InterviewSolution
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गाँधीजी का जन्म कहाँ हुआ था ? |
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Answer» गाँधीजी का जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था । |
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थोरों के विचार में से गाँधीजी ने कौन-सा विचार अपनाया ? |
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Answer» थोरों के विचार में से गाँधीजी ने ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ अपनाया । |
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गाँधीजी ने सर्वोदय के अमल के लिए कौन-से विचार प्रस्तुत किए ? |
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Answer» गाँधीजी ने सर्वोदय के अमल के लिए त्याग, स्वैच्छिक, सेवा यंत्र का विरोध, श्रम का बचाव, विकेन्द्रीकरण और शोषण को रोकना जैसे विचार प्रस्तुत किये । |
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| 4. |
कौटिल्य के विचार किससे प्रेरित थे ? |
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Answer» कौटिल्य के विचार राजनैतिक और आर्थिक चिंतन से प्रेरित थे । |
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‘श्रमेव जयते’ योजना कब शुरू हुयी ?(A) 16 अक्टूबर, 2014(B) 16 अक्टूबर, 2004(C) 16 अक्टूबर, 2015(D) 16 अक्टूबर, 2009 |
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Answer» सही विकल्प है (A) 16 अक्टूबर, 2014 |
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कौटिल्य के मतानुसार शहरों का विकास किस प्रकार करना चाहिए ? |
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Answer» कौटिल्य के मतानुसार राजा को राज्य में नयी-नयी खान खुदवाना, हुन्नर उद्योगों के कारखाने बढ़ाना, उद्योगों के विकास के लिए राज्य की अनुकूलता कर देना चाहिए और इसलिए परिवहन, संचार, सुविधाएँ बढ़ाना और उद्योग द्वारा उत्पादित माल-सामान के विक्रय के लिए बाजार मिले इस प्रकार से शहर का विकास करना चाहिए । |
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| 7. |
‘किन भारतीय ग्रंथों में अर्थशास्त्र से संबंधित आर्थिक विचार प्रस्तुत हुये हैं ? |
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Answer» महाभारत के शांतिपर्व, मनुस्मृति, शुक्रनीति और कामंदकीय नीतिसार जैसे भारतीय ग्रंथों में अर्थशास्त्र से संबंधित आर्थिक विचार प्रस्तुत हुये हैं । |
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| 8. |
कौटिल्य के मतानुसार बाह्य शुल्क का अर्थ बताइए । |
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Answer» कौटिल्य के मतानुसार बाह्य शुल्क (कर) अर्थात् अपने राष्ट्र में उत्पन्न होनेवाली वस्तु पर लिया जानेवाला कर या शुल्क । |
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राजकोष और करनीति से सम्बन्धित कौटिल्य के विचारों को विस्तार से समझाइए । |
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Answer» कौटिल्य का चिंतन ‘अर्थ’ पर आधारित है । उनके अनुसार सत्ता की चाबी ‘अर्थ’ ही है । मनुष्य का निर्वाह ‘अर्थ’ पर आधारित है । कौटिल्य मानते थे कि मनुष्य बिना साधन के श्रम द्वारा अर्थ प्राप्त कर सकता है । जैसे-जैसे श्रम की उत्पादकता बढ़ेगी, वैसे-वैसे साधनों का भी विकास होगा । इसलिए वे मानवसर्जित श्रम को वास्तविक अर्थ कहते हैं । इस संदर्भ में कौटिल्य का अर्थशास्त्र अर्थात् ‘मनुष्य की वृत्ति अर्थ है, मनुष्य के निवासवाली भूमि अर्थ है । ऐसी पृथ्वी के लाभ, मरम्मत, निभाव खर्च, पशु-पालन के उपायों को दर्शानेवाला शास्त्र अर्थात् अर्थशास्त्र ।’ कौटिल्य ने देश और समय के अनुरूप आर्थिक विचार प्रस्तुत किया है । उनमें से राजकाप और कर नीति की चर्चा यहाँ करेंगे : (1) राजकोष : कौटिल्य ने राज्य की समृद्धि और सुरक्षा के लिए जो उपाय और साधन बताये हैं उनमें राजकोष का महत्त्वपूर्ण स्थान है । राज्य का संगठन, समृद्धि, स्थिरता और संचालन राजकोष पर आधारित है । इसलिए सर्वप्रथम राजा को राजकोष का ध्यान रखकर बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए । कौटिल्य ने राज्य की आय के सात स्रोत दर्शाये है जिसमें (1) नगर (2) ग्राम (3) सिंचाई (4) खान (5) जंगल (6) पशुपालन (7) व्यापार-वाणिज्य का समावेश होता है । उन्होंने कहा राजा को वर्ष में एक बार ही कर लेना चाहिए । इसे उघराने के लिए प्रजा पर जोर-जबरदस्ती के बिना राजकोष को बढ़ाना चाहिए । अकाल-बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा में करवसूली में कठोरता नहीं करनी चाहिए । कौटिल्य ने राजकोष को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति, कीमती उपहार, दंड, व्यापार वृद्धि और विपुल धान्य उत्पादन बढ़ाने के उपाय सूचित किए । राजकोष के लिए गोदामों की व्यवस्था करके संग्रह करके उसे प्रजा कल्याण के लिए खर्च करना चाहिए । किस के पास से कितना कर लेना चाहिए इस व्यवस्था का उल्लेख भी कौटिल्य ने किया है जैसे : अनाज उत्पन्न करनेवाले किसान से उत्पादन का चौथा भाग, वन्य, कपास, उन, रेशम, लाख, दवा जैसी वस्तु के उत्पादन का आधा भाग, इसी प्रकार व्यवसाय में कर वसूली की स्पष्टता की है । कौटिल्य का कल्याणलक्षी विचार आज भी प्रजा के कल्याणलक्षी कार्यों के लिए उपयोगी है । (2) कर नीति : कर नीति के सम्बन्ध में कौटिल्य ने निश्चित सिद्धांत प्रस्तुत किये हैं । जिसमें राजा के लिए कर मर्यादा, अल्पकालीन और दीर्घकालीन कर नीति बातों की स्पष्टता देखने को मिलती है । आकस्मिक परिस्थिति में कर की दर ऊँची ले जाने की व्यवस्था भी दर्शायी है । जैसे बगीचा में फल के पेड़ पर से पके फलों को तोड़कर एकत्रित किया जाता है । उसी प्रकार राज्य को भी प्रजा की शक्ति और स्थिति का विचार करके कर लेना चाहिए । कर प्रजा पर भाररूप नहीं होना चाहिए । इस संदर्भ में कौटिल्य ने निम्नानुसार कर ढाँचे के नियम प्रस्तुत किये हैं : (i) भूमि कर : राज्य को कृषि उत्पादन का निश्चित भाग किसान या मालिक के पास से भूमि कर लेने का अधिकार था । जमीन का प्रकार जमीन की उत्पादकता, कृषि उत्पादन का स्वरूप, सिंचाई का प्रकार और सुविधाएँ आदि पहलूओं को ध्यान में रखकर कौटिल्य ने भूमि कर का प्रमाण निश्चित करने के नियम दिये और राज्य ने किसानों को कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कर में छूट देने की भी सिफारिश की । (ii) आयात-निर्यात कर : कौटिल्य ने आयात-निर्यात कर संदर्भ में वस्तुओं को तीन भागों में बाँटकर कर व्यवस्था सूचित की जैसे -
अंत में कौटिल्य ने वस्तु के प्रकार और महत्त्व के आधार पर कर लेने के नियम दर्शाये हैं । जकात (चुंगी) के लिए जकातनाका खड़े करना और मार्ग कर और संपत्ति कर के नियम भी प्रस्तुत किये हैं । |
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कौटिल्य के मतानुसार जनपथ की रचना में किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ? |
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Answer» कौटिल्य के मतानुसार जनपथ की रचना में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :
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कौटिल्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए । |
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Answer» कौटिल्य का जन्म दांत के साथ चणक ब्राह्मण के यहाँ हुआ । इसलिए वे चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध हुए । उनका मूल नाम विष्णुगुप्त था । पाटलीपुत्र राज्य में कुसुमपुर गाँव में बचपन व्यतीत हुआ । कौटिल्य ने ई.स. पूर्व तीसरी सदी के आस-पास नंद वंश के अंतिम राजा धनानंद के कुशासन का अंत लाने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य का साथ लेकर उन्होंने नैतिक मूल्यों पर आधारित मजबूत अर्थव्यवस्थावाले सुसमृद्ध राष्ट्र की रचना के लिए पुरुषार्थ किया । राजनीति, कानून, अर्थनीति, कुशल प्रशासन, करनीति, समाजव्यवस्था, व्यापार, कृषि और उद्योग आदि विषयों का सूक्ष्म अध्ययन किया और अर्थशास्त्र जैसे विशिष्ट ग्रंथ की रचना की जो ‘कौटिल्य का अर्थशास्त्र’ के नाम से जाना गया । |
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कृषि-पशुपालन और उद्योग के संबंध में कौटिल्य के विचार स्पष्ट कीजिए । |
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Answer» भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौटिल्य ने अपनी पुस्तक ‘अर्थशास्त्र’ में कृषि-पशुपालन और उद्योगों के सम्बन्ध में अपने विचार प्रस्तुत किए . (1) कृषि : कौटिल्य ने कृषि को जीवन-निर्वाह का मुख्य साधन बताया है । कौटिल्य ने भूमि को दो प्रकारों में विभाजित किया
इसमें से राज्यहस्तक की भूमि दासों, मजदूरों और केदीओं के पास से जुतवाकर, बुवाई करवायी जाती थी । भूमि का पूरा उपयोग कृषि के लिए हो ऐसा कौटिल्य मानते थे । इसलिए बंजर जमीन को कृषिलायक बनाने की सिफारिश करते हैं । कारण कि अनुत्पादक. भूमि का कोई अर्थ नहीं है । किसान कृषि उत्पादन करेगा, तो राज्य को महसूल प्राप्त होगा और किसान को उसकी आजीविका मिलेगी । (2) पशुपालन : कृषि के साथ ही पशुपालन जुड़ा हुआ है । इसलिए कौटिल्य ने पशुपालन के व्यवसाय के विकास का भी उल्लेग्व किया है और आय के साधनों में सम्मिलित किया है । इसमें कौटिल्य ने तीन प्रकार के पशुओं का उल्लेख किया है :
(3) उद्योग : कौटिल्य मानते थे कि आर्थिक दृष्टि से साधन-संपन्न राज्य ही समृद्ध और विकसित बन सकता है । इसलिए कौटिल्य । ने उद्योगों के विकास के लिए मार्गदर्शक विचार प्रस्तुत किये हैं । उनके अनुसार राजा को राज्य में नयी-नयी खाने खुदाना, कौशल्य (हुन्नर) उद्योग के कारखाने बढ़ाना, उद्योग के विकास के लिए राज्य को अनुकूलता का सर्जन करना और इसलिए परिवहन, संचार की सुविधाएँ बढ़ाना और उद्योगों द्वारा उत्पादित माल-सामान के विक्रय के लिए बाजार मिले इस प्रकार के शहरों का विकास करना चाहिए । |
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कौटिल्य के अनुसार सत्ता की चाबी किसमें है ? |
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Answer» कौटिल्य के अनुसार सत्ता की चाबी ‘अर्थ’ में है । |
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शुद्धता के साथ संपूर्ण ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ ग्रंथ का प्रकाशन किसने और कब किया ? |
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Answer» शुद्धता के साथ संपूर्ण ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ ग्रंथ का प्रकाशन पंडित श्यामशास्त्री ने ई.स. 1909 में किया । |
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किस ग्रंथ को ‘कौटिल्य का अर्थशास्त्र’ के रूप में जाना जाता है ? |
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Answer» कौटिल्य ने ई.स. पूर्वे तीसरी सदी के आस-पास नंद वंश के अंतिम राजा धनानंद के कुशासन का अंत लाने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य का साथ लेकर उन्होंने नैतिक मूल्यों पर आधारित मजबूत अर्थ व्यवस्थावाले सुसमृद्ध राष्ट्र की रचना के लिए प्रबल पुरुषार्थ ‘किया । राजनीति, कानून, अर्थनीति, कुशल प्रबंध, कर नीति, समाजव्यवस्था, व्यापार, कृषि और उद्योग आदि विषयों का सूक्ष्म अध्ययन किया और ‘अर्थशास्त्र’ जैसे विशिष्ट ग्रंथ की रचना की जिसे ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ के नाम से जानते हैं । |
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कौटिल्य का अर्थशास्त्र वास्तव में नीतिशास्त्र है ।’ विधान समझाइए । |
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Answer» कौटिल्य के मतानुसार अर्थशास्त्र अर्थात् ‘मनुष्य की वृत्ति अर्थ है, मनुष्य के आवासवाली भूमि अर्थ है । ऐसी पृथ्वी के . लाभ, मरम्मत, निभाव खर्च, पशुपालन के उपाय दर्शानेवाले शास्त्र अर्थात् अर्थशास्त्र ।’ वे मनुष्य की आजीविका और आवास के उपयोग . के लिए भूमि को संपत्ति गिनते हैं और उसके लाभ और पालन के उपाय सूचित करते हैं । कौटिल्य ने देश और समय के अनुरूप विचार प्रस्तुत किये हैं । इसलिए उनका (कौटिल्य) अर्थशास्त्र वास्तव में नीतिशास्त्र है । |
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कौटिल्य के मतानुसार अर्थशास्त्र का अर्थ बताइए । |
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Answer» कौटिल्य के मतानुसार अर्थशास्त्र अर्थात् ‘मनुष्य की वृत्ति अर्थ है, मनुष्य के आवासवाली भूमि अर्थ है । ऐसी पृथ्वी के लाभ, मरम्मत, निभाव खर्च, पशुपालन के उपाय दशनिवाला शास्त्र अर्थात् अर्थशास्त्र ।’ |
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भारतीय ग्रंथों में अर्थशास्त्र से सम्बन्धित प्रस्तुत हुए विचारों में किस ग्रंथ का अग्रस्थान है ?(A) मनुस्मृति(B) कौटिल्य का अर्थशास्त्र(C) शुक्रनीति(D) रामायण |
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Answer» सही विकल्प है (B) कौटिल्य का अर्थशास्त्र |
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राजा को वर्ष में कितनी बार कर लेना चाहिए ?(A) एक(B) दो(C) तीन(D) चार |
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Answer» सही विकल्प है (A) एक |
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कौटिल्य का मूल नाम क्या था ? |
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Answer» कौटिल्य का मूल नाम विष्णुगुप्त था । |
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शुद्धता के साथ संपूर्ण ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ ग्रंथ का प्रकाशन वर्ष ………………………(A) 1908(B) 1901(C) 1919(D) 1909 |
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Answer» सही विकल्प है (D) 1909 |
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विश्व महामंदी का समय बताइए । |
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Answer» विश्व महामंदी का समय 1929-30 है । |
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निम्न में से किसने पूर्ण राष्ट्र का स्वप्न देखा था ?(A) गाँधीजी(B) पंडित दीनदयाल(C) कौटिल्य(D) विवेकानंद |
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Answer» सही विकल्प है (C) कौटिल्य the answer is C |
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विश्व महामंदी का समय ……………………………..(A) 1929-30(B) 1930-31(C) 1931-32(D) 1932-33 |
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Answer» सही विकल्प है (A) 1929-30 |
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रशियन के महान चिंतक लियो तोलस्तोय की किन-किन पुस्तकों का प्रभाव गाँधीजी पर पड़ा ? |
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Answer» रशियन के महान चिंतक लियो तोलस्तोय की ‘वॉट सेल वी डू देन’ और ‘द किंगडम ऑफ गोड इज विधिन यू’ पुस्तकों का गाँधी पर प्रभाव पड़ा । |
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‘अन टू द लास्ट’ के लेखक कौन हैं ?(A) थोरो(B) रस्किन(C) तोलस्तोय(D) गाँधीजी |
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Answer» सही विकल्प है (B) रस्किन |
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पंडित दीनदयाल ने किस योजना का विश्लेषण किया ?(A) पहली(B) दूसरी(C) तीसरी(D) पाँचवी |
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Answer» सही विकल्प है (B) दूसरी |
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