InterviewSolution
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स्पष्ट कीजिए कि उचित वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है। |
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Answer» प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में उसकी वेशभूषा का विशेष योगदान एवं महत्त्व होता है। यदि व्यक्ति अपनी आयु, व्यवसाय, अवसर, ऋतु एवं लिंग के अनुसार वेशभूषा धारण करता है। तो उस व्यक्ति का व्यक्तित्व सामान्य रूप से आकर्षक एवं प्रभावशाली प्रतीत होता है। जो व्यक्ति उचित वेशभूषा धारण करता है, उसके प्रति अन्य व्यक्तियों का व्यवहार भी सौम्य होता है। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि उचित वेशभूषा धारण करने वाले व्यक्ति में एक प्रकार का अतिरिक्त आत्म-विश्वास भी जाग्रत होता है, इससे भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में क्रमश: निखार आता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यक्ति-व्यक्तित्व को निखारने वाले कारकों में उचित वेशभूषा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। |
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रात्रि-भोज के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए। |
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Answer» रात्रि-भोज के अवसर सामान्य रूप से हर्ष, उल्लास एवं प्रसन्नता के अवसर होते हैं। रात्रि-भोज के अवसर पर अधिक औपचारिकता नहीं होती तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आकर्षक एवं सुन्दर वेशभूषा पहन सकता है। इस अवसर पर यदि चाहें तो सीमित रूप से भड़कीली तथा आत्म-प्रदर्शन में सहायक वेशभूषा भी पहनी जा सकती है। महिलाएँ यदि चाहें तो रात्रि-भोज के अवसर पर चमकीले, भड़कीले तथा जरी-गोटे वाले बहुमूल्य वस्त्र भी पहन सकती हैं। आधुनिक फैशन के अनुसार इन अवसरों पर साटन तथा वेलवेट के वस्त्र पहनने का भी प्रचलन है। रात्रि-भोज के अवसर पर वेशभूषा के साथ-साथ अपनी रुचि के अनुसार कम या अधिक श्रृंगार भी किया जा सकता है। बालों को सजाने के लिए ताजे फूलों का गजरा भी लगाया जा सकता है। यदि चाहें तो परफ्यूम भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस अवसर पर एक निश्चित सीमा के अन्तर्गत रहते हुए शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन भी किया जा सकता है। रात्रि-भोज के अवसर पर यदि चाहें तो गहने भी पहने जो सकते हैं, परन्तु सुरक्षा का समुचित ध्यान रखना चाहिए। |
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अवसर के अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा कैसी होनी चाहिए? कम-से-कम पाँच | बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनिक एवं सामाजिक जीवन में विभिन्न अंवसरों एवं परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। यदि उसको सामान्य जीवन घरेलू परिस्थितियों में व्यतीत होता है, तो उसे कभी-कभी यात्रा पर भी जाना होता है और अनेक बार विवाह, जन्म-दिन आदि अनेक महत्त्वपूर्ण सामाजिक उत्सवों में भी भाग लेना पड़ता है। प्रत्येक अवसर के लिए अनुकूल व्यक्तिगत वेशभूषा को चयन व्यक्तिगत सज्जा के नियमानुसार करने से उसके आत्मविश्वास एवं सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। आइए इस सम्बन्ध में कुछ उपयोगी नियमों का अवलोकन करें (1) मौसम सम्बन्धी नियम: (2) मजबूती व टिकाऊपन सम्बन्धी नियम: (3) आरामदायक व उपयुक्त फिटिंग सम्बन्धी नियम: (4) रंगों के संयोग का नियम: (5) विशिष्ट अवसर सम्बन्धी नियम: |
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तीज-त्योहार के अवसर पर पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए। |
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Answer» तीज-त्योहार के अवसर अपने आप में कुछ विशिष्ट अवसर होते हैं। इन विशिष्ट अवसरों पर वेशभूषा धारण करने में भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन अवसरों की प्रकृति तथा उत्साह के वातावरण को ध्यान में रखते हुए रंग-बिरंगे आकर्षक तथा भड़कीले वस्त्र भी पहने जा सकते हैं। व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार आधुनिक अथवा पारम्परिक किसी भी प्रकार के वस्त्र पहन सकता है। अनेक महिलाएँ इन अवसरों पर लहँगा-चुनरी, गरारा अथवा भारी साड़ियाँ पहना करती हैं। कुछ किशोरावस्था की लड़कियाँ इन अवसरों पर जीन्स अथवा स्कर्ट आदि पहनना अधिक पसन्द करती हैं। जहाँ तक बनाव श्रृंगार का प्रश्न है, इन अवसरों पर पर्याप्त छूट होती है। अपनी रुचि एवं आयु के अनुसार पर्याप्त श्रृंगार किया जा सकता है। सुविधा के अनुसार आभूषण भी पहने जा सकते हैं। यदि इस अवसर पर मेले में अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थान पर जाना हो, तो सुरक्षा के पहलू को अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए। |
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वस्त्रों के चयन के मुख्य आधार कौन-कौन से हैं? समझाइए।याशारीरिक विशेषताओं, आयु एवं लिंग के अनुसार वस्त्रों का चयन आप किस प्रकार करेंगी? |
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Answer» मनुष्य के दैनिक जीवन के लिए उपयुक्त वस्त्रों का अत्यधिक महत्त्व है। उपयुक्त वस्त्रों को चयन कोई सरल कार्य नहीं है। इसके लिए व्यक्ति विशेष की आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, आयु वर्ग एवं व्यवसाय सम्बन्धी परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
(1) शारीरिक विशेषताएँ: (2) लिंग एवं आयु: (i) पुरुषों के लिए: (ii) स्त्रियों के लिए: (iii) बच्चों के लिए: (iv) शिशुओं के लिए: (3) व्यवसाय एवं पद: (4) मौसम एवं भौगोलिक परिस्थिति: |
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शोक के अवसर पर धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए। |
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Answer» शोक के अवसर पर उल्लास एवं उमंग का नितान्त अभाव होता है। इस अवसर पर परस्पर संवेदना तथा सहानुभूति प्रकट की जाती है। शोक के अवसर पर जहाँ तक हो सके बिल्कुल सादी वेशभूषा ही धारण की जानी चाहिए। हमारे समाज में पारम्परिक रूप से इस अवसर पर सफेद अथवा हल्के रंगों की वेशभूषा ही धारण की जाती है। कुछ समाजों में शोक के अवसर पर काले रंग की वेशभूषा धारण की जाती है। शोक के अवसर पर सादी वेशभूषा धारण करने के साथ ही साथ किसी प्रकार का बनाव-श्रृंगार भी नहीं किया जाता। संक्षेप में कहा जा सकता है कि शोक के अवसर पर व्यक्ति की वेशभूषा से सादगी का प्रदर्शन होना चाहिए, न कि दिखावे तथा आकर्षण का। |
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कामकाजी महिलाओं के लिए कार्य के समय पहनी जाने वाली वेशभूषा का वर्णन कीजिए। |
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Answer» कामकाजी महिलाओं को अपने कार्य के समय वेशभूषा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवसर पर प्रत्येक स्थिति में वेशभूषा की सौम्यता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कार्यस्थल की औपचारिकता को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए तथा किसी भी स्थिति में महिलाओं को अधिक चटकदार तथा दिखावटी वेशभूषा नहीं पहननी चाहिए। इस समय अधिक श्रृंगार भी नहीं करना चाहिए, केवल हल्का-सा अति आवश्यक श्रृंगार ही करना चाहिए। बिन्दी, हल्की लिपस्टिक तथा माँग भरना (यदि विवाहित हों तो) ही पर्याप्त होता है। कार्य-स्थल पर खनखनाहट वाले गहने भी नहीं पहनने चाहिए। इससे कार्य-स्थल के वातावरण में व्यवधान उत्पन्न होता है तथा अशोभनीय प्रतीत होता है। सामान्य रूप से कोई तेज सुगन्ध वाला परफ्यूम या तेल भी नहीं लगाना चाहिए। संक्षेप में कहा जा सकता है कि महिलाओं द्वारा कार्य-स्थल पर पहनी जाने वाली वेशभूषा में अनावश्यक आकर्षण तथा भड़कीलेपन का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके माध्यम से सौम्यता, गरिमा तथा सादगी का ही प्रदर्शन होना चाहिए। |
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खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का विवरण दीजिए। |
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Answer» खेल के समय व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं तथा सभी क्रियाएँ प्रायः तीव्र गति से करनी पड़ती हैं। इस स्थिति में शरीर से अधिक पसीना निकलता है। अतः इन तथ्यों को ध्यान में रखकर ही खेल के समय की वेशभूषा का निर्धारण करना चाहिए तथा उसका निर्माण ऐसे कपड़े से किया जाना चाहिए जिसमें अवशोषकता का गुण विद्यमान हो ताकि खेल के समय वो शरीर से निकलने वाले पसीने को सोख सके। इसके अतिरिक्त खेल के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा ऐसे कपड़े की होनी चाहिए जिससे धोना सरल हो। खेल के समय जूतों तथा मोजों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। हल्के तथा आरामदायक जूते पहनना ही अच्छा रहती है। |
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यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कभी-न-कभी छोटी अथवा लम्बी यात्री पर जाना ही। पड़ता है। कुछ व्यक्तियों को तो नियमित रूप से ही यात्रा पर जाना पड़ता है। यात्रा के समय भी व्यक्ति को अपनी वेशभूषा का चुनाव सूझ-बूझपूर्वक करना चाहिए। यात्रा के समय धारण की जाने वाली वेशभूषा का अनिवार्य गुण उसका सुविधादायक होना है। यात्रा के समय वही वेशभूषा धारण की जानी चाहिए, जो लम्बे समय तक सीट पर बैठने अथवा लेटने में सुविधाजनक हो। इस अवसर पर ऐसे वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है जो शीघ्र ही क्रश न होते हों अर्थात् शीघ्र ही सिलवटें पड़ने वाले वस्त्र यात्रा के समय धारण नहीं करने चाहिए। सामान्य रूप से यात्रा के समय किसी प्रकार का विशेष बनाव-श्रृंगार नहीं किया जाना चाहिए। जहाँ तक कीमती आभूषणों का प्रश्न है, यात्रा के समय इन्हें बिल्कुल भी धारण नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा किसी अनहोनी के घटित होने की निरन्तर आशंका बनी रहती है। |
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वेशभूषा के लिए कपड़े का चुनाव करते समय ध्यान रखने योग्य मुख्य गुण क्या हैं? |
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Answer» वेशभूषा के लिए कपड़ा
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व्यक्तिगत सज्जा से वृद्धि होती है(क) सामाजिक प्रतिष्ठा में(ख) व्यक्तित्व के आकर्षण में(ग) मानसिक सन्तोष में(घ) इन सभी में |
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Answer» सही विकल्प है (घ) इन सभी में |
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वर्षा ऋतु में कौन-से वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है? |
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Answer» वर्षा ऋतु में सूती व महीन वस्त्रों से अधिक आराम मिलता है। |
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व्यक्तिगत सज्जा क्या है? |
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Answer» व्यक्तिगत सज्जा से तात्पर्य उस महत्त्वपूर्ण कारक से है जो व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को निखारने में उल्लेखनीय भूमिका निभाता है। इस कारक के अन्तर्गत सामान्य रूप से उचित वेशभूषा, श्रृंगार के ढंग, बालों को सँवारने के ढंग, बातचीत करने के ढंग, उठने-बैठने के ढंग तथा व्यक्ति के हाव-भावों को सम्मिलित किया जाता है। |
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मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना क्यों आवश्यक है? |
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Answer» मौसम के अनुसार वस्त्र पहनना इसलिए आवश्यक है जिससे कि मौसम के प्रभाव से बचा जा सके। |
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ग्रीष्म ऋतु में कौन-से वस्त्र उपयुक्त रहते हैं? |
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Answer» ग्रीष्म ऋतु में सूती वस्त्र अधिक उपयुक्त रहते हैं। |
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ग्रीष्म ऋतु के वस्त्रों में कौन-कौन सी मुख्य विशेषताएँ होनी चाहिए? |
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Answer» ग्रीष्म ऋतु के वस्त्र पसीना सोखने वाले, महीन, सफेद अथवा हल्के रंगों के होने चाहिए। |
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श्रिंक पूफ का क्या अर्थ है? |
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Answer» कुछ रासायनिक पदार्थों का प्रयोग कर कपड़ा सिकुड़ने से मुक्त बनाया जाता है, इसी को श्रिंक पूफ कहते हैं। |
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छोटे बच्चों के वस्त्र किस प्रकार के होने चाहिए? |
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Answer» बच्चों के लिए सदैव चमकीले एवं भड़कीले वस्त्र लेने चाहिए। इसके साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के वस्त्रों का कपड़ा नर्म तथा मुलायम होना चाहिए। |
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लम्बे कद की महिलाओं को साड़ी व ब्लाउज पहनने चाहिए(क) समान रंग के(ख) भिन्न रंग के(ग) सफेद रंग के(घ) काले रंग के |
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Answer» सही विकल्प है (ख) भिन्न रंग के |
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रसोई गृह में नायलॉन व टेरीलीन के वस्त्र पहनने से क्या हानि हो सकती है? |
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Answer» ये वस्त्र आग शीघ्र पकड़ते हैं; अतः इन्हें भोजन बनाते समय नहीं पहनना चाहिए। |
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घरेलू जीवन में उपयोग के लिए सर्वोत्तम वस्त्र हैं(क) सूती(ख) रेशमी(ग) जरीदार(घ) आधुनिक फैशन के |
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Answer» सही विकल्प है (क) सूती |
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पसीना सोखने की क्षमता वाले वस्त्र हैं(क) ऊनी वस्त्र(ख) टेरीलीन के वस्त्र(ग) रेशमी वस्त्र(घ) सूती वस्त्र |
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Answer» सही विकल्प है (घ) सूती वस्त्र |
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शिशु के वस्त्र बने होने चाहिए(क) सूती तन्तु से(ख) टेरीलीन के तन्तु से(ग) नायलॉन के तन्तु से(घ) किसी भी तन्तु से |
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Answer» सही विकल्प है (क) सूती तन्तु से |
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वृद्ध व्यक्तियों को किस रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए ? |
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Answer» वृद्ध व्यक्तियों को सफेद या हल्के रंगों के वस्त्र ही धारण करने चाहिए। |
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खेल के समय वस्त्र धारण करने चाहिए ।(क) मोटे तथा मजबूत(ख) कृत्रिम तन्तुओं से बने(ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले(घ) पुराने तथा घटिया |
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Answer» सही विकल्प है (ग) पसीना सोखने की क्षमता वाले |
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व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार क्या है? |
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Answer» उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है। |
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व्यक्तिगत सज्जा क्यों आवश्यक है? |
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Answer» व्यक्तिगत सज्जा मनुष्य की रुचि एवं रहन-सहन के स्तर की परिचायक होती है। उपयुक्त सज्जा मनुष्य को आत्मविश्वास, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं मानसिक प्रसन्नता प्रदान करती है तथा उसके बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाती है। |
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व्यक्तिगत सज्जा के लिए आवश्यक है(क) उचित वेशभूषा(ख) श्रृंगार एवं उचित केश विन्यास(ग) बात करने तथा उठने-बैठने का उचित ढंग(घ) उपर्युक्त सभी। |
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Answer» सही विकल्प है (घ) उपर्युक्त सभी |
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वस्त्रों का चुनाव करते समय ध्यान में रखना चाहिए(क) कपड़े का गुण(ख) कपड़े की सुन्दरता तथा आकर्षण(ग) कपड़े का मूल्य(घ) ये सभी |
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Answer» सही विकल्प है (घ) ये सभी |
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व्यक्तिगत सज्जा से क्या तात्पर्य है? व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों का चयन करते समय आप किन-किन मुख्य बातों का ध्यान रखेंगी?याव्यक्तिगत सज्जा और वेशभूषा में वस्त्रों का क्या स्थान है? किसी व्यक्ति के लिए वस्त्रों के चयन में कौन-सी सावधानियाँ अपेक्षित हैं? |
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Answer» उपयुक्त वेशभूषा व्यक्तिगत सज्जा का मूल आधार है। सुन्दर एवं उपयुक्त वस्त्रों से मनुष्य का बाहरी व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है एवं इससे मनुष्य को मानसिक प्रसन्नता होती है। उपयुक्त वस्त्र आयु, लिंग, व्यवसाय, अवसर एवं ऋतुओं के अनुकूल होते हैं। ये मनुष्य को शारीरिक सुख एवं आराम प्रदान करने के साथ-साथ उसके रहन-सहन के स्तर के भी परिचायक होते हैं। अतः संक्षेप में हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत सज्जा व्यक्ति-विशेष के मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, अवसर के अनुकूल एवं रहन-सहन के अपेक्षित स्तर को बनाए रखने व प्रदर्शित करने की प्रभावशाली विधि है। व्यक्तिगत सज्जा का अर्थ वस्त्रों का चयन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें वस्त्र केवल तन ढकने का ही कार्य नहीं करते वरन् व्यक्ति-विशेष के बाहरी व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। अत: उपयुक्त वस्त्रों का चयन करते समय उनकी निम्नवर्णित विशेषताओं को दृष्टिगत रखना चाहिए (1) आकर्षक एवं आरामदायक वस्त्र-वस्त्रों का चयन करते समय देखें कि
उपर्युक्त नियमों के अनुरूप चयनित वस्त्र देखने में अच्छे लगते हैं, आरामदायक होते हैं एवं व्यक्ति-विशेष की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं। (2) ऋतुओं के अनुकूल वस्त्र: (3) अवसरानुकूल वस्त्र: (4) मजबूत व टिकाऊ वस्त्र: (5) सरलता से धुलने वाले वस्त्र: (6) सिकुड़न व सिलवट मुक्त वस्त्र: (7) आर्थिक क्षमता के अनुरूप वस्त्र: |
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व्यक्तिगत सज्जा हेतु वस्त्रों के विवेकपूर्ण चयन से आप क्या समझती हैं? |
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Answer» व्यक्तिगत सज्जा के सारे नियमों का पालन करने पर भी यदि कोई व्यक्ति वस्त्रों को क्रय करते समय अपने विवेक का प्रयोग नहीं करता है, तो सब कुछ व्यर्थ हो सकता है। वस्त्रों के सुन्दर एवं उपयुक्त चुनाव के साथ निम्नलिखित सिद्धान्तों का पालन अवश्य किया जाना चाहिए (1) बजट के अनुसार खरीदारी: (2) सोच-समझकर खरीदारी: (3) मूल्य देखकर खरीदारी: (4) वस्त्रों की उचित देखभाल: |
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स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं की वेशभूषा का विवरण प्रस्तुत कीजिए। |
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Answer» सामान्य रूप से सभी स्कूलों द्वारा छात्र-छात्राओं की वेशभूषा निर्धारित तथा निश्चित होती है इसलिए स्कूल जाने वाले बालक-बालिकाओं को स्कूल द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म ही धारण करनी चाहिए। यूनिफॉर्म धारण करने से स्कूल के सभी छात्र-छात्राओं में एकरूपता बनी रहती है तथा किसी प्रकार के भेदभाव या ऊँच-नीच के अन्तर के विकसित होने की आशंका नहीं रहती। स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं की वेशभूषा को तैयार करवाते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनकी वेशभूषा चुस्त तथा अच्छी फिटिंग वाली ही होनी चाहिए। सामान्य रूप से ऐसा कपड़ा चुनना चाहिए जिसमें शीघ्र सिलवटें तथा शिकन न पड़े। स्कूल जाने वाले बच्चों की यूनिफॉर्म के लिए पक्के रंग वाला कपड़ा ही लेना चाहिए तथा उसकी धुलाई भी सरल होनी चाहिए। कपड़ों के अतिरिक्त बच्चों की वेशभूषा में जूतों, मोजों, बेल्ट तथा बैज आदि भी ठीक दशा में होने चाहिए। |
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बाजार से वस्त्रों को खरीदते समय आप किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखेंगी? |
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Answer» उपयुक्त वस्त्रों के चयन के अनेक नियम हैं, जिनमें कुछ इतने आवश्यक हैं जिनकी अवहेलना नहीं की जानी चाहिए। वस्त्रों के लिए कपड़ा खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है
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