारी वर्ग ने इसका विरोध किया तथा सभा को भंग करना चाहा। जनता वर्ग ने सभी से हटने से इंकार कर दिया। इसी बीच बैठक में तृतीय सदन क्या है?’ के प्रश्न पर हंगामा होने लगा। फ्रांस के प्रसिद्ध विधिवेत्त ‘एबीसीएज’ ने एक पुस्तिका वितरित की जिसमें लिखा था-”तृतीय सदन ही राष्ट्र का पर्याय है किन्तु देश की सरकार ने उसकी पूर्णतया उपेक्षा कर रखी है।” 6 मई, 1789 ई० को तीनों वर्गों के सदस्यों ने अलग-अलग भवनों में बैठक की। जनसाधारण वर्ग का नेतृत्व ‘मिराबो’ ने ग्रहण किया। टेनिस कोर्ट की शपथ – फ्रांस के तत्कालीन राजा लुई सोलहवाँ ने सामन्तों, कुलीनों व. पादरियों के दबाव में आकर साधारण वर्ग के सभा भवन को बन्द करा दिया तथा इस वर्ग को सभा स्थगित रखने का आदेश दिया। राजा ने इस आदेश के विरोध में तृतीय सदन (वर्ग) के सभी सदस्य भवन के निकट स्थित टेनिस कोर्ट के मैदान में एकत्रित हो गये तथा तृतीय वर्ग के नेता मिराबो’ की अध्यक्षता में शपथ ग्रहण की जिसमें संकल्प लिया गया कि “हम यहाँ से उस समय तक नहीं हटेंगे, जब तक हम देश के लिए संविधान का निर्माण नहीं कर लेंगे, भले ही हमारे विरुद्ध संगीनों से ही क्यों न काम लिया जाए।” फ्रांस के इतिहास में यह संकल्प ‘टेनिस कोर्ट की शपथ के नाम से विख्यात है। तृतीय सदन के सदस्यों की इस घोषणा से लुई सोलहवाँ भयभीत हो गया और उसने 27 जून, 1789 ई० को तीनों सदनों की संयुक्त बैठक (अधिवेशन) की अनुमति दे दी तथा स्टेट्स जनरल को राष्ट्रीय सभा की मान्यता प्रदान की। इस सभा ने 9 जुलाई, 1789 ई०को संविधान सभा का कार्यभार ग्रहण कर लिया। | |
| 11. | फ्रांस में क्रान्ति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई? | 
| Answer» फ्रांस में क्रान्ति की शुरुआत निम्न परिस्थितियों में हुई- | |
| 12. | फ्रांस की क्रान्ति के दो दार्शनिकों के नाम लिखिए।याफ्रांस की क्रान्ति में भूमिका निभाने वाले दो दार्शनिकों के नाम लिखिए। | 
| Answer» फ्रांस की क्रान्ति के दो दार्शनिक थे। 1. रूसो तथा 2. वॉल्टेयर | |
| 13. | रोब्सपियर सरकार के दो प्रमुख कार्य बताइए। | 
| Answer» रोब्सपियर सरकार के दो प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं- | |
| 14. | फ्रांस की राज्य क्रान्ति से पहले होने वाली दो राज्य क्रान्तियों के नाम लिखिए। | 
| Answer» 1. इंग्लैण्ड की क्रान्ति 2. अमेरिका की क्रान्ति | |
| 15. | फ्रांस की राज्य-क्रान्ति से सम्बन्धित टेनिस कोर्ट की सभा तथा बास्तोल जेल को तोड़ने की घटनाओं का वर्णन कीजिए। इनका क्या प्रभाव पड़ा ?याबास्तील के पतन के क्या कारण थे ? इसका क्या परिणाम हुआ ? | 
| Answer» फ्रांस की राज्य-क्रान्ति में टेनिस कोर्ट की सभा तथा बास्तोल जेल के पतन का विशेष महत्त्व है। इन दोनों घटनाओं का वर्णन निम्नवत् है – 1. टेनिस कोर्ट की सभा – फ्रांस को अपने चिर प्रतिद्वन्द्वी इंग्लैण्ड़ से लगातार युद्ध करने पड़ रहे थे, जिससे राजकोष खाली होता जा रहा था। फ्रांस के राजा लुई सोलहवें ने 1789 ई० में पुरानी सामन्ती सभा ‘स्टेट्स जनरल’ का अधिवेशन इस आशय से बुलाया कि वह नये कर लगाने की अनुमति दे देगी। इस सभा का पिछले 175 वर्षों से कोई अधिवेशन नहीं हुआ था। ‘स्टेट्स जनरल’ में तीनों वर्गों का प्रतिनिधित्व था, जिसमें तीसरा वर्ग बहुसंख्यक था। तीनों वर्गों का पृथक्-पृथक् अधिवेशन होता था। जनता ने करों का कड़ा विरोध करते हुए सभी वर्गों के सम्मिलित अधिवेशन की माँग की। राजा तथा कुलीन वर्ग ने इसका विरोध किया। तीसरा वर्ग, जनता वर्ग ने तब पास के टेनिस कोर्ट में एक सभा आयोजित की तथा इसे राष्ट्रीय सभा घोषित किया और संविधान बनाने की तैयारी प्रारम्भ कर दी। इसी घटना को इतिहास में टेनिस कोर्ट की सभा के नाम से जाना जाता है। यह प्रत्यक्ष विद्रोह की पहली चिंगारी थी, जिसमें राजा को जनता के समक्ष झुकना पड़ा। यह जनवर्ग की भारी विजय थी। राजा को एक सप्ताह बाद ही नेशनल असेम्बली (राष्ट्रीय महासभा) को मान्यता देनी पड़ी। 2. बास्तील का पतन – जून, 1789 ई० में राष्ट्रीय महासभा को मान्यता मिलने के बाद इसके होने वाले अधिवेशन की गतिविधियों पर पूरे फ्रांस की नजरें टिकी हुई थीं। इसी बीच जुलाई में पेरिस में यह अफवाह फैल गयी कि राजा विदेशी सेना की सहायता से देशभक्तों और क्रान्तिकारियों को कत्ल करने की योजना बना चुका है। 11 जुलाई को सम्राट ने वित्त मन्त्री नेकर को पदच्युत कर दिया। इस घटना ने जनता में पनप रही आशंका को दृढ़ कर दिया। इस पर पेरिस की जनता उत्तेजित हो उठी और तोड़-फोड़ करने लगी। 12 जुलाई, 1789 ई० को पेरिस में हो रहे उपद्रवों की सूचना पाकर बहुत-से सशस्त्र लुटेरे भी नगर में आ गये और उन्होंने सवंत्र लूट-मार, तोड़-फोड़ तथा आतंक फैलाना प्रारम्भ कर दिया। 14 जुलाई को क्रान्तिकारियों की एक भीड़ ने बास्तोल के दुर्ग पर हमला बोल दिया और दुर्ग-रक्षक देलोने की हत्या करके वहाँ पर वन्द कैदियों को रिहा कर दिया तथा वहाँ पर रग्वे हथियार लूटकर दुर्ग को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। यह घटना फ्रांस में निरंकुश शासन के पतन की पहली घटना थी, क्योंकि उस समय बास्तोल का दुर्ग राजाओं की निरंकुशता और स्वेच्छाचारिता का प्रतीक माना जाता था। इस घटना का बहुत बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व है। इसीलिए 14 जुलाई को दिन फ्रांस में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। इन दोनों घटनाओं ने फ्रांस में क्रान्ति का स्वरूप बदल दिया। प्रतिक्रियावादी सामन्त तथा पादरी फ्रांस छोड़ने की तैयारी करने लगे, किसानों ने सामन्तों को लूटना आरम्भ कर दिया और प्रशासनिक अधिकारियों के आदेश का उल्लंघन क्रान्ति का पर्याय बन गया। | |
| 16. | उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएँ जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रान्ति में है। | 
| Answer» ऐसे लोकतांत्रिक अधिकार जिनका हम आज सरलता से प्रयोग करते हैं तथा जिनका उद्भव फ्रांस की क्रान्ति के फलस्वरूप हुआ था, उनका विवरण इस प्रकार है- | |
| 17. | फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रान्ति का फायदा मिला? कौन-से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी? | 
| Answer» फ्रांसीसी क्रान्ति से सर्वाधिक लाभ तृतीय एस्टेट के धनी सदस्यों को हुआ। तृतीय एस्टेट में किसान, मजदूर, वकील, छोटे अधिकारीगण, अध्यापक, डॉक्टर एवं व्यवसायी शामिल थे। क्रांति से पहले इन्हें सभी कर अदा करने पड़ते थे। साथ ही इन लोगों को पादरियों और कुलीनों के द्वारा अपमानित भी किया जाता था। लेकिन क्रांति के बाद उनके साथ समाज के उच्च वर्ग के समान व्यवहार किया जाने लगा। पादरियों एवं कुलीन वर्ग के लोगों को अपने विशेषाधिकारों को त्यागने पर विवश होना पड़ा। क्रान्ति के परिणामों से महिलाओं को निराशा हुई क्योंकि वे लैंगिक आधार पर पुरुषों की समानता का अधिकार हासिल नहीं कर सकीं। | |
| 18. | फ्रांसीसी राज्य-क्रान्ति पर किन दार्शनिकों के विचारों का प्रभाव पड़ा है।याफ्रांस की क्रान्ति के दो दार्शनिकों का परिचय दीजिए।याउन दार्शनिकों व विचारकों के नाम लिखिए जिनके विचारों से प्रभावित होकर जनता ने फ्रांस में क्रान्ति की।यारूसो कौन था ? उसके महत्व पर प्रकाश डालिए)याफ्रांस की क्रान्ति में खसो का क्या महत्त्व (योगदान) है ? | 
| Answer» फ्रांस की राज्य-क्रान्ति पर उसके जिन दार्शनिकों के विचारों का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा था, उनका संक्षिप्त विवेचन निम्नलिखित है – 1. मॉण्टेस्क्यू – मॉण्टेस्क्यू एक महान् विचारक तथा लेखक था। वह गणतन्त्रीय लोकतन्त्र का समर्थक था। राजा के दैवी अधिकार के सिद्धान्त की उसने कटु शब्दों में आलोचना की। इंग्लैण्ड की शासनपद्धति का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा और वैसी ही शासन-पद्धति वह फ्रांस में भी स्थापित करना चाहता था। उसके विचारों से फ्रांस की क्रान्ति को अत्यन्त प्रेरणा मिली। ‘दस्पिरिट ऑफ लॉज’ नामक अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ में उसने अपने सिद्धान्तों की विस्तृत व्याख्या की है। 2. वॉल्टेयर – वॉल्टेयर एक प्रसिद्ध विचारक तथा लेखक था। इसके विचारों से फ्रांस की क्रान्ति को बड़ा प्रोत्साहन मिला। वह जनकल्याणकारी निरंकुश शासन की स्थापना करना चाहता था। उसने चर्च की बुराइयों की कटु शब्दों में निन्दा करते हुए उसे ‘बदनाम वस्तु’ घोषित किया। फ्रांस के सुधारवादी आन्दोलन में उसने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 3. रूसो – रूसो अठारहवीं शताब्दी का एक उच्चकोटि का दार्शनिक था। ‘सोशल कॉण्ट्रैक्ट’ नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ उसी की देन है। उसका विचार था कि राजा को जनभावनाओं के अनुकूल कार्य करने चाहिए। फ्रांस की क्रान्ति को प्रोत्साहित करने में उसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। फ्रांस के लोग रूसो, मॉण्टेस्क्यू तथा वॉल्टेयर जैसे महान् दार्शनिकों और लेखकों दिदरो, क्वेसेन के विचारों से प्रभावित होकर स्वतन्त्रता की माँग करने लगे थे। इन विचारकों ने फ्रांस के निवासियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बुराइयों का ज्ञान कराया। इन दार्शनिकों के क्रान्तिकारी विचारों से प्रभावित होकर फ्रांस की जनता हृदय से इन बुराइयों को उखाड़ फेंकने के लिए उद्यत हो उठी। इस प्रकार फ्रांस में बौद्धिक जागृति फैल गयी और यहाँ के निवासी न्याय, स्वतन्त्रता और समानता की स्थापना के लिए प्रयत्नशील हो गये। | |
| 19. | किस तिथि को बस्तील का पतन हुआ था?(क) 4 जुलाई, 1789 ई०(ख) 14 जुलाई, 1789 ई०(ग) 14 सितम्बर, 1789 ई०(घ) 24 अगस्त, 1789 ई० | 
| Answer» सही विकल्प है (ख) 14 जुलाई, 1789 ई० | |
| 20. | फ्रांस के 1791 ई. के संविधान की विशेषता बताइए। | 
| Answer» ⦁    निर्वाचक की योग्यता पाने के लिए और पुनः सभा का सदस्य बनने के लिए लोगों को उच्च श्रेणी का करदाता होना आवश्यक था। | |
| 21. | आतंक के राज्य से क्या आशय है? | 
| Answer» फ्रांस में क्रान्ति के बाद अस्तित्व में आयी रोब्सपियर सरकार में कुलीन एवं पादरी, दूसरे राजनीतिक दल के सदस्यों, रोब्सपियर की कार्य-पद्धति से असहमत पार्टी के सदस्यों को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया जाता था। इन बंदियों पर क्रान्तिकारी अदालत में मुकदमा चलाया जाता था। दोष सिद्ध होने पर इन लोगों को गिलोटिन पर चढ़ा दिया जाता था। | |
| 22. | फ्रांस की क्रान्तिकारी महिला ओलिम्प डि गाजेस (1748-1793) के बारे में आप क्या जानते हैं? | 
| Answer» फ्रांस की क्रान्तिकालीन राजनीति में सक्रिय ओलिम्प सबसे महत्त्वपूर्ण महिला थी। उन्होंने फ्रांस के संविधान नथा ‘पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र’ का विरोध किया क्योंकि उनमें महिलाओं को मानव मात्र के मूलभूत अधिकारों से वंचित किया गया था। इसलिए उन्होंने 1791 ई. में ‘महिला एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र तैयार किया जिसे महारानी एवं नेशनल असेंबली के सदस्यों पर यह माँग करते हुए भेजा गया था कि वे इस पर कार्यवाही करें। सन् 1793 में ओलिम्प ने महिला क्लवों को जबरन बंद करने के लिए जैकोबिन सरकार की आलोचना की। उन पर नेशनल कन्वेंशन द्वारा मुकदमा चलाया गया तथा फाँसी पर लटका दिया गया। | |
| 23. | रूसो की पुस्तक का नाम है|(क) दे स्प्रिट ऑफ ब्याज(ख) सोशल कॉन्ट्रेक्ट(ग) दास कैपिटल(घ) द प्रिन्स | 
| Answer» सही विकल्प है (ख) सोशल कॉन्ट्रेक्ट | |
| 24. | फ्रांसीसी समाज किन तीन प्रमुख वर्गों में बँटा हुआ था? | 
| Answer» ⦁    प्रथम एस्टेट, | |
| 25. | उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रान्ति कौन-सी विरासत छोड़ गई? | 
| Answer» इस क्रान्ति से विश्व के लोगों को निम्न विरासत प्राप्त हुई- | |
| 26. | फ्रांस में जून, 1793 ई. से जुलाई, 1794 ई. के बीच के कालखण्ड को ‘आतंक का राज्य’ क्यों कहते हैं? | 
| Answer» फ्रांस में जून, 1793 से जुलाई, 1794 ई. तक के फ्रांसीसी शासन को ‘आतंक का राज्य के नाम से संबोधित किया जाता है। इसके पीछे निम्न तथ्य उत्तरदायी हैं- | |
| 27. | मित्र राष्ट्रों ने नेपोलियन को ‘वाटर लू’ नामक स्थान पर किस वर्ष परास्त किया?(क) 1789 ई० में(ख) 1792 ई० में(ग) 1815 ई० में(घ) 1830 ई० में | 
| Answer» सही विकल्प है (ग) 1815 ई० में | |
| 28. | 18वीं सदी से पहले फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास-प्रथा का उल्लेख कीजिए। | 
| Answer» 18वीं सदी से पहले फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास प्रथा इस प्रकार थी- (1) दास-व्यापार सत्रहवीं शताब्दी में शुरू हुआ। फ्रांसीसी सौदागर बोर्दै और नान्ते बंदरगाह से अफ्रीका तट पर जहाज ले जाते थे, जहाँ वे स्थानीय सरदारों से दास खरीदते थे। दासों को दाग कर एवं हथकड़ियाँ डालकर अटलांटिक महासागर के पार कैरिबिआई देशों तक तीन माह की लम्बी समुद्री-यात्रा के लिए जहाजों में ढूंस दिया जाता था। वहाँ उन्हें बागान-मालिकों को बेच दिया जाता था। दास-श्रुम के बल पर यूरोपीय बाजारों में चीनी, कॉफी एवं नील की बढ़ती माँग को पूरा करना संभव हुआ। बोर्दे और नान्ते जैसे बंदरगाह फलते-फूलते दास-व्यापार के कारण। ही समृद्ध नगर बन गए। (2) फ्रांसीसी उपनिवेशों में से कैरिबिआई उपनिवेश-मार्टिनिक, गॉडेलोप और सैन डोमिंगों-तंबाकू, नील, चीनी एवं कॉफ़ी जैसी वस्तुओं के महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता थे। अपरिचित एवं दूर देश जाने और काम करने के प्रति यूरोपियों की अनिच्छा का मतलब था–बागानों में श्रम की कमी। इस कमी को यूरोप, अफ्रीका एवं अमेरिका के बीच त्रिकोणीय दास-व्यापार द्वारा पूरा किया गया। | |
| 29. | फ्रांस में आतंक के शासन का संस्थापक कौन नहीं था?(क) दान्ते(ख) डॉ० मारा(ग) रॉब्सपियरे(घ) मीराबो | 
| Answer» सही विकल्प है (घ) मीराबो | |
| 30. | 18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज कितने एस्टेट्स में बँटा हुआ था? | 
| Answer» 18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेट्स में बँटा हुआ था | |
| 31. | फ्रांस के राष्ट्रीय गान को किस नाम से जाना जाता है? | 
| Answer» फ्रांस के राष्ट्रीय गान को ‘मार्सिले’ नाम से जाना जाता है। | |
| 32. | लुईस सोलहवाँ फ्रांस की राजगद्दी पर कब आसीन हुआ था? | 
| Answer» 1774 ई. में। | |
| 33. | 18वीं सदी के फ्रांस में महिलाओं की स्थिति स्पष्ट कीजिए। | 
| Answer» 18वीं सदी के फ्रांस में महिलाओं की स्थिति निम्न प्रकार थी- | |
| 34. | फ्रांस में व्याप्त आर्थिक तनाव क्रान्ति में किस प्रकार सहायक बना? | 
| Answer» लुई सोलहवाँ 1774 ई. में फ्रांस का राजा बना। उस समय फ्रांस का राजकोष रिक्त था। सेना का रखरखाव, दरबार का खर्च, सरकारी कार्यालयों या विश्वविद्यालयों को चलाने जैसे अपने नियमित खर्च निपटाने के लिए सरकार कर बढ़ाने पर बाध्य हो गई। कर बढ़ाने के प्रस्ताव को पारित करने के लिए फ्रांस के सम्राट लुई सोलहवें ने 5 मई, 1789 ई. को एस्टेट्स के जनरल की सभा बुलाई। प्रत्येक एस्टेटस को सभा में एक वोट डालने की अनुमति दी गई। तृतीय एस्टेट्स ने इस अन्यायपूर्ण प्रस्ताव का विरोध किया। | |
| 35. | फ्रांस की क्रान्ति के समय फ्रांस की राजनीतिक स्थिति का विवेचन कीजिए। | 
| Answer» (i) फ्रांस की क्रान्ति के समय फ्रांस पर लुई सोलहवें को शासन था। 1774 ई. में अपने पितामह की मृत्यु के बाद वह कठिन परिस्थिति में सिंहासनारूढ़ हुआ, उस समय राजकोष रिक्त था। राजा के ऊपर अत्यधिक ऋण भार था। इस परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए जिस योग्यता की आवश्यकता थी, वह लुई में नहीं थी। | |
| 36. | फ्रांसीसी क्रांति के समय फ्रांस पर किस शासक का शासन था? | 
| Answer» लुईस XVI (सोलहवाँ) का। | |
| 37. | फ्रांस की क्रान्ति के बाद महिलाओं की स्थिति में आए परिवर्तनों का विवेचन कीजिए। | 
| Answer» फ्रांस की क्रान्ति के बाद महिलाओं की स्थिति में निम्न परिवर्तन घटित हुए- | |
| 38. | फ्रांस का मध्यम वर्ग तत्कालीन व्यवस्था से क्यों असन्तुष्ट था? स्पष्ट कीजिए। | 
| Answer» तत्कालीन फ्रांस के मध्यम वर्ग में लेखक, डॉक्टर, वकील, जज, अध्यापक और असैनिक अधिकारी जैसे शिक्षित व्यक्ति तथा व्यापारी, बैंकर और कारखाने वाले धनी व्यक्ति सम्मिलित थे। समाज में इस वर्ग का आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्व था। मध्यम वर्ग उन लोगों का अग्रगामी था, जिन्होंने 19वीं सदी में आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। मध्यम वर्ग तत्कालीन व्यवस्था से निम्न कारणों से असन्तुष्ट था- (i) कुलीन-वर्ग के साथ ही तत्कालीन शासन-पद्धति से भी मध्यम-वर्ग के औद्योगिक एवं व्यावसायिक अंग को शिकायत थी। समाज का यह वर्ग मात्र एक उद्देश्य लेकर चल रहा था–भौतिक सम्पत्ति की वृद्धि; किन्तु तत्कालीन शासन उसके इस उद्देश्य की पूर्ति में अपनी गलत नीतियों के कारण बाधक सिद्ध हो रहा था। | |
| 39. | क्रांति से पहले की फ्रांस की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण कीजिए। | 
| Answer» क्रान्ति ( 1789 ) से पहले फ्रांस की आर्थिक स्थिति- फ्रांस की आर्थिक स्थिति अत्यन्त कठिन दौर से गुजर रही थी, ऐसे में सरकार की फिजूलखर्ची ने दशा को और भी शोचनीय बना दिया। उस समय फ्रांस में कर दो प्रकार के थेप्रत्यक्ष और परोक्ष। प्रत्यक्ष कर (टाइल) जायदाद, व्यक्तिगत संपत्ति तथा आय पर लिए जाते थे। कुलीन वर्ग और पादरी इनमें से कुछ करों से तो बिल्कुल मुक्त थे और शेष करों से प्रायः मुक्त थे, क्योंकि कर निर्धारण करने वाले राज्य-कर्मचारी डरकर उन पर नाममात्र का कर लगाया करते थे। उसकी सारी कमी शेष जनता पर कर लगाकर पूरी की जाती थी और इस प्रकार उस पर करों का अत्यधिक भार था। कुलीन-वर्ग और पादरी भी सम्पन्न थे, रुपये में तीन आने भी कर नहीं देते थे जबकि मध्यमवर्ग के व्यक्ति से प्रायः दस गुना कर वसूल लिया जाता था। परोक्ष करों में मुख्य रूप से नमक, शराब, तंबाकू आदि पर लिए जाने वाले कर थे। | |
| 40. | एस्टेट जनरल की बैठक में तीनों वर्गों के कितने-कितने प्रतिनिधि आमंत्रित किए गए थे? | 
| Answer» प्रथम एस्टेट (300 प्रतिनिधि), द्वितीय एस्टेट (300 प्रतिनिधि)। | |