1.

यदि मैं प्रधानमंत्री होता …

Answer»

यदि मैं प्रधानमंत्री होता …

[प्रधानमंत्री बनना एक सौभाग्य – जनता की प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना – राजनीतिक सुधार -अन्य समस्याओं का हल -विदेश नीति – मेरा आदर्श]

किसी भी जनतंत्र देश में प्रधानमंत्री का विशेष महत्त्व होता है। मंत्रीमंडल में प्रधानमंत्री ही सबसे मुख्य होता है। उसकी दूरदर्शिता और कार्यकुशलता पर ही देश के भविष्य का आधार है। इसलिए यदि मैं अपने देश का प्रधानमंत्री होता तो अपने आपको, सचमुच, बड़ा भाग्यशाली मानता, क्योंकि देशसेवा का ऐसा अवसर शायद ही मिल सकता है।

आज हमारे देश में लाखों-करोड़ों लोगों को पेट भरने के लिए भोजन, पहनने के लिए कपड़ा और रहने के लिए घर नहीं मिलता। प्रधानमंत्री के नाते मैं सबसे पहले देश की जनता की इन प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भरसक प्रयत्न करता । मजदूरों, कारीगरों आदि के कल्याण के लिए तथा निम्न वर्ग की दशा सुधारने के लिए मैं विशेष आयोजन करता। देश के बहुमुखी विकास के लिए मैं हर संभव प्रयत्न करता।

हमारे देश में आज प्रांतवाद और जातिवाद पनप रहे हैं। राजनीतिक क्षेत्र में भष्टाचार बढ़ गया है। रिश्वतखोरी, कालाबाजारी, तस्करी और दंगे-फसादों की कोई सीमा ही नहीं रही। यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो इन बुराइयों को दूर करने के लिए कड़े हाथों से काम लेता। किसी भी हालत में देश की एकता को बनाए रखता और देश की प्रगति के लिए जी-जान से कोशिश करता।

बेकारी और गरीबी जैसी समस्याओं को हल करने के लिए मैं छोटे-मोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देता। निरक्षरता दूर करने के लिए उचित प्रबंध करता, भारतवासियों के स्वास्थ्यसुधार के लिए ठोस कदम उठाता, गांवों की प्रगति के लिए पंचायतों को विशेष अधिकार देता, समाजसुधारकों और ग्रामसेवकों को भी प्रोत्साहित करता। इसके अतिरिक्त देश में वैज्ञानिक शिक्षण के लिए ठोस आयोजन करता।

मैं भारत का प्रधानमंत्री बनकर सभी देशों के साथ सहयोग और मित्रता का व्यवहार रखता और गुटबंदी से अलग रहता। परमाणुशखों पर विश्वव्यापी प्रतिबंध लगवाने का पूर्ण समर्थन करता। मैं विद्यालयों में फौजी तालीम अनिवार्य कराता और सुरक्षा की दृष्टि से देश को आत्मनिर्भर बनाता। जहाँ तक हो सके, युद्ध से दूर रहता, फिर भी अन्यायपूर्ण आक्रमणों का मुंहतोड़ जवाब देता। भुज-बल और चरित्र-बल दोनों के समन्वय से देश को ऊँचा उठाने का प्रयत्न करता।

मैं अपनी सेवा और कर्तव्यनिष्ठा से देशवासियों के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करने का प्रयत्न करता। मैं विरोध पक्षों के दृष्टिकोण को समझने की पूरी कोशिश करता और देश की समस्याओं को हल करने के लिए उनका भी सहयोग लेता। मेरे मंत्रीमंडल के सदस्यों को मैं उनकी योग्यता के अनुसार उचित जिम्मेदारी सौंपता। उन सबके प्रति मेरा व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण और निष्पक्ष होता, फिर भी किसी तरह का भ्रष्टाचार मैं बर्दाश्त न करता। प्रधानमंत्री के नाते मेरा लक्ष्य देश को हर तरह से सुखी, समृद्ध और शक्तिशाली बनाना होता। काश! मैं अपनी अभिलाषाओं को पूर्ण कर पाऊँ !



Discussion

No Comment Found