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शक्ति के संसाधन के रूप में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस का संक्षिप्त विवरण लिखिए।

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खनिज तेल (पेट्रोलियम)

शक्ति के संसाधन के रूप में खनिज तेल का अत्यधिक महत्त्व है। कोयले द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का प्रयोग केवल कारखानों तथा घरों में सम्भव है, किन्तु चालक शक्ति के रूप में परिवहन के साधनों में खनिज तेल ही अधिक उपयोगी है।

पेट्रोलियम का शाब्दिक अर्थ है-चट्टानी तेल। यह भूगर्भीय चट्टानों से निकाला जाता है। इसकी उत्पत्ति भूगर्भ में दबी हुई वनस्पति तथा जल-जीवों के रासायनिक परिवर्तन के फलस्वरूप हुई है। यह अवसादी शैलों में पाया जाता है। भूगर्भ से निकले कच्चे तेल में अनेक अशुद्धियाँ मिली होती हैं। इन अशुद्धियों का तेलशोधनशालाओं में रासायनिक क्रियाओं द्वारा शोधन किया जाता है। भारत में खनिज तेल के भण्डार सीमित ही हैं। भारत प्रति वर्ष लगभग 30 मिलियन मी टन अशुद्ध खनिज तेल का उत्पादन करता है, जो उसकी कुल आवश्यकता को मात्र 60% पूरा कर पाता है। अतएव भारत को प्रति वर्ष खनिज तेल के आयात पर विदेशी मुद्रा का व्यय करना पड़ता है।

प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस के भण्डार सामान्यत: तेल-क्षेत्रों के साथ ही पाये जाते हैं। इस प्रकार गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश तथा ओडिशा के तटों से दूर तेल-क्षेत्रों में भी प्राकृतिक गैस के भण्डार मिले हैं। लेकिन तेल-क्षेत्रों से अलग केवल प्राकृतिक गैस के भण्डार त्रिपुरा और राजस्थान में खोजे गये हैं। इसका प्रयोग कुकिंग गैस के रूप में, उर्वरक उद्योग तथा विद्युत उत्पादन में किया जाता है। 2006-07 में देश में 30792 मिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन हुआ। ऊर्जा संसाधनों की कमी वाले देशों के लिए प्राकृतिक गैस की उपलब्धि एक अमूल्य उपहार है।



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