InterviewSolution
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मेरी प्रिय ऋतु. |
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Answer» मेरी प्रिय ऋतु [भारत में ऋतुओं का क्रमिक आगमन – प्रिय ऋतु का परिचय -प्रिय होने का कारण -अन्य ऋतुओं से तुलना – मेरी प्रिय ऋतु और मेरा जीवन – उपसंहार] सचमुच, वसंत की वासंती दुनिया सबसे निराली है। शिशिर का अंत होते ही वसंत की सवारी सज-धज के साथ आ पहुंचती है। बागों में, वाटिकाओं में, वनों में प्रकृति वसंत के स्वागत की तैयारियां करने लगती है। कलियाँ अपने घूघट खोल देती हैं, फूल अपनी सुगंध बिखेर देते हैं, भौरे गूंज उठते हैं और तितलियां अपने चटकीले-चमकीले रंगों से ऋतुराज का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाती हैं। पृथ्वी के कण कण में नया आनंद, नया उत्साह, नया संगीत, नया जीवन नजर आता है। जब सारी प्रकृति वसंत में झूम उठती है, तब मेरा मन क्यों न झूमे? सचमुच, वसंत की शोभा मेरे हृदय में उतर आती है। एक ओर शीतल, मंद, सगंधित पवन के मधर झोंके मन को मतवाला करते हैं. तो दूसरी ओर फुलवारियों का यौवन बूढों को भी जवान बना देता है। खिलती कलियाँ देखकर मेरे जी की कली भी खिल उठती है। न तो यहाँ गरमी की बेचैनी है, न जाड़े की ठिठुरन । एक ओर प्रकृति के रंग और ऊपर से रंगभरी होली! अबीर-गुलाल के रूप में मानो हृदय का प्रेम ही फूट पड़ता है। ऐसा मनभावन फागुन का वसंत मुझे प्रिय क्यों न हो? कुछ लोग वर्षा को वसंत से अच्छा मानते हैं। पर कहाँ वर्षा का किच-पिच मौसम और कहाँ वसंत की बहार! वह वर्षा, जो घरों को धराशायी करती है, फसलों पर पानी फेरती है, नदियों को पागल बनाकर गाँव के गाँव साफ कर देती है, सुखकर कैसे हो सकती है? इसी प्रकार शरद की शोभा भी वसंतश्री के सामने फीकी पड़ जाती है। वसंत, सचमुच, ऋतुराज है। अन्य ऋतुएं उसकी रानियाँ या सेविकाएँ ही हो सकती हैं। मैं तो वसंत को जीवन की ऋतु मानता हूँ। उसका आगमन होते ही मेरा मन इंद्रधनुष-सा रंग-बिरंगा बन जाता है और मेरी कल्पना रेशमी बन जाती है। बागों में सैर करते मन नहीं भरता। मेरी आँखों पर प्रकृति के आकर्षण का चश्मा लग जाता है और मेरे दिल में उमंगों का सूर्योदय होता है। कोयल के गीत मुझे कविता लिखने की प्रेरणा देते हैं। फूल मन को खिलना और होठों को हंसना सिखाते हैं। तितली फूलों को प्यार करना और भौरे गुनगुनाना सिखाते हैं। ऐसी अनोखी और मनभावनी है मेरी प्रिय वसंत ऋतु ! मैं सालभर इसकी प्रतीक्षा करता रहता हूँ। |
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