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देश के प्रति युवकों का कर्तव्य.

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देश के प्रति युवकों का कर्तव्य

[प्रस्तावना – युवक ही देश के रक्षक -देश की प्रगति के आधार – राष्ट्र-निर्माण के अन्य कार्य – उपसंहार]

युवक देश के प्राण होते हैं। देश को अपने युवकों से बड़ी-बड़ी आशाएं होती हैं। इसलिए युवकों को देश के प्रति अपने कर्तव्यों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए।

मातृभूमि की रक्षा की जिम्मेदारी युवकों पर होती है। इसलिए युवकों का कर्तव्य है कि वे अपनी रुचि के अनुसार जल, स्थल या वायुसेना में भर्ती हों। वे युद्ध कौशल में निपुण बनें। स्वतंत्रता की लड़ाई में अनेक युवकों ने अपना बलिदान दिया था। भगतसिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां आदि शहीदों ने अपने साहस और देशप्रेम से भारतवासियों में आज़ादी की दीवानगी भर दी थी।

अब देश के स्वाभिमान और गौरव की रक्षा के लिए भी युवकों को ही आगे आना होगा। देश की प्रगति युवकों पर निर्भर है। विज्ञान, कला, शिक्षा आदि क्षेत्रों में युवकों को ही देश की आवश्यकताएं पूरी करनी पड़ेंगी। आज हमारे देश में खाद्यान्न की कमी है। देश के अनेक भागों में पेय जल की समस्या है। सड़कों की जरूरत है। विद्युत उत्पादन बढ़ाना है। इन सबके लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का ज्ञान आवश्यक है।

यह ज्ञान पाकर हमारे युवक इस पिछड़े हुए देश को विकास की नई दिशाएं दिखा सकते हैं। कृषि, उद्योग, व्यापार में आधुनिक तौर-तरीके अपनाकर वे देश में प्रगति का नया उजाला ला सकते हैं। आज के जीवन में राजनीति बहुत महत्त्वपूर्ण बन गई है। देश के युवकों को राजनीति में भाग लेकर उसे साफ-सुथरा रूप देना चाहिए।

आज हमारे यहाँ राजनीति और आर्थिक क्षेत्र में बहुत भ्रष्टाचार फैला हुआ है। प्रशासन में भ्रष्ट तत्त्व घुस गए हैं। चुनावों में भी धांधली होती है। देश से ये सारे अनिष्ट युवक ही दूर कर सकते हैं।  शासन को कल्याणकारी रूप देना यवकों के ही बस की बात है। समाज भी अपनी समस्याओं के हल के लिए युवकों का ही मुंह ताकता है।

आज जरूरत है ऐसे प्रबुद्ध युवाओं की जो समाज को संकीर्णताओं से मुक्त करके उसे विशाल और व्यावहारिक दृष्टि दें। वे जातिप्रथा को समाप्त करें। समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव दूर करें। वे बिना दहेज लिए विवाह करने का व्रत लें और इस प्रकार देश को दहेज के दानव से मुक्त करें। वे सिनेमा और दूरदर्शन के माध्यम से समाज को नई दृष्टि दें। वे देहातों में शिविरों का आयोजन करें और उनके द्वारा सामाजिक समस्याओं का निराकरण करें।

इस प्रकार युवक चाहें तो अनेक तरह से देश की सेवा कर सकते हैं। वे जुआ, शराब, चोरी, बेईमानी से बचें और अपनी शक्तियों का देश के उत्कर्ष में सदुपयोग करें। वे राम, कृष्ण, अर्जुन के समान वीर बनकर देश के दुष्ट तत्त्वों का नाश करें। वे बुद्ध और महावीर के समान देश को सन्मार्ग पर ले चलें और गांधी के समान आत्मशक्ति से संपन्न बनें। वे अच्छे नेता, सेनापति, शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर और कलाकार बनकर देश के विकास में अपना योगदान करें।



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