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आधुनिक युग में अर्थशास्त्र के अध्ययन का क्या महत्त्व है? अथवा अर्थशास्त्र के अध्ययन का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक लाभ बताइए।

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अर्थशास्त्र के अध्ययन का महत्त्व

मार्शल के शब्दों में-“अर्थशास्त्र के अध्ययन का उद्देश्य प्रथम तो ज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्त करना है। तथा दूसरे व्यावहारिक जीवन में मार्गदर्शन करना है।” नि:संदेह अर्थशास्त्र केवल ज्ञानवर्द्धक ही नहीं बल्कि फलदायक भी है। अर्थशास्त्र के अध्ययन से प्राप्त होने वाले लाभों को दो भागों में बाँटा जाता है

(I) सैद्धांतिक लाभ तथा
(II) व्यावहारिक लाभ।

(I) अर्थशास्त्र के अध्ययन के सैद्धांतिक लाभ
सैद्धांतिक दृष्टि से अर्थशास्त्र के अध्ययन से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं|

⦁    ज्ञान में वृद्धि–अर्थशास्त्र के अध्ययन से मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि होती है। मनुष्य को बेरोजगारी, अति-जनसंख्या, निर्धनता, तेजी व मन्दी आदि विभिन्न आर्थिक समस्याओं का ज्ञान हो जाता है।
⦁    तर्कशक्ति में वृद्धि–ज्ञान में वृद्धि होने से मनुष्य की तर्कशक्ति बढ़ती है। मनुष्य पहले की | अपेक्षा कहीं अधिक संतुलित मत व्यक्त कर सकता है।
⦁    चुनाव योग्यता में वृद्धि–अर्थशास्त्र के अध्ययन से मनुष्य की चुनाव-योग्यता में वृद्धि हो जाती है। वह आवश्यक तथा अनावश्यक आवश्यकताओं में भेद करने में समर्थ हो जाता है।
⦁    विस्तृत दृष्टिकोण-अर्थशास्त्र के अध्ययन से मनुष्य को दृष्टिकोण विस्तृत तथा वैज्ञानिक हो जाता है क्योंकि अर्थशास्त्र ज्ञान का क्रमबद्ध अध्ययन है।

(II) अर्थशास्त्र के अध्ययन के व्यावहारिक लाभ
अर्थशास्त्र के अध्ययन से प्राप्त होने वाले प्रमुख व्यावहारिक लाभ निम्नलिखित हैं

1. गृहस्वामियों तथा उपभोक्ताओं को लाभ-
⦁    सम-सीमांत उपयोगिता नियम का पालन करके उपभोक्ता अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।
⦁    गृहस्वामी पारिवारिक बजट बनाना और उसके अनुसार व्यय करना जाने जाते हैं। इससे अति व्यय नहीं होता।।
⦁    मनुष्य परिवार नियोजन के महत्त्व को जान जाता है।
2. उत्पादकों तथा व्यापारियों को लाभ-
⦁    उत्पादकों को उत्पादन (प्रतिफल) के नियमों, श्रम विभाजन के लाभों, आन्तरिक व बाह्य बचतों, व्यापार-चक्रों आदि की जानकारी हो जाती है।
⦁    उत्पादकों तथा व्यापारियों को बाजार की गतिविधियों, बाजार में पाई जाने वाली प्रतियोगिता, वस्तु की माँग व पूर्ति में होने वाले परिवर्तन, विज्ञापन, बैंक व बीमा कम्पनियों की कार्यप्रणाली आदि बातों की जानकारी होती है।
⦁    उत्पादकों को भूमि, श्रम, पूँजी तथा संगठन के पारिश्रमिक का निर्धारण करने में सहायता मिलती है।
3. कृषकों को लाभ-
⦁    किसानों को इस बात की जानकारी हो जाती है कि कृषि-उत्पादन में वृद्धि करने के लिए कौन-से उपादानों का अधिक प्रयोग किया जाए, खेती की कौन-सी विधि अपनाई जाए इत्यादि।
⦁    अर्थशास्त्र के अध्ययन से किसानों को यह निश्चित करने में सहायता मिलती है कि उन्हें उपज कब और कहाँ बेचनी चाहिए ताकि उन्हें उचित कीमत प्राप्त हो सके।
⦁    किसानों को विभिन्न प्रकार की सहकारी समितियों के महत्त्व का ज्ञान हो जाता है।
⦁    किसानों को विभिन्न कृषि समस्याओं तथा उनके समाधान के उपायों की जानकारी मिलती
4. राजनीतिज्ञों को लाभ-
⦁    अधिकांश समस्याएँ आर्थिक कारणों से उत्पन्न होती हैं। अत: विभिन्न समस्याओं को समझने हेतु अर्थशास्त्र आर्थिक मामलों में राजनीतिज्ञों को विशेष जानकारी प्रदान करता है।
⦁    अच्छा सरकारी बजट बनाने हेतु वित्तमंत्री के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान परमावश्यक है।
⦁    आर्थिक योजनाएँ बनाने के लिए राजनीतिज्ञों को वर्तमान आर्थिक समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है।
⦁    चुनाव संबंधी प्रभावशाली घोषणा तैयार करने के लिए राजनीतिज्ञों को आर्थिक समस्याओं की जानकारी हो जाती है।
5. श्रमिकों को लाभ-
⦁    अर्थशास्त्र के अध्ययन से श्रमिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
⦁    श्रमिकों को श्रमसंघों के महत्त्व की जानकारी हो जाती है; श्रमसंघ श्रमिकों की मजदैरी में वृद्धि, काम की दशाओं में सुधार आदि के लिए प्रयत्न करते हैं; अत: यह संगठित होने लगता है।
6. समाज सुधारकों को लाभ – अर्थशास्त्र का अध्ययन करके समाज सुधारक विभिन्न आर्थिक तथा सामाजिक समस्याओं को सुलझा सकते हैं। जनसंख्या-वृद्धि, निर्धनता, बेकारी आदि समस्याओं के समाधान के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान अनिवार्य है। इसी प्रकार, जाति प्रथा, दहेज प्रथा तथा संयुक्त परिवार प्रथा के आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है।

निष्कर्ष – माल्थस के विचार में–“अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसके बारे में यह कहा जा सकता है कि इसकी अज्ञानता केवल भलाई से ही वंचित नहीं करती बल्कि भारी बुराइयाँ भी उत्पन्न कर देती है।”



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