InterviewSolution
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प्रश्न 9 में दी गई संक्रियाओं में किसी का तत्समक है , वह बतलाइए । |
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Answer» (i) Q में, `a**b=a-b` माना `a**e=a=e**a` `rArra-e=a=e-a` अब,`a-e=a rArr e=0` तथा `e-a=a rArre=2a` परन्तु तत्समक अवयव अद्वितीय होता है । `:.Q`में, , संक्रिया `a**b=a-b` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है | (ii) Q में, `a**b=a^(2)+b^(2)` माना `a**e=a=e**a` `rArra^(2)+e^(2)=a=e^(2)+a^(2)` यदि `a=-2` तो e का अस्तित्व नहीं है । `:.Q` में, संक्रिया `a**b=a^(2)+b^(2)` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है । (iii) Q में, `a**b=a+ab` माना `a**e=a=e**a` `rArr a+ae=a=e+ea` अब `a+ae=a rArr ae=0rArre=0` तथा `e=ea=arArr e=(a)/(1+a),a!=0` परन्तु तत्समक अवयव अद्वितीय होता है । `:.Q` में, संक्रिया `a**b=a+ab` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है । (iv) Q में, `a**b=(a-b)^(2)` माना `a**e=a=e**a` `rArr(a-e)^(2)=a=(e-a)^(2)` `a=-3` के लिये `(-3-e)^(2)=-3`जो सम्भव नहीं है । `:.Q` में , संक्रिया `a**b=(a-b)^(2)` के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है । (v) Q में, `a**b=(ab)/(4)` माना `a**e=a=e**a` `rArr(ae)/(4)=a= (ea)/(4)` `rArr e=4` `:.Q` में, संक्रिया `a**b=(ab)/(4)`के सापेक्ष तत्समक अवयव 4 है । (vi) Q में, `a**b=ab^(2)` माना `a**e=a=e**a` `rArr ae^(2)=a=ea^(2)` अब `ae^(2)=a rArr e=pm1` तथा `a=ea^(2) rArr e=1/a` परन्तु तत्समक अवयव अद्वितीय होता है । `:.Q` में, संक्रिया `a**b=ab^(2)`के सापेक्ष तत्समक अवयव का अस्तित्व नहीं है । |
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मान लीजिए कि परिमेय संख्याओं के समुच्चय Q में निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित `**` एक द्विआधारी संक्रिया है : (i) `a**b=a-b " " (ii) a**b=a^(2)+b^(2)` (iii) `a**b=a+ab " " (iv) a**b=(a-b)^(2)` (v) `a**b=(a^(b))/(4) " " (vi) a**b=ab^(2)` ज्ञात कीजिए कि इनमें से कौन-सी संक्रियाएँ क्रमविनिमेय हैं और कौन - सी साहचर्य हैं ? |
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Answer» (i) Q में, `a**b=a-b` माना `a,b in Q` `:.a**b=a-b!=b-a!=b**a` `rArr` संक्रिया `**`क्रमविनिमेय नहीं है । माना `a,b,c in Q` `:.a**(b**c)=a-(b-c)` `=a-b+c` तथा `(a**b)**c=(a-b)**c` `=a-b-c` `:.a**(b**c)!=(a**b)**c` अतः संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है । (ii)Q में, `a**b=a^(2)+b^(2)` माना `a,b in Q` `:.a**b=a^(2)+b^(2)` `=b^(2)=a^(2)=b**a` `rArr` संक्रिया `**` क्रमविनिमेय है । माना `a,b , c in Q` `:.a**(b**c)=a**(b^(2)+c^(2))` `=a^(2)+(b^(2)+c^(2))^(2)` तथा `(a**b)**c=(a^(2)+b^(2))**c` `=(a^(2)+b^(2))^(2)+c^(2)` `:.a**(b**c)!=(a**b)**c` `rArr`संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है । (iii) Q में, `a**b=a+ab` माना `a,b in Q` `:.a**b=a+ab` तथा `b**a=b+ba` अतः `a**b!=b**a` `rArr`संक्रिया `**`क्रमविनिमेय नहीं है । माना `a,b,c in Q` `:.a**(b**c)=a**(b+bc)` `=a+a(b+bc)=a+ab+abc` तथा `(a**b)**c=(a+ab)**c` `=(a+ab)+(a+ab)c` `=a+ab+ac+abc` `:.a**(b**c)!=(a**b)**c` `rArr`संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है । (iv) Q में, `a**b=(a-b)^(2)` माना `a,b in Q` `:.a**b=(a-b)^(2)` `=(b-a)^(2)=b**a` `rArr` संक्रिया `**`क्रमविनिमेय है । माना `a,b,c in Q` `:.a**(b**c)=a**(b-c)^(2)` `=[a-(b-c)^(2)]^(2)` तथा `(a**b)**c=(a-b)^(2)**c` `=[(a-b)^(2)-c]^(2)` `:.a**(b**c)!=(a**b)**c` `rArr`संक्रिया `**` साहचर्य नहीं है । (v) Q में, `a**b=(ab)/(4)` माना `a,b in Q` `:.a**b=(ab)/(4)=(ba)/(4)=b**a` `rArr` संक्रिया `**` क्रमविनिमेय है । माना `a,b, c in Q` `:.a**(b**c)=a**((bc)/(4))=(a((bc)/(4)))/(4)` `=(((ab)/(4))c)/(4)=((ab)/(4))**c=(a**b)**c` `rArr` संक्रिया `**` साहचर्य है । (vi) Q में, `a**b=ab^(2)` माना `a,b in Q` `:.a**b=ab^(2)` तथा `b**a=ba^(2)` `:.a**b!=b**a` `rArr` संक्रिया `**`क्रमविनिमेय नहीं है । माना `a,b,c in Q` `:.a**(b**c)=a**(bc^(2))` `=a(b^(2))^(2)=ab^(2)c^(4)` तथा `(a**b)**c=(ab^(2))**c=ab^(2)c^(2)` `:.a**(b**c)!=(a**b)**c` `rArr `संक्रिया `**`साहचर्य नहीं है । |
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निर्धारित कीजिए कि क्या निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित प्रत्येक संक्रिया `**` से एक द्विआधारी संक्रिया प्राप्त होती है या नहीं । उस दशा में जब `**` एक द्विआधारी संक्रिया नहीं है, औचित्य भी बतलाइए । (i) `Z^(+)` में, `a**b=a-b` द्वारा परिभाषित संक्रिया `**` (ii) `Z^(+)` में, `a**b=ab`द्वारा परिभाषित संक्रिया `**` (iii)R में, संक्रिया `**,a**b=ab^(2)`द्वारा परिभाषित (iv) `Z^(+)` में संक्रिया `**,a**b=|a-b|`द्वारा परिभाषित (v) `Z^(+)` में, , संक्रिया `**,a**b=a`द्वारा परिभाषित |
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Answer» (i) `Z^(+)` में `a**b=a-b` `2**3=2-3=-1cancelin Z^(+)` `:.` दी संक्रिया द्विआधारी नहीं है । (ii) `Z^(+)` में , `a**b=ab` प्रत्येक दो धनात्मक पूर्णाकों का गुणनफल एक धनात्मक पूर्णांक होता है । `:.` दी संक्रिया द्विआधारी है । (iii) R में, `a**b=ab^(2)` `:.` प्रत्येक वास्तविक संख्या का वर्ग एक वास्तविक संख्या होता है तथा दो वास्तविक संख्याओं का गुणनफल भी सदैव वास्तविक होता है । `:.` दी संक्रिया द्विआधारी है । (iv) `Z^(+)` में, `a**b=|a-b|` प्रत्येक दो धनात्मक संख्याओं के अन्तर का मापांक सदैव पूर्णांक होता है । `:.` दी संक्रिया द्विआधारी है । (v) `Z^(+)` में,`a**b=a` प्रत्येक `a,b in Z^(+)` के लिये `a**b=a in Z^(+)` `:.` दी संक्रिया द्विआधारी है । |
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