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51.

प्रश्न 9 में दी गई संक्रियाओं में किसी का तत्समक है , वह बतलाइए ।

Answer» (i) Q में, `a**b=a-b`
माना `a**e=a=e**a`
`rArra-e=a=e-a`
अब,`a-e=a rArr e=0`
तथा `e-a=a rArre=2a`
परन्तु तत्समक अवयव अद्वितीय होता है ।
`:.Q`में, , संक्रिया `a**b=a-b` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है |
(ii) Q में, `a**b=a^(2)+b^(2)`
माना `a**e=a=e**a`
`rArra^(2)+e^(2)=a=e^(2)+a^(2)`
यदि `a=-2` तो e का अस्तित्व नहीं है ।
`:.Q` में, संक्रिया `a**b=a^(2)+b^(2)` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है ।
(iii) Q में, `a**b=a+ab`
माना `a**e=a=e**a`
`rArr a+ae=a=e+ea`
अब `a+ae=a rArr ae=0rArre=0`
तथा `e=ea=arArr e=(a)/(1+a),a!=0`
परन्तु तत्समक अवयव अद्वितीय होता है ।
`:.Q` में, संक्रिया `a**b=a+ab` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है ।
(iv) Q में, `a**b=(a-b)^(2)`
माना `a**e=a=e**a`
`rArr(a-e)^(2)=a=(e-a)^(2)`
`a=-3` के लिये
`(-3-e)^(2)=-3`जो सम्भव नहीं है ।
`:.Q` में , संक्रिया `a**b=(a-b)^(2)` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है ।
(v) Q में, `a**b=(ab)/(4)`
माना `a**e=a=e**a`
`rArr(ae)/(4)=a= (ea)/(4)`
`rArr e=4`
`:.Q` में, संक्रिया `a**b=(ab)/(4)`के सापेक्ष तत्समक अवयव 4 है ।
(vi) Q में, `a**b=ab^(2)`
माना `a**e=a=e**a`
`rArr ae^(2)=a=ea^(2)`
अब `ae^(2)=a rArr e=pm1`
तथा `a=ea^(2) rArr e=1/a`
परन्तु तत्समक अवयव अद्वितीय होता है ।
`:.Q` में, संक्रिया `a**b=ab^(2)`के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है ।
52.

मान लीजिए कि परिमेय संख्याओं के समुच्चय Q में निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित `**` एक द्विआधारी संक्रिया है : (i) `a**b=a-b " " (ii) a**b=a^(2)+b^(2)` (iii) `a**b=a+ab " " (iv) a**b=(a-b)^(2)` (v) `a**b=(a^(b))/(4) " " (vi) a**b=ab^(2)` ज्ञात कीजिए कि इनमें से कौन-सी संक्रियाएँ क्रमविनिमेय हैं और कौन - सी साहचर्य हैं ?

Answer» (i) Q में, `a**b=a-b`
माना `a,b in Q`
`:.a**b=a-b!=b-a!=b**a`
`rArr` संक्रिया `**`क्रमविनिमेय नहीं है ।
माना `a,b,c in Q`
`:.a**(b**c)=a-(b-c)`
`=a-b+c`
तथा `(a**b)**c=(a-b)**c`
`=a-b-c`
`:.a**(b**c)!=(a**b)**c`
अतः संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है ।
(ii)Q में, `a**b=a^(2)+b^(2)`
माना `a,b in Q`
`:.a**b=a^(2)+b^(2)`
`=b^(2)=a^(2)=b**a`
`rArr` संक्रिया `**` क्रमविनिमेय है ।
माना `a,b , c in Q`
`:.a**(b**c)=a**(b^(2)+c^(2))`
`=a^(2)+(b^(2)+c^(2))^(2)`
तथा `(a**b)**c=(a^(2)+b^(2))**c`
`=(a^(2)+b^(2))^(2)+c^(2)`
`:.a**(b**c)!=(a**b)**c`
`rArr`संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है ।
(iii) Q में, `a**b=a+ab`
माना `a,b in Q`
`:.a**b=a+ab` तथा `b**a=b+ba`
अतः `a**b!=b**a`
`rArr`संक्रिया `**`क्रमविनिमेय नहीं है ।
माना `a,b,c in Q`
`:.a**(b**c)=a**(b+bc)`
`=a+a(b+bc)=a+ab+abc`
तथा `(a**b)**c=(a+ab)**c`
`=(a+ab)+(a+ab)c`
`=a+ab+ac+abc`
`:.a**(b**c)!=(a**b)**c`
`rArr`संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है ।
(iv) Q में, `a**b=(a-b)^(2)`
माना `a,b in Q`
`:.a**b=(a-b)^(2)`
`=(b-a)^(2)=b**a`
`rArr` संक्रिया `**`क्रमविनिमेय है ।
माना `a,b,c in Q`
`:.a**(b**c)=a**(b-c)^(2)`
`=[a-(b-c)^(2)]^(2)`
तथा `(a**b)**c=(a-b)^(2)**c`
`=[(a-b)^(2)-c]^(2)`
`:.a**(b**c)!=(a**b)**c`
`rArr`संक्रिया `**` साहचर्य नहीं है ।
(v) Q में, `a**b=(ab)/(4)`
माना `a,b in Q`
`:.a**b=(ab)/(4)=(ba)/(4)=b**a`
`rArr` संक्रिया `**` क्रमविनिमेय है ।
माना `a,b, c in Q`
`:.a**(b**c)=a**((bc)/(4))=(a((bc)/(4)))/(4)`
`=(((ab)/(4))c)/(4)=((ab)/(4))**c=(a**b)**c`
`rArr` संक्रिया `**` साहचर्य है ।
(vi) Q में, `a**b=ab^(2)`
माना `a,b in Q`
`:.a**b=ab^(2)`
तथा `b**a=ba^(2)`
`:.a**b!=b**a`
`rArr` संक्रिया `**`क्रमविनिमेय नहीं है ।
माना `a,b,c in Q`
`:.a**(b**c)=a**(bc^(2))`
`=a(b^(2))^(2)=ab^(2)c^(4)`
तथा `(a**b)**c=(ab^(2))**c=ab^(2)c^(2)`
`:.a**(b**c)!=(a**b)**c`
`rArr `संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है ।
53.

निर्धारित कीजिए कि क्या निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित प्रत्येक संक्रिया `**` से एक द्विआधारी संक्रिया प्राप्त होती है या नहीं । उस दशा में जब `**` एक द्विआधारी संक्रिया नहीं है, औचित्य भी बतलाइए । (i) `Z^(+)` में, `a**b=a-b` द्वारा परिभाषित संक्रिया `**` (ii) `Z^(+)` में, `a**b=ab`द्वारा परिभाषित संक्रिया `**` (iii)R में, संक्रिया `**,a**b=ab^(2)`द्वारा परिभाषित (iv) `Z^(+)` में संक्रिया `**,a**b=|a-b|`द्वारा परिभाषित (v) `Z^(+)` में, , संक्रिया `**,a**b=a`द्वारा परिभाषित

Answer» (i) `Z^(+)` में `a**b=a-b`
`2**3=2-3=-1cancelin Z^(+)`
`:.` दी संक्रिया द्विआधारी नहीं है ।
(ii) `Z^(+)` में , `a**b=ab`
प्रत्येक दो धनात्मक पूर्णाकों का गुणनफल एक धनात्मक पूर्णांक होता है ।
`:.` दी संक्रिया द्विआधारी है ।
(iii) R में, `a**b=ab^(2)`
`:.` प्रत्येक वास्तविक संख्या का वर्ग एक वास्तविक संख्या होता है तथा दो वास्तविक संख्याओं का गुणनफल भी सदैव वास्तविक होता है ।
`:.` दी संक्रिया द्विआधारी है ।
(iv) `Z^(+)` में, `a**b=|a-b|`
प्रत्येक दो धनात्मक संख्याओं के अन्तर का मापांक सदैव पूर्णांक होता है ।
`:.` दी संक्रिया द्विआधारी है ।
(v) `Z^(+)` में,`a**b=a`
प्रत्येक `a,b in Z^(+)` के लिये
`a**b=a in Z^(+)`
`:.` दी संक्रिया द्विआधारी है ।