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अर्थशास्त्र की एक विकास केन्द्रित परिभाषा दीजिए और इसकी विशेषताएँ बताइए। अथवा प्रो० सेमुअल्सन द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए और इसकी विशेषताएँ बताइए।

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आर्थिक विकास की समस्या आज की ज्वलन्त समस्या है। अतः आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में ‘आर्थिक विकास की समस्या को विशेष महत्त्व दिया है।

प्रो० सेमुअल्सन द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा –“अर्थशास्त्र इस बात का अध्ययन करता है कि व्यक्ति और समाज अनेक प्रयोग में आ सकने वाले उत्पादन के सीमित साधनों का चुनाव एक समयावधि में विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में लगाने और उनको समाज में विभिन्न व्यक्तियों और समूहों के उपभोग हेतु वर्तमान व भविष्य में, बाँटने के लिए किस प्रकार करते हैं, ऐसा वे चाहे मुद्रा का प्रयोग करके करें अथवा इसके बिना करें। यह साधनों के आवंटन के स्वरूप में सुधार करने की लागतों व उपयोगिताओं का विश्लेषण करता है।”

परिभाषा की विशेषताएँ – उपर्युक्त परिभाषा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
⦁    साधन सीमित तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले हैं जिनको विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयोग किया जाता है।
⦁    ‘आर्थिक विकास की प्रकृति प्रावैगिक है। अत: इस समस्या को शामिल करने से यह परिभाषा ‘प्रावैगिक हो गई है।
⦁    प्रो० सेमुअल्सन ने चुनाव की समस्या’ या ‘साधनों के वितरण की समस्या’ को ‘वस्तु विनिमय प्रणाली’ और ‘मुद्रा विनिमय प्रणाली’ दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं में लागू किया है। फलस्वरूप अर्थशास्त्र का क्षेत्र व्यापक हो गया है।
⦁    यह परिभाषा सार्वभौमिक है और सभी प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं (पूँजीवादी, समाजवादी, साम्यवादी) में लागू होती है।
⦁    अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आय, उत्पादन, रोजगार व आर्थिक विकास आदि की समस्याओं का समावेश करके यह परिभाषा अर्थशास्त्र के क्षेत्र को विस्तृत कर देती है।



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