1.

एक दण्ड-चुम्बक को पतले तार द्वारा समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाया जाता है। तार के ऊपरी सिरे को `160^(@)` से ऐंठने पर चुम्बक अपनी स्थिति से `30^(@)` विक्षेपित हो जाता है। तार के ऊपरी सिरे को कितना ऐंठा जाये की चुम्बक अपनी प्रारम्भिक अवस्था से `90^(@)` घूम जाये?

Answer» तार के ऊपरी सिरे को `160^(@)` से ऐंठने पर चुम्बक निचले सिरे पर `30^(@)` घूमता है। अतः तार में ऐंठन `=(160^(@)-30^(@))=130^(@)`. यदि तार में ऐंठन के लिये ऐंठन का बल-युग्म C हो, तो `130^(@)` की ऐंठन के लिए
ऐंठन का बल-युग्म = `C xx 130^(@)`
चुम्बक स्वंय `30^(@)` घुमा है। अतः यदि चुम्बक का आघूर्ण M हो तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवनमन `B_(H)` हो, तो चुम्बक पर लगने वाला बल-युग्म
`tau=MB_(H) sin 30^(@)`
सन्तुलन की अवस्था में ये दोनों बल-युग्म बराबर होंगे।
`thereforeCxx130^(@)=MB_(H)sin30^(@)" ....(i)"`
अब मान लो कि चुम्बक को उसकी प्रारम्भिक अवस्था से `90^(@)` घुमाने के लिए तार के ऊपरी सिरे को `theta^(@)` घुमाना पड़ता है। तब तार में ऐंठन = `(theta-90^(@))` अतः इस दशा में
`Cxx(theta-90^(@))=MB_(H) sin 90^(@)" ....(ii)"`
समीकरण (ii) को (i) से भाग करने पर
`(theta-90^(@))/(130^(@))=(sin90^(@))/(sin30^(@))=(1)/(1//2)=2`
`therefore theta-90^(@)=2xx130^(@)=260^(@)`
अथवा `theta=260^(@)+90^(@)=350^(@)`.


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