InterviewSolution
This section includes InterviewSolutions, each offering curated multiple-choice questions to sharpen your knowledge and support exam preparation. Choose a topic below to get started.
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वसंत के आगमन से योगी, योग क्यों नहीं कर पा रहे हैं ? |
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Answer» वसंत ऋतु की शोभा से योगियों के मन भी चंचल हो रहे हैं और वे योग में ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं। |
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वसंत राजा के बंदी जन हैं –(क) मोर।(ख) पपीहे।(ग) कोयले(घ) हंस |
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Answer» वसंत राजा के बंदी जन हैं कोयले। |
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लोगों के घरों पर वसंत के आगमन से क्या प्रभाव पड़ रहा है? |
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Answer» वसंत के आगमन से लोग कुंजों की तरह घरों को भी सुधारने में लगे हैं। |
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वसंत के आगमन से सरोवरों का जल हो गया है –(क) नहाने के काम का(ख) वस्त्र धोने के काम का(ग) पीने के काम का(घ) किसी काम का नहीं |
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Answer» (क) नहाने के काम का |
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सेनापति का व्यक्तिगत परिचय दीजिए। |
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Answer» सेनापति रीतिकाल के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं। इनके पिता का नाम गंगाधर और पितामह का नाम परशुराम कहा जाता है। इनको जिला बुलंदशहर के अनूप शहर का निवासी माना जाता है। सेनापति संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। सेनापति की प्रसिद्ध रचना ‘काव्यकल्पद्रुम’ है। इसे ‘कवित्तरत्नाकर’ नाम से भी जाना जाता है। कवि सेनापति का सबसे प्रिय अलंकार ‘श्लेष है।’ |
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बसंत के आगमन पर कोयलें क्या कर रही हैं ? |
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Answer» वसंत के आगमन पर कोयले राजा वसंत का यशगान कर रही हैं। |
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कवि सेनापति ने वसंत का चतुरंग दल किसे बताया है? |
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Answer» कवि ने वनों और उपवनों में फूल रहे वृक्षों को वसंत का चतुरंग दल बताया है। |
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‘चतुरंग’ से क्या तात्पर्य है? |
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Answer» 'चतुरंग’ प्राचीन भारत में सेना के चार अंगों को कहा जाता था। ये हाथी, घुड़सवार, रथी और पैदल होते थे। |
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सेनापति के काव्य की विशेषताएँ बताइए। |
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Answer» हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित छंदों तथा कवि-परिचय के अन्तर्गत दिए गए विवरण के आधार पर सेनापति के काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित ज्ञात होती हैं सेनापति ब्रज भाषा में काव्य-रचना करने में बहुत कुशल माने गए हैं। इनकी भाषा में प्रवाह तथा भावानुकूलता है। ओज, प्रसाद तथा माधुर्य गुणों का सुंदर संयोजन मिलता है। पाठ्य पुस्तक में संकलित पदों में इनके प्रकृति-वर्णन की विशेषज्ञता का परिचय मिलता है। सेनापति को श्लेष अलंकार बहुत प्रिय हैं। ग्रीष्म को वर्षा में परिणत कर श्लेष का चमत्कार प्रत्यक्ष प्रमाणित हो रहा है। |
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वसंत ऋतु के आगमन पर प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों को लिखिए। |
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Answer» वसंत ऋतु के आगमन पर होने वाले परिवर्तन संकलित छंदों के आधार पर इस प्रकार हैं वसंत ऋतु आने पर चंदनी गंध से युक्त मंद-मंद पवन चलने लगती है। जलाशयों के जल निर्मल और स्नान योग्य हो जाते हैं। फूलों पर भौंरों के समूह गुंजार करने लगते हैं। प्रकृति में कुंजों की शोभा बढ़ती है तो जन-जीवन में घरों का रूप भी सँवरने लगता है। चारों ओर घने वृक्ष शोभा पाते हैं और कोयले मधुर स्वर में कूकने लगती हैं। सारी प्रकृति वसंत में सज-सँवर कर, नवीन सौन्दर्य से पूर्ण हो जाती है। |
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| 11. |
ग्रीष्म ऋतु के आने से पूर्व क्या-क्या तैयारियाँ की जाती हैं ? |
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Answer» ग्रीष्म आने से पहले राज-भवनों और सम्पन्न लोगों के घरों में गर्मी के प्रभाव से बचने के लिए अनेक तैयारियाँ की जाती हैं। खस के परदों को सुधारा जाता है। तलघर और तहखाना को झाड़-पोंछ कर विश्राम के अनुकूल बनाया जाता है। फब्बारे तथा जल–प्रणाली की मरम्मत कराई जाती है। अट्टालिकाओं की पुताई कराई जाती है। गुलाब के इत्र तथा अरगजा आदि सुगंधित वस्तुएँ सम्हाल कर रखी जाती हैं। मूल्यवान मोतियों के हार खरीदे और धारण किए जाते हैं। इस प्रकार ग्रीष्म के दिनों को शीतल बनाए रखने के लिए भाँति-भाँति की तैयारियाँ की जाती हैं। |
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| 12. |
ग्रीष्म ऋतु आने के पूर्व मरम्मत हो रही है –(क) छतों की(ख) अट्टों की(ग) जलयन्त्रों(घ) जल के पात्रों की। |
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Answer» (ग) जलयन्त्रों |
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'जेठ नजिकाने’ से कवि का आशय क्या है ? स्पष्ट कीजिए। |
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Answer» जेठ गर्मी का महीना होता है। जेठ मास समीप आता देखकर गर्मी से बचने की तैयारियाँ आरम्भ हो गई हैं। |
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गर्मी आने से पूर्व तहखानों का सुधार और झाड़-पोंछ क्यों हो रही है? |
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Answer» ग्रीष्म ऋतु में तहखाने या तलघर ठण्डे रहते हैं। अतः वहाँ दिन बताने के लिए उन्हें सुधारा जा रहा है। |
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सेनापति सिद्धहस्त कवि हैं –(क) खड़ी बोली के(ख) अवधी के(ग) कन्नौजी के(घ) ब्रजभाषा के |
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Answer» (घ) ब्रजभाषा के |
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ग्रीष्म ऋतु में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं? |
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Answer» वसंत के बाद ग्रीष्म ऋतु आते ही प्रकृति का सौम्य, सुंदर, सुगंधित स्वरूप, विकट और असहनीय ताप से कुरूप होने लगता है। ग्रीष्म की प्रचंडता प्रारम्भ होते ही, धरती और आकाश मानो जलने से लगते हैं। घास हो या वृक्ष सभी गर्मी से सूख-सूख कर कुरूप हो जाते हैं। लूओं की लपट शरीर को झुलसाने लगती है। वनों में दावाग्नि लगने से उजाला होने लगता है। शरीर गरमी से तपने लगता है। प्रचण्ड सूर्य के ताप से बचने को लोग नदियों का सहारा लेने लगते हैं। सब प्राणी घनी और ठण्डी छया पाने को लालायित रहते हैं। |
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राजा और सम्पन्न लोग ग्रीष्म ऋतु के अनुकूल क्या-क्या प्रबंध कर रहे हैं ? |
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Answer» बड़े लोग गुलाब का इत्र, अरगजा आदि सुगंधित वस्तुएँ मँगा रहे हैं और मोतियों के हार खरीद कर धारण कर रहे हैं। |
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ग्रीष्म ऋतु के भीषण ताप से रूप हर लिया है –(क) मनुष्यों का(ख) धारा और वृक्षों का(ग) पक्षियों का(घ) जलचरों का |
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Answer» (ख) धारा और वृक्षों का |
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सेनापति के पिता का नाम है –(क) गंगाधर दीक्षित(ख) परशुराम(ग) अनूपदास(घ) प्यारे लाल |
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Answer» (क) गंगाधर दीक्षित |
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निम्नलिखित में से सेनापति की रचना है –(क) पद्माभरण(ख) जगद्विनोद(ग) प्रबोध पच्चीसी(घ) काव्य कल्पुद्रम |
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Answer» (घ) काव्य कल्पुद्रम |
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सेनापति के पितामह का क्या नाम था? |
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Answer» सेनापति के पितामह का नाम परशुराम था। |
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सेनापति की कृतियों के नाम लिखिए। |
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Answer» सेनापति की एकमात्र ज्ञात रचना कवित्त रत्नाकर है। इस ग्रन्थ में कवि के 394 छंद संग्रहीत हैं। सम्पूर्ण संग्रह पाँच तरंगों में विभाजित है। प्रथम तरंग में कवि ने श्लेष के चमत्कारों का प्रदर्शन किया है। इनके कवित्तों के विषय प्रकृति वर्णन, नख-शिख-सौन्दर्य का वर्णन तथा राम भक्ति आदि हैं। |
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‘सोई चतुरंग संग दल लहियत है’ पंक्ति का भावार्थ लिखिए। |
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Answer» कवि ने वसंत-वर्णन में वसंत को ऋतुओं का राजा बताते हुए उसके आगमन का रूपक द्वारा वर्णन प्रस्तुत किया है। राजा वसंत अपने सारे राज-समाज के साथ प्रकृति के विशाल प्रांगण में पधार रहे हैं। उनके साथ उनकी सेना भी है। कवि ने वसंत ऋतु में वनों,और उपवनों में फूलों से भर गए, हरे-भरे वृक्षों को राजा वसंत की चतुरंगिणी सेना बताया है। वर्ण-वर्ण के वृक्ष ही इस सेना में सम्मिलित गज-सेना, घुड़सवार, रथ सेना तथा पैदल सेना, ये चार अंग हैं। इसीलिए कवि ने ‘चतुरंग दल’ कहा है। |
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'कवित्त रत्नाकर’ में कितने छंद हैं? |
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Answer» ‘कवित्त रत्नाकर’ में 394 छंद हैं। |
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सेनापति का प्रिय अलंकार कौन-सा है? |
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Answer» सेनापति को प्रिय अलंकार श्लेष है। |
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वसंत ऋतु आने से वायु में क्या परिवर्तन आया है ? |
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Answer» वसंत ऋतु आने से वायु चंदन की गंध से युक्त होकर मंद-मंद गति से प्रवाहित हो रही है। |
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वसंत राजा और उनके अनुचर किस भीनी-भीनी गंध में मस्त हो रहे हैं ? |
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Answer» वसंत और उनका राजसमाज चारों ओर खिले पुष्पों की सुगंध में मस्त हो रहा है। |
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