InterviewSolution
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उल्लास कविता का अँग्रेजी में भावार्थ लिखें। |
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Answer» In this poem, the poet Subhadrakumari Chauhan presents an optimistic view of life. She also expresses the emotions felt by the human mind. The poet says that in childhood she saw the birth of a new day, and in the intoxication of youth, she saw the splendour of youth. In all the difficulties and problems in the world, she saw the vermilion mark signifying hope. In the hope and desire of love, the poet sees progress. The poet says that in her life there is no despair, only hope. She has never felt alienated from anything that has made her cry or made her learn. Whatever the truth, and whatever the lies – neither has ever affected the poet. It is so much so that even for her enemies, the poet’ has never felt jealousy or anger. The poet says that she has always given love and always received love in return. She is always filled with sweetness, tenderness and love. She has made the whole world an object of love. The poet herself never cries and cannot stand watching anyone cry either. Thus, the poet always gives precedence to optimistic thoughts. |
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‘उल्लास’ कविता का आशय संक्षेप में लिखिए। |
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Answer» जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखना इस कविता का आशाय है। जीवन में हर समय हर्ष व उल्लास से रहना चाहिए। अशांति घृणा को त्यागकर सब से प्रेम के साथ व्यवहार करना चाहिए। हम अगर लोगों में प्यार बांटेंगे तो हमें प्यार ही मिलेगा, घृणा से व्यवहार करेंगे तो समाज में घृणा और अशांति फैलेगी। यही इस कविता का आशय है। |
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| 3. |
‘उल्लास’ कविता के आधार पर मानव हृदय में उठनेवाले भावों को अपने शब्दों में लिखिए। |
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Answer» मानव हृदय में शैशव काल में नव विकास देखा जा सकता है। यौवन या युवावस्था में यौवन का उल्लास देखा जा सकता है। संसार के झंझा-झकोरों में आशा रूपी लताओं के विकास को देखा जा सकता है। इसी प्रकार आकांक्षा, उत्साह और प्रेम का भी क्रमिक प्रकाश देख सकते हैं। |
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| 4. |
कवयित्री का जीवन क्या लुटा रहा है? |
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Answer» कवयित्री का जीवन निर्मल प्यार लुटा रहा है। |
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कवयित्री को प्रेम का क्या दिखाई देता है? |
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Answer» कवयित्री को प्रेम का पारावार (सागर) दिखाई देता है। |
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कवयित्री ने किसका विकास देखा? |
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Answer» कवयित्री ने आशा का विकास देखा। |
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कवयित्री ने यौवन के नशे में क्या देखा? |
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Answer» कवयित्री ने यौवन के नशे में यौवन का उल्लास देखा। |
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कवयित्री ने शैशव प्रभात में क्या देखा? |
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Answer» कवयित्री ने शैशव प्रभात में नव विकास देखा। |
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कवयित्री के मन में कौन-सी विरक्ति नहीं आती थी? |
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Answer» कवयित्री के मन में जग झूठा है कि विरक्ति नहीं आती थी। |
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कवयित्री को किसने कभी नहीं रुलाया? |
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Answer» कवयित्री को जीवन में निराशा ने कभी नहीं रुलाया। |
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| 11. |
कवयित्री ने किसका प्रकाश देखा? |
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Answer» कवयित्री ने आकांक्षा, उत्साह तथा प्रेम का क्रमिक विकास देखा। |
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कवयित्री ने हमेशा किस प्रकार का व्यवहार किया? |
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Answer» कवयित्री ने सदा सबसे मधुर प्यार का ही व्यवहार किया। |
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कवयित्री ने जीवन में रोता हुआ क्या नहीं देखा है? |
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Answer» कवयित्री ने जीवन में कभी रोता हुआ संसार नहीं देखा है। |
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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:जीवन में न निराशा मुझको,कभी रुलाने को आई।‘जग झूठा है’ यह विरक्ति भी,नहीं सिखाने को आई॥ |
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Answer» प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘उल्लास’ नामक कविता से ली गई हैं जिसकी रचयिता कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान हैं। |
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| 15. |
कवयित्री के जीवन में प्रेम व्यवहार का महत्व कैसे प्रकट किया है? |
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Answer» कवयित्री प्रेम के संबंध में कहती है कि मैंने हमेशा जीवन में मधुर प्रेम का व्यवहार किया है। बदले में मुझे भी हमेशा प्रेम ही मिला है। मैं स्वयं प्रेम की मधुर भावना लिए हुए हूँ। मुझे यह संसार प्रेम का ही सागर दीखता है। प्रेम ही जीवन है। यह संसार प्रेम की ताकत पर ही चल रहा है। |
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कवयित्री ने जीवन के सम्बन्ध में क्या कहा है? |
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Answer» कवयित्री ने जीवन के सम्बन्ध में कहा है कि कभी निराश नहीं होना चाहिए, न निराशा में रोना चाहिए। यह जग या संसार झूठा है, यह विरक्ति है – ऐसे भाव भी मन में नहीं लाने चाहिए। शत्रु की पहचान के लिए न घृणा करें और न कभी अशांति का वातावरण लाएँ। |
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कवयित्री की आँखों से किसके आँसू गिरते हैं? |
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Answer» कवयित्री की आँखों से मृदल प्रेम के आँसू गिरते हैं। |
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ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:मैं हूँ प्रेममयी, जग दिखतामुझे प्रेम का पारावार।भरा प्रेम से मेरा जीवन,लुटा रहा है निर्मल प्यार॥ |
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Answer» प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘उल्लास’ नामक कविता से ली गई हैं जिसकी रचयिता कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान हैं। |
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| 19. |
‘उल्लास’ कविता की कवयित्री कौन हैं? |
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Answer» ‘उल्लास’ कविता की कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान हैं। |
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| 20. |
उल्लास कविता का भावार्थ लिखें। |
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Answer» 1) शैशव के सुन्दर प्रभात का कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान प्रस्तुत कविता में आशावादी दृष्टिकोण एवम् मानव-मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती है। शब्दार्थ :
2) जीवन में न निराशा मुझको, कवयित्री कहती है मेरे जीवन में निराशा नहीं, बल्कि आशा है। किसी भी रूलाने वाले अथवा सिखाने वाले प्रसंग में कभी मुझे विरक्ति नहीं हुई। क्या झूठ और क्या सच – इसका कोई प्रभाव मुझ पर नहीं हुआ। यहाँ तक कि शत्रु के लिए भी मेरे मन में घृणा नहीं है, हृदय में अशांति नहीं है। शब्दार्थ :
3) मैंने सदा किया है सबसे, कवयित्री कहती है मेरे जीवन में निराशा नहीं, बल्कि आशा है। किसी भी रूलाने वाले अथवा सिखाने वाले प्रसंग में कभी मुझे विरक्ति नहीं हुई। क्या झूठ और क्या सच – इसका कोई प्रभाव मुझ पर नहीं हुआ। यहाँ तक कि शत्रु के लिए भी मेरे मन में घृणा नहीं है, हृदय में अशांति नहीं है। शब्दार्थ :
3) मैंने सदा किया है सबसे, कवयित्री कहती है- मैंने सदा प्रेम दिया है और बदले में मुझे प्रेम ही मिला है। मधुरता, कोमलता तथा प्रेम की भावना लिए हुए हूँ। सारे संसार को ही मैंने प्रेममयी बना लिया है। कवयित्री न कभी रोती है और न वह किसी को रोते देखना चाहती है। इस प्रकार कवयित्री सकारात्मक सोच को महत्व देती है। शब्दार्थ :
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