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राजदरबार में जगह न मिलने पर इंग्लैंड का एक विद्वान् अपने भाग्य को क्यों सराहता रहा?

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इंग्लैंड के एक विद्वान् को युवावस्था में राजदरबारियों में जगह नहीं मिली। इस पर वह सारी उम्र अपने भाग्य को सराहता रहा। उसे लगता था कि राजदरबारी बन कर वह बुरे लोगों की संगति में पड़ जाता जिससे वह आध्यात्मिक उन्नति न कर पाता। बुरी संगति से बचने के कारण वह अपने आप को सौभाग्यशाली मानता है।



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