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‘प्राचीन भारत’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

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प्राचीन भारत अर्थात् हिन्दुस्तान । हिन्दुस्तान में विश्व की दो महान प्राचीन संस्कृतियाँ – सिंधु घाटी की संस्कृति और आर्य संस्कृति का समन्वय था । यह देश विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति रखनेवाले देशों में से एक है, जो हड़प्पा और मोहें-जो-दड़ो नाम के स्थान से मिली संस्कृति से सिद्ध होता है ।

प्राचीन भारत की आर्थिक समृद्धि विश्व की आँखें चौंधा दे ऐसी थी । भारत प्राचीन समय से कृषि की वैविध्यता और आधुनिकता रखनेवाला देश था । भारत के किसान साहसी थे । भारत उद्योगों में भी महत्त्वपूर्ण था । भारत के उद्योगों का विश्व में डंका बजता था । भारत का कपड़ा उद्योग, सन उद्योग, कागज उद्योग, कोयला उद्योग, चाय, कॉफी, रबर आदि उद्योगों के विविध औद्योगिक क्षेत्र में विकसित था । सूती कपड़े के निर्यात में भारत अग्रगण्य था । भारत कृषि, उद्योग और व्यापार क्षेत्र में विकसित था ।

(1) रोजगारी का ढाँचा : प्राचीन भारत कृषि प्रधान था, फिर भी भारत में कृषि के उपरांत उद्योगिक दृष्टि से समृद्ध था । भारत के लोग अधिकतर कृषि पर निर्भर थे । मुख्य रूप से ग्राम अर्थतंत्र आधारित था ।

  • कृषि : भारत की कृषि खूब वैविध्यपूर्ण थी । ग्रामीण प्रजा अपनी जीवनजरूरी वस्तु जैसे अनाज, सब्जी, फल, कपड़ा, जूता, पशुपालन और कृषिजन्य वस्तुओं का उत्पादन करती थी । लोग सुखी संपन्न थे ।
  • उद्योग : भारत मुख्य रूप से सूती कपड़ा, मलमल के कपड़े का निर्यात करता था । इसके उपरांत गरम मसाला, शाल, ताड़पत्री, मूर्ति आदि का भी निर्यात करता था ।
  • सेवा : भारत में ई.स. पूर्व.600 में विविध चिन्होंवाले सिक्के बनाये गये । इस समय में व्यापारिक गतिविधियाँ और शहरी विकास सीमा चिन्हरूप थी ।

(2) राष्ट्रीय आय : अंगुस मेडीसन के अनुसार भारतीय अर्थतंत्र विश्व के बड़े अर्थतंत्रों में से एक था । मुगलों के समय में 16वीं सदी में विश्व की आय का 25% आय भारत की थी । औरंगजेब के शासन में भारत की राष्ट्रीय आय 10 करोड़ पाउण्ड हो गयी थी ।



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