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सुमित्रानंदन पंतजी को प्रकृति सौंदर्य चित्रण का बेजोड़ कवि कहा गया है। “बरसते बादल” कविता के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।

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पंतजी ने “बरसते बादल” कविता में सुंदर, मधुर शब्दों का प्रयोग किया है। जिस प्रकार आभूषण नारी की सुंदरता को बढ़ा देते हैं। उसी प्रकार पंतजी ने शब्द रूपी आभूषणों से कविता को सजाकर प्रकृति के सौंदर्य को दुगुना कर दिया है। कविता में टर – टर ,कण – कण, तृण – तृण, म्यव – म्यव, पीउ – पीउ शब्द के प्रयोग से, तो कहीं अर्थ के चमत्कार से (थम – थम दिन के तम में) तो कहीं शब्द – अर्थ दोनों के चमत्कार से (झम – झम – झम मेघ) प्रकृति की सुंदरता का अद्भुत चित्रण किया है। इस प्रकार अन्य कोई भी कवि प्रकृति सौंदर्य का चित्रण करने में असमर्थ है। इसीलिए पंतजी को प्रकृति सौंदर्य चित्रण का बेजोड़ कवि कहा गया है।



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