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‘मानव सेवा ही माधव सेवा है।’ इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए |

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मानव सामाजिक प्राणी है। हर एक व्यक्ति समाज का अंग ही है। ज्ञानी और बुद्धिमान होने के कारण सबसे मानव मिलजुलकर रहना चाहता है। इसलिए समाज में रहनेवाले लोगों के बारे में सोचना आवश्यक सहायता करना मानव का सच्चा धर्म है। सेवा भाव ही मानव का उत्तम गुण है। अपने जीवन को सुचारू रूप से बिताते, साथ ही लोगों के काम आते, ज़रूरतमंदों की सहयता करने में तत्पर रहना है। मुसीबतों में रहे लोगों के कष्टों को दूर करना मानवता का चिह्न है। इसीलिए कहा गया है कि मानव सेवा ही माधव सेवा है। अर्थ है कि मानव की सेवा ही भगवान की सेवा है।



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