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बादलों के बरसने से सभी प्राणी प्रसन्नता क्यों प्रकट करते हैं?

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बरसते बादल कविता के कवि श्री सुमित्रानंदन पंत है। इन्हें चिदंबरा काव्य संकलन पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

• सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। प्रकृति का हर प्राणी पानी के बिना वर्षा रह नहीं सकता।

• पशु – पक्षी और मनुष्य एवं प्रकृति वर्षा से पुलकित होते हैं।

• वर्षा के कारण प्रकृति हरी – भरी रहती है। पशु – पक्षी वर्षा को देखकर संतोष से उछल – कूद पडते हैं।

• ग्रीष्म ऋतु के कारण अब तक जो ताप को पशु – पक्षी और सारे मनुष्य सहलिये हैं, वे अब वर्ष को देखकर अपने – अपने ताप को शांत करने पुलकित हो जाते हैं।

• वर्षा के कारण दादुर, झिल्ली, मोर, चातक और सोनबालक आदि जीव जाति आनंद से पुलकित होते

• वर्षा से पेड – पौधे अपने थकावट को दूर करने के लिए आनंद से झूम उठते हैं।

• वर्षा से पृथ्वी, तालाबें, नदियाँ, झील, झरने आदि प्रसन्नता से अपने सूखेपन को बदल लेते हैं।

• सभी प्राणी अपने – अपने प्यास बुझाने के लिए बादलों के बरसने को प्रसन्नता से निमंत्रण करते हैं।



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