InterviewSolution
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आतंकवाद – एक वैश्विक समस्या. |
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Answer» आतंकवाद – एक वैश्विक समस्या [प्रस्तावना -आतंकवाद का स्वरूप – जान-माल का नुकसान -भय-आतंक का वातावरण-रोकने के उपाय – उपसंहार] राजनीति और धर्म के क्षेत्रों में कट्टर सिद्धांतवाले अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हिंसा का बेहिचक उपयोग करते आए हैं। आज का आतंकवाद पुराने समय से चली आ रही इसी हिंसक प्रवृत्ति का आधुनिक रूप है। मुख्य रूप से आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक, इन तीन कारणों से आतंकवाद को प्रोत्साहन मिलता है। हमारे समाज में आर्थिक विषमता है। पढ़े-लिखे युवकों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन नौकरियाँ मिलती नहीं हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है। पेट की आग बुझाने के लिए आदमी अनीति को ‘पाप’ नहीं मानता। धार्मिक उन्माद भी बढ़ रहा है। राजनेता अपनी रोटियां सेंकने के लिए सांप्रदायिक दंगे करवाने से बाज नहीं आते। कमजोर पक्ष के लोग जानते हैं कि वे आमने-सामने के युद्ध में जीत नहीं सकते। इसलिए वे चोरी-छिपे हमले करते हैं। आतंकवाद के नाम पर यही आजकल हो रहा है। आज से कुछ दशक पहले गिने-चुने देश ही आतंकवाद के शिकार थे, परंतु आज तो दर्जनों देश उसके सिकंजे में आ गए हैं। भारत, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान, इजरायल जैसे देश तो एक लम्बे अर्से से आतंकवादी गतिविधियों के केन्द्र बने हुए हैं। सितम्बर, 2001 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की दो सुप्रसिद्ध इमारतों को आत्मघाती बम हमले में उड़ा दिया गया। 13 दिसम्बर, 2001 में भारत के संसदभवन पर जबरदस्त आतंकवादी आक्रमण हुआ, जिसमें पांच आतंकवादी मारे गए। गांधीनगर में अक्षरधाम पर भयंकर हमला हुआ। इंग्लैण्ड, रूस, युगोस्लाविया जैसे कई युरोपीय देश भी आतंकवाद की मार झेल रहे हैं। इस प्रकार अब आतंकवाद वैश्विक रूप ले चुका है। आतंकवादी हमेशा बंदूक और बम की भाषा में बात करते हैं। वे केवल धमकी और जबरदस्ती का व्यवहार करना ही जानते हैं। लोगों में दहशत पैदा करने के लिए वे बसों, ट्रेनों, बाज़ारों, मंदिरों, सिनेमाघरों में बम विस्फोट करते हैं। वे प्रमुख नागरिकों और विमानों का अपहरण करते हैं। वे बैंक, पेट्रोलपंप आदि लूटते हैं। अपनी विचारधारा लादने के लिए वे हिंसा और भय का खुलकर उपयोग करते हैं। वे पुलिस और सेना की टुकड़ियों पर भी हमला करते हैं! हमें आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देना होगा। इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए पूरे विश्व को इसका सामना करना होगा। अफसोस इस बात का है कि कुछ देश अभी भी आतंकवाद को शह दे रहे हैं। उन्हें पता नहीं कि आतंकवाद का यह भस्मासुर एक दिन उन्हें भी नहीं छोड़ेगा। आतंकवाद पर काबू पाने के लिए हमें सबसे पहले युवकों को रोजगार मुहैया कराने होंगे। शिक्षित युवकों को नौकरियाँ देनी होगी। इसके साथ ही स्वावलंबन के लिए कुटीर-उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। आर्थिक विषमता कम करते हुए हमें धार्मिक सहिष्णुता पर जोर देना होगा। समाज में भेदभाव पैदा करनेवाले धर्मगुरुओं का बहिष्कार करना होगा। ‘सर्वधर्म समभाव’ की भावना ही आतंकवाद के सिरफिरेपन को सही दिशा दे पाएगी। इसमें संदेह नहीं कि हमारे विश्वव्यापी प्रयत्न ही इस वैश्विक – समस्या का प्रभावी समाधान कर सकेंगे। |
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