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पीले मीठे अमरूदों मेंअब लाल लाल चित्तियाँ पड़ी,पक गए सुनहले मधुर बेर,अँवली से तरु की डाल जड़ी !लहलह पालक, महमह धनिया,लौकी औ’ सेम फलीं,फैली मखमली टमाटर हुए लाल,मिरचों की बड़ी हरी थैली !भावार्थ : कवि कहते हैं कि अमरूद पककर पीले और मीठे हो गए हैं। उन पर लाल-लाल चित्तियाँ (धब्बे) पड़ गए हैं। मीठे बेर पककर सुनहरे हो गए हैं। आँवले से लदी पेड़ की डालियाँ ऐसे लगती हैं जैसे उन पर सितारे जड़ दिए गए हों। लौकी और सेम की लताएँ जमीन पर फैल गई हैं और उनमें फल लग गए हैं। टमाटर मखमल की तरह लाल हो गए हैं। मिर्ची के गुच्छे बड़ी-सी हरी थैली जैसे दिख रहे हैं।1. अमरूद पककर कैसे हो गए हैं ?2. बेर के फल में क्या परिवर्तन आ गया है ?3. आँवला का पेड़ कैसा दिखाई दे रहा है ?4. टमाटर किसकी तरह लाल हो गए हैं ?5. ‘मिरचों की बड़ी हरी थैली’ का क्या अभिप्राय है ?6. काव्यांश में किस भाषा का प्रयोग हुआ है ?

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1. अमरूद पककर पीले और लाल चित्तियोंवाले हो गए हैं।

2. बेर के फल पककर मीठे हो गए हैं। उनका रंग सुनहरा हो गया है।

3. आँवला का पेड़ छोटे-छोटे अनगिनत फलों से लद गया है। उसकी डालियाँ बड़ी खूबसूरत लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे आँवले की डालियों पर सितारे जड़ दिए गए हों।

4. टमाटर मखमल की तरह लाल हो गए हैं।

5. कवि यहाँ मिरचों को बड़ी हरी थैली जैसा कह रहा है। सामान्यतः मिचों की बात करते ही हमारा ध्यान उनके लम्बे आकार की तरफ ही जाता है, परन्तु कवि यहाँ बड़े-बड़े आकारवाले शिमला मिर्च की बात कर रहा है, जो पौधों से लटकती हुई थैली की तरह दिखाई देते हैं।

6. काव्यांश में तत्सम युक्त खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।



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