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शक्ति के प्राचीन संसाधन’कोयले के संरक्षण के लिए क्या उपाय अपनाये जाने चाहिए?

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ऊर्जा के संसाधनों में कोयला अत्यन्त पुराना संसाधन है। सैकड़ों वर्षों से कोयले का उपयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा रहा है, जबकि विश्व में इसके भण्डार सीमित हैं। अत: इसके संरक्षण के . लिए निम्नलिखित उपाय अपनाये जाने चाहिए

  • कोयले की खानों में आग लगने, खान की छत गिरने अथवा खान में पानी भरने से कोयले के भण्डारों को भारी हानि पहुँचती है। अत: खनन-तकनीकी में सुधार कर इन हानियों को रोका जा सकता है।
  • कोयले से ताप व ऊर्जा प्राप्त करने की तकनीकी को भी अधिक विकसित करके इसका संरक्षण किया जा सकता है।
  • कभी-कभी कोयले की खानों में गैसें भरने के कारण विस्फोट हो जाते हैं। यदि इन विस्फोटों से खानों को बचाने के उपाय विकसित किये जाएँ तो कोयले के भण्डार सुरक्षित रहेंगे।
  • जल-विद्युत कभी न समाप्त होने वाला ऊर्जा संसाधन है। अतः इसका उपयोग बढ़ाकर कोयले का उपयोग सीमित किया जाए। उदाहरण के लिए पहले रेलें कोयले व डीजल से ही चलती थीं, किन्तु अब अनेक मार्गों पर जल-विद्युत से रेनें चलायी जाती हैं।
  • ईंधन के रूप में भी कोयले का प्रयोग घटाकर उसके स्थान पर सौर ऊर्जा, प्राकृतिक गैस तथा गोबर गैस का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
  • कोयले की खुदाई करते समय ऐसा प्रयास करना चाहिए कि चूरा कम-से-कम हो। कोयले के चूरे को भी उपयोग में लाना चाहिए।
  • खदानों में कोयला स्तम्भों के रूप में पर्याप्त मात्रा में छोड़ दिया जाता है। खदानों से कोयले की अधिकाधिक मात्रा का खनन कर लेना चाहिए।
  • कोयले की दहन-भट्टियाँ खुली नहीं होनी चाहिए तथा उनकी चिमनियाँ ऊँची होनी चाहिए। कोयले से तापीय ऊर्जा प्राप्त करने की तकनीकी को भी अधिक उन्नत करके कोयले का संरक्षण किया जा सकता है।


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