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अर्थशास्त्र की प्रकृति की विवेचना कीजिए। अथवा अर्थशास्त्रविज्ञान है अथवा कला अथवा दोनों? स्पष्ट कीजिए।अथवा ‘अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति तटस्थ है। क्या आप रोबिन्स के इस तर्क से सहमत हैं? यदि नहीं, तो क्यो

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अर्थशास्त्र की प्रकृति से आशय यह जानने से है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला। अर्थशास्त्र विज्ञान है तो उसका स्वरूप क्या है अर्थात् अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है अथवा आदर्श विज्ञान।

विज्ञान का अर्थ – विज्ञान ज्ञान का एक क्रमबद्ध अध्ययन है, जो कारण तथा परिणाम के मध्य पारस्परिक संबंध स्थापित करता है। विज्ञान में विषय विशेष का नियमबद्ध एवं क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। किसी भी शास्त्र को ‘विज्ञान’ होने के लिए उसमें निम्नांकित बातें होनी चाहिए
⦁    ज्ञान का अध्ययन क्रमबद्ध होना चाहिए।
⦁    तथ्यों के विश्लेषण के फलस्वरूप कुछ नियमों एवं सिद्धांतों का प्रतिपादन होना चाहिए।
⦁    इन सिद्धांतों का निर्माण कारण और परिणाम के संबंधों के आधार पर होना चाहिए।
⦁    इन नियमों में सर्वव्यापकता का गुण होना चाहिए।
⦁    विज्ञान द्वारा एक निश्चित भविष्यवाणी की जानी चाहिए।

‘अर्थशास्त्र विज्ञान है, के पक्ष में तर्क – ‘अर्थशास्त्र विज्ञान है, इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं
⦁    इसमें तथ्यों का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन वैज्ञानिक नीति पर आधारित होता है।
⦁    कारण एवं परिणाम के संबंध पर आधारित नियमों का प्रतिपादन किया जाता है।
⦁    भावी घटनाओं के संबंध में पूर्वानुमान लगाए जाते हैं।
⦁    अनेक नियम सर्वव्यापकता का गुण रखते हैं; जैसे—उपयोगिता ह्रास नियम, माँग का नियम आदि।

विज्ञान के स्वरूप – विज्ञान दो प्रकार के होते हैं–
(अ) वास्तविक विज्ञान,
(ब) आदर्श विज्ञान।
(अ) वास्तविक विज्ञान – वास्तविक विज्ञान किसी विषय की वास्तविक रूप में अध्ययन करता है। इसमें क्या है? (What is?) का अध्ययन किया जाता है। यह ‘वस्तुस्थिति कैसी है?’, का उत्तर देता है। यह वस्तुस्थिति का अध्ययन करके कारण एवं परिणाम में संबंध स्थापित करता है।

अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है – अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है, क्योंकि इसमें वास्तविक आर्थिक घटनाओं के कारण तथा परिणामों का विवेचन किया जाता है और इन संबंधों को नियमों के द्वारा व्यक्त किया जाता है; उदाहरण के लिए माँग को नियम यह बताता है कि कीमत में वृद्धि होने पर माँग में कमी और कीमत में कमी होने पर माँग में वृद्धि होती है। यहाँ कीमत में परिवर्तन ‘कारण’ और माँग में परिवर्तन परिणाम है।

(ब) आदर्श विज्ञान – आदर्श विज्ञान का मुख्य कार्य मानवीय आचरण के लिए आदर्श प्रस्तुत करना है। यह ‘क्या होना चाहिए? (What ought to be?) का उत्तर देता है और बताता है कि हमें किन आदर्शों का पालन करना चाहिए। दूसरे शब्दों में, यह हमें वांछनीय और अवांछनीय का ज्ञान कराता है।

अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान है – अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान है, क्योंकि यह हमें मानवीय कल्याण को अधिकतम करने के लिए आर्थिक आदर्शों का ज्ञान कराता है; उदाहरण के लिए एक अर्थशास्त्री केवल मजदूरी निर्धारण के विभिन्न सिद्धांतों का ही अध्ययन नहीं करता अपितु वह यह भी बताता है कि उचित मजदूरी क्या होनी चाहिए। इसी प्रकार अर्थशास्त्र में हम केवल इस बात का ही अध्ययन नहीं करते कि लगान कैसे निर्धारित होता है। अपितु इस बात का भी अध्ययन करते हैं कि लगान की आदर्श मात्रा क्या होनी चाहिए।

इस प्रकार अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्श विज्ञान भी है।
कला – कला का आशय ‘किसी उद्देश्य को प्राप्त करने की विधियों से है। वास्तव में, कला ‘आदर्श को प्राप्त करने के सर्वोत्तम तरीका बतलाती है। यह वास्तविक विज्ञान और आदर्श विज्ञान के बीच पुल का कार्य करती है। कोसा के अनुसार–एक विज्ञान हमें जानने के संबंध में बतलाता है और कला करने के संबंध में बतलाती है। दूसरे शब्दों में–‘विज्ञान व्याख्या तथा खोज करता है, कला निर्देशन करती है।”

अर्थशास्त्र कला है – अर्थशास्त्र कला है, क्योंकि अर्थशास्त्र की अनेक शाखाएँ व्यावहारिक समस्याओं का हल बनाती हैं; उदाहरण के लिए, अर्थशास्त्री बताता है कि ब्याज की उचित दर क्या होनी चाहिए, आदर्श मजदूरी व पूर्ण रोजगार के स्तर पर कैसे पहुंच जाए, किन करों के द्वारा बजट के घाटे को पूरा किया जाए? कींस, मिल, मार्शल व पीगू आदि अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र को कला मानते हैं। उनके अनुसार, कला व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने का एक साधन है।

निष्कर्ष – प्रो० पीगू के अनुसार-“अर्थशास्त्र न केवल विज्ञान है अपितु कला भी है।” वे अर्थशास्त्र के व्यावहारिक पक्ष को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं। वास्तव में, अर्थशास्त्र केवल प्रकाशदायक ही नहीं अपितु फलदायक भी है। प्रो० चैपमैन के शब्दों में–“अर्थशास्त्र आर्थिक तथ्यों के वांछित रूपों के बारे में जिज्ञासा करता हुआ एक आदर्श विज्ञान है तथा वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के तरीकों को ज्ञात करते हुए एक कला है।’ संक्षेप में, अर्थशास्त्र विज्ञान एवं कला दोनों है।



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