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भाव स्पष्ट कीजिए –क. बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेतीख. हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए

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क. बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती

भाव : गंगा के किनारे फैली रेत पर जब सूर्य प्रकाश पड़ता है तो प्रकाश विभाजन के कारण वह रेत रंग-बिरंगी नजर आती है । पानी की लहरों और हवा के कारण जो टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ बन गई हैं, वे साँपों के रेंगने से बने निशान जैसी लग रही हैं ।

ख. हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए

भाव : सर्दी की नर्म और कोमल धूप में हरियाली चमक रही है, ऐसा लग रहा है जैसे कि हरियाली हँस रही है । सर्दी की धूप भी खिली-खिली है, जिससे ऐसा भी लगता है कि धूप और हरियाली दोनों ही एक-दूसरे से मिलकर सोए हुए हैं।



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