InterviewSolution
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फैली खेतों में दूर तलकमखमल की कोमल हरियाली,लिपटीं जिससे रवि की किरणेंचाँदी की सी उजली जाली !– तिनकों के हरे हरे तन परहिल हरित रुधिर है रहा झलक,श्यामल भू तल पर झुका हुआनभ का चिर निर्मल नील फलक !भावार्थ : गाँव की प्राकृतिक सुषमा और समृद्धि का मनोहारी वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि गाँव के खेतों में दूर-दूर तक मखमली कोमल हरियाली फैली हुई है। उस पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो लगता है कि जैसे चाँदी की जाली बिछी हुई है। जब हरे-हरे तिनके हिलते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे उनमें हरा रक्त बह रहा हो। हरी-भरी धरती पर फैला आसमान मानो धरती को बाहों में भरने के लिए झुका हुआ है।1. हरियाली को मखमली क्यों कहा गया है ?2. हरियाली पर फैली सूरज की किरणें कैसी लग रही है ?3. भूतल पर कौन झुका हुआ है ?4. हरियाली का सौन्दर्य किसके कारण बढ़ रहा है और क्यों ?5. स्वच्छ आसमान को देखकर कवि क्या कल्पना करता है ?6. ‘चाँदी की सी उजली जाली’ में कौन-सा अलंकार है ? |
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Answer» 1. गाँव के खेतों में हरी-भरी फसलें लहरा रही हैं। उनके तने और पत्तियाँ एकदम कोमल हैं इसीलिए कवि ने हरियाली को मखमली कहा है। 2. हरियाली पर फैली सूरज की किरणें उस पर लिपटी चाँदी की जाली जैसी सफेद लग रही हैं। 3. भूतल पर नीला आसमान झुका हुआ है। 4. हरियाली का सौन्दर्य सूर्य के कारण बढ़ रहा है। दूर-दूर तक मखमल जैसी कोमल हरियाली फैली हुई है। उस मखमली हरियाली पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो ऐसा लगता है कि चाँदी की सफेद जाली हो। 5. स्वच्छ आसमान को देखकर कवि को लगता है कि नीला आसमान मानो धरती को बाहों में भरने के लिए झुका हुआ है। 6. ‘चाँदी की सी उजली जाली’ में उपमा अलंकार है। |
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