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अब रजत स्वर्ण मंजरियों सेलद गई आम्र तरु की डाली,झर रहे ढाक, पीपल के दल,हो उठी कोकिला मतवाली !महके कटहल, मुकुलित जामुन,जंगल में झरबेरी झुली,फूले आडू, नींबू, दाडिम,आलू, गोभी, बैंगन, मूली !भावार्थ : कवि कहते हैं कि आम के पेड़ की डालियाँ सोने-चाँदी की मंजरियों से लद गई हैं। ढाक और पीपल के पत्ते गिरने लगे हैं। कोयल वसंत ऋतु की मादकता में मतवाली हो गई है। अर्थात् आम डालियों पर बैठकर कूकने लगी है। कटहल के पेड़ों और जामुन के अधखिले फूलों से सारा वातावरण महक उठा है। जंगल में झरबेरी की झाड़ियाँ फूलों से लदकर लटक गई हैं। आड़ के पेड़ में फूल आ गए हैं, नीबू और अनार फलों से लद गए है। खेतों में आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियाँ लहलहा रही हैं।1. आम के पेड़ का सौन्दर्य कैसा है ?2. ढाक और पीपल के वृक्ष कैसे हो गए हैं ?3. किन पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है ?4. किन पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है ?5. ‘जंगल में झरबेरी झूली’ में कौन-सा अलंकार है ?

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1. आम के पेड़ पर सोने-चाँदी जैसी चमकदार मंजरियाँ आ गई हैं, जिनसे खुश्बू निकल रही है। कोयल कूक कूककर मतवाली
हो गई है। इस तरह, आम का पेड़ बेहद सुंदर लग रहा है।

2. ढाक और पीपल के वृक्ष के पत्ते गिर रहे है। उनमें एक तरफ पत्ते गिर रहे हैं तो दूसरी तरफ नए पत्ते आ रहे हैं।

3. आम, करहल, जामुन, झरबेरी, आड़, नींबू, अनार आदि के पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है।

4. कवि ने आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियों का उल्लेख किया है।

5. ‘जंगल में हारबेरी झूली’ में ‘झ’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।



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